16वीं लोकसभा का चुनाव कई मामलों में महत्वपूर्ण है तथा देश की ही नहीं पूरे विश्व की नजरें चुनावों के परिणाम पर लगी हुई हैं। एक ओर जहां यह चुनाव राजनीतिक पार्टियांे एवं उनके नेताओं का भविष्य तय करेगा, वहीं दूसरी तरफ यह भी साफ हो जायेगा कि चुनावों के बाद देश राजनीतिक स्थिरता एवं आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होगा अथवा उस पर अस्थिरता एवं निराशा के बादल छाये रहेंगे। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ ही देश में चुनावी बिगुल बज गया है।
16वीं लोकसभा के लिए 7 अप्रैल 2014 से लेकर 12 मई 2014 तक, नौ चरणों में मतदान होंगे तथा 16 मई 2014 को मतगणना होगी। तब जाकर कहीं पता चलेगा कि जनता जनार्दन ने देश की सत्ता की बागडोर किसे सौंपी है। एक तरफ जहां कांग्रेस की अगुवाई वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू. पी. ए.) की सरकार में भविष्य को लेकर निराशा एवं हताशा है वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी एवं उसकी अगुवाई वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन. डी. ए.) नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दस सालों बाद सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है। इस बार के चुनाव में पारंपरिक पार्टियों यथा कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (संयुक्त), सी. पी. आई, सी. पी. एम., तृणमूल कांग्रेस, अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक, द्रमुक इत्यादि के साथ ही आम आदमी पार्टी के रूप में एक गैर पारंपरिक पार्टी भी चुनाव के मैदान में है।
कुछ महीनों पहले तक आम आदमी पार्टी एवं उसके नेता अरविंद केजरीवाल को कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा था। लेकिन दिल्ली विधान सभा के दिसंबर 2013 के चुनाव में जबरदस्त सफलता एवं दिल्ली में सरकार बनाने के बाद सभी पार्टियां, इससे सहमी केंद्र में अगली सरकार बिना उनके समर्थन के बन नहीं सकती। ठीक ऐसा ही दावा क्षेत्रीय पार्टियां भी कर रही हैं तथा उनमें से कुछ नेता तो प्रधानमंत्री बनने का सपना भी देख रहे हैं। चुनावों के समय ऐसे दावे करना कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है तथा अगले आने वाले चुनाव में कौन सा दल या गठबंधन सत्ता प्राप्त करेगा इसे हम ज्योतिष के आइने से समझने का प्रयत्न करेंगे। सर्वप्रथम, हम स्वतंत्र भारत की कुंडली का विश्लेषण करते हैं।
भारत की कुंडली में वर्तमान में सूर्य की महादशा चल रही है। चुनाव के समय सूर्य-बुध की दशा (जुलाई 2013 से अप्रैल 2014), तदुपरांत सूर्य-केतु की दशा (मई 2014 से अगस्त 2014) चलेगी। सूर्य में बुध की अंतर्दशा जहां अच्छा फल देने का संकेत कर रही है वहीं सूर्य में केतु का अंतर अशुभ संकेत है। भारत अपनी स्वतंत्रता के 67 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अंक विज्ञान के अनुसार 67वें वर्ष (6$7=13 और 1$3 = 4, जो कि राहु का अंक है) पर राहु की छाया पड़ रही है तथा आम चुनाव 16वीं लोक सभा के लिए हो रहे हैं यानि 1$6 = 7 जो कि केतु का नंबर है।
अतः इस आम चुनाव पर छाया ग्रहों राहु-केतु का प्रभाव अवश्यंभावी है। गोचर में चंद्र कुंडली के अनुसार गुरु 12वें में, शनि एवं राहु चतुर्थ में तथा केतु 10वें घर में सभी अशुभ हैं। चैथा एवं 10वां घर छाया ग्रहों से पीड़ित है। फलतः 16वीं लोक सभा भी विगत लोकसभा की भांति त्रिशंकु परिणाम वाली होगी। किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की उम्मीद है। चुनाव में कहीं-कहीं हिंसा की घटनायें भी देखने को मिल सकती हैं। सूर्य-केतु की दशा में जो चुनाव होंगे अर्थात् 07 और 12 मई 2014 के चुनावों के दौरान विशेष रूप से हिंसक परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं
