WhatsApp और ज्योतिष
WhatsApp और ज्योतिष

WhatsApp और ज्योतिष  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 4980 | नवेम्बर 2016

बुरी नजर उतारने के विभिन्न उपाय एवं मंत्र पुरानी कहावत है कि नजर पत्थर को भी फाड़ देती है, फिर हम तो हाड़-मांस के पुतले हैं, आप लोगांे को यह जानकर आश्चर्य होगा कि बहुत से लोगों के घर, परिवार और यहां तक कि धन हानि के साथ-साथ जन हानि भी नजर के कारण होता है, नजर लगे व्यक्ति या बच्चे का सर्वप्रथम खाना-पीना कम हो जायेगा, सिर में भारीपन तथा शरीर कांपने लगता है, घर कारोबार को नजर लगने पर हानि ही हानि होती है।

कारोबार व्यवसाय ठप्प पड़ जाता है। हम यहां नजर उतारने के कुछ सरल उपाय और मंत्र दे रहे हंै, अगर किसी भाई को या व्यवसाय को भयंकर नजर दोष लग गई हो तो निम्न उपायों को करने से अवश्य ही लाभ होगा।

- बच्चे ने दूध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दूध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कुत्ते या गाय को खिला दें।

- नमक, राई के दाने, पीली सरसों, मिर्च, पुरानी झाडू का एक टुकड़ा लेकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर से ‘आठ’ बार उतार कर अग्नि में जला दें। ‘नजर’ लगी होगी, तो मिर्चों की धांस नहीं आयेगी।

- जिस व्यक्ति पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर उससे हाथ फिरवाने से लाभ होता है।

- पश्चिमी देशों में नजर लगने की आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फर्नीचर को छू लेता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने पर उसे नजर नहीं लगेगी।

- ईसाई संप्रदाय में गिरजाघर से पवित्र - जल लाकर पिलाने का भी चलन है।

- एक नींबू लेकर आठ बार उतार कर काट कर फेंक दें।

- चाकू से जमीन पर एक आकृति बनाएं। फिर चाकू से ‘नजर’ वाले व्यक्ति पर से एक - एक कर आठ बार उतारते जाएं और आठों बार जमीन पर बनी आकृति को काटते जाएं।

- गौ मूत्र पानी में मिलाकर थोड़ा- थोड़ा पिलाएं और उसके आस-पास पानी में मिलाकर छिड़क दें। यदि स्नान करना हो तो थोड़ा स्नान के पानी में भी डाल दें।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


- थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और 3, 5 या 7 लाल सूखी मिर्च लेकर, जिसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सिर पर सात बार घुमाकर आग में डाल दें, ‘नजर’ - दोष होने पर मिर्च जलने की गंध नहीं आती।

- पुराने कपड़े की सात चिन्दियाँ लेकर, सिर पर सात बार घुमाकर आग में जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है। Neetu 7508852830 रंगों से ग्रहों को ठीक करें - सूर्य ग्रह कमजोर हो तो नारंगी रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो नारंगी रंग से परहेज करें - जन्मपत्री में चंद्रमा कमजोर हो तो सफेद रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो सफेद से परहेज करें।

- मंगल कमजोर हो तो लाल रंग का प्रयोग करें। कूपित हो तो लाल से परहेज करें।

- बुध कमजोर हो तो हरे रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो हरे से परहेज करें

- गुरु कमजोर हो तो पीले रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो पीले से परहेज करें।

- शुक्र कमजोर हो तो चटकीले यानि चमकीले सफेद रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो सफेद का प्रयोग न करें - शनि कमजोर हो काले रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो काले का प्रयोग नहीं करें।

- राहु कमजोर हो तो नीले रंग का प्रयोग करें, कुपित हो तो इस रंग से परहेज करें।

- केतु कमजोर हो तो ग्रे रंग का प्रयोग करें। कुपित हो तो ग्रे रंग से परहेज करें।

Mukesh Kumar 9334913911 वैवाहिक सुख-दुःख यदि दाम्पत्य जीवन में पति या पत्नी दोनों में से किसी भी एक का व्यवहार अनुकूल नहीं रहता है तो रिश्ते में कलह और परेशानियों का दौर लगा रहता है। ज्योतिषशास्त्र में जातक की जन्म कुंडली को देखकर, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके दाम्पत्य जीवन में कलह के योग कब उत्पन्न हो सकते हैं। 

