बाॅलीवुड की पटकथा की तरह लगने वाली यह स्टोरी चिक्का के जीवन की सच्ची कहानी है। गुदड़ी के लाल कहावत को असल मायने में चरितार्थ करते हुए चिक्कारंगप्पा देश के सबसे प्रतिभावान उभरते गोल्फर हैं। प्राइमरी तक पढ़े चिक्का अब फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं। आइने के सामने खड़े होकर इन्होंने इंग्लिश बोलने का अभ्यास किया। गोल्फ की शैडो प्रैक्टिस की। टाइगर वुड्स और सचिन तेंदुलकर को आदर्श मानने वाले चिक्का कहते हैं कि उन्हें तो देश ही नहीं दुनिया के टाॅप गोल्फरों में शुमार होना है।
सन् 2003 की बात है। चिक्का मैसूर के पास छोटे से गांव रांगेग बड़ाना डोड्डी में रहते थे। उसके माता-पिता खेतों में मजदूरी करके पेट पालते थे और उसी कमाई से किसी तरह घर का खर्चा चलाते थे। एक दिन उनके दस वर्षीय बेटे चिक्कारंगप्पा (चिक्का) को घर की कमाई बढ़ाने के लिए एक सुझाव मिलता है कि वह गांव के नजदीक स्थित ईगलटन गोल्फ रिजाॅर्ट पर बाॅल बाॅय का काम करें तो 50 रुपये रोज कमा सकता है। चिक्का के पिता सेनप्पा उसे वहां जाने की इजाजत दे देते हैं।
एक साल में ही चिक्का को गोल्फ से प्यार हो जाता है और वह खेल-खेल में पेड़ से टहनियां तोड़कर गोल्फ स्टिक बनाता और खाली समय में पुरानी गोल्फ बाॅल हिट करने की प्रैक्टिस करता। गांव में उसका मजाक भी उड़ाया जाता पर वह उसकी परवाह नहीं करता, उसे अपना निशाना साधने में बहुत सुकून मिलता। तभी अचानक एक दिन नामी गोल्फ गुरु विजय दिवेजा उसे गोल्फ कोर्स के पोर्टिको में लकड़ी की स्टिक स्विंग करते देखते हैं
तो उनकी अनुभवी आंखें उसके हूनर को पहचान लेती हैं और वे तुरंत उसके पास जाकर उसकी तारीफ करते हैं और उसे गोल्फ खेलने की दावत देते हैं। चिक्का पहले तो सकपका जाता है पर बाद में जब दिवेचा उसे आश्वासन देते हैं कि उसका कोई खर्च नहीं होगा और वह उसकी पूरी देखभाल करेंगे तो वह फौरन तैयार हो जाता है लेकिन जब वह अपने माता-पिता से इस बारे में बात करता है तो वे साफ मना कर देते हैं।
वे प्रतिदिन 50 रुपये की दिहाड़ी से हाथ नहीं धोना चाहते थे लेकिन चिक्का ने उन्हंे मनाने के लिए भूख हड़ताल कर मां को किसी तरह मना लिया और उसने उसे छह महीने का समय दिया कि अगर कुछ कर के नहीं दिखाया तो वापिस अपने काम पर लग जाना। अगले छह महीने में चिक्का ने जी-तोड़ मेहनत की और एक जूनियर टूर्नामेंट जीत लिया।
अखबारों में खूब वाहवाही मिली और ज्यादा पैसे भी मिले। घर वालों और गांव वालों का नजरिया भी बदल गया। 50 रुपये प्रतिदिन की कमाई से शुरू हुआ चिक्का का सफर आज दस वर्ष में इस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह प्रोफेशनल गोल्फ टूर आॅफ इंडिया की कमाई वाली लिस्ट में चैथे नं. पर है। पिछले साल चिक्का ने 21 महीनों में 25 टूर्नामेंट खेले। 4 जीते और 16 में टाॅप -10 में रहे और 51 लाख 69 हजार की कमाई की।
पिछले वर्ष की तरह उन्होंने इस बार भी एक करोड़ इनामी राशि वाली सीजी. ओपन टूर्नामेंट में जीत हासिल की। आज उन्हें खुशी और गर्व है कि उन्होंने जो सोचा वो कर दिखाया और मेहनत से सफलता हासिल की। चिक्का ने अपने माता-पिता को खेत खरीद कर दिया है जिससे वे अब उसके लिए फल, सब्जी और अन्न उगाते हैं ताकि बेटा तन्दुरूस्त रहे। अब ये बात अलग है कि कामयाबी की सीढ़ी पर पहुंचने के लिए अपने धरातल से थोड़ा अलग होना ही पड़ता है।