तथा किसी महत्वपूर्ण नेता (वी. आई. पी) पर प्राणाघातक हमला हो सकता है। अतः इस अवधि में सुरक्षा बलों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। अब हम भारतीय जनता पार्टी की कुंडली का विश्लेषण करेंगे। भाजपा की कुंडली मिथुन लग्न की है। इसमें सूर्य में राहु की अंतर्दशा (दिसंबर 13 से अक्तूबर 2014) चल रही है। सूर्य तृतीय घर का स्वामी होकर दसवें राज्यभाव में मजबूत होकर बैठा है। सूर्य राज्य कारक ग्रह भी है तथा राहु तीसरे घर में उपचय स्थान में बैठा है जो कि शुभ है। चंद्र लग्न से भाजपा की कुंडली बहुत सशक्त है। इसमें राहु दसवें घर में गुरु, शनि और मंगल के साथ बैठा है। सूर्य 10वें घर का मालिक होकर पंचम भाव में बैठा है जो कि अति उत्तम है।
गोचर में, गुरु आठवें में अशुभ तथा शनि एवं राहु 12वें अशुभ है। छठे भाव में केतु शुभ है। ध्यान देने योग्य विशेष तथ्य यह है कि स्वतंत्र भारत एवं भारतीय जनता पार्टी, दोनों की कुंडली में वर्तमान में सूर्य की महादशा चल रही है। यह इस बात का संकेत करता है कि भाजपा शासक दल के रूप में मतदाताओं की पहली पसंद होगी। इसे अपने आप में पूर्ण बहुमत तो प्राप्त नहीं होगा लेकिन इसे कांग्रेस द्वारा पिछली लोक सभा में प्राप्त सीटों से ज्यादा सीटें प्राप्त होगी (कांग्रेस पार्टी की 15वीं लोक सभा में 206 सीटें थी) तथा अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर अर्थात् राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन. डी. ए.) अगला सरकार बनाने में कामयाब होगा।
अगली कुंडली भाजपा के नेता और प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की है। मोदी की कुंडली बहुत ही सशक्त है। लग्न में चंद्र मंगल की युति है। चंद्रमा 9वें घर का मालिक है तथा मंगल लग्नेश है। इन दोनों ग्रहों की युति से ‘राज योग’, ‘‘नीचभंग राजयोग’ तथा मंगल की स्वराशि वृश्चिक में ‘उपस्थिति से ‘रूचक महापुरूष योग’ बन रहा है। इस वजह से नरेंद्र मोदी साधारण परिवार में पैदा होकर भी सत्ता की बुलंदियों को छूने में कामयाब हुए हैं। मंगल उन्हें निर्भीकता, साहस, पराक्रम तथा आक्रामकता पर्याप्त रूप में प्रदान कर रहा है जिसका इस्तेमाल वे अपने विरोधियों से निपटने में करते रहे हैं जिसकी झलक हमें उनके भाषणों में देखने को मिलती है विशेषकर तब जब वह कांग्रेस पार्टी को अपना निशाना बनाते हैं।
लग्न एवं चंद्र से चैथे बैठा गुरु एक अन्य खूबसूरत योग ‘‘गजकेसरी योग’’ का निर्माण कर रहा है जो व्यक्ति को संपन्नता, प्रसिद्धि एवं लोकप्रियता प्रदान करता है। यही कारण है कि मोदी आज इतने लोकप्रिय, सफल एवं प्रसिद्ध हैं। वर्तमान में इनकी कुंडली में, चंद्र में गुरु की अंतर्दशा चल रही है। चंद्रमा 10वें राज्य भाव का स्वामी होकर दूसरे घर में स्वराशिगत मंगल क साथ बैठकर ‘‘नीच भंग राजयोग’’ बना रहा है तथा गुरु पांचवें घर में बैठा है जो कि शुभ है। नरेंद्र मोदी 64वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।
(6$4= 10 = 1 जो कि सूर्य का नंबर है)। सूर्य राज्य कारक एवं सत्ता प्रदान करने वाला ग्रह है। अतः बहुत ज्यादा संभावना है कि मोदी इस साल होने वाले आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बनेंगे। अब हम कांग्रेस पार्टी की कुंडली का अध्ययन करते हैं। कांग्रेस की धनु लग्न की कुंडली है। वर्तमान में कुंडली में राहु में गुरु की अंतर्दशा चल रही है जो जून 2015 तक चलेगी। गुरु लग्नेश होकर 11वें लाभ भाव में इसके मालिक शुक्र के साथ बैठा है जो कि शुभ है। लेकिन राहु कुंडली के लिए शुभकारक ग्रह नहीं है। गोचर में, लग्न में केतु, तीसरे में गुरु तथा शनि एवं राहु सातवें घर में है। अतः ये सारे ग्रह अशुभकारी प्रभाव देने वाले हैं। लग्नस्थ केतु एवं सप्तम में राहु, शनि की युति बहुत ज्यादा अशुभ फल देने का संकेत देती है।
फलतः कांग्रेस पार्टी को इस बार लोक सभा चुनावों में मुंहकी खानी पड़ेगी। इसकी 16वीं लोक सभा में सीटों की संख्या अब तक पिछली सभी लोकसभाओं में प्राप्त सीटों की संख्या से कहीं कम होगी। अतः पार्टी को चुनावों के बाद विपक्ष में बैठना पड़ेगा। अब हम कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कुंडली लेते हैं। इनकी मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्रमा में बुध की अंतर्दशा (फरवरी 2013 से जून 2014) चल रही है। चंद्रमा दूसरे घर का स्वामी होकर छठे, पाप प्रभाव में नीच राशि में है तथा बुध लग्नेश होकर 12वें स्थान में है जो कि ज्योतिष में क्षय स्थान के नाम से जाना जाता है। अतः यह समय इनके लिए प्रतिकूल है।
