मासारंभ में 1 मार्च को तुला राशि स्थित वक्री गति के शनि व राहु ग्रहों के साथ मंगल का भी वक्री गति में रहना क्षेत्रीय दलों का विशेष राजनैतिक प्रभाव बढ़ना तथा जनता के द्वारा इनकी आलोचना का योग भी बनाता है। जन साधारण के सुख साधनों में कमी का भी कारक बनता है। सीमाओं पर सैन्य हलचल को बढ़ाकर युद्धमय बादलों की काली घटाओं को लाएगा। उत्तर-पश्चिमी भागों में आंधी, तूफान व कहीं भारी वर्षा का संकेत देता है।
वक्री गति के मंगल, शनि व राहु पर वक्री गति के ही गुरु ग्रह की दृष्टि का भी होना अशांति का वातावरण बनाएगा। राजनीतिक दलों में परस्पर विरोध से जनता के हितांे को नुकसान पहुंचाएगा। कहीं सत्ता परिवर्तन का भी योग बनता है। 25 मार्च को वक्री गति के मंगल का पुनः कन्या राशि में प्रवेश होना भारत तथा पड़ोसी देशों में बढ़ती हुई महंगाई के विरोध में जनता को आन्दोलन करने के लिए विवश करेगा। मुस्लिम देशों में विस्फोटक घटनाओं, सांप्रदायिक तनाव के द्वारा जन धन की हानि का संकेत देता है। सूर्य व मंगल का समसप्तक योग में होना राजनीति में विशेष परिवर्तन का योग बनाता है।
भयंकर रोगों के द्वारा और तटीय इलाकों में प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन के लिए हानि का कारक बनता है। मासारंभ में 1 मार्च को वक्री शनि व राहु के साथ तुला राशि स्थित मंगल का वक्री गति में आना तथा गुरु ग्रह द्वारा दृष्टित रहना बाजारों में तेजी का ही योग बनाता है।
2 मार्च को रविवार के दिन चंद्रदर्शन 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी की लहर को बनाए रखेगा।
4 मार्च को सूर्य का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्र चक्र द्वारा चित्रा, पुनर्वसु व उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना बाजारों के रूख में उतार-चढ़ाव अधिक बनाएगा। अतः व्यापारी वर्ग बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष ध्यान में रखे। 6 मार्च को मिथुन राशि स्थित गुरु ग्रह का मार्गी गति में आना चांदी के रूख को बदल कर मंदी का वातावरण बना देगा। 8 मार्च को राहु का चित्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की ही लहर चलाएगा।
10 मार्च को शुक्र का श्रवण नक्षत्र पर आकर कृतिका नक्षत्र को वेधना तथा मंगल से दृष्टित रहना बाजारांे में तेजी का ही रूझान बनाएगा। 12 मार्च को बुध का कुंभ राशि में आकर सूर्य के साथ संबंध बनाना बाजार में तेजी के वातावरण में बदलाव देकर मंदी की लहर चला देगा। 14 मार्च को सूर्य का मीन राशि में आना व चैत्र संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना मंदी का वातावरण ही दर्शाता है।
18 मार्च को सूर्य का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर आकर हस्त, आद्र्रा व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना तथा इसी दिन बुध का भी शतभिषा नक्षत्र पर आकर स्वाति नक्षत्र को वेधना मंदी के रूख को बदल कर तेजी का रूझान बना देगा। 19 मार्च को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र के चैथे चरण में आना बाजारों में पूर्व रूख को बरकरार रखेगा। 24 मार्च को शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की लहर ही चलाएगा। 25 मार्च को मंगल का वक्री गति में पुनः कन्या राशि में आकर सूर्य से समसप्तक योग में आना बाजारों में तजी के रूख में और वृद्धि करेगा।
28 मार्च को बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में आकर चित्रा नक्षत्र को वेधना बाजारों के रूझान को बदल कर मंदी का वातावरण बना देगा। 31 मार्च को सूर्य का रेवती नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा, मृगशिरा व मूल नक्षत्रों को वेधना तथा मंगल से समसप्तक योग में रहना बाजारों में तेजी का ही योग दर्शाता है। मासारंभ में 1 मार्च को वक्री गति के शनि व राहु के साथ तुला राशि में स्थित मंगल ग्रह का वक्री गति में आना तथा गुरु ग्रह द्वारा दृष्टित रहना बाजारों में तेजी का ही योग बनाता है। 2 मार्च को रविवार के दिन चंद्रदर्शन 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी का रूख बनाए रखेगा। 4 मार्च को सूर्य का पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा चित्रा, पुनर्वसु व उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना बाजारांे में पूर्व चल रहे रूझान को बनाए रखेगा।