एक नजर डालते हैं उन योगों पर जिन के प्रभाव से किसी भी जातक के दाम्पत्य जीवन में कलह के योग बनते हैं। कुंडली में सप्तम या सातवाँ घर विवाह और दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध रखता है। यदि इस घर पर पाप ग्रह या नीच ग्रह की दृष्टि रहती है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि जातक की जन्म कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य हो तो उसकी पत्नी शिक्षित, सुशील, सुंदर एवं कार्यों में दक्ष होती है, किंतु ऐसी स्थिति में सप्तम भाव पर यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह और सुखों का अभाव बन जाता है।

यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल हो तो जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवनसाथी की मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए या तो जीवनसाथी भी मंगली योग में पैदा हुआ हो या फिर मंगली योग का ठीक से परिहार देख लेना चाहिए।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


जन्म कुंडली के सप्तम भाव में अगर अशुभ ग्रह या क्रूर ग्रह जैसे कि शनि, राहु, केतु या मंगल आदि की दृष्टि हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह के योग उत्पन्न हो जाते हैं। शनि और राहु का सप्तम भाव में होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है। राहु, सूर्य और शनि पृथकतावादी ग्रह हैं जो सप्तम यानि दांपत्य और द्वितीय यानि कुटुंब भावों पर विपरीत प्रभाव डाल कर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देते हैं।

यदि अकेला राहु सातवें भाव में तथा अकेला शनि पांचवें भाव में बैठा हो तो तलाक हो जाता है। किन्तु ऐसी अवस्था में शनि को लग्नेश नहीं होना चाहिए या लग्न में उच्च का गुरु नहीं होना चाहिए। अब इसी प्रकार एक सुखमय और मधुर वैवाहिक जीवन की बात करें तो जातक की जन्म-कुंडली में ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होनी चाहिए - जैसे सप्तमेश का नवमेश से योग किसी भी केंद्र में हो तथा बुध, गुरु अथवा शुक्र में से कोई भी या सभी उच्च राशिगत हो तो दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।

यदि दोनों में से किसी की भी कुंडली में पंच महापुरुष योग बनाते हुए शुक्र अथवा गुरु से किसी कोण में सूर्य हो तो दाम्पत्य जीवन अच्छा होता है। यदि सप्तमेश उच्चस्थ होकर लग्नेश के साथ किसी केंद्र अथवा कोण में युति करे तो दाम्पत्य जीवन सुखी होता है। KP Singh 9814699599 जीवन रेखा जीवन रेखा कई तरह की होती है। कुछ एकदम साफ सुथरी तो कुछ मंे द्वीप बने और कुछ में बहुत जाली होती है और कुछ रेखा तो दो-दो होती जो एक साथ चलती है। इसलिए सभी अलग-अलग फल देती है।

सभी का वर्णन अलग अलग है। और जब हम रेखा का वर्णन करते हैं तो एक बात का ध्यान रखते हैं कि रेखा कौन से पर्वत पर पहंुची और किस-किस तरह से एक भाग में या दो भाग में। इससे हम रेखा के बारे में विस्तार से बता सकते हैं। इस रेखा से हम सिर्फ आयु के बारे में ही नहीं बल्कि बहुत कुछ बता सकते हैं। Renu Dubey 8989428769 कुंडली के इन योगों से मिलता है गड़ा धन..... धन की चाह सभी को होती है और यदि धन किसी ऐसे स्रोत से प्राप्त हो जहां मेहनत न की हो तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता।

पहले इस तरह से धन किसी गड़े खजाने से मिलता था लेकिन अब सट्टा, शेयर मार्केट और लॉटरी जैसे कई स्रोत तैयार हो चुके हैं। लेकिन इन स्रोतांे से सभी को धन प्राप्त नहीं होता। बहुत से लोग तो इनके चक्कर में बर्बाद हो चुके हैं। सिर्फ कुछ ही लोग ऐसे स्रोतों से धन कमा पाते हैं जिनकी पहचान ज्योतिष विज्ञान द्वारा आसानी से की जा सकती है। तो अगर आप जुआ, सट्टा या लॉटरी से पैसे कमाने की चाह रखते हैं तो जरुरी है

आपकी कुंडली में योग हो ऐसे:

1. जन्म कुंडली का अष्टम स्थान गुप्त रहस्य व गुप्त धन का होता है। इस स्थान में जब धनेश या लाभेश स्थित हो तथा अष्टमेश बलवान हो तो व्यक्ति को जीवन में ऐसा मौका अवश्य मिलता है जब वह अचानक से धन प्राप्त करता है।

2. पंचम स्थान मंत्र व जिज्ञासा का है यदि इस स्थान का स्वामी धन स्थान पर लाभेश के साथ स्थित हो तो जातक को सट्टे द्वारा धन लाभ प्राप्त होता है।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


