वैवाहिक जीवन सुखमय न हो तो कुछ लोगों को थाना-कचहरी के चक्कर जीवनपर्यन्त लगाने पड़ते हैं, तो कुछ लोगों को छुटकारा अति शीघ्र मिल जाता है। कुछ लोगों की ऐसी मजबूरी होती है कि वे जीवन भर छटपटाने के बाद भी इस बंधन से मुक्त नहीं हो पाते हैं। कुछ व्यक्ति इतने सुखी हैं कि उन्हें पता ही नहीं लगता कि जीवन कब निकल गया। आखिर यह सब होता क्यों हैं? क्यों लोग विवाह करके पछताते हैं और क्यों वे भी पछताते हैं, जो समय पर विवाह नहीं कर पाते हैं?
ज्योतिष शास्त्र से विवाह विश्लेषण ज्योतिष शास्त्र में इस विषय पर विशद रूप से चर्चा की गई है। इस विषय में गहराई से उतरने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि ज्योतिष में सभी विषयों को हमने कुल 12 भावों में विभाजित किया है, जो जन्मकुंडली के 12 भाव/खाने हैं। इनमें से सातवें भाव का संबंध विवाह से होता है। सातवें भाव का स्वामी ग्रह कहां है, सातवें भाव में कौन सी राशि है, किन ग्रहों की युति या स्थिति है, सप्तमेश किस भाव में और किस ग्रह से युति या दृष्टि से प्रभावित हो रहा है आदि सभी बातें विचारणीय हैं। यह काफी गहरा और दुरूह विषय है। संक्षेप में यदि हम चर्चा करें तो सर्वप्रथम हमें यह विचार करना होगा कि सातवें भाव में कौन सी राशि है। सप्तम भाव में 12 राशियों का फल
- मेष राशि - जातक की पत्नी क्रूर, चंचल, पाप कर्मों में संलग्न, कठोर तथा लोभी होती है।
- वृष राशि - जातक की स्त्री का स्वभाव विनम्र, शांत, आचारवान, पतिव्रत धर्म का आचरण करने वाली तथा पूजा-पाठ में लगी रहने वाली होती है।
- मिथुन राशि - स्त्री सुंदर, धनी, रूपवान, गुणवान, तथा अच्छे वस्त्राभूषण धारण करने वाली होती है।
- कर्क राशि - सुंदर, सौभाग्यशालिनी, गुणवान व अच्छी संगति वाली होती है।
- सिंह राशि - ऐसी स्त्री उग्र स्वभाव वाली, चंचल, दुर्बल, अल्प संतान वाली और दूसरों में रूचि लेने वाली होती है।
- कन्या राशि - जातक की पत्नी सत्यवादी, न्यायप्रिय, धनी, सुंदर व सौभाग्यवान होती है।
- तुला राशि - व्यक्ति की पत्नी प्रसिद्धि वाली, विनीत, सहनशील, धार्मिक व अनेक गुणों से युक्त होती है।
- वृश्चिक राशि - जातक की पत्नी कंजूस, कलाकार, अनेक दोषों से युक्त व प्रणयहीन होती है।
- धनु राशि - जातक की पत्नी कठोर शरीर वाली, निम्न, बुद्धिहीन तथा शांत स्वभाव वाली होती है।
- मकर राशि - इस राशि वाली स्त्री दुष्ट, निर्लज्ज, झगड़ालू व खराब स्वभाव वाली होती है।
- कुंभ राशि - कुंभ राशि होने पर स्त्री पति परायण, धार्मिक परंतु शंकालु स्वभाव वाली होती है।
- मीन राशि - सप्तम भाव में मीन राशि होने पर पत्नी रोगिणी, अधार्मिक, प्रणयहीन तथा कलह प्रिय होती है।
इसी प्रकार सप्तम स्थान पर स्थित राशि के स्वामी का स्वभाव, उसकी स्थिति तथा अन्य ग्रहों का उस पर प्रभाव आदि का भी पूर्ण विवरण देखना होता है। उसी से ज्ञात होता है कि दांपत्य जीवन किसका कितना सुखी है या लगातार जातक दुख ही भोग रहा है। यदि आप का दांपत्य जीवन सुखी है और आप पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं, तो फिर आप को कोई उपाय नहीं करना चाहिए। किंतु यदि आप परेशान व चिंतित हैं और आप चाहते हैं दांपत्य जीवन को आनंदमय बनाना तो आपको कुछ उपाय करने की अत्यंत आवश्यकता है।