6 मार्च को मिथुन राशि स्थित गुरु ग्रह का मार्गी गति में आना गुड़ के बाजार में विशेष तेजी का योग बनाता है। 8 मार्च को राहु का चित्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की लहर बनाए रखेगा। 10 मार्च को शुक्र का श्रवण नक्षत्र पर आकर कृत्तिका नक्षत्र को वेधना तथा मंगल से दृष्टित रहना बाजारों के पूर्व रूख को बरकरार रखेगा। 12 मार्च को बुध का कुंभ राशि में आकर सूर्य के साथ संबंध बनाना बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल अधिक बनाएगा।
14 मार्च को सूर्य का मीन राशि में आना व चैत्र संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी की लहर ही चलाएगा। 18 मार्च को सूर्य का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर आकर हस्त, आद्र्रा व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना तथा इसी दिन बुध का भी शतभिषा नक्षत्र पर आकर स्वाति नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी का ही रूझान बनाएगा। 19 मार्च को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र के चैथे चरण में आना बाजारों के रूख को बदल कर मंदी का वातावरण बना देगा। 24 मार्च को शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना बाजार के पूर्व रूख को बनाए रखेगा। 25 मार्च को मंगल का वक्री गति में पुनः कन्या राशि में आकर सूर्य से समसप्तक योग में आना गुड़ में तेजी का ही योग बनाता है।
28 मार्च को बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में आकर चित्रा नक्षत्र को वेधना बाजारों के पूर्वरूख के साथ उतार-चढ़ाव अधिक बनाएगा। व्यापारी वर्ग बाजार के वर्तमान रूख को विशेष ध्यान में रखे। 31 मार्च को सूर्य का रेवती नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा, मृगशिरा व मूल नक्षत्रों को वेधना तथा मंगल से समसप्तक योग में होना बाजारों में तेजी का रूझान ही दर्शाता है। मासारंभ में 1 मार्च को वक्री शनि व राहु के साथ तुला राशि में स्थित ग्रह का वक्री गति के गुरु ग्रह द्वारा दृष्टित होना गेहूं, जौ, चना, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मौठ, मसूर, अरहर इत्यादि दलहन के बाजारो में तेजी का ही योग बनाता है।
2 मार्च को रविवार के दिन चंद्रदर्शन 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में पूर्व रूख को बरकरार रखेगा। 4 मार्च को सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा चित्रा, पुनर्वसु व उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना दलहन में तो तेजी का रूख दर्शाता है लेकिन अनाजवान में उतार-चढ़ाव का माहौल बनाएगा। 6 मार्च को मिथुन राशि स्थित गुरु ग्रह का मार्गी गति में आना बाजारों में तेजी के रूझान की तरफ संकेत करता है। 8 मार्च को राहु का चित्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाभाद्र नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की ही लहर चलाएगा। 10 मार्च को शुक्र का श्रवण नक्षत्र पर आकर कृत्तिका नक्षत्र को वेधना बाजारों में पूर्व रूख को बरकरार रखेगा।
12 मार्च को बुध का कुंभ राशि में आकर सूर्य के साथ राशि संबंध में आना बाजारांे में उतार-चढ़ाव का माहौल अधिक बनाएगा। 14 मार्च को सूर्य का मीन राशि में आना व चैत्र संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी के रूख को बदल कर मंदी की लहर चला देगा। 18 मार्च को सूर्य का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर आकर हस्त, आद्र्रा व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना तथा इसी दिन बुध का भी शतभिषा नक्षत्र पर आकर स्वाति नक्षत्र को वेधना गेहूं, जौ, चना इत्यादि अनाजों में तेजी का रूझान बना देगा।