चिक्का अब देश-विदेश में इतना व्यस्त है कि उसे समय ही नहीं मिलता। चिक्का का कुंडली विश्लेषण चिक्कारंगप्पा की कुंडली में लग्न, लग्नेश और चंद्रमा की बहुत शुभ व बलवान स्थिति है। पंचमेश चंद्र लग्न में और लग्नेश गुरु केंद्र में स्थित होकर एक दूसरे से दृष्ट हैं और गजकेसरी योग बना रहे हैं जिसके कारण चिक्कारंगप्पा में अपार इच्छाशक्ति, आकर्षण और निरंतर अग्रसर होने की शक्ति है।
इनकी जन्मकुंडली में धन, समृद्धि के अनेक योग विद्यमान हैं जिसके फलस्वरूप चिक्कारंगप्पा इतने गरीब परिवार में जन्म लेने पर भी अपनी बुद्धि, कला-कौशल से इतने बड़े मुकाम पर पहुंचने में सफल हुए। फलित ज्योतिष में पंचम भाव को अति महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि पंचम भाव से पूर्वजन्म कृत पुण्यकर्मों का विचार किया जाता है।
हमारा भाग्य इन्हीं पुण्यकर्मों की उपलब्धि पर निर्भर करता है इसलिए भी कि पंचम भाव नवम से नवम है। अर्थात् हमारे भाग्य का भाग्य इसी पंचम भाव पर निर्भर करता है। इसका एक यह अर्थ भी निकाल सकते हैं कि यदि नवम भाव बली हो और पंचम भाव अशुभ हो तो हमारी भाग्योन्नति में हमें रूकावटों का सामना करना पड़ेगा। अतः हम कह सकते हैं कि जीवन में उच्चस्तरीय सफलता प्राप्ति हेतु पंचमभाव की शुभ स्थिति वांछनीय है।
इसी कारण जैमिनी ज्योतिष में पंचम भाव को राजयोग कारक माना जाता है। पंचम भाव को पूर्वजन्म कृत पुण्यों के अतिरिक्त बुद्धि, सट्टा और मनोरंजन व खेल जगत का कारक भाव भी माना जाता है। चिक्कारंगप्पा की जन्मपत्री में पंचम भाव का स्वामी चंद्रमा पूर्ण बली होकर लग्नस्थ है तथा पंचम भाव के कारक गुरु से दृष्ट होकर गजकेसरी योग का निर्माण भी कर रहा है
इसलिए अपने बौद्धिक बल, भाग्य की ताकत व कड़ी मेहनत तथा श्रेष्ठतम कल्पना शक्ति से इन्होंने अपने साधारण से परिवार के लिए असंभव लगने वाला मुकाम सफलता पूर्वक हासिल किया। अच्छे व सफलतम खिलाड़ियों की जन्म पत्री में लग्न, चंद्र लग्न, सूर्य लग्न या कारकांश लग्न में कन्या राशि अधिकतर पाई जाती है। चिक्कारंगप्पा का सूर्य लग्न इनका कारकांश लग्न भी बन रहा है। आत्मकारक ग्रह गुरु कन्या के नवांश में है।
इसलिए कारकांश लग्न कन्या हुआ। कुशल खिलाड़ी बनने के लिए कन्या लग्न होना तो शुभ होता ही है साथ ही पराक्रमेश व पराक्रम भाव की शुभ स्थिति भी सहायक होती है। इसके अतिरिक्त प्रतियोगिता में प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ने हेतु छठे भाव के बल की भी अपेक्षा रहती है। उपरोक्त सभी गुण चिक्कारंगप्पा की कुंडली में मौजूद हैं। इनकी कारकांश कुंडली में कन्या लग्न है तथा पराक्रमेश लग्नेश से युक्त है।
पराक्रम भाव में राहु स्थित है। छठे भाव में शनि की स्थिति इन्हें खेल जगत में अपने पराक्रम का लोहा मनवाने तथा अपने प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ने में सहायक हो रही है। चिक्का की कुंडली गुरु प्रधान कुंडली है, गुरु लग्नेश व दशमेश होने के अतिरिक्त आत्मकारक ग्रह भी है और नवांश में वर्गोत्तम भी हो गये हैं। चिक्कारंगप्पा की जन्मपत्री में पराक्रमेश मंगल अष्टमेश भी है।