गोचर में, गुरु आठवें में तथा शनि एवं राहु 12वें में अशुभ हैं। केवल केतु छठे भाव में शुभ है। इस प्रकार गोचर में भी अधिकांश ग्रह विपरीत फल देने का संकेत देते हैं। राहुल गांधी 44वें वर्ष में चल रहे हैं। 44 = 4$4 = 8, जो कि शनि का नंबर है। शनि इनकी कुंडली में नीच का होकर 11वें भाव में बैठा है। ऐसा शनि हानि करने का संकेत देता है। अतः वर्तमान में समय विपरीत होने की वजह से राहुल गांधी की 16वीं लोकसभा के चुनावों में निराशाजनक परिणाम देखने को मिलेगा। इनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बहुत ज्यादा खराब होने की संभावना है।
अतः पार्टी को चुनावों के बाद विपक्ष में बैठना पड़ेगा। अब हम आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की कुंडली लेते हैं। इनकी कुंडली में चंद्रमा तृतीयेश होकर लग्न में उच्च राशि में बैठा है तथा लग्नेश शुक्र चैथे भाव में उसके स्वामी सूर्य के साथ बैठा है। चैथे घर में सूर्य और बुध की युति एक साथ ‘‘राज योग’’ एवं ‘‘बुद्धादित्य योग’’ बना रही है। चंद्रमा से गुरु केंद्र में होने से खूबसूरत ‘‘गजकेसरी योग’ भी बन रहा है।
कुंडली में मंगल एवं शनि अपने नीच स्थान में बैठे हैं लेकिन दोनों का नीच भंग होकर ‘‘नीच भंग राजयोग’’ बन रहा है। इन सब योगों की वजह से अरविंद केजरीवाल ने छोटी उम्र में ही असाधारण लोकप्रियता एवं सफलता अर्जित की है। वर्तमान में इनकी कुंडली में, गुरु में शुक्र (जुलाई 2012 से फरवरी 2015) की अंतर्दशा चल रही है। गुरु एवं शुक्र दोनों ही शुभ ग्रह हैं, प्रभावकारी हैं। इस प्रकार इनका समय विशेष रूप से शुभ है जिसकी वजह से ये अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को चुनाव में जीत हासिल करा कर 16वीं लोकसभा में भेजने में कामयाब होंगे।
इस प्रकार आम आदमी पार्टी 16वीं लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाने में कामयाब रहेगी। यह भी संभव है कि इनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पाट्र्री का दर्जा हासिल कर ले जिससे अरविंद केजरीवाल का कद राजनैतिक रूप से और बड़ा हो जायेगा। परंतु इनके दावे के विपरीत, अगली सरकार के गठन में इनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं होगी। अंत में इस ज्योतिषीय विश्लेषण का निष्कर्ष यह है कि इस आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी तथा अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर (एन. डी. ए. के घटक दलों के साथ) नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब होगी। भाजपा के कुछ नेता जो यह सोचते हैं कि वांछित सीटों की संख्या न मिल पाने की स्थिति में वे आम राय से या समझौते के उम्मीदवार के रूप में प्रधानमंत्री पद प्राप्त कर सकते हैं, उन्हें निराशा हाथ लगेगी क्योंकि मतदाताओं का मत स्पष्ट रूप से नरेंद्र मोदी के पक्ष में होगा। फलतः वही देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे।
चुनाव परिणामों से क्षेत्रीय दल के नेताओं, अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक की नेता सुश्री जयललिता, तृणमूल कांग्रेस की नेता सुश्री ममता बनर्जी, बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक, तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव तथा वाई. एस. आर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी को छोड़कर अन्य सभी को निराश होना पड़ेगा अर्थात चुनावों के बाद उनकी सीटें पहले से कम हो जायेंगी। अतः उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना साकार नहीं हो सकेगा। हां, आम आदमी पार्टी के क्षेत्रीय दल से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने की स्थिति में पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक कद जरूर बढ़ सकता है।