शायद ही संसार में कोई एक व्यक्ति
हो जो गुलाब के फूल से परिचित न
हो और किसी को आकर्षित न करता
हो। कवियों और शायरों ने भी गुलाब
को अपनी शायरी में बखूबी इस्तेमाल
किया है। गुलाब की खूशबू वातावरण
में एक सम्मोहन शक्ति पैदा करता है।
सभी के मन को मोहने वाला गुलाब का
फूल न केवल अपनी सुंदरता के लिए
प्रसिद्ध है, वरन् अनेक स्वास्थ्यवर्द्धक
गुणों को अपने में समाए है। गुलाब को
संस्कृत में शतपत्री, तरूणी महाकुमारी
आदि नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी
में गुलाब को रोज कहते हैं।
पूरे विश्व में गुलाब के पौधे पाए जाते
हैं। गुलाब के फूल कई रंगों में पाये
जाते हैं- सफेद गुलाब, पीला गुलाब,
लाल गुलाब, काला गुलाब आदि।
लेकिन सबसे अधिक प्रयोग में आने
वाला गुलाब गुलाबी रंग अर्थात पिंक
रंग का होता है। गुलाब के दो योग
ज्यादा विख्यात हैं एक गुलकन्द,
दूसरा गुलाब जल।
आयुर्वेद के ग्रंथों में गुलाब के गुजरे
की चर्चा की जाती है। इसे वात,
पित्त, शासक दाह, जलन, अधिक
प्यास तथा कब्ज नाशक कहा गया
है। गुलाब शीतलता प्रदान करता है।
इसमें विटामिन ‘सी’ काफी मात्रा में
पाया जाता है। इसका शर्बत हृदय व
मस्तिष्क को बल व शीतलता प्रदान
करता है। गुलाब कांतिवर्द्धक और
रक्तशोधक गुण रखता है।
गुलाब स्वाद में कटु, तिक्य, कषाय
होता है। गुणों में शीत, रूक्ष, रेचक,
मृदु विरेचक, त्रिदोषहर एवं कांतिवर्धक
होता है। गुलाब रस रक्त धातु को
शुद्ध करने वाला है। इसके सेवन से
पाचन शक्ति तेज होती है। दाह, मुख
दोष एवं मुखपाक होने पर गुलाब की
पत्तियांे से निर्मित ‘गुलकंद’ लाभकारी
होता है।
गुलकंद घर पर आसानी से बनाया
जा सकता है। गुलकंद पसीने की
अधिक मात्रा एवं दुर्गन्ध को रोकता
है। गुलाब से निर्मित गुलाब जल नेत्रों
के लिए अमृत तुल्य माना जाता है।
इसके अलावा जल में गुलाब जल की
बूदें मिलाकर स्नान करने से पसीने की
दुर्गंध दूर होती है। गुलाब के फूल की
पंखुड़ियों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन
‘सी’ पाया जाता है। अतः विटामिन
सी की कमी की पूर्ति के लिए इसका
उपयोग किया जा सकता है।
गुलाब के उपयोग
प्रतिदिन दूध के साथ गुलकंद खाने
से कब्ज में आराम मिलता है। गुलकंद
की 5-10 ग्राम मात्रा प्रतिदिन खाने से
हड्डियों को बल मिलता है। गुलकंद
सुबह खाने से मुखपाक (छाले) में लाभ
होता है। टी. बी से उत्पन्न शारीरिक
कमजोरी में गुलकंद काफी लाभदायक
होता है। साथ ही इसके सेवन से
फेफड़ों को बल मिलता है।
गुलाब के फूलों को जल के साथ
पीसकर यकृत वाले भाग पर लेप करने
से सिर दर्द में राहत मिलती है।
आँखों में जलन अथवा अन्य विकार
होने पर आंखों में गुलाब जल डालने
से लाभ मिलता है।
गुलाब के फूल, लौंग, अकरकरा और
चीनी को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर
गुलाब जल के साथ गोलियां बनाकर
चूसने से मुखदुर्गंध में लाभ होता है।
गुलाब की पत्तियों के स्वरस की कुछ
बूंदंे कान में टपकाने से कर्णशूल में
राहत मिलती है। गुलाब के अर्क में
चंदन तेल मिलाकर मालिश करने से
शीतपित्त से राहत मिलती है। गर्मी
के दिनों में कुछ लोगों को घबराहट
और बेचैनी महसूस होती है। उस
वक्त दिल की धड़कन तेज हो जाती
है। ऐसे में गुलाब के फूलों को सुबह
धोकर चबाकर खाने से आराम मिलता
है। गुलाब के अर्क में शुद्ध रसौंत,
फिटकरी का फूला चूर्ण, सेंधा नमक
और मिश्री को समान भाग मिलाकर
छान लें, बूंद-बंूद नेत्रों में डालने से
नेत्र ज्योति तेज होती है।
गुलाब की पंखुड़ियों के सेवन से
