गोचर फल विचार मासारंभ में मंगल ग्रह का शनि व राहु से द्विद्र्वादश योग में रहना तथा सूर्य का शनि से समसप्तक योग में रहना राजनीतिज्ञों में परस्पर विरोधाभास को बढ़ाकर अशान्तमय माहौल पैदा करेगा। परस्पर विरोधी राजनीतिक दलों द्वारा आरोप प्रत्यारोपों को बढ़ावा देगा। शासकीय दलों के लिए विशेषतया संषर्षपूर्ण स्थितियां बनाएगा। इस मास में अग्निकांड, विस्फोटक दुर्घटनाओं इत्यादि से जन मानस में भय और आक्रोश की भावना को बढ़ाएगा।
14 मई को सूर्य का वृष राशि में आकर शनि व राहु ग्रहों से षडाष्टक योग में आ जाना जनता का शासन के प्रति विरोधपूर्ण पक्ष बनाएगा। कहीं अस्थिरता का वातावरण बना रहेगा। पड़ोसी देशों से टकराव का माहौल बनाकर सीमाओं पर सैन्य हलचल को बढ़ावा देगा। मास में पश्चिमी क्षेत्रों में आंधी तूफान व तेज वर्षा के साथ कुछ अन्य क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन हानि का संकेत देता है।
इस मास में राजनैतिक माहौल आर्थिक व समाजिक क्षेत्रों को विशेष प्रभावित करेगा। सोना व चांदी मासारंभ में 1 मई को वक्री शनि का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण में प्रवेश करना बाजारों में तेजी का योग बनाता है। 3 मई को बुध का कृतिका नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्र चक्र में श्रवण नक्षत्र को वेधना चांदी में उतार-चढ़ाव के बाद मंदी का योग बनाएगा। 4 मई को बुध का वृष राशि में आना पूर्व रूख को बरकरार रखेगा।
7 मई को अतिचारी बुध का उदय हो जाना बाजार के रूख को बदल कर तेजी की लहर में ले जाएगा। 9 मई को बुध का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी के रूझान को आगे बढ़ाएगा। 10 मई को राहु का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में आना और केतु का अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में आना तथा राहु का शनि से राशि संबंध में रहना ये योग चांदी में मंदी का वातावरण बना देगा, सोने में पूर्व रूख को बनाए रखेगा।
11 मई को सूर्य का कृत्तिका नक्षत्र में आकर भरणी, विशाखा और श्रवण नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा। 12 मई को शुक्र का रेवती नक्षत्र में आकर मूल, मृगशिरा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रों को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति अधिक बनाएगा। व्यापारी वर्ग बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष ध्यान में रखें।
14 मई को सूर्य का वृष राशि में आकर बुध से संबंध बनाना तथा ज्येष्ठ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी की लहर ही चलाएगा। 15 मई को गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करना चांदी में मंदी के योग का सूचक बनता है।
17 मई को बुध का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ मंदी का योग ही दर्शाता है। 20 मई को मंगल का मार्गी गति में आना तथा शुक्र से समसप्तक योग में होना बाजारों में मंदी का माहौल ही बनाएगा।
22 मई को बुध का मिथुन राशि में आकर गुरु से राशि संबंध बनाना मंदी के रूझान में ही रखेगा।
23 मई को शुक्र का अश्विनी नक्षत्र में आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना सोने में मंदी के रूख को बदल कर तेजी की लहर में ले जाएगा।
25 मई को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में आकर अश्विनी, स्वाति व अभिजित नक्षत्रों को वेधना सोने को पूर्ववत रूख में रखेगा, चांदी में मंदी का वातावरण बनाएगा।
30 मई को शुक्रवार के दिन चंद्रदर्शन 30 मुहूर्ती में होना तथा इसी दिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना, ये योग बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद तेजी का सूचक बनता है। गुड़ व खांड मासारंभ में 1 मई को वक्री शनि का विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करना खांड में मंदी का योग बनाता है, गुड़ में तेजी का वातावरण ही बनाता है।
3 मई को बुध का कृत्तिका नक्षत्र में आकर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा श्रवण नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव का रूख ही दर्शाता है।
4 मई को बुध का वृष राशि में आना बाजारों में मंदी का माहौल बनाएगा।
7 मई को अतिचारी बुध का उदय हो जाना बाजारों में चल रहे मंदी के रूख को बदल कर तेजी की लहर चला देगा।
9 मई को बुध का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी के रूझान को बनाए रखेगा।
10 मई को राहु का चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना और केतु का अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में प्रवेश करना तथा राहु का शनि से राशि संबंध में रहना बाजारों में चल रही तेजी की लहर को आगे बढ़ाएगा।
11 मई को सूर्य का कृतिका नक्षत्र में आकर भरणी, विशाखा और श्रवण नक्षत्रों को वेधना बाजारों में पूर्व रूख को बरकरार रखेगा।
12 मई को शुक्र का रेवती में आकर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव का योग अधिक बनाएगा।
14 मई को सूर्य का वृष राशि में आकर बुध से संबंध बनाना तथा ज्येष्ठ मास की संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी का वातावरण ही दर्शाता है।
15 मई को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में मंदी की लहर चला देगा।
17 मई को बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदीदायक है।
20 मई को मंगल का मार्गी गति में आना तथा शुक्र से समसप्तक योग में होना बाजारों में उतार-चढ़ाव के बाद मंदी की तरफ ही रूख रखेगा।
22 मई को बुध का मिथुन राशि में आकर गुरु से राशि संबंध बनाना बाजारों में पूर्व स्थिति को आगे चलाएगा।
