रुद्राक्ष मानवजाति को भगवान के द्वारा एक अमूल्य देन है। रुद्राक्ष भगवान षिव का अंष है। रुद्राक्ष धारण करना भगवान षिव के दिव्य ज्ञान को प्राप्त करने का साधन है। सभी मनुष्य रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं । हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार ब्राह्मण को श्वेतवर्ण के रुद्राक्ष, क्षत्रिय को रक्तवर्ण के रुद्राक्ष, वैष्य को मिश्रित रुद्राक्ष तथा शूद्र को कृष्णवर्ण के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से बड़ा ही पुण्य प्राप्त होता है तथा जो मनुष्य अपने कण्ठ में बत्तीस, मस्तक पर चालीस, दोनों कानों में छः-छः, दोनों हाथों में बारह-बारह, दोनों भुजाओं में सोलह-सोलह, षिखा में एक और वक्ष पर एक सौ आठ रुद्राक्षों को धारण करता है वह साक्षात भगवान नीलकण्ठ के रूप में जाना जाता है। इसी कारण रुद्राक्ष धारण करने वाला तथा उसकी आराधना करने वाला व्यक्ति समृद्धि, स्वास्थ्य तथा शांति को प्राप्त करने वाला होता है।
लेकिन फिर भी रुद्राक्ष धारण करते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
- रुद्राक्ष को सिद्ध़ करने के बाद ही धारण करना चाहिए। साथ ही इसे किसी पवित्र दिन में ही धारण करना चाहिए।
- प्रातःकाल रुद्राक्ष को धारण करते समय तथा रात में सोने के पहले रुद्राक्ष उतारने के बाद रुद्राक्ष मंत्र तथा रुद्राक्ष उत्पत्ति मंत्र का नौ बार जाप करना चाहिए ।
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन का त्याग कर देना चाहिए तथा शराब/एल्कोहल का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
- ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या और पूर्णमासी आदि पर्वों और पुण्य दिवसों पर रुद्राक्ष अवष्य धारण करना चाहिए ।
- श्मषान स्थल तथा शवयात्रा के दौरान भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही जब किसी के घर में बच्चे का जन्म हो उस स्थल पर भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए ।
- यौन सम्बंधों के समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए ।
- स्त्रियों को मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए । रुद्राक्ष की प्रवृत्ति गर्म होती है । कुछ लोग इसको नहीं पहन सकते क्योंकि इसके पहनने के उनकी त्वचा पर एलर्जी के से चिह्न उभर आते हैं। उनके लिए रुद्राक्ष को मंदिर में ही रखा जा सकता है तथा नियमित रूप से आराधना की जा सकती है। रुद्राक्ष को सूती धागे में या सोने में या फिर चांदी की चेन में पहन सकते हैं ।
रुद्राक्ष के विषय में कुछ विषेष बातेंः
- रुद्राक्ष को हमेषा स्वच्छ स्थान पर ही रखें ।
- रुद्राक्ष को हमेषा साफ रखें तथा मुलायम ब्रुष की सहायता से समय समय पर रुद्राक्ष को साफ करते रहें।
- कभी-कभी रुद्राक्ष की तेल मालिष भी कर दें । कड़वे तेल जैसे सरसों या तिल का तेल इसके लिए प्रयोग किया जा सकता है ।
- सोते समय रुद्राक्ष धारण न करें क्योंकि इस दौरान रुद्राक्ष दबाव से टूट या चटक भी सकता है । रुद्राक्ष को तकिए के नीचे रखा जा सकता है । जिस रुद्राक्ष माला का हम जाप में प्रयोग करते हैं उसको शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए ।