ग्रह स्थिति एवं व्यापार
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दिव्यदीप गौड
व्यूस : 5813 | जून 2014

गोचर फल विचार मासारंभ में केतु व शुक्र का शनि व राहु ग्रहों से समसप्तक योग में बने होना तथा मंगल व शुक्र ग्रह का परस्पर षडाष्टक योग में होना राजनीति के क्षेत्र में परस्पर विरोधाभास की स्थिति दर्शाता है। शासकीय व्यवस्था में अस्थिरता का योग दर्शाता है, तेज आंधी तूफान या यान दुर्घटना इत्यादि से भी जन धन की हानि का संकेत देता है। उत्तरी क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों से जन मानस में भय की स्थिति उत्पन्न करेगा। ये योग शासकीय दबाव को आम जनता पर ज्यादा बढ़ाकर जन आन्दोलन के लिए विवश करेगा।

19 जून को गुरु ग्रह का कर्क राशि में आकर शनि ग्रह से दृष्टित होना पूर्वोत्तर क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकोप इत्यादि से जन धन की हानि का योग बनाता है। नए-नए रोगों से जन-साधारण के लिए परेशानी का कारक बनेगा। सीमाओं पर सैन्य हलचल को बढ़ाएगा। उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी से जनता के लिए कष्टदायक रहेगा। कुछ स्थानों पर तेज हवाओं के साथ सामान्य वर्षा के भी योग बनाता है।

सोना व चांदी मासारंभ में 2 जून को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करना बाजारों में मंदी का योग बनाएगा। 4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में आकर मघा नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का मंगल से दृष्टित होना बाजारों के रूख में बदलाव देकर तेजी की लहर चला देगा। 7 जून को मिथुन राशि के बुध ग्रह का वक्री गति में आ जाना बाजारों में उतार-चढ़ाव का वातावरण बना देगा। व्यापारी वर्ग बाजार के वर्तमान रूख को विशेष ध्यान में रखें।

8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर चित्रा, उ.षा. व रेवती नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी का रूझान ही बनाएगा। 11 जून को वक्री गति के बुध ग्रह का अस्त हो जाना बाजारों में पुनः मंदी का वातावरण बना देगा। 15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में आकर वक्री बुध व गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना व अषाढ़ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में आना बाजारों में तेजी की लहर बना देगा। 16 जून को वक्री बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उ.षा. नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव के बाद मंदी के माहौल में ले जाएगा।


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18 जून को शुक्र का वृष राशि में आकर शनि से षडाष्टक योग में आ जाना बाजारों में पुनः तेजी की लहर चला देगा। 19 जून को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश बाजारों में विशेषतया तेजी के रूख को आगे बढ़ाएगा। 22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों को वेधना चांदी को तेजी के रूझान में ही रखेगा लेकिन सोने में अस्थिरता का वातावरण बना देगा।

26 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का वातावरण बना देगा। 28 जून को मंगल का चित्रा नक्षत्र में आकर पूर्वा भाद्रपद व मूल नक्षत्र तथा दक्षिण वेध से मृगशिरा नक्षत्र को वेधना बाजारों में पुनः तेजी की लहर चला देगा। 29 जून को वक्री बुध का उदय होना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन रविवार के दिन 30 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी के रूझान को बनाए रखेगा।

गुड़ व खांड मासारंभ में 2 जून को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करना बाजारों में मंदी का योग दर्शाता है। 4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में आकर मघा नक्षत्र को वेधना तथा मंगल से दृष्टित होना बाजारों में तेजी का रूझान बना देगा। 8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर चित्रा, उ.षा. व रेवती नक्षत्रों को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव का माहौल अधिक बनाएगा। 11 जून को वक्री गति के बुध का अस्त हो जाना बाजारों में मंदी का रूख ही बनाएगा। 15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में आकर वक्री बुध व गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना तथा आषाढ़ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी की लहर ही चलाएगा।

16 जून को वक्री गति के बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उ.षा. नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का वातावरण ही दर्शाता है। 18 जून को शुक्र का वृष राशि में आकर शनि से षडाष्टक योग बनाना बाजारों में पुनः तेजी का रूझान बना देगा। 19 जून को गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र के चैथे चरण व अपनी उच्चस्थ राशि कर्क में प्रवेश करना बाजारों में तेजी का वातावरण ही बनाएगा। 22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उ.भाद्रपद नक्षत्रों को वेधना बाजारांे में चल रहे पूर्व रूख को बरकरार रखेगा। 26 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का माहौल बना देगा।

