आज के मशीनी युग में मानव की दिनचर्या भी एक मशीन के समान होकर रह गई है। 24 घंटे बस काम ही काम में व्यक्ति उलझकर रह गया है और प्रकृति द्वारा दिये गये उपहारों जैसे-स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल सूर्य उदय के समय मिलने वाला प्रकाश और उष्णता व शुद्ध विटामिनों ए., एफ., डी जो हमें बिना किसी मूल्य के प्रचुर मात्रा में मिल सकते हैं व हमारे सौंदर्य व स्वास्थ्य को उज्ज्वल बनाने में सक्षम हैं। किंतु हमारे पास उन्हें ग्रहण करने का समय ही नहीं है। हम पूर्ण रूप से प्रकृति के विरूद्ध चल रहे हैं और हमारा शारीरिक स्वास्थ्य और सौंदर्य अपने गठीले रूप को छोड़कर बढ़ती हुई चर्बी के साथ स्थूलकाय होता जा रहा है। साथ ही साथ तनाव भरी जिंदगी से हमें डाइबिटीज व अन्य बीमारियां मुफ्त में मिल रही हैं और हमें इसके दुष्परिणामों का पता तब चलता है जब ये अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती हैं और हम लाचार हो जाते हैं।
यदि समय रहते इन बीमारियों का हमें आभास हो जाये तो हम इनसे अपना बचाव कर सकते हैं। हमारे हाथ की रेखाएं हमारे शरीर के पंच तत्वों का आइना हैं जो हमें समझा सकती हैं कि इन बीमारियों के लक्षण हमारे शरीर और भाग्य में कितनी लिखी हंै। उन्हें हस्त रेखाओं द्वारा जानकर उसे समय रहते अपना बचाव कर सकते हैं। आइये जानें कि हाथ में ऐसी कौन-कौन सी रेखाएं हैं जिसकी वजह से ये रोग होते हैं।
Û यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र क्षेत्र पर जाये, हाथ नरम हो, राहु शनि दबे हुए हों तो निश्चित रूप से यह लक्षण डाइबिटीज को इंगित करता है।
Û यदि भाग्य रेखा मोटी से पतली हो और उसे राहु रेखाएं काट रही हांे तो यह मोटापा व डाइबिटीज दोनों के ही लक्षण हैं।
Û यदि मंगल क्षेत्र पर बहुत अधिक कटी-फटी रेखाएं हों, मस्तिष्क रेखा में द्वीप हो व मस्तिष्क रेखा विभाजित हो तो यह शुगर का लक्षण है। आयु देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि किस उम्र में यह लक्षण अपना प्रभाव दिखा रहा है।
Û जीवन रेखा में द्वीप, जीवन रेखा खंडित व अधूरी हो, भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास हो, भाग्य रेखा व जीवन रेखा को मोटी-मोटी रेखाएं काट रही हों तो व्यक्ति को न केवल शुगर बल्कि इसके अलावा अन्य कई रोग भी घेर लेते हैं।
Û हाथ सख्त हो, अंगूठा व अंगुलियां आगे की तरफ झुकती हों, शनि ग्रह, मंगल ग्रह, राहु ग्रह हाथ में दबे हांे तो यह डाइबिटीज के साथ-साथ पेट से जुड़े रोग भी देते हैं।
Û हाथ मुलायम, गद्देदार, भाग्य रेखा एक से अधिक हो और आगे जाकर सभी पतली हो रही हो तो यह मोटापे का लक्षण है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ मोटापा भी बढ़ता चला जाता है।
Û हाथ में गड्ढा बनता हो, हाथ मांसल न हो तो डाइबिटीज का कारण बनता है।
इस प्रकार हस्तरेखाओं के अध्ययन से इस अलौकिक विद्या के द्वारा हम मोटापा व डाइबिटीज के अतिरिक्त अन्य बीमारियों से भी निजात पा सकते हैं। परंतु एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जिस प्रकार आयुर्वेद में कहा जाता है ‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’ उसी प्रकार हस्त रेखा का अध्ययन भी एक प्रशिक्षित व अनुभवी हस्त रेखा विशेषज्ञ के द्वारा ही करवाना चाहिए।