6 नवंबर: सूर्य षष्ठी व्रत (छठ पूजा): कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य षष्ठी का व्रत तथा पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से आयु-आरोग्य, धन-यश की प्राप्ति होती है। इस व्रत को अधिकांशतः उत्तर भारत के बिहार प्रांत एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूम-धाम से किया जाता है।
10. नवंबर (स्मार्त) 11 नवंबर (वैष्णव) (हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत): आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी पर्यन्त इन चार मासों में श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। इस अवधि मंे मांगलिक संस्कार आदि कार्य कम मात्रा में होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान इस दिन अपनी निद्रा का त्याग करते हैं। भक्त जन इस दिन को त्यौहार, उत्सव के रूप में मनाते हैं। भगवन अपने भक्तों को सुख, समृद्धि भक्ति प्रदान करते हैं।
13 नवंबर (वैकुंठ चतुर्दशी): कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन वैकुंठ चतुर्दशी होती है। एक समय भगवान विष्णु ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव की एक हजार कमल पुष्पों से ब्रह्म मुहूर्त में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजन किया था। एक कमल कम होने से भगवान राजीव लोचन ने हजारों कमल पुष्प के रूप में अपना नेत्र ही चढ़ा दिया, जिससे भगवान शिवजी बहुत प्रसन्न हुए तभी से वैकुंठ चतुर्दशी पर्व का प्रचलन हुआ, इस दिन शिव शक्ति की ब्रह्म मुहूर्त में कमल पुष्पों से पूजा करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
21 नवंबर: (भौमवती अमावस्या) मंगलवार के दिन अमावस्या का संयोग होने से भौमवती अमावस्या होती है। इस दिन अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण दान करने से कई गुणा फल मिलता है। इसके अतिरिक्त स्नान, ध्यान, पूजा-पाठ से विशेष पुण्य मिलता है। तंत्र, मंत्र साधना के लिए यह मुहूत्र्त सिद्धि दायक माना जाता है।