संपूर्ण विभागों का विकास एवं पांच अंगुलियों से युक्त हस्त की स्थिति मणिबंध पर ही है। यहां से जो तीन रेखाएं निकल कर मणिबंध की ओर से दूसरी ओर तक फैली रहती हैं, उन्हें ‘वलय रेखा’ भी कहते हैं। इनमें मणिबंधस्थ प्रथम वलय रेखा से स्वास्थ्य और धन का ज्ञान होता है। दूसरी वलय रेखा से शास्त्र और विद्या का ज्ञान होता है तथा तीसरी वलय रेखा से भक्ति और सुख भाव का विचार किया जाता है। जिस व्यक्ति के मणिबंध में ये तीनों रेखाएं हों, वह उत्तम पुरुष, जिसकी 2 रेखाएं हों, वह मध्यम तथा 1 रेखा वाला नेष्ठ, कनिष्ठ अथवा दरिद्र होता है। किसी-किसी के मणिबंध में चार रेखाएं भी पायी जाती हैं। इन रेखाओं द्वारा आयु का भी ज्ञान होता है। प्रत्येक रेखा 30 वर्ष की आयु की सूचना देती है। यदि तीनों वलय रेखाएं पूर्ण और स्वच्छ हों, तो उस मनुष्य का आयुष्मान 90 वर्ष के लगभग माना गया है। योगी-महात्माओं एवं बाल ब्रह्मचारियों के मणिबंधों में पूर्ण चार रेखाएं होने पर उनकी आयु लगभग 120 वर्ष की होती है। किंतु वर्तमान समय में ऐसे महान पुरुष कम दृष्टिगोचर होते हैं। आयु वर्षों का मान रेखाओं की पूर्णता-अपूर्णता पर निर्भर है।
वलय रेखा शुद्ध होने पर मानव शास्त्रानुसार निश्चित आयु सानंद, पूर्ण रुपेण भोगता है। इस संबंध में सन् 1930 की एक घटना यहां उद्धृत करना उपयोगी होगा। सन् 1930 में एक योगी, जो पहले शास्त्रों का निर्माण करता था और किसी कारण शासन की आज्ञा से जिसके हाथ काट दिये जाने के फलस्वरूप केवल उसकी वलय रेखा ही शेष थी, एक दिन एक पहुंचे हुए ज्योतिषी के पास पहुंचा और कहने लगा: मुझे डाॅक्टरों ने बताया है कि मुझे टी. बी. हो गयी है। उनके कथनानुसार चिकित्सा भी करवा रहा हूं। फिर भी स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है। मुझे अभी अपने इन नन्हें - नन्हें बच्चों का पालन-पोषण करना है। शासन ने मेरे हाथ कटवा दिये। फिर भी संगीत से ही किसी तरह गृहस्थी चला रहा हूं। इधर डाॅक्टरों ने भी मेरी आशा खंडित कर दी। इसी खंडित आशा को लिये आपके पास आया हूं। कृपा कर निर्णय कर दें कि मेरी आयु और कितने वर्ष की है। इस शास्त्र निर्माता की आयु उस समय लगभग 52 वर्ष की थी और उसके खंडित हस्त पर दो वलय रेखाएं स्वच्छ और तीसरी आधी थी। ज्योतिषी ने, आकृति विज्ञान, वलय रेखा ओर ज्योतिष शास्त्रीय नियमानुसार पूर्ण विचार कर, उसकी आयु 70 वर्ष की बतलायी। वह आश्वस्त हो गया। उसकी खंडित आशा पुनः अखंड हुई। उसने अपने बाल-बच्चों को पढ़ा-लिखा कर सुयोग्य बना दिया और फिर सन् 1948 में अपनी देह त्यागी।
