हमारा हाथ हमारे शरीर का प्रतिबिंब है। इस ज्ञान का उपयोग एक्यूप्रेशर पद्धति में विशेष रूप से किया जाता है। एक्यूप्रेशर के विशेषज्ञ हथेली के पाॅइंट (बिंदू) दबाकर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले रोगों का निवारण करते हैं। इसका कारण है कि शरीर के विभिन्न अंग हमारे मस्तिष्क से जुड़े हुए हंै और मस्तिष्क की शिराएं हमारी हथेली तक आती हैं। इस प्रकार हथेली से मारे शरीर के सभी अंग जुडे़ हुए हैं।
शरीर के हर अंग का चित्रण हमारी हथेली पर किसी न किसी रूप में होता है। हथेली के विभिन्न क्षेत्रों (बिंदुओं) पर आने वाले धब्बों व अन्य निशानियों के द्वारा हम शरीर में होने वाले विभिन्न रोगों का आंकलन कर सकते हैं। मुख्यतः किसी बिंदू पर क्राॅस का उभरना या कोई धब्बे का पैदा होना या विशेष कोई चिह्न बनना, शरीर के उस विशेष क्षेत्र में रोग होने की उत्पत्ति का संकेत देता है। इसी प्रकार हमारी हथेलियों पर कुछ धब्बे या निशान (चिह्न) होते हैं। आकृतियों में धब्बा, (लटकन) जंजीर, द्वीप, बिंदू, जाली मुख्य हैं। हथेली में जिस स्थान पर ये चिह्न होते हैं उसी के अनुरूप इन चिह्नों का फल हमें प्राप्त होता है जो हमारे रोगों और स्वास्थ्य कष्टों को इंगित करते हैं। जैसे -
हृदय रेखा: हृदय व उससे जुड़े सभी मुख्य अंग फेफड़े, व लिवर आदि को दर्शाती है। इसी प्रकार स्वास्थ्य रेखा या आयु रेखा हमारे पेट, आंते, गुर्दे व ब्लैडर आदि का सूचक है। मस्तिष्क रेखा हमारे दिमागी ग्लैंडस का प्रतिनिधित्व करती है जैसे विभिन्न पेनक्रियाज की वजह से मधुमेह थायराइड जैसे रोग होते हैं। हाथ की उंगलियां व अंगूठा भी हमारे शरीर में होने वाले विभिन्न रोगों को जानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र पर्वत से जनन अंगों पर विचार किया जाता है।
धब्बा: हस्त रेखा शास्त्र ज्योतिष में धब्बे के निशान को शुभ नहीं माना जाता है। यह रोग और बीमारी को दर्शाता है। धब्बे अलग अलग रंग के होते हैं। लाल रंग का धब्बा मस्तिष्क रेखा पर मौजूद हो तो आपको चोट लग सकती है। स्वास्थ्य रेखा पर धब्बा आपको बुखार एवं कुछ शारीरिक रोग से पीड़ित कर सकता है। नीला और काला धब्बा हथेली पर होना गुप्त परेशानी दे सकता है। जीवन रेखा पर जहां जहां यह धब्बा होता है उस उम्र में आप रोग ग्रस्त रहते हैं।
लटकन (जंजीर): यह आम तौर पर जीवन रेखा के अंतिम सिरे पर होती है जो वृद्धावस्था में होने वाले कष्ट और मृत्यु के विषय में बताती है। यह निशान अगर जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के साथ लगकर बना हुआ है तो बुढ़ापे में आपकी याददाश्त कमजोर होगी। अगर यह निशान हृदय रेखा पर दिखाई दे रहा है तो यह इस बात का सूचक है कि दिल की हालत अच्छी नहीं रहेगी।
द्वीप: हाथ में द्वीप अधिक बन जाने से मस्तिष्क में दुर्बलता, मानसिक रोग तथा चिड़चिडापन आ जाता है। द्वीप चिन्ह अगर हृदय रेखा पर साफ और उभरा नजर आ रहा है तो आप हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, इस स्थिति में आपको दिल का दौरा भी पड़ सकता है। यह चिन्ह का मस्तिष्क रेखा पर होने से आपको मानसिक परेशानियों का सामना करना होता है व आपके सिर में दर्द रहता है।
