पी. ओ. के में सर्जिकल स्ट्राइक को इतनी सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाना एक आसान काम नहीं था। उच्च स्तर पर बनाई गई एक रणनीति का अंजाम था सर्जिकल स्ट्राइक और इसके पीछे भारतीय सेना के कई दिनों की मेहनत और एक बेहद तेज दिमाग काम कर रहा था और अत्यंत तेज दिमाग वाला ये शख्स एक बार नहीं बल्कि कई बार पाक के दांत खट्टे कर चुका है। यह शख्स है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं पीएम मोदी जी के टाॅप काॅप और भारत में जेम्स बांड के नाम से विख्यात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल। सूत्रों के मुताबिक उरी हमले के बाद जो एक के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, उसमें यही मंथन हुआ कि आखिर पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाया जाए और किस तरह से उसे अंजाम दिया जाए।
इस पर सबकी निगाहें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर ही थी क्योंकि वे पहले भी भारत के दुश्मनों के दांत खट्टे कर चुके हैं। तब यही फैसला हुआ कि सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये आतंकवादी कैंपों को खत्म किया जाएगा और सर्जिकल स्ट्राइक जल्दी ही करनी होगी क्योंकि पाकिस्तानी सेना भी उरी हमले के बाद सतर्क होती दिखाई दे रही थी और आतंकी कैंप शिफ्ट हो रहे थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अच्छी तरह से जानते थे कि अगर इस सर्जिकल स्ट्राइक आॅपरेशन में कोई गड़बड़ी हुई तो पाकिस्तान की तरफ से जबाबी कार्यवाही का मतलब युद्ध हो सकता है लेकिन अजीत डोभाल की रणनीति इतनी मजबूत थी
कि पाकिस्तान को चोट भी लगी ओर वह रो भी नहीं सका। इस बार हम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के जीवन के अनेक पहलुओं के बारे में जानेंगे और ज्योतिष के परिपेक्ष्य में इस मोदी के टाॅप काॅप की कुंडली का विश्लेषण करेंगे।
- उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ था, इनके पिता इंडियन आर्मी में थे।
- अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से इकोनाॅमिक्स में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है।
- 1968 बैच के केरल कैडर के आई. पी. एस. अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे। पुलिस सेवा में उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किया था।
- अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है। कहा जाता है कि वे छह साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे।
- साल 2005 में एक तेज-तर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए।
- इसके बाद साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फांउडेशन के फाउंडर प्रेजिडेंट बने। इस दौरान न्यूज पेपर में लेख भी लिखते रहे।
- साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ‘आपरेशन ब्लैक थंडर’ का नेतृत्व किया था।
- उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी।
- अजीत डोभाल साल 1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान प्ब्.814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार थे।
- जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर कराया था।
- अजीत डोभाल 33 साल तक नाॅर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम आॅपरेशन किए हैं।
- 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।
- प्रधानमंत्री मोदी के करीबी अफसर अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान उनकी क्षमता से थर-थर कांपता है।
- साल 1988 में अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान पाने वाले वे पहले छवद ।तउल व्ििपबमत थे। 70 साल की उम्र पार कर चुके अजीत डोभाल दुश्मन पर पीठ पीछे वार नहीं करते बल्कि सामने से वार करते हैं। घर में घूसकर वार करते हैं। आॅपरेशन पी. ओ. के. में अजीत डोभाल ने यही साबित किया है। पी. ओ. के. में म्यांमार जैसा ही आॅपरेशन हुआ, जिसके सूत्रधार रहे अजीत डोभाल। पिछले साल जून में भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के कैंप और करीब 100 उग्रवादियों को नेस्तानाबूद किया था।
