ग्रह स्थिति एवं व्यापार
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दिव्यदीप गौड
व्यूस : 4904 | अकतूबर 2014

गोचर फल विचार मासारंभ में बुध का वक्री होना तथा शुक्र का अस्त होना पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव का कारण बनेगा तथा शनि व सूर्य का द्विद्र्वादश योग में होना तथा मंगल व शनि का भी द्विद्र्वादश योग में रहना तथा मंगल ग्रह का गुरु से दृष्ट होना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विशेष हलचल का योग बनाता है। सीमा प्रांतों में अशांति का कारक रहेगा। इस मास में उत्तर दक्षिणी क्षेत्रों में तेज आंधी-तूफान, भारी वर्षा से खड़ी फसलों के लिए हानिकारक रहेगा। उत्तरी क्षेत्रों में हिमपात और शीत लहर का प्रभाव बढ़ेगा।

मौसम में अनिश्चितता के कारण कृषक वर्ग चिंताग्रस्त रहेंगे। 17 अक्तूबर को सूर्य का शनि के साथ तुला राशि में संबंध बनाना तथा 19 अक्तूबर को शुक्र का भी तुला राशि में इनके साथ संबंध में होना सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देगा। आम जनता को सरकार के प्रति महंगाई इत्यादि के लिए संघर्ष करने पर विवश करेगा। कुछ राज्यों में राजनैतिक विरोध को बढ़ावा देगा। 18 अक्तूबर को मंगल का धनु राशि में आकर गुरु ग्रह को दृष्टित करना तथा शनि ग्रह की दृष्टि में आ जाना सीमाओं पर अशांति का वातावरण बनाकर सैन्य हलचल को बढ़ाएगा। आतंकवादी संगठनों को भी खुलकर सामने लाएगा।

सोना व चांदी मासारंभ में 2 अक्तूबर को शुक्र का अस्त हो जाना बाजारों में तेजी का रूझान बनाएगा। 3 अक्तूबर को शुक्र का हस्त नक्षत्र में आकर सर्वतोभद्र चक्र द्वारा उ. भा. नक्षत्र को वेधना और सूर्य से नक्षत्र संबंध बनाना तथा इसी दिन शनि का विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में आना ये योग बाजारों की तेज लहर को आगे चलाएगा।

4 अक्तूबर को बुध ग्रह का वक्री गति में आ जाना पूर्वरूख को बरकरार रखेगा। 8 अक्तूबर को चंद्र ग्रहण का मीन राशि में होना तेजी को ही दर्शाता है। 9 अक्तूबर को गुरु का अश्लेषा के तीसरे चरण में प्रवेश करना और वक्री बुध का चित्रा नक्षत्र में आकर पू. भाद्रपद नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार -चढ़ाव अधिक करेगा। चांदी में तेजी का माहौल ही दर्शाता है।


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10 अक्तूबर को सूर्य का चित्रा नक्षत्र में आकर पू. भा., मूल तथा मृगशिरा नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी की लहर चलाएगा। 11 अक्तूबर को वक्री बुध का अस्त हो जाना चांदी में कुछ मंदी का योग भी चित्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पू.भा. नक्षत्र को बेधना तथा सूर्य व राहु से नक्षत्र सम्बनध बनाना बाजार में अत्य अत्यधिक उतार चढ़ाव के बाद तेजी का रुझान बनाएगा। 16 अक्तूबर को वक्री बुध का कन्या राशि में आकर सूर्य, शुक्र व राहु से संबंध बनाना बाजारों में पूर्वरूख को दर्शाता है।

17 अक्तूबर को सूर्य का तुला राशि में आकर शनि से राशि संबंध बनाना तथा कार्तिक संक्रांति का 15 मुहूर्ती में होना सोने में तेजी का योग बनाएगा लेकिन चंादी को मंदी के रूख में ले जाएगा।

18 अक्तूबर को मंगल का मूल नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को तथा दक्षिण वेध से चित्रा नक्षत्र को वेधना तथा मंगल का धनु राशि में आकर शनि से दृष्टिगत होना तथा गुरु ग्रह को दृष्टिगत करना बाजारों में तेजी की लहर को ही चलाएगा।

19 अक्तूबर को शुक्र का तुला राशि में आकर सूर्य व शनि से राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी का रूझान ही बनाएगा।

23 अक्तूबर को वक्री बुध का हस्त नक्षत्र में आकर उ.भा. को वेधना बाजारों में मंदी का वातावरण बना देगा।

24 अक्टूवर को सूर्य व शुक्र दोनों ग्रहों का स्वाति क्षत्र में आकर शतभिषा नक्षत्र को वेधना बाजारों में पुनः तेजी का रुझाान बना देगा।

25 अक्तूबर को बुध का मार्गी होना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन का शनिवार के दिन 45 मुहूर्ती में होना ये योग बाजारों में तेजी का वातावरण ही दर्शाता है।

28 अक्तूबर को बुध का चित्रा नक्षत्र में आकर प.भा. नक्षत्र को वेधना तथा राहु से नक्षत्र सम्बन्ध बनाना उतार-चढ़ाव का रुख रखेगा।


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