पूरे शरीर में हृदय एक विचित्र सा अवयव है। एक तरफ यह पूरे शरीर को खून पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करता है, तो दूसरी तरफ यह अपने आप में इतनी सूक्ष्म और कोमल कल्पनाएं रखता है कि जिसको समझना किसी के बूते की बात नहीं है। यह कोमल इतना होता है कि छोटी सी बात से भी इसको इतनी अधिक ठेस लगती है कि यह बिल्लारी कांच की तरह टूटकर चूर-चूर हो जाता है। यह एक प्रतीक है अनुभूतियों का, सुंदर स्वप्न है मानीवय कल्पनाओं का और कोष है सद्भावना, करूणा, ममत्व, सहानुभूति और स्नेह का। वस्तुतः मानव जीवन तभी सफल कहा जाता है, जब उसका अद्धर् ांग भी पूर्णतः उसके साथ एकाकार हो गया हो। जिसके घर में सुलक्षण, सुशील, सुंदर और शिक्षित पत्नी हो, वह घर निश्चय ही स्वर्ग से बढ़कर है। इसलिए हस्तरेखा का अध्ययन करते समय जितना महत्व जीवन, धन, यश, स्वास्थ्य और पराक्रम को दिया जाना चाहिए, उतना ही पत्नी और विवाह को भी। काम (सेक्स) मानव की प्राथमिक आवश्यकता है। फ्रायड और यंग ने तो यहां तक सिद्ध कर दिया है कि जीवन में हर छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा जो भी कार्य करते हैं उसके मूल में यही काम भावना रहती है।
विवाह रेखा, प्रणय रेखा, प्रेम रेखा, वासना रेखा दिखने में छोटी सी होती है। परंतु इसका महत्व छोटा नहीं समझना चाहिए। यह रेखा कनिष्ठिका उंगली के नीचे बुध-क्षेत्र पर हृदय रेखा के ऊपर, बुध क्षेत्र के बाहर की ओर से हथेली के अंदर की ओर आती दिखाई देती है, यही विवाह रेखा कहलाती है। ये रेखाएं दो, तीन या चार भी होती हैं, परंतु इनमें से एक सर्वाधिक मुख्य होती है। ये रेखाएं यदि हृदय रेखा के मूलोद्गम से ऊपर की ओर हो, तो व्यक्ति का विवाह निश्चित रूप से होता है। परंतु ये रेखाएं यदि हृदय रेखा के नीचे हो, तो उसका विवाह असंभव ही समझना चाहिए। यदि ऐसी ही स्पष्ट, गहरी और लंबी दो या तीन रेखाएं हांे और वे सभी हथेली के भीतर घुसने का प्रयत्न कर रही हों, तो उस व्यक्ति के दो या तीन विवाह भी हो सकते हंै। इसके साथ जो छोटी-छोटी रेखाएं होती हंै और मुख्य रेखा के समानांतर होती हैं, उसका महत्व भी कम नहीं है।
ऐसी रेखाएं जीवन में संख्यारूप से विरोधी योनि का प्रवेश स्पष्ट करती है अर्थात ऐसी जितनी भी रेखाएं होंगी, व्यक्ति उतनी ही स्त्रियों से अनैतिक संबंध रखेगा। पर इसके साथ ही साथ पर्वतों का उभार भी ध्यान में रखना चाहिए। यदि इस प्रकार की रेखाएं हांे और गुरु पर्वत सर्वाधिक उन्नत हो तो व्यक्ति इतने ही प्रेम संबंध स्थापित करता है। शनि पर्वत प्रधान हो, तो व्यक्ति अपने से प्रौढ़ स्त्रियों से संपर्क रखता है। रवि पर्वत प्रधान हो तो, व्यक्ति स ा े च - स म झक र प्रणय के क्षेत्र में कदम रखता है। चंद्र पर्वत प्रधान हो तो, व्यक्ति कामुक, भावुक तथा स्त्रियों के पीछे मारा-मारा फिरने वाला होता है। यदि शुक्र पर्वत प्रधान हो तो व्यक्ति प्रणय में पूरी सफलता प्राप्त करता है। उसके जीवन में स्त्रियों की कमी नहीं रहती है तथा वह सभी के साथ आनंद लूटने में समर्थ होता है। प्रणय रेखा का हृदय रेखा से घनिष्ठ संबंध होता है। प्रणय रेखाएं हृदय-रेखा के जितनी अधिक नजदीक होंगी, व्यक्ति की उतनी ही कम उम्र में इस प्रकार की घटनाएं घटित होंगी तथा यदि ऐसी प्रणय रेखाएं हृदय रेखा से दूर होंगी तो ये घटनाएं जीवन वृद्धि के साथ-साथ ही घटित होंगी। यदि इस प्रकार की छोटी-छोटी प्रणय रेखाएं न हों, तो व्यक्ति संयमी होते हैं, तथा अधिक कामेच्छु नहीं होते हैं। प्रणय रेखा का अध्ययन सावधानी चाहता है। यदि प्रणय रेखा गहरी और लंबी होगी तो व्यक्ति के प्रणय-संबंध भी गहरे और दीर्घकाल तक के लिए होंगे।
