स्वप्नेश्वरी देवी साधना नवीन राहुजा स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। जीवन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी ऑफिस से संबंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, कभी घर परिवार से, तो कभी रिश्तेदारों से संबंधित। एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता।
ऐसे समय में स्वप्न हमारे लिये समाधान का माध्यम बन सकते हैं। जी हां, स्वप्नों के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिये या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिये लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस संबंध में स्वप्न द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि इस प्रकार है- जिस समय निर्णय लेने की समस्या की स्थिति उत्पन्न हो, उस समय स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहन लें।
यदि आप स्नान न कर पाने की स्थिति में हैं तो हाथ-मुंह धो कर, सफेद धुले वस्त्र पहन कर एक स्वच्छ सफेद कागज पर अपने प्रश्न को स्पष्ट अक्षरों में लिख कर रख लें। फिर सांय काल पुनः शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धुले वस्त्र धारण कर, श्रेष्ठ कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र को तब तक जपते रहें जब तक कि नींद न आ जाए- मंत्रं- स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥ अर्थात्- हे फल और वरदान को देने वाली स्वप्नेश्वरी देवी ! आपको नमस्कार है। मेरी सिद्धि अथवा असिद्धि के विषय में सब बात दिखाइए। इस प्रकार जप करते-करते जब सोने की इच्छा हो, तब प्रश्न लिखे हुए कागज को सिरहाने रखकर सो जायें तो स्वप्न में उसका सही उत्तर प्राप्त हो जायेगा। यदि सांयकाल के समय ही समस्या उत्पन्न हो तो स्नान करना आवश्यक होगा, कपड़े बदलना भी आवश्यक होगा।
सांयकाल स्नान के बाद धुले वस्त्र पहन कर आसन पर बैठकर कागज पर लिखकर आगे रख लें तथा स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करके जप करें। मंत्रं- शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा। विधि : इस मंत्र को 1008 बार जप कर के, फिर सोते समय 108 बार जप कर के सोने पर स्वप्न में शुभाशुभ ज्ञात होता है। उपर्युक्त यंत्र को भोज पत्र पर लिख कर सिरहाने रख कर सोऐं, तो स्वप्न नहीं आते हैं। विशेष : अशभ्ुा स्वप्न आने पर, तुरंत क्या-क्या कार्य करने से उनकी अशुभता धूमिल अथवा नष्ट हो जाती है, इसका संक्षेप में वर्णन किया है पर इसके साथ यदि शुभ स्वप्न आ जाए और शुभ स्वप्न देखने के बाद तुरंत आंखें खुल जायें, तो उस व्यक्ति को चाहिए कि वह पुनः शयन न करे, अपितु शेष रात्रि जाग कर व्यतीत कर देनी चाहिए तथा जागते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए।