प्रश्न: हस्त रेखा विशेषज्ञों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण बातें क्या हैं? उत्तर: हस्त रेखा शास्त्र में मुख्यतः सामान्य और असामान्य दो प्रकार की बातें सामने आती हैं। जब एक हस्त रेखा विशेषज्ञ किसी के हाथ का अध्ययन करता है, तो सर्वप्रथम यह देखा जाता है कि उस जातक के शरीर के अनुपात में हाथ, हाथ के अनुपात में अंगुलियां एवं अंगूठा, इनके अनुपात में नाखून तथा इन सबके अनुपात में उसकी रेखाएं सुदृढ़ हैं, या नहीं। इसका अनुपातिक योग उसके हाथ का अध्ययन करने में सहयोग करता है। इन सबका अनुपात ठीक न होने पर विशेष अध्ययन की आवश्यकता होती है तथा अनुपात ठीक होने पर जातक के बारे में सामान्य अध्ययन से ही काफी कुछ जाना जा सकता है। हस्त रेखा अध्ययन के समय सर्वप्रथम भूतकालिक घटनाओं का अध्ययन कर के, उसकी सत्यता की पुष्टि होने पर, वर्तमान की गतिविधियां जानी जाती हैं।
जब भूतकालिक और वर्तमान की बातें सत्य साबित होने लगती हैं, तो भविष्य के बारे में विश्वासपूर्वक बताया जा सकता है। वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए, तो हस्त रेखा परिवर्तित होती रहती हैं। इस कारण भविष्य की बतायी गयी बातें तभी सत्य होती हैं, जब उनसे संबंधित रेखाएं भविष्य में स्थिर रहंे। कुछ बातंे हाथ के प्रकार और अंगुलियों तथा अंगूठे के प्रकार एवं पर्वतों के माध्यम से बतायी जाती हैं। वे बातें हमेशा सत्य होती ही हैं। प्रश्न: हस्त रेखा अध्ययन में हाथ के आकार-प्रकार तथा उनकी रेखाओं की भिन्नता बताएं? उत्तर: हस्त रेखा शास्त्र में हाथ की रेखाओं तथा हाथ के आकार-प्रकार को परस्पर दो भागों में बांटा गया है। मुख्य रूप से हाथ एवं अंगुलियों के आकार-प्रकार से जातक के चरित्र एवं व्यक्तित्व पर पैतृक प्रभावों का पता लगाया जाता है। हाथ की रेखाओं से जातक के जीवन में भूत, भविष्य, वर्तमान की घटनाओं को जाना जाता है।
अतः दोनों को देखना आवश्यक माना गया है। हाथ की बनावट का अध्ययन रेखाओं की अपेक्षा सरल है। इस कारण प्रारंभ में इसे आधार मान कर अध्ययन करना चाहिए। जो भी गुण-अवगुण हाथ के अध्ययन से मिलते हैं, उनमें दो पहलू होते हैं, जैसे कोई कलाकार बनेगा, इस बात के दो पहलू हैं: पहला वह, जो वह कला के क्षेत्र से संबंधित अनेक प्रमाणपत्र हासिल कर के बड़ा कलाकार कहलाएगा। दूसरा, इसके विपरीत वह प्रमाणपत्र हासिल न कर पाएगा, न ही उसकी लालसा होगी। परंतु वह अंदर से महान् कलाकार होगा। प्रश्न: यदि उंगलियां मोटी तथा बेडौल हों, तो जातक का स्वभाव कैसा होता है? उत्तर: जिस जातक की उंगलियां मोटी और बेडौल होती हैं; साथ ही वे अंगुलियां अधिकांशतः छोटी भी होती हैं, तो ऐसे जातक स्वार्थी, क्रूर तथा असंयमित होते हैं। ये जातक जीवन में असफल, या सामान्य सफल होते हैं। प्रश्न: पीछे की ओर अधिक झुकने वाली उंगली की विशेषता क्या है? उत्तर: पीछे की ओर धनुष के समान मुड़ने वाली उंगली जातक के स्वभाव को आकर्षक एवं मिलनसार बनाती है। ऐसे जातकों में मित्रता की भावना अधिक होती है तथा वे समाज में अधिक मित्र बनाते हैं और स्वयं भी मित्रता निभाते हैं। वे हर बात को पूर्ण रूप से जानने के इच्छुक होते हैं तथा इनमें चालाकी भी अधिक पायी जाती है। प्रश्न: दुर्घटना का संकेत किन चिह्नों से प्रकट होता है? उत्तर: शनि तथा मंगल पर्वत पर तारक चिह्न, चंद्र पर्वत के मध्य एक खड़ी रेखा, हाथ के सिरे की ओर जाती हुई, लहरदार, नीचे की ओर झुकी हुई मस्तिष्क रेखा दुर्घटना कराती हैं। शनि पर्वत के नीचे खंडित मस्तिष्क रेखा एवं धब्बे से सिर पर चोट लगती है। सूर्य पर्वत के नीचे खंडित मस्तिष्क रेखा भी दुर्घटना कराती है।