3. जन्म कुंडली के चतुर्थ स्थान पर धनेश व लाभेश स्थित हो तथा चतुर्थेश धन या लाभ स्थान में शनि के प्रभाव में स्थित हो तो जातक को शेयर मार्किट में अत्यधिक सफलता प्राप्त होती है।

4. यदि जन्म कुंडली में राहु धन, पंचम, अष्टम या लाभ स्थान पर बली होकर स्थित हो तो जातक की आय गुप्त मार्गों से आती है।

5- राहु की दशा चल रही हो तथा राहु गोचर में 2, 5, 8, 11 वें स्थान में हो तो जातक उस समय अत्यधिक धन कमाता है।

ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इन योगों के होने से किसी भी व्यक्ति का भाग्य चमक सकता है और यदि आपकी जन्म कुंडली में इन में कोई भी योग है तो धन के समुद्र में गोते लगाने के लिये तैयार हो जाइये। Shiv Narayan Soni 9829081651 भगवान की आराधना वृंदावन के एक मंदिर में मीराबाई ईश्वर को भोग लगाने के लिए रसोई पकाती थीं। वे रसोई बनाते समय मधुर स्वर में भजन भी गाती थीं। एक दिन मंदिर के प्रधान पुरोहित ने देखा कि मीरा अपने वस्त्रों को बिना बदले और बिना स्नान किए ही रसोई बना रही हैं।

उन्होंने बिना नहाए-धोए भोग की रसोई बनाने के लिए मीरा को डांट लगा दी। पुराहित ने उनसे कहा कि ईश्वर यह अन्न कभी भी ग्रहण नहीं करेंगे। पुरोहित के आदेशानुसार, दूसरे दिन मीरा ने भोग तैयार करने से पहले न केवल स्नान किया, बल्कि पूरी पवित्रता और खूब सतर्कता के साथ भोग भी बनाया। शास्त्रीय विधि का पालन करने में कहीं कोई भूल न हो जाए, इस बात से भी वे काफी डरी रहीं। तीन दिन बाद पुरोहित ने सपने में ईश्वर को देखा! ईश्वर ने उनसे कहा कि वे तीन दिन से भूखे हैं।

पुरोहित ने सोचा कि जरूर मीरा से कुछ भूल हो गई होगी! उसने भोजन बनाने में न शास्त्रीय विधान का पालन किया होगा और न ही पवित्रता का ध्यान रखा होगा! ईश्वर बोले--इधर तीन दिनों से वह काफी सतर्कता के साथ भोग तैयार कर रही है। वह भोजन तैयार करते समय हमेशा यही सोचती रहती है कि उससे कहीं कुछ अशुद्धि या गलती न हो जाए! इस फेर में मैं उसका प्रेम तथा मधुर भाव महसूस नहीं कर पा रहा हूं।

इसलिए यह भोग मुझे रुचिकर नहीं लग रहा है। ईश्वर की यह बात सुन कर अगले दिन पुरोहित ने मीरा से न केवल क्षमा-याचना की, बल्कि पहले की ही तरह प्रेमपूर्ण भाव से भोग तैयार करने के लिए अनुरोध भी किया। सच तो यह है कि जब भगवान की आराधना अंतर्मन से की जाती है, तब अन्य किसी विधि-विधान की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। अभिमान त्याग कर और बिना फल की चिंता किए हुए ईश्वर की पूजा जरूर करनी चाहिए। हालांकि उनकी प्रेमपूर्वक आराधना और सेवा ही सर्वोत्तम है।

इसलिए बिना ढोंग के और बिना फूल चढाए हुए.............. .. यदि आप मन से दो मिनट के लिए भी ईश्वर को याद कर लेते हैं, तो यही सच्ची पूजा होती है।.......... Astrologer Vinay 9810389429 बच्चों को सर्दी या बुखार हो जाये तब

1. दो-तीन तुलसीे के पत्ते और छोटा सा टुकड़ा अदरक को सिलबट्टे पर पीस कर मलमल के कपड़े की सहायता से रस निकाल कर 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में 2-3 बार देने से सर्दी में आराम मिलता है।

2. लौंग को पानी की बूंदों की सहायता से रगड़ कर उसका पेस्ट माथे पर और नाभि पर लगाने से बुखार में राहत मिलती है।

3. एक कप पानी में चार-पाँच तुलसी के पत्ते और एक टुकड़ा अदरक ड़ाल कर उबाल लें। पानी की आधी मात्रा रह जाने पर उसमें एक चम्मच गुड़ ड़ाल कर उबाल लें। दिन में दो बार दें। आराम आ जायेगा। Mukesh Kumar 9334913911


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.