19 मार्च को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र के चैथे चरण मंे आना बाजारों में मंदी की लहर चला देगा। 24 मार्च को शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र बाजारों में मंदी का वातावरण ही बनाएगा। 25 मार्च को मंगल का वक्री गति में पुनः कन्या राशि में आकर सूर्य से समसप्तक योग में आना बाजार में उतार-चढ़ाव का वातावरण बनाए रखेगा। 28 मार्च को बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में आकर चित्रा नक्षत्र को वेधना बाजारांे में मंदह का रूझान बना देगा। 31 मार्च को सूर्य का रेवती नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा, मृगशिरा व मूल नक्षत्रों को वेधना तथा मंगल से समसप्तक योग में रहना गेहूं, जौ, चना इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मौठ, मसूर इत्यादि दलहन में तेजी का योग ही दर्शाता है।
मासारंभ में 1 मार्च को वक्री गति के शनि व राहु के साथ स्थित तुला राशि में मंगल ग्रह का वक्री गति में आना तथा गुरु ग्रह द्वारा दृष्टित होना बाजारों में तेजी का योग ही बनाता है। 2 मार्च को रविवार के दिन चंद्र दर्शन 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी का रूझान बनाए रखेगा। 4 मार्च को सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर आकर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा चित्रा, पुनर्वसु व उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना बाजारों में पूर्व रूख में बदलाव देकर मंदी की लहर चला देगा। 6 मार्च को मिथुन राशि स्थित गुरु ग्रह का मार्गी गति में आना घी के वातावरण में बदलाव देकर तेजी का योग बना देगा।
तेल व तेलवानों में पूर्व रूख ही बनाए रखेगा। 8 मार्च को राहु का चित्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाभाद्रपद-नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी का वातावरण ही दर्शाता है। 10 मार्च को शुक्र का श्रवण नक्षत्र पर आकर कृतिका नक्षत्र को वेधना तथा मंगल से दृष्टित रहना बाजारों की तेजी की लहर को आगे चलाएगा। 12 मार्च को बुध का कुंभ राशि में आकर सूर्य के साथ संबंध बनाना बाजारों में उतार-चढ़ाव का माहौल अधिक बनाएगा।
14 मार्च को सूर्य का मीन राशि में आना व चैत्र संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना तेलों में तेजी का रूझान बनाएगा लेकिन घी में मंदी का योग दर्शाता है। 18 मार्च को सूर्य का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर आकर हस्त, आद्र्रा व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों को वेधना तथा इसी दिन बुध का भी शतभिषा नक्षत्र पर आकर स्वाति नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी की लहर को चलाए रखेगा।
19 मार्च को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश बाजारों में पुनः मंदी का वातावरण बना देगा। 24 मार्च को शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का योग ही दर्शाता है। 25 मार्च को वक्री गति के मंगल का पुनः कन्या राशि में आकर सूर्य से समसप्तक योग में आ जाना तेल व तेलवानों में तेजी का वातावरण बना देगा। घी के बाजार में पूर्व रूख को बनाए रखेगा। 28 मार्च को बुध का पूर्वाभाद्र नक्षत्र पर आकर चित्रा नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजी की लहर ही बनाएगा।
31 मार्च को सूर्य का रेवती नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा, मृगशिरा व मूल नक्षत्रों को वेधना तथा मंगल से समसप्तक योग में होना बाजारों में तेजी का योग ही दर्शाता है। नोट: उपर्युक्त फलादेश पूरी तरह ग्रह स्थिति पर आधारित है, पाठकों का बेहतर मार्ग दर्शन ही इसका मुख्य उद्देश्य है।
इसके साथ-साथ संभावित कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बाजार को प्रभावित करते हैं। कृपया याद रखें कि व्यापारी की सट्टे की प्रवृत्ति और निर्णय लेने की शक्ति में कमी तथा भाग्यहीनता के कारण होने वाले नुकसान के लिए लेखक, संपादक एवं प्रकाशक जिम्मेदार नहीं हैं।