फंसा हुआ धन वापिस लेने के लिए - यदि आपकी रकम कहीं फंस गई है और पैसे वापस नहीं मिल रहे हैं तो आप रोज सुबह नहाने के पश्चात सूरज को जल अर्पण करें। उस जल में 11 बीज लाल मिर्च के डाल दें तथा सूर्य भगवान से पैसे वापसी की प्रार्थना करें। इसके साथ ही “¬ आदित्याय नमः“ का जाप करें ! -शुक्ल पक्ष के गुरुवार से अपने माथे पर केसर एवं चंदन का तिलक लगाना आरंभ कर दें।
प्रत्येक गुरुवार को रामदरबार के सामने दंडवत प्रणाम कर मनोकामना करें, कार्य सफल हो जाएगा। Johari Lal 9214568502 कर्ज और ज्योतिष कर्ज एक ऐसा दलदल है, जिसमें एक बार फंसने पर व्यक्ति उसमें धंसता ही चला जाता है। ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्टम, द्वादश भाव एवं मंगल को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के कमजोर होने पर या पाप ग्रह से संबंधित होने पर या अष्टम, द्वादश, षष्ठम भाव में नीच स्थिति में होने पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि मंगल पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज होता है, लेकिन मुश्किल से उतरता है।
शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को कर्ज के लेन-देन के लिए वर्जित किया गया है। मंगलवार को कर्ज लेने वाला व्यक्ति आसानी से कर्ज चुका नहीं पाता है तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह से परेशानियां उठाती हैं।
कर्ज निवारण से मुक्ति के उपाय
1. शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
2. मंगल की पूजा, दान और मंगल के मंत्रों का जप करें।
3. मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें।
4. लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।
5. श्रीगणेश को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।
6. श्रीगणेश के अथर्वशीर्ष का पाठ प्रति बुधवार करें।
7. शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ाएं। Kajal Mangalik 8923637986 लड़कियों की चाल से जानें, किन महिलाओं में वास करती हैं
लक्ष्मी शादी से पहले जब वर पक्ष कन्या देखने जाता है तो उसके मुख मंडल से अधिक चाल-ढाल को देखता है क्योंकि इससे यह जाना जाता है कि लड़की कितनी गुणी और भाग्यवान है। क्या वो ससुराल पक्ष के लिए लक्ष्मी का रूप बनकर आएगी? सनातन धर्म के ग्रंथ भविष्य पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मा जी से जब मनीषियों ने स्त्रियों के सर्वोत्तम गुण जानने चाहे तो ब्रह्मा जी ने कहा कि महिलाओं की चाल के जरिए उनके चाल-चलन के बारे में जाना जा सकता है।
- गाय के समान चलने वाली महिलाएं साक्षात लक्ष्मी का रूप होती हैं।
- हंस और मस्त हाथी के समान जो महिलाएं चलती हैं वह उत्तम होती हैं। इनके चरण जिस घर में पड़ते हैं वहां देवी लक्ष्मी वास करती हैं।
- जमीन पर पांव पटक कर तेज गति से चलने वाली महिलाएं मायके और ससुराल दोनों के लिए दुखदायी होती हैं। उनका स्वयं का जीवन तो कष्टों में व्यतीत होता ही है कुल को भी दुख पंहुचाती हैं।
- जो महिलाएं चलते समय एड़ियों को उठाकर चलती हैं उनका भविष्य अंधकारमय होता है।
- हिरण जैसी आंखों वाली महिलाएं बहुत सुंदर और उच्च कोटि की होती हैं लेकिन हिरण जैसी चाल वाली महिलाएं कभी आजाद नहीं रह सकतीं।
- कौए जैसी चाल वाली महिलाएं बहुत बुरी होती हैं।
- भविष्य पुराण में यह भी बताया गया है कि जिस स्त्री के पांव कोमल और लाल रंग के होते हैं वे महारानियों के समान जीवन जीती हैं।
- पैरों की उंगलियां छोटी और एक-दूसरे से हट कर हों तो ऐसी महिलाओं को जीवन भर आर्थिक अभावों से गुजरना पड़ता है। Vimal Mishra 9918824372 राहु - शनि का मेल राहु-शनि का मेल है, पूर्व जन्म का पाप। भूत-प्रेत की बाधा है, या फिर कुपित - श्राप ।। मंदिर गिरते दिखते हैं, पानी से भय होय।। कानों में गुंजन होता, मुरदा जैसे रोय ।। सचमुच या फिर वहम में, या निद्रा के बीच।