बिन्दु: बिन्दु प्रायः अस्थायी रोग का सूचक होता है। स्वास्थ्य रेखा पर चमकीला लाल बिन्दु प्रायः बुखार होने की सूचना देता है। जीवन रेखा पर बिन्दु होने से बीमारी का संकेत मिलता है। यह ज्वर का कारण हो सकता है। जीवन रेखा पर बिन्दु होने से लंबी बीमारी उत्पन्न होती है। विवाह रेखा पर होने से सिर में भारी चोट और ह्र्दय दुर्बल होता है। शुक्र क्षेत्र में काला बिन्दु होने से व्यक्ति को गुप्तांगों में रोग होने की आशंका रहती है।
जाल: हाथ में आड़ी रेखाओं पर तिरछी रेखाओं के आने से जाल जैसा चिह्न बन जाता है। हस्त रेखा से रोग होने में इस चिह्न की भी भूमिका अहम होती है। यह जाल यदि मंगल क्षेत्र पर हो तो व्यक्ति को मानसिक अशान्ति एवं उद्विग्नता रहती है। केतु क्षेत्र पर जाल होने से चेचक या चर्म रोग जैसे रोगों का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य में कमी के बारे में विभिन्न संकेत हथेली से निम्न प्रकार से प्राप्त होते हैं।
- यदि खून की कमी (एनीमिया) है तो हाथ पीला पड़ने लगता है।
- यदि हृदय रेखा कटी या कम गहरी है तो हृदय रोग होने की संभावनाएं रहती हैं।
हृदय रोग: जिसकी हृदय रेखा में द्विप वृत्त चिह्न हो शनि क्षेत्र के नीचे मस्तिष्क रेखा का रंग पीला हो या आयु रेखा के पास वाले मंगल क्षेत्र पर काला बिन्दु हो या हृदय रेखा पर काले तिल का चिह्न हो एवं द्विप हो तो व्यक्ति को आकस्मिक मूर्छा तथा हृदय रोग हो सकता है।
आंत रोग: यदि रेखाएं पीले रंग की हो, नाखून रक्त वर्ण एवं धब्बेदार हो तथा बुध रेखा खंडित हो तो व्यक्ति को आंतों की बीमारी हो सकती है।
रीढ़ का रोग- यदि हृदय रेखा पर शनि के नीचे द्विप चिह्न हो तो व्यक्ति को रीढ़ की बीमारी हो सकती है।
दांतों का रोग: जिस व्यक्ति की हथेली में शनि क्षेत्र उच्च हो और उस पर अधिक रेखाएं हो बुध शनि रेखा लहरदार एवं लम्बी हो उंगलियों के द्वितीय भाग लंबे हो तो दांत के रोग हो सकते हैं।
गुर्दे का रोग: यदि मस्तिष्क रेखा पर, मंगल के समीप सफेद रंग के दाग हो एवं दोनों हाथों की हृदय रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति को गुर्दे का रोग होता है।
आंख के रोग: बुध के नीचे यदि मंगल ग्रह पर तिल हो तो आंख से संबंधित रोग का भय रहता है।
रक्तचाप: मंगल ग्रह उत्तम हो और मस्तिषक रेखा में दोष हो तो व्यक्ति अत्यंत चिंड़चिड़ा व गुस्सैल स्वभाव वाला होता है। ऐसे व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप की भी संभावना रहती हैं।
स्त्री गर्भ रोग: यदि किसी स्त्री के मंगल ग्रह पर मोटी-मोटी आड़ी रेखाएं हों व शनि ग्रह दबा हो तो उसे गर्भ से जुड़े रोग कष्ट दे सकते हैं।
फेफड़ों के रोग: जीवन अन्य सभी रेखाओं से रेखा पतली हो और हाथ सख्त या भारी हो तो पेट के रोग हो सकते हैं। किन्तु अगर हाथ नरम हो तो फेफड़े कमजोर होते हैं।
दमा: यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाती हो, अन्य रेखाएं दूषित हो, चंद्रमा उन्नत हो तथा ह्रदय और मस्तिष्क रेखा में अंतर हो तो दमा रोग परेशानी देता है।