अष्टमेश से गुप्त शक्ति के विकास का विचार किया जाता है इसलिए अष्टमेश-लग्नेश की युति ने चिक्कारंगप्पा को छुपा रूस्तम अर्थात गुदड़ी का लाल बना दिया। चिक्कारंगप्पा की कुंडली में कुछ अन्य महत्वपूर्ण योग- राजयोग: सारावली ग्रंथ के अनुसार यदि लग्नाधिपति तथा राश्याधिपति बलिष्ठ होकर केंद्र में हो तो जातक राजा के समान सुख भोगता है। इनकी कुंडली में लग्न स्वामी और राशि का स्वामी गुरु केंद्र में स्थित है जिसके कारण ये अच्छी धन संपत्ति का उपभोग कर रहे हैं।
धन योग: जन्मपत्रिका में यदि पंचमेश और लग्नेश का किसी प्रकार से कोई शुभ संबंध बने तो जातक अपने जीवन में धनी बनता है। इनकी कुंडली में पंचमेश चंद्रमा तथा लग्नेश बृहस्पति की परस्पर एक दूसरे के साथ दृष्टि संबंध होने से यह योग पूर्ण रूपेण घट रहा है और इसी कारण जातक के पास आज अपार धन राशि है।
धन सुख योग: इनकी कुंडली में धनेश मंगल और सुखेश बुध की युति होने से धन सुख योग बन रहा है जिससे ये अपने माता-पिता के साथ सुख से जीवन बिता रहे हैं हालांकि यह योग अष्टम भाव में बनने से इन्हें जीवन में अधिक परिश्रम करने से ही धन-सुख की प्राप्ति होगी।
अधिक धन प्राप्ति योग: जन्मपत्रिका में लग्नेश और भाग्येश की युति अथवा दृष्टि लाभ स्थान पर हो तो व्यक्ति को अधिक धन प्राप्ति के योग बनते हैं। इनकी कुंडली में लग्नेश बृहस्पति एवं भाग्येश मंगल की लाभ भाव पर पूर्ण दृष्टि है। इसीलिए इन्हें अचानक इतनी बड़ी सफलता प्राप्त हुई और आज ये करोड़पति बन गये हैं
जबकि पहले मात्र 50/- रुपये रोज की मजदूरी करते थे। पराक्रमी पुरुष योग: सर्वार्थ चिंतामणि ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार तृतीय (पराक्रम) भाव का कारक ग्रह यदि शुभ ग्रह से युक्त हो तथा नवांश में भी शुभ ग्रह के नवमांश में हो तो वह व्यक्ति विशेष पराक्रम से युक्त होता है। इस जातक की कुंडली में पराक्रम भाव का कारक ग्रह मंगल शुभ ग्रह बुध के साथ स्थित है तथा नवमांश कुंडली में शुभ ग्रह बृहस्पति के नवमांश में स्थित होने से यह योग पूर्णतः घटित होता है और इसी कारण इन्हें गोल्फ के खेल में अपने परिश्रम एवं लग्न से इतनी बड़ी सफलता प्राप्त हुई।
विपरीत राज योग: यदि अशुभ स्थान के स्वामी अशुभ स्थान में स्थित होकर एक दूसरे पर परस्पर दृष्टि से देख रहे हों या इनकी युति हो तो विपरीत राजयोग बनता है। चिक्का की कुंडली में अष्टमेश शुक्र छठे भाव में स्थित है तथा द्वादशेश शनि बारहवें भाव में स्थित होने से दोनों ग्रह एक दूसरे को देख रहे हैं।
यह एक प्रबल विपरीत राजयोग बन रहा है और इसी योग से चिक्का इतने गरीब परिवार में जन्म लेने पर भी और केवल प्राईमरी स्कूल तक पढ़ा होने पर इतनी बड़ी असाधारण उच्च स्थिति में पहुंच गया। कारकांश लग्न 7 9 3 11 1 8 4 10 2 6 12 सू. गु. 5 शु. शचंबु. मंकेराअगले पांच वर्षों तक बुध की महादशा चल रही है जिसमें इनकी तरक्की और अधिक होती रहेगी।
तृतीय भाव पर गुरु व शनि के संयुक्त गोचरीय प्रभाव से आगामी निकटतम भविष्य में इनकी किसी भी प्रतियोगिता में विजय निश्चित है तथा खेल जगत में इनका दबदबा गत वर्षों की तरह कायम रहेगा।