इसके विपरीत यदि ये प्रणय रेखाएं संकरी, सूक्ष्म तथा छोटी होती हैं, तो व्यक्ति के प्रणय संबंध भी कम काल तक ही रहते हैं। यदि दो रेखाएं साथ-साथ चल रही हों तो इसका तात्पर्य यह है कि व्यक्ति दो विपरीतलिंगी से वासनात्मक संपर्क साथ-साथ रखेगा। यदि प्रणय रेखा पर क्राॅस का चिह्न हो तो व्यक्ति के प्रणय की समाप्ति अत्यंत दुखदायी होती है। यदि प्रणय रेखा पर क्राॅस का चिह्न हो तो व्यक्ति का प्रेम बीच में टूट जाता है। यदि प्रणय रेखा पर नक्षत्र हो तो प्रेम के कारण बदनामी झेलनी पड़ती है और यदि प्रणय रेखा बढ़कर सूर्य पर्वत को छूती है तो उसका विवाह अत्यंत प्रसिद्ध व्यक्ति से या आई. ए. एस. अधिकारी से होता है। यदि प्रणय रेखा आगे जाकर दो शाखाओं में बंट जाय, तो व्यक्ति का प्रणय संबंध बीच में ही भंग हो जाता है। प्रणय रेखा में से यदि कोई रेखा निकलकर नीचे की ओर जा रही हो तो व्यक्ति का वैवाहिक या प्रणय जीवन दुखदायी होता है। यदि प्रणय रेखा से कोई रेखा ऊपर की ओर उठती हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखी समझना चाहिए। बीच में टूटी हुई प्रणय रेखा से प्रणय संबंधों का बीच में विच्छेद समझना चाहिए।
- यदि विवाह रेखा कनिष्ठिका उंगली के तीसरे या दूसरे पोरवे पर चढ़े तो व्यक्ति आजीवन कुंवारा ही रहेगा, ऐसा समझना चाहिए।
- यदि विवाह रेखा निम्नोन्मुख होकर हृदय रेखा की ओर बहुत अधिक झुक जाये तो उसकी स्त्री की मृत्यु बहुत शीघ्र समझनी चाहिए। स्त्री के हाथ में यह पुरूष के लिए लागू होगी।
- यह विवाह रेखा आगे जाकर द्विजिह्नी या तीन मुंह वाली हो जाए तो स्त्री-पुरूष के विचारों में मतभेद बना रहेगा, तथा वैवाहिक जीवन कलहपूर्ण रहेगा।
- यदि प्रणय रेखा द्विजिह्नी हो और उसकी एक शाखा हृदय रेखा को छूती हो, तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी की अपेक्षा अपनी साली से यौन संबंध रखेगा।
- यदि इस प्रकार से एक शाखा मस्तिष्क रेखा को छू ले तो व्यक्ति निश्चय ही तलाक देता है। ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी की हत्या भी कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। यदि इस प्रकार प्रणय रेखा की एक शाखा नीचे की ओर झुककर शुक्र-पर्वत तक पहुंच जाय, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन मटियामेट ही समझना चाहिए। विवाह रेखा कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- यदि प्रणय रेखा आगे बढ़कर आयु रेखा को काटती हो, तो व्यक्ति जीवन भर अपनी स्त्री से दुखी रहता है।
- यदि प्रणय रेखा आगे बढ़कर भाग्य रेखा एवं मस्तिष्क रेखा से मिलकर त्रिभुज बनाये तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन दुखदायी ही समझना चाहिए।
- यदि विवाह रेखा को कोई आड़ी रेखा काटती हो तो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में व्यवधान समझना चाहिए। यदि कोई अन्य रेखा द्विजिह्नी प्रणय रेखा के बीच में घुसती हो, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन किसी तीसरे प्राणी के बीच में आ जाने से दुखदायी हो जाता है।
- यदि विवाह रेखा के प्रारंभ में द्वीप का चिह्न हो तो व्यक्ति का विवाह कई परेशानियों एवं बाधाओं के बाद होता है।
- यदि विवाह रेखा को संतान रेखा काटती हो तो, व्यक्ति का विवाह असंभव ही समझना चाहिए।
- यदि विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप हो, तो व्यक्ति जीवन भर कुंवारा रहता है।
- यदि बुध क्षेत्र पर विवाह रेखा के समान्तर दो या तीन रेखाएं चल रही हों तो व्यक्ति का यौन संबंध अपनी पत्नी के अलवा दो या तीन स्त्रियों से समझना चाहिए।
- यदि विवाह रेखा चलते-चलते कनिष्ठिका की ओर झुक जाये तो उसके जीवन साथी की मृत्यु उससे पूर्व होती है।
- विवाह रेखा जितनी ही गहरी, स्पष्ट और निर्दोष होगी, व्यक्ति का वैवाहिक जीवन भी उतना ही सुखी समझना चाहिए।
- विवाह रेखा का अचानक टूट जाना व्यक्ति को वियोगी बनाता है, तथा पति-पत्नी के संबंधों में दरार का संकेत करता है।
- यदि बुध क्षेत्र पर विवाह की दो रेखाएं समानान्तर हों तो व्यक्ति के दो संबंध होते हैं या दुबारा विवाह होता है। - यदि विवाह रेखा सूर्य रेखा से मिलती हो, तो पत्नी नौकरी करने वाली होती है।
- विवाह रेखा के होने पर भी दोहरी हृदय रेखा प्रबल हो तो, व्यक्ति अविवाहित ही रहता है।
- यदि चंद्र पर्वत से या शुक्र पर्वत से कुछ रेखाएं निकलकर विवाह रेखा से मिलती हो, तो व्यक्ति कामुक, व्यसनी और प्रेमी होता है।
- यदि मंगल रेखा से कोई रेखा निकलकर विवाह रेखा को छूती हो, तो व्यक्ति के विवाह में निश्चय ही व्यवधान उपस्थित होता है।