दीपक से जुड़े कल्याणकारी रहस्य
दीपक से जुड़े कल्याणकारी रहस्य

दीपक से जुड़े कल्याणकारी रहस्य  

कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ
व्यूस : 88991 | नवेम्बर 2013

आरती की सही विधि

हिंदू संस्कृति में पूजा पाठ, अनुष्ठान, हवन, यज्ञ आदि कर्मों में दीपक द्वारा आरती करने का विधान है। पूजा की थाली में कपूर डालकर भी आरती की जाती है। आरती के लिए दीपक अथवा थाली को किस प्रकार पकड़ना चाहिए व किस प्रकार संबंधित देवी-देवता के समक्ष घुमाया जाना चाहिए इसकी भी विधि है। यदि यह कर्म विधि अनुसार न किया जाए तो संपूर्ण पूजा का फल निष्फल हो जाता है।

दीपमालिका पूजन की विधि

भारतीय उत्सव शृंखलाओं में दीपावली का त्यौहार अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दिन महालक्ष्मी का पूजन दीपमालाओं से किया जाता है। दीपमाला से तात्पर्य है कि किसी पात्र अथवा स्थान विशेष पर ग्यारह, इक्कीस या अधिक दीपकों को प्रज्ज्वलित कर महालक्ष्मी के समीप रखकर उस दीप-ज्योति का ऊँ दीपावल्यै नमः मंत्र से गंधादि उपचारों द्वारा पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना की जाती है।

त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रौ विद्युदग्निश्च तारकाः।
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्र्दोपावल्यै नमो नमः।।

इस प्रकार दीपमालाओं का पूजन करके अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख अर्थात गन्ना, धान का लावा (खील) इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवताओं को भी अर्पित करें व अंत में अन्य सभी दीपकों को प्रज्ज्वलित कर संपूर्ण घर को अलंकृत व प्रकाशमान करें।

विशेष: प्रथम अपने ईष्ट देवता के चरणों की तीन बार आरती उतारें और दो बार मुखारविंद से चरणों तक उतारें जिसमें संपूर्ण चक्र बनाएं तदनुसार तीन बार ऊँ की आकृति बनाएं। इस प्रकार आरती संपूर्ण होती है।

केवल प्रकाश ही नहीं देता दीपक

ऊँ दीपो ज्योतिः परं ब्रह्मा दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु में पापं संध्या दीप नमोस्तु ते।।

व्याख्या: दीपक की ज्योति को ज्योतिर्मय कर प्रज्ज्वलित करने वाले पारब्रह्म परमेश्वर जनार्दन कहते हैं कि संध्या के समय दीप प्रज्ज्वलित कर नमस्कार करने से पापों का नाश होता है।

शुभं भवतु कल्याणभारोग्यं पुष्टि वर्धनम्।
आत्मतत्व प्रबोधाय दीप ज्योति नमोस्तुते।।

व्याख्या: शुभता प्रदान करने वाली कल्याणकारी, आरोग्य दूर कर स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाली व आत्म तत्व को प्रकाशमान करने वाली दीपक की ज्योति को हृदय से नमस्कार करता हूं।

दीपक से जुड़ी मान्यताएं

दीपकों के आकार, प्रकार व प्रज्ज्वलित करने की विधियां उनके प्रयोजन उद्देश्यों की भिन्नताओं के आधार पर निर्धारित की गई हैं। अतः सर्वप्रथम दीपक प्रज्ज्वलित करने के भिन्न उद्देश्यों की चर्चा अवश्यंभावी प्रतीत होती है: -

  • मान्यता है कि तुलसी के पौधे पर संध्या को दीपक प्रज्ज्वलित करने से उस स्थान विशेष पर बुरी शक्तियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और प्रज्ज्वलित करने वालों के पापों का नाश होता है।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे प्रज्ज्वलित किए जाने वाले दीपक अनेक मान्यताओं से जुड़े हैं। कहा जाता है कि पीपल पर ब्रह्मा जी का निवास है इसलिए पीपल को काटने वाला ब्रह्म हत्या का दोषी कहलाता है। शनिदेव को इसका देवता माना गया है और पितरों का निवास भी इसी में है ऐसी मान्यता है कहते हैं कि:
  • 1. प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं।

    2. पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक लगातार 41 दिन तक प्रज्ज्वलित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

    3. तिल के तेल का दीपक 41 दिन लगातार पीपल के नीचे प्रज्ज्वलित करने से असाध्य रोगों में अभूतपूर्व लाभ मिलता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है।

    4. भिन्न-भिन्न साधनाओं व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भी पीपल के नीचे दीपक प्रज्ज्वलित किए जाने का विधान है।