4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में 18 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए आॅपरेशन म्यांमार हुआ था। डोभाल ने इंदिरा गांधी के साथ भी काम किया। अटल बिहारी वाजपेयी के भी संकटमोचक बने और आज नरेंद्र मोदी के भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के सबसे बड़े योद्धा बने हैं। 48 साल के करियर में अजीत डोभाल का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा है। इसीलिए पीएम बनने के बाद मोदी जी ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी अजीत डोभाल को दी। पीएम मोदी के साथ काम करते हुए दो साल में अजीत डोभाल ने आॅपरेशन म्यांमार और आॅपरेशन पीओके में 100 फीसदी कामयाबी हासिल की। आतंक के सौदागरों का खून बहाया लेकिन अपने एक जवान पर खरांेच तक नहीं आने दी।
1968 में इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस में चुने गये डोभाल ने करीब 48 साल के करियर में ज्यादातर वक्त जासूस के तौर पर काम किया। अजीत डोभाल ने पूरी जिंदगी आतंकियों से निपटने में गुजार दी। आतंकवाद को उन्होंने करीब से देखा है। भारतीय खुफिया एजेंसी राॅ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल 7 साल तक पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रह चुके हैं। पाकिस्तान के आतंकवाद की रग-रग जानते हैं।
इसलिए तो पीओके में कमांडो घुसकर मारकर लौट आए और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1999 में कांधार विमान अपहरण कांड हुआ था। तब डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ हुआ करते थे। डोभाल उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने आतंकियों के साथ बात करके प्ब्.814 के 176 यात्रियों को सुरक्षित बचाया था। 80 के दशक में डोभाल ने बड़ा काम किया था उत्तर पूर्व में मिजो नेशनल आर्मी के आतंक को खत्म करके उन्होंने बिना खून बहाए मिजो नेशनल आर्मी में ही सेंध लगा दी थी। तब इंदिरा गांधी इतनी खुश हुई थीं कि उन्होंने सिर्फ 6 साल के करियर वाले आईपीएस डोभाल को इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था जबकि पुलिस मेडल के लिए 17 साल की नौकरी जरूरी मानी जाती है।
डोभाल की विचारधारा हिंदुत्ववादी वाली मानी जाती है। ये विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं। पीएम मोदी के कार्यकाल में एनएसए बनने से पहले इन्हें बीजेपी का करीबी माना जाता रहा है। अजीत डोभाल के लिए एक काम अभी भी अधूरा है। वह काम है पाकिस्तान से दाऊद इब्राहिम को लाना। डोभाल ने भारत की आंतरिक सुरक्षा की ताकत को बढ़ाने पर हमेशा जोर दिया है। उनसे पहले वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार जहां विदेशी पहलुओं पर काम करते थे उन्होंने अपना फोकस भारत की आंतरिक क्षमता को बढ़ाने पर रखा।
भारत की सभी इन्टेलिजेंस एजेन्सियां त्।ॅ एवं प्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सीधा त्मचवतज करती हैं। अजीत डोभाल जी की चंद्र कुंडली द्वारा ज्योतिषीय विश्लेषण अजीत डोभाल की कुंडली का विश्लेषण हम उनकी चंद्र कुंडली से कर रहे हैं क्योंकि उनके जन्म का सही समय ज्ञात नहीं हो सका। परंतु चंद्र कुंडली भी किसी भी कुंडली का विश्लेषण करने का सही व सटीक माध्यम है। अजीत जी की कुंडली में लग्नेश गुरु सप्तम भाव में स्थित होकर लग्न को एवं लग्न स्थित चंद्रमा को देख रहे हैं
जिसके कारण इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक, संजीदा, सूझ बूझ वाला, दूसरों को प्रभावित करने वाला अजीत डोभाल की चंद्र कुंडली दिनांक- 20/1/1945 समय - 12ः00, स्थान-पौड़ी गढ़वाल है। 70 वर्ष की उम्र पार कर लेने के पश्चात भी इनका तन और मन पूर्ण रूप से सक्रिय है तथा ये पूर्ण रूप से अपने अनुभवों के आधार पर, चतुर बुद्धि व कौशल के साथ पूर्ण मनोयोग से कार्य करने में सक्षम हैं। इनकी कुंडली में एक बहुत ही उत्तम योग विद्यमान है। इनके दशमेश गुरु व सप्तमेश बुध का बहुत सुंदर राशि परिवर्तन हो रहा है। तभी अजीत जी की कार्य कुशलता व कूटनीति का लोहा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी से लेकर श्री नरेंद्र मोदी जी भी मान रहे हैं
