मासारंभ में 4 फरवरी को मंगल का तुला राशि में प्रवेश कर शनि और राहु से राशि संबंध बनाना दैनिक उपयोगी वस्तुओं में अत्यधिक महंगाई के बढ़ जाने के कारण आम जनता के मन में शासक के प्रति विरोध की भावना को बढ़ाएगा और लोगों को इसके लिए संघर्ष करने पर विवश करेगा। कुछ स्थानों पर शासकीय परिवर्तन का योग भी बनता है। यह प्रशासनिक लोगों के लिए भी कष्टदायक रहेगा। कुछ क्षेत्रों में सांप्रदायिक और उपद्रवकारी तत्वों के उग्र और हिंसात्मक कार्यों से जन-धन की हानि का संकेत देता है और अशांति का वातावरण बनाएगा। सीमाओं पर भी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा कर तनाव पैदा करेगा। प्राकृतिक आपदाओं भूस्खलन, भूकंप, यान दुर्घटना इत्यादि जन-धन के लिए नुकसानदायक रहेगा। किसी विशिष्ट राजनीतिज्ञ के लिए भी कष्ट व परेशानी का कारक बनेगा। 12 फरवरी को सूर्य का कुंभ राशि में आना तथा 18 फरवरी को वक्री बुध का मकर राशि में पुनः आना तथा देवगुरु बृहस्पति का पूर्व ही वक्री होना ये सभी योग उत्तरी क्षेत्रों में हल्की वर्षा का कारक बनेंगे। प्राकृतिक आपदाएं खड़ी फसलों के लिए हानिकारक है, जनता में नए-नए रोगों के बढ़ने से कष्टकारक रहेगा।
मासारंभ में 1 फरवरी को बुध का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा स्वाति नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन शनिवार के दिन 15 मुहूर्ती में होना सोने व चांदी के बाजारों में तेजी का ही योग बनाता है। 4 फरवरी को मंगल का तुला राशि में प्रवेश कर शनि व राहु से राशि संबंध बनाना बाजारों में चल रही तेजी की लहर को आगे बढ़ाएगा। 6 फरवरी को सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश कर विशाखा, अश्लेषा व श्रवण नक्षत्रों को वेधना तथा सूर्य पर मंगल की दृष्टि का भी होना बाजारों में तेजी के रूख में वृद्धि करेगा। इसी दिन बुध का वक्री गति में आना भी तेजी का ही सूचक बनता है। 8 फरवरी को बुध का अस्त होना तथा गुरु ग्रह से दृष्टित होना चांदी में तेजी का रूझान बनाए रखेगा तथा सोने में उतार-चढ़ाव की स्थिति बना देगा। 12 फरवरी को वक्री बुध का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य के साथ नक्षत्र संबंध बनाना सोने में तेजी के बाद मंदी की लहर चला देगा। इसी दिन सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश होना तथा माघ फाल्गुनी की संक्रांति का 30 मुहूर्ती में आना बाजार को दो तरफा भी चला सकता है। व्यापारी वर्ग बाजार के रूख पर इन दिनों विशेष ध्यान रखें।
18 फरवरी को वक्री बुध का पुनः मकर राशि में आना तथा मंगल से दृष्टित होना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा। 19 फरवरी को सूर्य का शतभिषा नक्षत्र में आकर स्वाति, पुष्य व अभिजित नक्षत्रांे को वेधना बाजारों में तेजी के रूख को बरकरार रखेगा। 21 फरवरी को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आकर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन वक्री गति के गुरु का आद्र्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में तेजी का ही रूझान बनाएगा। 22 फरवरी को बुध का उदय हो जाना पूर्व रूख को बनाए रखेगा। 26 फरवरी को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश कर वक्री बुध से राशि संबंध बनाना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ तेजी का वातावरण ही बनाएगा। 28 फरवरी को बुध का मार्गी गति में आ जाना बाजारों में तेजी का रूख ही दर्शाता है। मासारंभ में 1 फरवरी को बुध का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्र चक्र द्वारा स्वाति नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन शनिवार के दिन 15 मुहूर्ती में होना बाजारों में तेजी ही दायक है। 4 फरवरी को मंगल का तुला राशि में प्रवेश कर शनि व राहु से राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी के रूख को और आगे बढ़ाएगा। 6 फरवरी को सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र पर आकर विशाखा, अश्लेषा व श्रवण नक्षत्रों को वेधना तथा सूर्य पर मंगल की दृष्टि का होना तथा इसी दिन बुध का भी वक्री गति में आ जाना गुड़ में तेजी की लहर को आगे चलाएगा।
8 फरवरी को वक्री बुध का अस्त हो जाना उतार-चढ़ाव के साथ बाजारों में तेजी का वातावरण ही बनाएगा। 12 फरवरी को वक्री बुध का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य से नक्षत्र संबंध बनाना तथा गुरु से दृष्टित रहना तथा इसी दिन सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश करना और फाल्गुन संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना ये योग बाजारों में तेजी के रूख के बाद मंदी का रूझान बनाएंगे। 18 फरवरी को वक्री बुध का पुनः मकर राशि में प्रवेश होना तथा मंगल से दृष्टित होना बाजारों के वातावरण में बदलाव देकर तेजी की लहर चला देगा। 19 फरवरी को सूर्य का शतभिषा नक्षत्र पर आकर स्वाति, पुष्य व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारांे में तेजी ही दायक है। 21 फरवरी को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आकर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन वक्री गति के गुरु का आद्र्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में पुनः मंदी का माहौल बना देगा। 22 फरवरी को बुध का उदय हो जाना बाजारों में पूर्व रूख को बनाए रखेगा। 26 फरवरी को शुक्र का मकर राशि में वक्री बुध से राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी का वातावरण ही बनाएगा। 28 फरवरी को बुध का मार्गी गति में आ जाना बाजारों में तेजी का रूख ही दर्शाता है।