ये समाधान आपको कब और कैसे करने हैं, इस बात की जानकारी आपकी कुंडली का विश्लेषण कर एक अनुभवी ज्योतिषी बता सकता है। विवाह बाधा निवारण उपाय यदि विवाह में निरंतर विलंब हो रहा है, विवाह योग्य आयु निकलती जा रही है अथवा अपनी रूचि व योग्यता के अनुरूप जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा हो तो निम्न मंत्र का जाप करना लाभप्रद रहेगा। हे गौरि शंकरार्धांगी यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरू कल्याणि कान्त कान्ता सुदुर्लभाम्।। यह काफी प्रचलित मंत्र है।
इसके लिए अपने पूजा स्थल पर मां पार्वती अथवा शिव-पार्वती का चित्र स्थापित करें। संभव हो तो पारद शिवलिंग भी मंदिर में स्थापित करें तथा धूप-दीप जलाकर रूद्राक्ष माला पर प्रतिदिन एक माला उपरोक्त मंत्र का जाप करें। कार्य पूर्ण होने तक मंत्र जाप जारी रखें। शीघ्र विवाह के अन्य मंत्र:-
1.ऊँ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोप सुतं देवी पतिं में कुरू ते नमः।। इस मंत्र की जप-विधि उपरोक्तानुसार वही है। इस मंत्र का जाप करने के लिए आप कात्यायनी देवी का यंत्र अपने पूजा स्थान पर स्थापित करें।
2. ऊँ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रियभामिनी। विवाहं भाग्यं आरोग्यं शीघ्रं लाभं च देहि मे।। उपरोक्त विधिनुसार इस मंत्र का जाप करें।
3. ऊँ विजय सुन्दरीम् क्लीं। उपरोक्त मंत्र का 11 माला प्रतिदिन जाप करें। इस मंत्र का जाप विवाह योग्य लड़का या लड़की स्वयं कर सकते हैं। विधि वही है। धूप-दीप जलायें। शांति से एकाग्रचित्त होकर बैठें। विश्वास रखें फल अवश्य प्राप्त होगा।
4. पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीम। तारिणी दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।। नवरात्रि से उपरोक्त मंत्र का जाप करें एवं मां दुर्गा का आशीर्वाद देता हुआ चित्र अथवा कात्यायनी यंत्र अपने पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित कर लें। दीपक प्रज्ज्वलित कर पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें। यह उपाय विवाह बाधा दूर करता है।
5. ऊँ नमः मनोभिलाषित वरं देहि ह्रीं, ऊँ गौरा पार्वती देव्यै नमः।। उपरोक्त मंत्र का जाप किसी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरंभ करें। शिव-पार्वती का चित्र पूजा गृह में लगायें। धूप-दीप आदि करके प्रतिदिन जाप करें। साधना के प्रभाव से एक से दो माह की अवधि में ही सफलता मिल जाएगी।
यदि सफलता में देरी हो तो भी मंत्र जाप जारी रखें। शीघ्र विवाह हेतु टोटके - बुधवार को प्रातःकाल - ऊँ गं गणपतये नमः मंत्र की एक माला प्रतिदिन करें और गणेशजी को मंदिर में सवा किलो या सवा पाव मोदक/ लड्डू का प्रसाद चढ़ायें। इसे 7 बार या 21 बार करें। इससे विवाह में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
- सोम प्रदोष व्रत के दिन घर में कात्यायनी यंत्र लगायंे और शिव-पार्वती की आराधना करें। इसके पश्चात् 51 माला कात्यायनी मंत्र का जाप करें। इस प्रयोग के प्रभाव से विवाह में आने वाली सभी बाधाआंे का समाधान अवश्य होता है।
- किसी भी शुक्ल पक्ष के अंतिम सोमवार के दिन किसी भी सिद्ध शिवलिंग पर जल चढ़ायें अथवा घर में पारद शिवलिंग रखकर ऊँ नमः शिवाय मंत्र का 21 माला जाप करें। ऐसा करने से विवाह बाधा अवश्य दूर होती है और जब तक कार्य पूर्ण न हो निरंतर नित्य जाप करते रहें।