और अनेक अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अजीत जी ने अपनी बुद्धि व चाणक्य जैसी कूटनीति के जलवे दिखाए हैं। इनके दशम भाव में मंगल होने से इनका कुलदीपक योग बन रहा है जिससे न केवल अपने देश में बल्कि विदेशांे में भी इनकी ख्याति फैल चुकी है। अपने कुल के साथ ये देश का भी नाम ऊंचा कर रहे हैं। बहुत से समाचार पत्रों के अनुसार पाकिस्तान, प्ैप्ै के आतंकवादी, अन्य आतंकवादी ताकतें तथा दाऊद जैसे आतंकी अजीत डोभाल के नाम से थर-थर कांपते हंै। कुंडली में पंचमेश चंद्र ग्रह लग्न मंे स्थित होकर शुभ ग्रह से दृष्ट है तथा नवमांश कुंडली में वर्गोत्तम राशि में है
जिसके फलस्वरूप अजीत जी अत्यंत बुद्धिमान हैं तथा इन्हें कुशल योजना द्वारा अपने लक्ष्य को हासिल करने की विशेष योग्यता हासिल है। इन्होंने अपने जीवन में कई बार असंभव कार्य को संभव कर दिखाया है। इसके साथ-साथ चतुर्थ भाव में उच्चस्थ राहु और शनि की युति है और दोनों ग्रह कर्म क्षेत्र को देख रहे हैं और कर्मक्षेत्र में स्थित मंगल, बुध और केतु का संबंध बनने से अजीत जी जोखिम भरे कार्यों को करने से पीछे नहीं रहते और पूरी कूटनीति व बुद्धि से योजना बना कर लंबे-लंबे कार्यों को पूरे अंजाम तक लाते हैं। पाकिस्तान में सात वर्ष तक मुस्लिम का वेश धारण करके रहना व अभी सर्जिकल स्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण कार्य को इतनी शांति से कार्यान्वित कराना इसका ज्वलंत उदाहरण है। इनकी कुंडली में सात ग्रह केंद्र में स्थित होकर बलवान हैं
तथा पंचमेश और लग्नेश का परस्पर दृष्टि संबंध एवं सप्तमेश एवं दशमेश का राशि परिवर्तन प्रभावशाली राजयोग बना रहा है। इनकी कुंडली में नवमेश और पंचमेश की शुभ स्थिति होने से इनकी धर्म व अध्यात्म में भी गहरी आस्था है। वर्तमान में आप विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं और समय-समय पर आप अपने गांव पौढ़ी गढ़वाल पूजा-अर्चना के लिए भी जाते रहते हैं। अजीत डोभाल के बारे में कुछ खास बात
- 1945 में एक गढ़वाली परिवार में जन्म। पिता आर्मी में ब्रिगेडियर थे। दादा प्रथम विश्व युद्ध में लड़े।
- 1968 में IPS का एग्जाम टॉप किया। केरल कैडर के IPS officer बने।
- 17 साल की सेवा अनिवार्य रूप से पूर्ण करने के बाद ही मिलने वाला medal 6 साल की सेवा के बाद ही मिला।
- पाकिस्तान में जासूस के तौर पर तैनाती। पाकिस्तान की आर्मी में मार्शल की पोस्ट तक पहुंचे और 6 साल भारत के लिए जासूसी करते रहे।
- 1987 में खालिस्तानी आतंकवाद के समय पाकिस्तानी agent बनकर दरबार साहिब के अंदर पहुंचे। 3 दिन आतंकवादियों के साथ रहे। आतंकवादियों की सारी information लेकर operation black thunder को सफलता पूर्वक अंजाम दिया
- 1988 में कीर्ति चक्र मिला। देश का एकमात्र non army person जिसे यह award मिला है।
- असम गए। वहां उल्फा आतंकवाद को कुचला।
- 1999 में plane hijacking के समय आतंकवादियों से dealing की
- RSS के करीबी होने के कारण मोदी ने सत्ता में आते ही NSA (National Security Advisor) बनाया।
- बलूचिस्तान में raw फिर से active की। बलूचिस्तान का मुद्दा international बनाया। अजीत डोभाल के बारे में कुछ खास बातें - केरल की 45 ईसाई नर्सों को Iraq में ISIS ने किडनैप किया। डोभाल खुद इराक गए। ISIS के चंगुल से पहली बार hostages को बिना बलात्कार हुए (महिला) वापस लाए। - राष्ट्रपति अवार्ड मिला।
- 2015 मई में भारत के पहले सर्जिकल operation को अंजाम दिया। भारत की सेना म्यान्मार में 5 किमी. तक घुसी। 50 आतंकवादी मारे गए।
- नागालैंड के आतंकवादियों से भारत की ऐतिहासिक कमंस करवाई। आतंकवादी संगठनों ने हथियार डाले।
- भारत की defence policy को aggressive बनाया। भारत की सीमा में घुस रहा पाकिस्तानी ship बिना किसी warning के उड़ाया। कहा बिरयानी खिलाने वाला काम नहीं कर सकता।
- कश्मीर में सेना को खुली छूट दी। pallet gun सेना को दिलवाईं। पाकिस्तान को दुनिया के मुस्लिम देशों से ही तोड़ दिया।
- 2016, September आजाद भारत के इतिहास का 1971 के बाद सबसे ऐतिहासिक दिन। डोभाल के बुने गए surgical operation को सेना ने दिया अंजाम। PoK में 3 किलोमीटर घुसे। 40 आतंकी और 9 पाकिस्तानी फौजी मारे। दोनों Surgical strikes में Zero casuality.
- Right Wing Hindu संगठन Vivekanand Youth Forum की स्थापना की।