रत्न धारण का समुचित आधार
रत्न धारण का समुचित आधार

रत्न धारण का समुचित आधार  

जय इंदर मलिक
व्यूस : 11214 | मई 2014

जो ग्रह पत्रिका में शुभ एवं कारक है अथवा जिस ग्रह की दशा चल रही हो और वह शुभ प्रभाव देने वाला है वही रत्न धारण करें। यदि वह लग्नेश या राशीश हो तो उसे जरूर धारण करें। यदि अशुभ ग्रह की दशा चल रही हो तो उसकी प्रत्यंतर दशा में जो शुभ ग्रह आने वाला हो उनकी अंतर्दशा के रत्नों को धारण करें। मित्र ग्रहों के रत्नों को एक साथ धारण कर सकते हैं परंतु शत्रु ग्रहों के रत्नों को एक साथ धारण नहीं करना चाहिये अन्यथा वह अशुभ फल देंगे। सूर्य-मंगल-बृहस्पति मित्र हैं।

यदि कुंडली में इनकी स्थिति अच्छी है तो माणिक, मूंगा पुखराज पहन सकते हैं। शनि-बुध-शुक्र मित्र हैं। नीलम, हीरा, पन्ना एक साथ पहन सकते हैं। परंतु शुक्र-बृहस्पति शुभ ग्रह होते हुये भी एक दूसरे के शत्रु हैं इनके रत्न एक साथ कभी न पहनें। आम धारणा यह है कि त्रिकोण सदैव शुभ होता है। परंतु इन तीनों में यदि कोई ग्रह उच्च या स्वराशिस्थ है तो रत्न धारण न करें। शुभ ग्रह यदि अस्त है या निर्बल है तो उस ग्रह का रत्न धारण करें। यदि लग्न निर्बल है या लग्नेश अस्त है तो लग्नेश का रत्न धारण करें।

भाग्येश निर्बल है या अस्त है तो भी भाग्येश का रत्न पहनें। परंतु यदि त्रिकोण का स्वामी नीच का है तो उसका रत्न धारण न करें। कभी भी मारक-बाधक नीच या अशुभ ग्रह का रत्न धारण न करें। जन्मपत्री न होने की स्थिति में किस ग्रह के अशुभ प्रभाव से जातक परेशान है निम्नलिखित लक्षणों से पता लग जाता है कि कौन सा ग्रह अशुभ है, उसका उपाय कर लें। सूर्य यदि पिता से संबंध ठीक न हो, मानसिक परेशानी, दमा, श्वास रोग, सर्दी-जुकाम आदि हो तो माणिक धारण करें या चांदी-चावल-दूध का दान करें। चंद्र माता से संबंध ठीक न हो, मानसिक परेशानी दमा, श्वास रोग, सर्दी-जुकाम आदि हो तो मोती धारण करें या चांदी-चावल-दूध का दान करें। मंगल भाइयों से अनबन, क्रोध, अधिक दुर्घटनायें, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, उच्च रक्त चाप आदि हो तो मूंगा धारण करें या मसूर की दाल बहते पानी में बहायें।

बुध वाणी दोष, विद्या, बुद्धि संबंधी परेशनियां, गले के रोग, नाक का रोग, मतिभ्रम, व्यवसाय में हानि आदि हो तो पन्ना धारण करें या बुआ, बहन, मौसी से आशीर्वाद लें और छेद वाला तांबा का पैसा बहायें। गुरु नास्तिक होना, गुरु का आदर न करना, अर्जित धन का खर्च होना, विवाह में देरी, गठिया, कब्ज अनिद्रा आदि होने से पुखराज धारण करंे या धार्मिक पुस्तकों का दान करें। शुक्र प्रेम में असफलता, पत्नी सुख में बाधा, वाहन से कष्ट, मधुमेह, गर्भाशय रोग, हर्निया आदि से पीड़ित हों तो हीरा पहनें या चीनी, चावल का दान करें। शनि नौकरी व परेशानी, नौकरी से क्लेश, रीढ़ की हड्डी का रोग, कैंसर, नपुंसकता, पैरों में तकलीफ, वाद, विकार आदि हो तो नीलम सलाह लेकर धारण करें या शनि का दान, छाया दान करें।

राहु अहंकार होना, दादा से परेशानी, त्वचा रोग, भूत प्रेत का डर, मस्तिष्क रोग आदि होने पर गोमेद धारण करें या मुकदमे में जीतने के लिये कच्चा कोयला पानी में बहायें। जौ के कुछ दाने रात को सिरहाने रखकर सुबह पक्षियों को डालें। केतु जादू-टोना से परेशानी, नाना से परेशानी, रक्त विकार, छूत की बीमारी, हैजा आदि से पीड़ित हांे तो लहसुनिया धारण करें या गणेश जी की पूजा करें। कुत्तों को रोटी खिलायें।


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