मासारंभ में 1 फरवरी को बुध का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा स्वाति नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन शनिवार के दिन 15 मुहूर्ती में होना गेहूं, जौ, चना, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मौठ, मसूर, अरहर इत्यादि दलहन के बाजारों में मंदी का योग दर्शाता है। 4 फरवरी को मंगल का तुला राशि में आकर शनि व राहु से राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी की लहर चला देगा। 6 फरवरी को सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा, अश्लेषा व श्रवण नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी के रूख को और आगे बढ़ाएगा। इसी दिन बुध का वक्री गति में आना भी बाजारों में तेजी का ही सूचक बनता है। 8 फरवरी को वक्री बुध का अस्त होना तथा गुरु ग्रह से दृष्टित रहना बाजारों में उतार-चढ़ाव का वातावरण बना देगा। 12 फरवरी को सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश करना तथा फाल्गुन मास की संक्रांति का 30 मुहूर्ती में आना व इसी दिन वक्री बुध का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य के साथ नक्षत्र संबंध बनाना ये योग गेहूं, जौ चना इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ मसूर इत्यादि दलहन में उतार-चढ़ाव के साथ मंदी का वातावरण ही दर्शाते हैं। व्यापारी वर्ग इन दिनों बाजार के वर्तमान रूख को विशेष ध्यान में रखें।
18 फरवरी को वक्री गति के बुध का पुनः मकर राशि में आकर मंगल से दृष्टित होना बाजारांे में तेजी का ही रूझान बनाएगा। 19 फरवरी को सूर्य का शतभिषा नक्षत्र में आकर स्वाति, पुष्य व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारों में पूर्व चल रहे रूख को बरकरार रखेगा। 21 फरवरी को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आकर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन वक्री गुरु का आद्र्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में उतार-चढ़ाव का रूख बना देगा। 22 फरवरी को बुध का उदय होना गेहूं, जौ, चना इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ, मसूर इत्यादि दलहन में तेजी की लहर चला देगा। 26 फरवरी को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश कर वक्री बुध से राशि संबंध बनाना बाजारों में मंदी के रूख के बाद तेजी का माहौल बना देगा। 28 फरवरी को बुध का मार्गी गति में आ जाना बाजारों में तेजी का वातावरण ही दर्शाता है। मासारंभ में 1 फरवरी को बुध का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्रचक्र द्वारा स्वाति नक्षत्र को वेधना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन शनिवार के दिन 15 मुहूर्ती में होना बाजारों में मंदी का रूख दर्शाता है। 4 फरवरी को मंगल का तुला राशि में आकर शनि व राहु से राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी का वातावरण बना देगा।
6 फरवरी को सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र पर आकर विशाखा, अश्लेषा व श्रवण नक्षत्रों तथा सूर्य पर मंगल की भी दृष्टि का होना तथा इसी दिन बुध का वक्री गति में आना ये योग बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बना देगा। 8 फरवरी को बुध का अस्त होना तथा गुरु ग्रह से दृष्टित रहना बाजारों में मंदी की लहर चला देगा। 12 फरवरी को सूर्य का कुंभ राशि में आना तथा फाल्गुन संक्रांति का 30 मुहूर्ती में होना व इसी दिन बुध का धनिष्ठा नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य से नक्षत्र संबंध बनाना बाजारों में पूर्व रूख को ही बनाए रखेगा। व्यापारी वर्ग बाजार के वर्तमान रूख को विशेष ध्यान में रखें। 18 फरवरी को वक्री बुध का पुनः मकर राशि में आना तथा मंगल से दृष्टित रहना बाजारों में तेजी का ही रूझान बनाएगा। 19 फरवरी को सूर्य का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर स्वाति, पुष्य व अभिजित नक्षत्रों को वेधना बाजारों में तेजी की लहर को आगे बढ़ाएगा।
21 फरवरी को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आकर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना तथा वक्री गति के गुरु का आद्र्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना बाजारों में उतार-चढ़ाव का वातावरण बनाएगा। 22 फरवरी को बुध का पूर्व में उदय होना बाजारों में तेजी का रूख दर्शाता है। 26 फरवरी को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश कर वक्री बुध के साथ राशि संबंध बनाना बाजारों में तेजी की लहर बनाए रखेगा। 28 फरवरी को बुध का मार्गी गति में आ जाना बाजारों में तेजी का ही योग दर्शाता है। नोट: उपर्युक्त फलादेश पूरी तरह ग्रह स्थिति पर आधारित है, पाठकों का बेहतर मार्ग दर्शन ही इसका मुख्य उद्देश्य है। इसके साथ-साथ संभावित कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बाजार को प्रभावित करते हैं। कृपया याद रखें कि व्यापारी की सट्टे की प्रवृत्ति और निर्णय लेने की शक्ति में कमी तथा भाग्यहीनता के कारण होने वाले नुकसान के लिए लेखक, संपादक एवं प्रकाशक जिम्मेदार नहीं हैं।