मसूढ़े और दांत मजबूत होते हैं। दांतों
से निकलने वाली दुर्गंध दूर हो जाती
है साथ ही पायरिया में भी राहत
मिलती है।
गुलाब के औषधीय गुण
आंखों की जलन
गुलाब अर्क या गुलाब के ताजा रस
को काले सुरमे के साथ आंखों में
डालने से आंखों की जलन से राहत
मिलती है तथा आंखों की ज्योति तेज
होती है।
कान दर्द
गुलाब के फूल का ताजा रस कान में
डालने से कान दर्द में आराम देता है।
सिर दर्द
1. सफेद चंदन को गुलाब अर्क में
पीसकर माथे पर लेप करने से सिर
दर्द में आराम होता है।
2. गुलाब की 10 ग्राम पत्तियों को
दो छोटी इलायची और एक चम्मच
मिश्री में पीसकर प्रातः बासी मुंह पीने
से आधा सीसी सिर दर्द में राहत
मिलती है।
3. गुलाब जल में नौसादर 1ः10 के
अनुपात में मिलाकर चार-पांच बूंद
नाक में टपका दंे, रोगी नाक से
टपकाई बूंदों को अंदर खींचे। थोड़ी
देर में ही आधे सिर दर्द में चमत्कारी
आराम देखें।
कब्ज
1. एक से दो चम्मच गुलकंद सुबह
और रात सोते समय गुनगुने पानी के
साथ या दूध के साथ लेने से कब्ज
में आराम मिलता है।
2. गुलकंद और अमलतास के गुदे
को समान अनुपात के साथ एक-एक
चम्मच सेवन करने से कब्ज में आराम
मिलता है।
3. गुलकंद को सनाय की पत्ती के
साथ सेवन करने से भी कब्ज में
आराम मिलता है।
मुंह से छाले
गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में
उबालकर ठंडा करें। इस पानी से
कुल्ला करें या मुंह में भर थोड़ी देर
बाद थूक देने से मुंह के छालों में
आराम मिलता है।
पायरिया, दांतों की दुर्गंध,
मसूढ़ों की सूजन व खून आना
गुलाब का पूरा फूल कुचलकर खाने
से मसूढे़ मजबूत होते हैं। मसूढ़ों
की सूजन व मसूढ़ों से खून आने में
आराम होता है। दांतों से निकलने
वाली दुर्गंध दूर होती है। पायरिया
रोग मंे भी राहत मिलती है।
हल्का बुखार, जलन व गर्मी
गुलाब की पंखुड़ी 10 ग्राम, 5
इलायची, 5 दाना काली मिर्च तथा
10 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर
चार-चार घंटे पर पिलाएं।
दिल की धड़कन
गुलाब के चूर्ण में बराबर मिश्री
मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा
में इस चूर्ण को गाय के दूध के साथ
सेवन करें। इस चूर्ण में धनिया चूर्ण
भी मिला कर सेवन किया जा सकता
है। दिल की बढ़ी हुई धड़कन में लाभ
होता है।
हैजा
आधा कप गुलाब जल में एक निंबू
निचोड़ कर थोड़ी मिश्री मिला लें।
3-3 घंटे पर इस मिश्रण को पिलाने
से हैजा में तुरंत आराम होता है।
सीने में जलन, गले में जलन,
जी मिचलाना
एक कप गुलाब जल, चैथाई कप चूने
का पानी, चैथाई कप संतरे के रस
के साथ दिन में दो-तीन बार पीने से
सीने व गले की जलन, जी मिचलाने
में आराम मिलता है।
स्त्रियों के प्रदर (ल्यूकोरिया)
गुलाब के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर
मिश्री मिलाकर दिन में दो-तीन बार
पिलाने से प्रदर, ल्यूकोरिया पेशाब में
जलन से राहत मिलती है।
पुराना कब्ज
चार मुनक्का व आधा चम्मच सौंफ,
दो बड़े चम्मच गुलकंद सौंफ के साथ
उबालें। जब आधा पानी बच जाए तो
रात में सोते समय पी जाएं।
गुलकंद बनाने की विधि
1. ताजी गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां
लेकर उसमें आधी मात्रा में शहद
मिलाकर कांच के बर्तन में 21 दिन
तक धूप में रखें। गुलकंद तैयार हो
जाएगा।
2. ताजी गुलाब की पंखुड़ियों में
बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर 21
दिन तक धूप में रखें तो गुलकंद
तैयार हो जाएगा।
3. यदि ताजी पंखुड़ियां न मिलें तो
सूखी पत्तियों को साफ कर थोड़ी देर
पानी में भिगोकर प्रयोग कर सकते
हैं।