सर्प की छाया भय देगी, यह पत्थर में लीक। जीवन भर तड़पायेगा, दो मुँह वाला नाग। मंदिर तोड़ा था तुमने, संत जलाया आग।। Dr. P.S. Rana 9412018457 कारोबार में लाभ के लिए सहायक हैं, ये वास्तु टिप्स कारोबार में लाभ के लिए आवश्यक है कि आप जहां व्यवसाय कर रहे हैं वह धन आगमन की अनुकूल स्थिति हो।
यह अनुकूल स्थिति तब बनती है जब दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान का वास्तु सही हो नहीं तो मेहनत और समय खर्च करने के बाद भी लाभ को लेकर निराशाजनक स्थिति बनी रहती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार व्यापार में बेहतर लाभ पाने के लिए सबसे पहले तो यह करें कि व्यापारिक प्रतिष्ठान की दीवारों पर गहरे रंग नहीं लगवाएं। सफेद, क्रीम एवं दूसरे हल्के रंगों का प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है जो लाभ वृद्धि में सहायक होता है।
दूसरी बात जो गौर करने की है वह यह है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान का दरवाजा अंदर की ओर खुले। बाहर की ओर दरवाजे का खुलना लाभ को कम करता है क्योंकि आय के साथ व्यय भी बढ़ा रहता है। दुकान में उत्तर एवं पश्चिम दिशा की ओर शो केस का निर्माण करवाना चाहिए। इससे खरीदारों की संख्या बढ़ती है। धन में वृद्धि के लिए तिजोरी का मुंह उत्तर की ओर रखें क्योंकि यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की दिशा है।
अगर आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान में सीढ़ियां बनी हुई हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि सीढ़ियों की संख्या सम नहीं होनी चाहिए। Rajkumar Kaushik 9412018457 राजयोग राजयोग 3 अथवा 4 ग्रहों से उत्पन्न होता है। शनि, गुरु, मंगल तथा रवि राजयोग के कारक ग्रह हंै। बुध तथा शुक्र सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में होने के कारण तथा चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा में होने के कारण, राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण इन सबका समावेश इस योग में नहीं है।
मंगल, शनि, रवि तथा गुरु ये सभी ग्रह कुंडली में उच्च के होने चाहिए तथा उनमें से एक ग्रह लग्न में होना अनिवार्य है अर्थात चर लग्न होना चाहिए 1, 4, 7 ,10 तथा उनमें उपरोक्त ग्रह उच्च के होना पूर्ण राजयोग होता है। प्रभु रामचंद्र की कुंडली राजयोग का उत्तम उदाहरण है। कर्क लग्न उदित होकर केंद्र में चारों स्थान पर उच्च ग्रह विराजमान हैं। शुक्र भी भाग्य स्थान में उच्च का होने से बुध का नीच भंग राजयोग हो गया है।
इस कारण यह एक परिपूर्ण राजयोग की कुंडली है। इसी प्रकार तीन ग्रह कुंडली में तथा लग्न में उच्च का गुरु होने से भी यह पूर्ण राजयोग है। लग्न तथा चंद्र वर्गोत्तम है तथा चंद्र के अतिरिक्त ग्रह वर्गोत्तम रहना यह भी उत्तम राजयोग है।
Vishnu Kumar 9824647435 वाणी के वेग पर नियंत्रण (कब चुप रहना चाहिये - व्यावहारिक सुझाव)
1) चुप रहें - क्रोध की अग्नि में।
2) चुप रहें - जब आपके पास सारे तथ्य न हों।
3) चुप रहें - जब आपने खबर सत्यापित न किया हो।
4) चुप रहें - यदि आपके शब्द किसी कमजोर व्यक्ति को ठेस पहुंचा रहे हों।
5) चुप रहें - जब सुनने का समय हो।
6) चुप रहें - जब आप पवित्र वस्तुओं के अपमान के लिये प्रलोभित हों।
7) चुप रहें - जब आप अपराधों का मजाक बनाने के लिये प्रलोभित हों।
8) चुप रहें - यदि आपको अपने बोले जाने वाले शब्दों के लिये बाद में ग्लानि हो।