28 जून को मंगल का चित्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वा भाद्रपद व मूल नक्षत्रों को तथा दक्षिण वेध से मृगशिरा नक्षत्र को वेधना बाजारांे में मंदी की लहर चला देगा। अनाजवान व दलहन मासारंभ में 2 जून को गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करना गेहूं, जौ, चना, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ, मसूर, अरहर इत्यादि दलहन के बाजारों में मंदी का वातावरण दर्शाता है। 4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में आकर मघा नक्षत्र को वेधना तथा मंगल ग्रह से दृष्टित रहना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा।


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7 जून को मिथुन राशि के बुध का वक्री गति में आना बाजारों के रूख में बदलाव देकर मंदी का वातावरण बना देगा। 8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में आकर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधना बाजारों में पुनः तेजी की लहर चला देगा। 11 जून को वक्री गति के बुध ग्रह का अस्त हो जाना बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बना देगा। 15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में आकर वक्री बुध व गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना तथा आषाढ़ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना गेहूं, जौ, चना, ज्वार इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मौठ, मसूर इत्यादि दलहन के बाजार में तेजी का रूख ही बनाएगा।

16 जून को वक्री बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजार में उतार-चढ़ाव के माहौल के साथ तेजी का वातावरण बनाए रखेगा। 18 जून को शुक्र का वृष राशि में आकर शनि से षडाष्टक योग में आ जाना बाजारों के रूख में बदलाव देकर मंदी की लहर चला देगा। 19 जून को गुरु ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र के चैथे चरण व अपनी उच्चस्थ राशि कर्क में प्रवेश करना बाजारों में उतार-चढ़ाव अर्थात अस्थिरता का वातावरण बना देगा।

22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों को वेधना बाजारों मंे तेजी का योग ही दर्शाता है। 26 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का वातावरण बना देगा। 28 जून को मंगल का चित्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाभाद्रपद व मूल नक्षत्र तथा दक्षिण वेध से मृगशिरा नक्षत्र को वेधना बाजारों में तेजीदायक ही बनता है। 29 जून को वक्री बुध का उदय होना व इसी दिन चंद्र दर्शन का रविवार के दिन 30 मुहूर्ती में होना गेहूं, जौ, चना ज्वार इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ, मसूर इत्यादि दलहन में आगे मंदी का रूझान चला देगा।

घी व तेलवान मासारंभ में 2 जून को गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करना बाजारों का रूख तेजी की तरफ रखेगा। 4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में आकर मघा नक्षत्र को वेधना तथा मंगल से दृष्टित रहना बाजारांे में तेजी का योग ही दर्शाता है। 7 जून को मिथुन राशि के बुध ग्रह का वक्री गति में आना बाजारों के रूख को बदल कर मंदी की लहर में ले जाएगा। 8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में आकर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधना बाजारों में पूर्व चल रहे रूख को बरकरार रखेगा। 11 जून को वक्री बुध का अस्त हो जाना घी के बाजार में विशेष तेजी का योग बनाएगा।

15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में आकर वक्री बुध व गुरु ग्रह से राशि संबंध बनाना तथा आषाढ़ संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ मंदी का रूझान ही दर्शाता है। 16 जून को वक्री बुध का मृगशिरा नक्षत्र में आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी की ही लहर चलाएगा। 18 जून को शुक्र का वृष राशि में आकर शनि से षडाष्टक योग में आना बाजारों में पुनः तेजी का रूझान बना देगा। 19 जून को गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र के चैथे चरण व अपनी उच्चस्थ राशि कर्क में प्रवेश करना बाजारों में तेजी की लहर बनाए रखेगा।

22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों को वेधना बाजारो ंमें तेजी का माहौल ही दर्शाता है। 26 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना बाजारों में मंदी का रूझान बना देगा। 28 जून को मंगल का चित्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाभाद्रपद व मूल नक्षत्र तथा दक्षिण वेध से मृगशिरा नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी का योग ही बनाता है। 29 जून को वक्री बुध का उदय होना व इसी दिन चंद्र दर्शन का रविवार को 30 मुहूर्ती में होना बाजारों में आगे मंदी का रूझान बनाएगा।


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