रोजगार के लिये शुभ लक्षण शनि रेखा से तनिक फासले पर समानांतर रेखा आय के दो साधन बताती है। अत्यंत निकट की समानांतर रेखा को कुठार रेखा कहते हैं। इससे जातक के संघर्ष के समय का पता चलता है। चंद्र पर्वत से शनि रेखा निकल कर शनि पर्वत को जाये तो धन प्राप्ति का साधन नैतिक होता है किंतु इस रेखा का वास्तविक लाभ तब होता है जब रेखा शनि के क्षेत्र में प्रवेश करती है। एक से अधिक शनि रेखायंे होने से आय के अनेक साधन होते हैं। निर्दोष और गोलाकार जीवन रेखा भी हो तथा भारी हाथ हो तो लाभ निश्चित होता है। शनि रेखा शुरूआत में मोटी बाद में पतली हो तो पतली होने के समय सौभाग्य का उदय होता है। मोटी शनि रेखा के समाप्त होने का समय दुर्भाग्य का अंत करता है। यदि रेखा आरम्भ से पतली हो तो सौभाग्य बढ़ता है। यदि शनि रेखा न हो और अकेली सूर्य रेखा हो तो यश व परीक्षा आदि अन्य प्रयत्नांे से सफलता मिलती है। यदि जीवन रेखा आरम्भ में दो भागों में बंट जाये तो आरंभिक काल कष्टमय बाद में भाग्योदय होता है। जीवन रेखा के टूटने का समय रोजगार परिवर्तन या निवास परिर्वतन का होता है। हृदय रेखा के ऊपर के त्रिकोण अधिक लाभदायक हैं, नीचे अर्थात मस्तिष्क रेखा की ओर कम लाभदायक हैं। यदि शनि रेखा और जीवन रेखा दूषित हो तो उन त्रिकोणांे का लाभ संघर्ष के बाद प्रौढ़ावस्था में मिलता है।
मस्तिष्क रेखा टूटी हो तो मानसिक परेशानियांे के कारण रोजगार में बाधा आती है। यदि शनि रेखा मस्तिष्क रेखा से निकले तो बौद्धिक कार्य से लाभ मिलता है। गहरी शनि रेखा हृदय रेखा पर रूके तो साझेदारी हानिकारक होती है। चंद्र पर्वत की मोटी प्रभाव रेखा मोटी शनि रेखा से मिले तो साझेदारी या विवाह का संबंध कष्टकारी होता है। जीवन रेखा अधूरी हो तो साझे में कष्ट। साझेदारी करते समय साझेदार की कनिष्ठिका उंगली यदि बहुत लंबी हो या टेढ़ी हो तो जमा पूंजी को खतरा है। छोटी और मोटी ऊंगलियां, छोटे हाथ तथा सख्त त्वचा वाले व्यक्ति श्रम के कार्यों में सफलता पाते हैं। मस्तिष्क रेखा यदि दोनांे हाथों में एक जैसी हों तो परिवार में जो काम चल रहा होता है उसी को अपनाने से लाभ मिलता है। बुध रेखा अच्छी हो व कनिष्ठिका अच्छी हो तो व्यापार में लाभ मिलता है। शनि पर्वत पर त्रिकोण हो तो गुप्त विद्याआंे में सफलता जैसे- ज्योतिष, मनोविज्ञान, मंत्र, योग व अध्यात्म आदि। बुध पर्वत पर चतुष्कोण या त्रिकोण हो तो जातक अच्छा वक्ता होता है, उसे राजनीति में जाना चाहिये। तर्जनी लंबी हो, गुरु पर्वत पर त्रिकोण हो तो व्यक्ति साफ सुथरी राजनीति करता है, नाम पाते हैं, धन की हानि करते हैं। चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण हो तो आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास होता है। साथ में मध्यमा लम्बी हो और शनि रेखा ठीक हो तो व्यक्ति एकांतवास करता है। यदि कनिष्ठिका लंबी हो तो आध्यात्मिक क्षेत्र उनके व्यापार का साधन होता है।
उंगलियां गठीली हों तो अनुसंधान के कार्य में रूचि होती है। उंगलियां कोमल हों, गांठ दिखाई न दे तो कलाओं और कल्पना के कार्य में सफल होते हैं, साथ में यदि सूर्य रेखा हो तो लाभ और यश मिलता है। लंबी उंगलियां, लंबी हथेली, लचीली त्वचा के जातक योजना बनाने तथा मस्तिष्क प्रधान कार्यों में सफल होते हैं। रक्षात्मक मंगल से प्रभाव रेखा निकल कर सूर्य को जाये तो राजनीति में सफलता मिलती हैं। गुरु पर्वत पर त्रिशूल हो तो धन-संपत्ति, वाहन का सुख मिलता है। हस्त रेखाआंे के आधार पर व्यवसाय का चुनाव-
1. बुध ग्रह पर तीन या तीन से अधिक खड़ी रेखायें हों, भाग्य रेखा पहले मोटी तथा बाद में पतली हों और मस्तिष्क और जीवन रेखायें लंबी हों तो जातक आयुर्वेद की शिक्षा या मेडिकल की शिक्षा ले सकता है।
2. मस्तिष्क रेखा निर्दोष होकर मंगल ग्रह पर जाती हो, बुध ग्रह व शनि ग्रह बली हों, हाथ भारी हों, ऐसे व्यक्ति को कानून संबंधी या विज्ञान संबंधी शिक्षा लेनी चाहिये।
3. उंगलियां लंबी होने पर मस्तिष्क रेखा विभाजित होकर एक शाखा के चंद्र ग्रह पर जाने, सूर्य व चन्द्र ग्रह के उत्तम होने, भाग्य रेखा के मणिबंध से उदय होकर शनिग्रह तक पहुंचने, जीवन रेखा के गोल होने और अधूरी होने की स्थिति में मस्तिष्क रेखा के उन्नत होने से, गाना-बजाना, पशुपालन व बागवानी आदि कार्यों से लाभ मिलता है।
4. गुरु ग्रह प्रधान होने पर सूर्य ग्रह, उत्तम जीवन रेखा, गोल भाग्य रेखा के जीवन रेखा से दूरी पर होने, मस्तिष्क रेखा निर्दोष या डबल होने पर जातक आई.ए.एस. या पी.सी.एसअधिकारी बनता है।
5. मस्तिष्क रेखा या उसकी शाखा मंगल पर हो, हाथ सख्त या मुलायम कैसा भी हो पर भारी हो, उंगलियों के आधार बराबर हों और मंगल, चंद्रमा तथा बुध उन्नत हों तो ऐसे लोग कंप्यूटर सम्बन्धी शिक्षा लेते हैं और यदि कोई दोष न हो तो अवश्य सफल होते हैं। लम्बी मस्तिष्क रेखा यदि चन्द्र पर जाये, चन्द्र ग्रह उन्नत हो, हृदय रेखा का अन्त गुरु पर्वत पर हो, भाग्य रेखा मोटी से पतली हो, बुध की उंगली थोड़ी टेढ़ी और सूर्य की उंगली के ऊपर वाले पर्व से बड़ी हो तो ऐसा व्यक्ति पत्रकारिता में बहुत सफल होता है।
6. जीवन रेखा गोल, भाग्य रेखा निर्दोष और मोटी से पतली व मस्तिष्क रेखा दोनों ओर से विभाजित हो तो ऐसे जातक विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। वे गाइड या अनुवादक के रूप में सफल होते हैं।
7. हृदय व मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो, हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार हो व हाथ उत्तम हो तो वास्तुकला व मकान निर्माण से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। अन्य रेखायें उत्तम होने पर जातक धन-सम्पत्ति स्वयं बनाता है।
8. सूर्य ग्रह उत्तम, उसपर एक से अधिक रेखायें एवं सूर्य उंगली सीधी, बुध की उंगली टेढ़ी तथा चन्द्र और गुरु उत्तम होने पर फैशन डिजाइनिंग, टेलरिंग से संबंधी विषयांे में जातक सफल होते हैं।
9. टूटी शनि रेखा के जातक काम बदलते रहते हैं। पतली शनि रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुके तो गलत निर्णय के कारण हानि। शनि पर्वत पर चतुष्कोण हो तो धन-संबंधी संकट समाप्त होंगे और धन की प्राप्ति होगी।
10. मस्तिष्क रेखा दोहरी हो, अंगूठा लंबा हो व पीछे की तरफ मुड़ता हो, उंगलियां पतली व छोटी हों, गुरु ग्रह व गुरु की उंगली सूर्य से लंबी हो, जीवन रेखा साफ हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा पर काफी पकड़ होती है। ये भाषण देने में माहिर होते हैं।
11. अंगूठा लंबा हो, गुरु की उंगली सूर्य की उंगली से बड़ी हो, हृदय रेखा साफ-सुथरी हो, मस्तिष्क रेखा शुरू व अंत में विभाजित हो, चंद्रमा उठा हो, अन्य ग्रह भी ठीक हों और हाथ भारी हो तो ऐसे व्यक्तियों की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है। इन्हें शिक्षा व बोलने की कला का अच्छा ज्ञान होता है।