9) चुप रहें - यदि आपके शब्दों से गलत विचार प्रकट हों।
10) चुप रहें - यदि मुद्दे से आपका कोई संबंध न हो।
11) चुप रहें - यदि आप पूर्णतया झूठ बोलने के लिये प्रलोभित हों।
12) चुप रहें - यदि आपके शब्दों से किसी और की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे।
13) चुप रहें - यदि आपके शब्दों से किसी मित्र को हानि हो।
14) चुप रहें - यदि आप आलोचनात्मक हों।
15) चुप रहें - यदि आप अपनी बात को चिल्लाए बिना नहीं कह सकते।
16) चुप रहें - यदि आपके शब्द आपके मित्र या परिवार के बारे में बुरी झलक दर्शाते हों।
17) चुप रहें - यदि आपको अपने शब्दों के लिये बाद में माफी मांगनी पड़े।
18) चुप रहें - यदि आप किसी बात को एक बार से अधिक कह चुके हों।
19) चुप रहें - यदि आपको गलत व्यक्ति की प्रशंसा करनी पड़े।
20) चुप रहें - जब आपके लिये कार्य करना श्रेयस्कर हो।
21) चुप रहें - यदि आपके शब्द किसी के भी भले के लिये न हो, यहां तक कि आपके भी भले के लिये न हो।
‘‘जो भी अपनी जिह्ना को इस प्रकार नियंत्रित रखता है, वह अपने आपको समस्याओं से दूर रखता है’’। Rajnish Sharma 9417075065 शनि उपाय जिस पर भी हो साढ़े साती, करे तेल का दान। दान की महिमा अद्भुत है, दान से हो कल्याण ।। कुत्ता जाति के जन्तु को, देता रहे खुराक। रूखी सूखी जो भी हो, ऊपर रख दे साख ।। कीट मकोड़ों को शक्कर, तिल चावल के साथ। रोज डाल सके तो डाले, जातक अपने हाथ।। Dr. P.S. Rana 9412018457 गृहस्थ में शांति के उपाय आपके घर में कलह होता है, रोग ज्यादा है तो आप सावधान हो जाइए।
अगर आप घर की उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में जूते उतारते हैं तो घर में शक्ति और शांति की कमी होगी। घर का कचरा दरवाजे के बाहर ही फेंक देते हैं तो वही परमाणु आपके घर को फिर गंदा करेंगे और मति को छोटा रखेंगे। आपने देखा होगा कि झोपड़पट्टीवालों के आस-पास नालियाँ बहती रहती हैं। वे वहीं रहते हैं, वहीं भोजन बनाते हैं, वहीं खाते हैं तो उनकी बुद्धि कमजोर रहती है। बेचारों की मानसिकता, शारीरिक स्वास्थ्य दबा-दबा रहता है और जीवन भर धोखा खाते रहते हैं, शोषित होते जाते हैं।
आपकी धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी तो आपका मनोबल, बुद्धिबल, स्वास्थ्यबल बढ़ेगा। इसके लिए एक उपाय है: गोमूत्र, गंगाजल, कुंकुम, हल्दी और इत्र - इन पाँच चीजों के मिश्रण से आप अपने घर की दीवालों पर स्वस्तिक बनाइए। स्वस्तिक एकदम बराबर नापकर बनायें, कोई भी रेखा आगे-पीछे न हो, छोटी-बड़ी न हो। घर के लोग आते-जाते उसे देखेंगे तो प्रसन्नता बढ़ेगी और धनात्मक ऊर्जा का विकास होगा। ऐसा ही स्वस्तिक किसी कपड़े पर अंकित करके रख लें।
यदि उसी कपड़े पर आसन लगाकर साधन-भजन करें तो आपकी धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी, स्वास्थ्य में और विचारों में बड़ी बरकत आयेगी। ऐसा दूसरा वस्त्र बना के पलंग के नीचे रख लें तो आपके आरोग्य के कण बढ़ेंगे । घर में बरकत नहीं है। एक मुसीबत, एक कष्ट आकर जाता है तो दूसरा आ के गला घोंटता है तो चिंता नहीं करो, डरो नहीं। घर के सभी लोग किसी भी दिन अथवा अमावस्या के दिन इकट्ठे हो जाओ।
किसी कारण सभी लोग नहीं हों या महिलाएँ मासिक धर्म में हों तो उनको छोड़कर बाकी के लोग एकत्र हो जाओ। घी, चावल, काले तिल, जौ, गुड़, कपूर, गूगल, चंदन-चूरा
- इन आठ चीजों का मिश्रण बना के गाय के गोबर के कंडे पर 5-5 आहुतियाँ दें। इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध हो जायेगा, स्वास्थ्य ठीक होगा और आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी । हर अमावस्या को व्रत करें तो और भी अच्छा रहेगा । हरा पीपल काटना बड़ा भारी पाप है, बहुत हानि होती है। पीपल काटने का दोष हो या किसी देवता का दोष हो, और भी कुछ हो गया हो तो इस प्रकार की आहुतियां देने से रक्षा होती है।