प्रश्न: आत्महत्या दर्शाने वाले हाथों के लक्षण बताएं ? उत्तर: जिस जातक के हाथ में जीवन एवं मष्तिष्क रेखाओं की अनेक शाखाएं चंद्र पर्वत के निम्न आधार के आगे नीचे की ओर बढ़ती हैं, उसमें आत्महत्या करने की तीव्र इच्छा होती है। इस प्रकार के जातक की मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत के पास यदि वक्र होती है, तो अधिक खराब मानी गयी है। प्रश्न: यदि किसी हाथ में अनेक रेखाएं हों, तो जातक पर क्या प्रभाव होता है ? उत्तर: हाथ चाहे किसी भी प्रकार का हो, यदि हाथ में सभी दिशाओं में जाने वाली अनेक रेखाएं हों, तो जातक जल्दबाज, चिंतापूर्ण तथा साधारण सी बात से घबराने वाला एवं संवेदनशील होता है। प्रश्न: दोषपूर्ण रेखा किसे कहते हैं ? उत्तर: रेखा हथेली में अस्पष्ट हो, धूमिल हो, टेढ़ी-मेढ़ी या खंडित हो, तो उस रेखा को दोषपूर्ण रेखा कहते हैं। इसके अतिरिक्त जिस रेखा पर कोई अशुभ चिह्न होता है, वह भी दोषपूर्ण होती है तथा दोषपूर्ण रेखाओं का फल उत्तम नहीं होता है। प्रश्न: सुखी वैवाहिक जीवन का विचार किस रेखा से किया जाता है? उत्तर: हथेली के विवाह क्षेत्र पर ही विवाह रेखा, वैवाहिक सुख के लिए, उत्तम होती है। बृहस्पति क्षेत्र से आती हुई सीधी रेखा का हृदय रेखा से मिलना सुखद वैवाहिक जीवन का द्योतक है। स्त्री के बृहस्पति पर्वत पर नक्षत्र का होना प्रेम की संतुष्टि और सुखद वैवाहिक जीवन का संकेत है। हृदय रेखा की समाप्ति गुरु पर हो तथा शुरुआत में दोमंुही शाखाएं हों, तो सुखी वैवाहिक जीवन माना जाता है।
प्रश्न: क्या यह जाना जा सकता है कि यह जातक सुखी, संपन्न और भाग्यवान होगा? उत्तर: किसी को अधिक भाग्यशाली कहने के लिए उसके हाथ और अंगुलियों मंे कुछ विशेष शुभ लक्षण पाये जाते हैं, जैसे अंगुलियां सीधी हों तथा नीचे की ओर मोटी और ऊपर की ओर थोड़ी सी पतली हों, हाथ का रंग गुलाबी हो, जीवन रेखा कुछ घुमावदार हो, हृदय रेखा गहरी हो तथा भाग्य रेखा एक से अधिक हो, हाथ देखने में आकर्षक हो, तो जातक सुखी, संपन्न एवं भाग्यवान होता है। प्रश्न: हाथ देख कर बीमारियों के बारे में कैसे जाना जाता है ? उत्तर: बीमारियों के बारे में अनेक स्थानों से जाना जाता है, जैसे अधिक फैला हुआ हाथ और चैड़ा नाखून हृदय की बीमारी उत्पन्न करते हंै। हाथ में अनेक नसें नीली आभायुक्त दिखने पर रक्त एवं हृदय रोग का संकेत माना जाता है। यदि लंबी बीमारी होगी, तो हृदय रेखा और जीवन रेखा अधिकतर दोषी पायी जाएंगी तथा कई स्थानों पर कटी होंगीे। मुख्य रूप से हथेली में सिकुड़ी हुई मांसपेशियां तथा एक दूसरे की ओर मुड़ी हुई अंगुलियां बड़ी बीमारी, या मस्तिष्क क्षमता की कमी को दर्शाती हंै। कभी-कभी अंगुलियां असामान्य रूप से लंबी तथा लचीली होती हैं, तो भी बीमारी की अवस्था का संकेत पाया जाता है। प्रश्न: विदेश से लाभ दिलाने वाली रेखाओं के बारे में लिखें। उत्तर: भाग्य रेखा चंद्र क्षेत्र से निकल कर शनि क्षेत्र में जाए, अंगूठा पीछे की ओर झुका हो, मष्तिष्क रेखा सीधी हो एवं ऊपरी चंद्र, या मंगल को जाए, हाथ में मणिबंध से चंद्र रेखाएं निकलती हों, कुछ चंद्र रेखा जीवन रेखा से मिलती हों, तो विदेश से लाभ का संकेत मिलता है।