- 45 दिन लगातार पीपल वृक्ष पर जल चढ़ायें और दीपक भी जलायें तो विवाह संबंधी मनोकामना पूर्ण होती है।
- यदि मांगलिक दोष के कारण विवाह में बाधा आ रही है तो यह उपाय लाभदायक सिद्ध होगा
- शुक्ल पक्ष में मंगलवार को प्रातःकाल हनुमान मंदिर में जायें। लाल वस्त्र, गुड़-चने का प्रसाद (चना भूना हुआ), चमेली का तेल, सिंदूर, धूपबत्ती व फूलमाला आदि साथ ले जायें।
चमेली का तेल, फूल माला हनुमान जी पर चढ़ायें, सिंदूर लगायें व अपने शीघ्र विवाह के लिये प्रार्थना करें। गुड़ चने का भोग लगाकर प्रसाद बच्चों को बांट दें। लाल वस्त्र मूर्ति पर चढ़ायें या बाहर किसी पेड़ पर बांध दें और अपनी मनोकामना दोहरायें। लगातार सात मंगलवार को ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। यदि शनि ग्रह की उदासीनता के कारण विवाह में बाधा आ रही है, तो निम्न उपाय करें:
- शनिवार को दिन के समय शनि मंदिर या नवग्रह-मंदिर में जाएं और सवा किलो सरसों का तेल और 250 ग्राम काले तिल शनि मंदिर में चढ़ायें। तत्पश्चात अपने सारे कार्य विधिवत पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करें।
- शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ायें, शनि की शांति के लिए प्रार्थना करें तथा सायं काल के समय पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलायें। शनि ग्रह से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना भी करें। ऐसा करने से दोष शांत होकर शीघ्र विवाह का योग बनेगा।
- यदि तुला राशि का सूर्य सप्तम भाव में उपस्थित है अर्थात सूर्य अपनी नीच राशि में स्थित है या सप्तमेश पर दृष्टि या युति द्वारा संबंध बना रहा है, तो भी शीघ्र विवाह में बाधा आती है। इस समस्या का समाधान यह है- शिव मंदिर या विष्णु भगवान के मंदिर में तांबे का बर्तन दान करें और तांबे के बर्तन में जल भर कर, उसमें रोली, लाल फूल व चावल आदि डाल कर सूर्य मंत्र ऊँ घृणि सूर्याय नमः का जाप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें।
दूसरा मंत्र: ऊँ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्। सूर्य को प्रतिदिन जल देने का उपाय शुक्ल पक्ष के रविवार से आरंभ करें।
- यदि जन्म कुंडली में राहु का गोचर सप्तम भाव से हो रहा हो तो विवाह में विलंब होता है। ऐसी स्थिति में शुक्ल पक्ष में शनिवार के दिन जटा वाला नारियल 21 बार सिर से उतार कर बहते जल में प्रवाहित करें। यदि विवाह में अत्यधिक विलंब हो रहा है या राहु के साथ किसी अन्य पाप ग्रह शनि, मंगल या सूर्य की युति हो, तो नारियल के साथ 108 गोमेद भी बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
- यदि जन्मकुंडली में दांपत्य जीवन से संबंधित कोई दुर्योग है अर्थात सप्तमेश ग्यारहवें या बारहवें भाग में है तथा उस पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव भी है, तो वट विवाह करना उचित होगा। इसका कारण यह है कि सप्तमेश एकादश या द्वादश में होने से जातक या जातिका का प्रथम विवाह असफल होने की संभावना रहती है। यह स्थिति कई बार सप्तमेश के दशम या तृतीय भाव में होने से भी देखी गयी है।
ऐसे में सप्तमेश पर किसी अन्य ग्रह का पाप प्रभाव अवश्य होना चाहिए। वट विवाह या कुंभ विवाह एक प्रतीकात्मक विवाह होता है तथा इससे यह धारणा की जाती है कि जातक/जातिका का प्रथम विवाह संपन्न हो गया और विवाह में असफलता का खतरा टल गया। यह विवाह आवश्यकता तथा स्थानीय परंपरा के अनुसार वट, तुलसी, विष्णु जी की मूर्ति आदि के साथ किया जाता है। विवाह के पश्चात घट अथवा विष्णुजी की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। दक्षिण भारत में लड़कियों का विवाह केले के तने के साथ भी किया जाता है।
वर-वधू में से यदि एक मंगली है और दूसरा पक्ष नहीं है तो भी इस विवाह की जरूरत पड़ती है। ऐसे जातकों को मूंगा अथवा पुखराज धारण करवाना भी लाभप्रद तथा शुभप्रद होता है। सावित्री व्रत अथवा मंगलागौरी व्रत भी ऐसे जातकों के लिए लाभप्रद होता है।
- कन्या के विवाह में यदि लगातार देरी हो रही हो और योग्य वर नहीं मिल रहा हो, तो यह टोटका शीघ्र फलदायक होता है। बृहस्पतिवार को सुबह के समय स्नानादि के पश्चात कन्या बेसन के 108 लड्डू स्वयं बनाये और पीले रंग की टोकरी में पीला कपड़ा बिछाकर लड्डुओं को उसमें रखे। अपनी श्रद्धानुसार कुछ दक्षिणा भी चढ़ाये। इस टोकरी को नजदीक के शिव मंदिर में चढ़ाकर आ जाये। चढ़ाते समय अपना विवाह शीघ्र होने की प्रार्थना भगवान शिव के सम्मुख करे। मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
- विवाह में देरी दूर करने के लिए कन्या को 16 सोमवार को व्रत करना चाहिए। उस दिन शिव मंदिर में जाकर जलाभिषेक करके मां पार्वती का शृंगार करना चाहिए। अपने विवाह शीघ्र होने की प्रार्थना करते हुए कन्या को शिव-पार्वती के मध्य गठजोड़ भी बांधना चाहिए।
- विवाह में विलंब होने की स्थिति में शुक्रवार को भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करना चाहिए। ऊँ नमः शिवाय का जप करते हुए शिवलिंग पर 100 फूल और 108 बेलपत्र भी चढ़ायें। यदि बेलपत्र कम उपलब्ध हो, तो इनकी न्यूनतम संख्या 21 अवश्य होनी चाहिए। सात शुक्रवार लगातार यह प्रयोग करने से मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
- विवाह योग्य लड़के या लड़की को एक पुराना ताला, जो खुला हुआ हो, को अपने सिर से सात बार उलटा उतार कर, किसी चैराहे पर बृहस्पतिवार को सायंकाल के समय छोड़ देना चाहिए। इससे शीघ्र विवाह तय होता है।
- विवाह योग्य लड़के या लड़की को पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। यदि पीले वस्त्र धारण करना संभव न हो तो एक पीला रेशमी रूमाल हमेशा अपने पास रखना चाहिए।
- यदि विवाह के प्रस्ताव आने के बाद भी विवाह निश्चित नहीं हो पा रहा हो तो विवाह वात्र्ता के लिए आने वाले मेहमानों को ड्राइंग रूम में इस तरह से बैठायें, जिससे उनका मुंह ड्राइंग रूम के अंदर हो, दरवाजे की तरफ न हो। इससे रिश्ता शीघ्र तय होता है।
- यदि विवाह निश्चित होकर सगाई टूट जाती हो तो विवाह तय करते वक्त लड़के या लड़की के माता-पिता को अपने जूते या चप्पल उतार कर बैठना चाहिए।
- विवाह योग्य लड़के या लड़की को जब भी किसी विवाहोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो तो लड़के या लड़की को लगाई जाने वाली मेंहदी अपने हाथों पर अवश्य लगायें, लाभदायक होगा। जो भी टोटका अथवा मंत्र पाठ आप को रूचिकर लगे और आपकी समझ में भली-भांति आ जाये, उसे पूर्ण श्रद्धा व भक्ति के साथ अपनाएं। विधि पूर्वक करें और अपने जीवन को सफल तथा आनंदमय बनाएं।