23 मई को शुक्र का अश्विनी नक्षत्र में आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा।
25 मई को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में आकर अश्विनी, स्वाति व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी ही दायक बनता है।
30 मई को शुक्रवार के दिन चंद्रदर्शन 30 मुहूर्ती में होना तथा इसी दिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी का वातावरण ही दर्शाता है। अनाजवान व दलहन मासारंभ में 1 मई को वक्री शनि का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण में प्रवेश करना गेहूं, जौ, चना इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ, मसूर, अरहर इत्यादि दलहन में तेजीदायक ही बनता है।
3 मई को बुध का कृतिका नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा श्रवण नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी का रूझान बनाए रखेगा।
4 मई को बुध का वृष राशि में प्रवेश करना बाजारों में पूर्व रूख को बरकरार रखेगा। 7 मई को अतिचारी बुध का उदय होना बाजारों में उतार-चढ़ाव के बाद तेजी का योग ही दर्शाता है।
9 मई को बुध का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में अस्थिरता अधिक करेगा। व्यापारी वर्ग इन दिनों बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष ध्यान में रखें।
10 मई को राहु का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश तथा केतु का अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में प्रवेश तथा राहु का शनि से राशि संबंध बनाए रखना बाजारों में तेजी का वातावरण ही बनाएगा।
11 मई को सूर्य का कृतिका नक्षत्र में आकर भरणी, विशाखा और श्रवण नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी का रूझान ही बनाएगा।
12 मई को शुक्र का रेवती नक्षत्र में आकर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में पूर्व रूख का बनाए रखेगा।
14 मई को सूर्य का वृष राशि में आकर बुध के साथ राशि संबंध बनाना तथा ज्येष्ठ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में आना गेहूं, जौ, चना इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मौठ, मसूर इत्यादि दलहन में तेजी की लहर को बनाए रखेगा।
15 मई को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय चरण में प्रवेश करना बाजारांे में मंदी का रूझान बना देगा।
17 मई को बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ मंदी का योग बनाए रखेगा।
20 मई को मंगल का मार्गी गति में आना तथा शुक्र से समसप्तक योग में रहना बाजारों में उतार-चढ़ाव अधिक करेगा।
22 मई को बुध का मिथुन राशि में आकर गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना बाजारों में मंदी का वातावरण बना देगा।
23 मई को शुक्र का अश्विनी नक्षत्र में आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों के रूख को बदल कर तेजी की लहर में ले जाएगा।
25 मई को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में आकर अश्विनी, स्वाति व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारों की तेजी की लहर को आगे-चलाएगा।
30 मई को शुक्रवार के दिन चंद्र दर्शन का 30 मुहूर्ती में आना तथा इसी दिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र को वेधना गेहूं, जौ, चना, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ, मसूर, अरहर इत्यादि दलहन में तेजी का योग दर्शाता है।
घी व तेलवान मासारंभ में 1 मई को वक्री शनि का विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में मंदी का योग दर्शाता है।
3 मई को बुध का कृतिका नक्षत्र पर आकर श्रवण नक्षत्र को वेधना बाजारों में पूर्व रूख को बनाए रखेगा।
4 मई को बुध का वृष राशि में आना बाजारों में कुछ तेजी का वातावरण बना देगा।
7 मई को अतिचारी बुध का उदय हो जाना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा।
9 मई को बुध का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों के तेजी के रूख को बनाए रखेगा।
10 मई को राहु का चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना तथा शनि से राशि संबंध बनाए रखना बाजारों में तेजी के रूझान को आगे बढ़ाएगा।
11 मई को सूर्य का कृत्तिका नक्षत्र पर आकर भरणी, विशाखा व श्रवण नक्षत्रों को वेधना घी में तेजी की लहर आगे चलाएगा।
12 मई को शुक्र का रेवती नक्षत्र में आकर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बना देगा।
14 मई को सूर्य का वृष राशि में आकर बुध से राशि संबंध बनाना तथा ज्येष्ठ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी का रूख ही दर्शाता है।
15 मई को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश बाजारों के रूख को बदल कर मंदी का रूझान बना देगा।
17 मई को बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी की लहर चला देगा।
20 मई को मंगल का मार्गी गति में आना तथा शुक्र ग्रह से समसप्तक योग में रहना बाजारो में पूर्व रूख को बनाए रखेगा।
22 मई को बुध का मिथुन राशि में आकर गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना बाजारों में मंदी का ही सूचक बनता है।
23 मई को शुक्र का अश्विनी नक्षत्र पर आकर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में पुनः तेजी की लहर चला देगा।
25 मई को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में आकर अश्विनी, स्वाति व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी का ही रूझान बनाएगा।
30 मई को शुक्रवार के दिन चंद्र दर्शन 30 मुहूर्ती में आना तथा इसी दिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी का सूचक बनता है।