पश्चिमी विद्वान इन्हीं तीन वलय रेखाओं को आरोग्य रेखा, धन रेखा और समृद्धि रेखा कहते हैं। इनसे उक्त विषयों का निर्णय करते हैं। पुरुष के हाथ में इन तीनों वलय रेखाओं का स्वच्छ, सरल और पूर्ण होना उसके शांति, सुख, सौभाग्य, आरोग्य और भाग्यवान होने के लक्षण हैं। पुरुषों के हाथ मंे तीन रेखाएं शुभ मानी गयी हैं। इसके विपरीत स्त्रियों के हाथ में दो वलय रेखाओं का होना शुभ माना गया है। इनके स्वच्छ और पूर्ण होने से स्त्रियों को संतानसुख, सौभाग्य वृद्धि, शांति और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होते हैं। यदि स्त्रियों को तीन वलय रेखा हों या एक वलय रेखा कटी अथवा छिन्न-भिन्न हो, तो फल मध्यम होता है। यदि किसी पुरुष की तीनों वलय रेखाएं शंृखलाकार हों, तो वह अधिक परिश्रम से धन उपार्जन करता है। रेखाएं भग्न होने पर पुरुष बहुत कम खर्चीला या कंजूस होता है। स्त्री के मणिबंध में शंृखलाकार वलय उसकी निर्धनता और अस्त व्यस्त जीवन व्यतीत करना सूचित करता है। अधिकतर कुलटा या वेश्यावृत्ति में लिप्त स्त्रियों में यह वलय रेखा पायी जाती है और जो स्त्री सद्गृहस्थी की होते हुए भी परपुरुषगामिनी हो, उसके हाथ में भी उपर्युक्त प्रकार की रेखाएं पायी जाती हैं।
यदि चार वलय रेखाएं हों, तो वे क्रमशः धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सूचक हैं। कोई-कोई मोक्ष की वलय रेखा को दरिद्रता की सूचक भी मानते हैं। किंतु अधिसंख्य योगियों या महात्माओं के हाथों में ही ऐसी चार शुद्ध वलय रेखाएं पायी जाती हैं। मणिबंध का शुभाशुभ विचार: यदि मणिबंध सुदृढ़, चिकना तथा संधिमुक्त, अर्थात हाथ का जोड़ न दिखायी पड़ने वाला हो, तो वह शुभ फलदायक है। जिसका मणिबंध ढीला हो और उसके हिलाने से शब्द होता हो, वह निर्धन होता है। जिसका मणिबंध गंभीर, पुष्ट तथा साथ ही मणिबंध और हाथ की पुष्टता भी एक सी हो, वह पृथ्वीपति होता है। जिनके मणिबंध छोटे तथा संधियों में अत्यंत ढीले हों, उनका हाथ काटा जाता है। जिनके मणिबंध शब्दयुक्त हों, वे निर्धन होते हैं। मणिबंध, या वलय रेखाओं के भीतर त्रिकोण चिह्न हो, तो मानव को वृद्धावस्था में सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। दूसरे स्थान पर भी यह चिह्न प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ाने वाला होता है। यदि तीनों वलय या मणिबंध रेखाओं पर कोण का चिह्न हो, तो मानव को वृद्धावस्था में पराये धन से सुख और सम्मान प्राप्त होता है। यदि मणिबंध रेखा में गुणक (×) चिह्न हो, तो मनुष्य को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। किंतु यदि वही (×) प्रथम वलय के भीतर हो, तो जीवन सुख-शांति से व्यतीत होगा। यदि मणिबंध रेखा में गुणक चिह्न (×) हो, तो उस पुरुष का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। वह पराये धन का उपयोग करेगा और परिश्रमी भी होगा।
यदि यही चिह्न नीचे की वलय रेखा पर हो, तो जीवन के अंतिम भाग में द्रव्य प्राप्ति होगी तथा किसी व्यापार में लाभ होगा। मणिबंध की तीनों वलय रेखाओं में जिसकी प्रथम रेखा कटी हो, वह यशस्वी, प्रशंसा का पात्र, विश्वासी और परमायु होता है। यदि किसी के मणिबंध या वलय रेखा के मध्य दो आड़ी रेखाओं पर दो सीधी रेखाएं हों, तो वह नीच स्वभाव का, कुकर्मी, काम पीड़ित हो कर सांघातिक मृत्यु पाता है। यदि किसी के मणिबंध पर गज (अंकुश) रेखा हो, तो वह श्रेष्ठ और महान ऐश्वर्य वाला होता है। वह मनुष्यों पर शासन करता है।