    5. किसी रोगी को शनिवार के शनिवार पीपल के वृक्ष के नीचे लिटाने से उसका रोग धीरे-धीरे दूर होता जाता है। इसी प्रकार देश काल अनुसार भिन्न-भिन्न मान्यताएं पीपल से जुड़ी हैं।

  • केले के पेड़ के नीचे बृहस्पतिवार को घी का दीपक प्रज्ज्वलित करने से कन्या का विवाह शीघ्र हो जाता है ऐसी भी मान्यता है। इस प्रकार बड़, गूलर, इमली, कीकर आंवला और अनेकानेक पौधों व वृक्षों के नीचे भिन्न-भिन्न प्रयोजनों से भिन्न-भिन्न प्रकार से दीपक प्रज्ज्वलित किए जाने का विधान है।
  • मान्यता है कि असाध्य व दीर्घ बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के पहने हुए कपड़ों में से कुछ धागे निकालकर उसकी जोत शुद्ध घी में अपने इष्ट के समक्ष प्रज्ज्वलित की जाए तो रोग दूर हो जाता है।
  • ऐसी भी मान्यता है कि चैराहे पर आटे का चैमुखा घी का दीपक प्रज्ज्वलित करने से चहुंुमुखी लाभों की प्राप्ति होती है। नजर व टोटकों इत्यादि के निवारण हेतु भी तिराहे, चैराहे, सुनसान अथवा स्थान विशेष पर दीपक प्रज्ज्वलित किए जाते हैं।
  • पूर्व और पश्चिम मुखी भवनों में मुख्य द्वार पर संध्या के समय सरसों तेल के दीपक प्रज्ज्वलित किए जाने का विधान अत्यंत प्राचीन है। इसके पीछे मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार की दुरात्मा अथवा बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर सकतीं।
  • एक मान्यता यह भी है कि सरसों तेल का दीपक प्रज्ज्वलित कर उसकी कालिमा को किसी पात्र में इकट्ठा कर लिया जाता है और उसे बच्चे की आंखों में काजल के रूप में प्रयोग किया जाता है साथ ही यह भी माना जाता है कि इसका टीका बच्चे को लगाने से उसे नजर नहीं लगती। गांव देहात में इसका काफी प्रचलन है।
  • दीपावली के ठीक 11 दिन पश्चात् एकादशी आती है जिसे देव उठनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन अपने देवों को उठाया जाता है अर्थात् आवाहन-पूजन किया जाता है ताकि जीवन के सभी शुभकार्य जैसे विवाह इत्यादि निर्विघ्न पूर्ण हो जाएं। इस दिन प्रत्येक घर में पूर्व की दीवार पर गेरू से एक पुतला स्वरूप आकार बनाया जाता है जिसे अपने देव स्वरूप माना जाता है जो कि परिवार, कुनबा अथवा ग्राम स्थान विशेष आदि का कुल देवता होता है जिसे जागृत अथवा आवाहित करने के लिए गन्ना, गाजर, नए मौसम की सब्जियां, मिष्टान्न के रूप में गुड़ अथवा चीनी के जवे (सेवइयां) इत्यादि उनके समक्ष रखकर घर व आस-पड़ोस की स्त्रियां एकत्रित होकर मंगल गान गाती हैं जिसका भावार्थ यही होता है कि हे हमारे कुल देवता हमने आपके समक्ष घी का दीपक प्रज्ज्वलित किया है साथ ही भोग हेतु उपलब्ध सभी खाद्यान्न भेंट किए हैं। आप इनका भोग लगाओ और हमें अपना आशीर्वाद दो कि हमारे परिवार में शुभ कार्यों का शुभारंभ हो। इस प्रार्थना के साथ छली से दीपक समेत सभी भोग योग्य पदार्थ ढंक दिए जाते हैं ताकि देव आएं और निर्विघ्न भोग लगाएं व आशीर्वाद दें।
  • बिहार, उत्तरप्रदेश व अन्य पूर्वांचल राज्यों में छठ पूजन अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के छठे दिन सूर्य षष्ठी मानी जाती है जिसके तीसरे दिन अर्थात नवमी को जिसे अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है आवंले के वृक्ष के नीचे शुद्ध देशी घी के 108 दीपक प्रज्ज्वलित करने की मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार यदि कार्तिक मास की अक्षय नवमी को आंवले के वृक्ष के नीचे मिट्टी के 108 दीपक शुद्ध देशी घी में प्रज्ज्वलित करके ब्राह्मण को उसी वृक्ष के नीचे बिठाकर भोजन कराया जाए तो ऐसा करने वाले को हर प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।


Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.