इससे दुःस्वप्न, पितृदोष, रोग आदि में भी बचाव होगा और घर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी, सुख-सम्पदा और बरकत में वृद्धि होने लगेगी । शरीर में रोग है या कुछ गड़बड़ियाँ हैं तो शरीर पर गाय का गोबर और गोमूत्र रगड़कर स्नान करने से आपको स्वास्थ्य-लाभ होगा। घर में देवी-देवताओं को जो हार चढ़ाते हैं, जब तक वे फूल-पत्ते आदि ताजे हैं तब तक तो धनात्मक ऊर्जा बनाते हैं लेकिन जब वे सूख जाते हैं तो उलटा परिणाम लाते हैं, हानि करते हैं।
इसलिए सूखे पत्ते, हार-फूल घर में न रखें। बासी होने पर तुरंत गुरुमूर्ति या देवमूर्ति से सूखे हार हटा देने चाहिए । फिटकरी को घर में रखने से ऋणायनों की तथा धन ऊर्जा की वृद्धि होती है। घर के क्लेश, वास्तुदोष, पितृदोष और बुरी नजर के प्रभाव से रक्षा होती है। आश्रम से बना हुआ गृहदोष बाधा-निवारक जो निःशुल्क मिलता है, वह प्रत्येक कमरे में रखो तो हितकारी रहेगा।
कार्यालय में रखते हो तो आपसे जो मिलने आयेंगे वे भी खुश होकर जायेंगे। यह सब तो ठीक है। सत्संग की बड़ी भारी महिमा है। सत्संग के आभामंडल में जाने पर आपके ऊपर जो ऐहिक वातावरण का दबाव है वह हट जाता है। पुराने हलकट संस्कार भी किनारे हो जाते हैं। भगवत शक्तियाँ काम करती हैं, आपकी नस-नाड़ियों, मन-मति में एक शांति, ओज, तेज, और आत्मविश्वास की आभा जागृत हो जाती है । इसलिए सत्संग-कीर्तन में जरूर जाना चाहिए ।
Neetu 7508852830 जानिए क्या है सूर्य को जल अर्पित करने का तरीका सूर्य हमारे जीवन में प्रकाश और ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है, इसके बिना तो संसार में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है जिसके कारण ज्योतिष में इसे किसी भी इंसान का प्राण कहते हैं। साथ ही इनकी कृपा होने पर आपको हर काम में सफलता मिलती है। चाहे फिर वह छोटा सा काम हो या फिर बड़ा सा काम हर मामलों में सूर्य होता ही है।
हिंदू धर्म में सबसे पहले देवता सूर्य को ही माना जाता है जोकि आज भी साक्षात रुप में है। सूर्य अगर आपकी कुंडली में सही है तो आपको समाज में सम्मान के साथ-साथ उच्च पद, राजकीय पद आदि मिल सकता है। साथ ही परिवार का साथ भी रहता है। साथ ही कई बीमारियों से हमें बचाता है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो आपको परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसलिए इसे बलवान करने के लिए हम कई उपाय करते हैं जिससे कि यह हमारी कुंडली में अच्छे योग में हो।
इसके लिए हम कई उपाय करते हंै जैसे कि उनकी पूजा, दान देना आदि। इन्हीं उपायों में से एक उपाय है सूर्य देवता को जल चढ़ाना। जब आप सूर्य को जल अर्पित करते हंै तो सूर्य साथ ही नौ ग्रहांे की कृपा भी बनी रहती है, लेकिन हमारे ठीक ढंग से जल अर्पित न कर पाने से उसका फल उतना नहीं मिल पाता है।
जानिए सूर्य को किस तरह से जल अर्पित करना चाहिए। सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और एक लोटे में जल भरकर सूर्य को अर्पित करें। माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में जल चढ़ाने से फल अधिक मिलता है यानी कि जब सूर्य लाल रंग का होता है और आपको ठीक ढंग से दिखाई देता है।
हमेशा जल को सिर के ऊपर से गिराएं जिससे कि सूर्य की सातों किरणें आपके शरीर पर पड़ें जिससे कि सूर्य के साथ-साथ आपके नौ ग्रह भी मजबूत बनें। इसके बाद सूर्य के सामने हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें जिससे आपके ऊपर उनकी कृपा बनी रहे। Rajkumar Kaushik 9012784211