हस्तरेखा द्वारा विदेश यात्रा का विचार अमित कुमार राम व्यूस : 20682 | मार्च 2015 हिंदी लेख English (Transliterated) - हाथ में चंद्र पर्वत मनोभावों का सूचक क्षेत्र होता है और चंद्र पर्वत से ही निकलने वाली तमाम आड़ी, तिरछी और खड़ी रेखाएं ‘यात्रा रेखाएं’ कहलाती हंै। यही वे रेखाएं होती हैं जिनके माध्यम से जातक के जीवन में होने वाली संभावित ‘विदेश यात्रा’ का आकलन किया जाता है। - चंद्र पर्वत से निकलने वाली यात्रा रेखाओं की स्थिति के आधार पर ही गंतव्य स्थान की दूरी का अनुमान लगाया जाता है। अर्थात रेखा यदि लंबाई में अधिक है तो लंबी दूरी की यात्राएं होंगी और रेखा यदि छोटी हों तो पर्याप्त दूरी अथवा समीपस्थ स्थान की यात्रा संभावित होती है। - जीवन रेखा अथवा आयु रेखा से निकलती हुई अथवा मणिबंध से ऊपर उठकर चंद्र पर्वत तक पहुंचने वाली रेखाएं भी यात्रा रेखाएं कहलाती हंै। - अंगुष्ठ के मूल से निकलकर जीवन रेखा की ओर जाने वाली अथवा जीवन रेखा में समाहित हो जाने वाली रेखाएं ‘विदेश यात्रा’ की रेखाएं होती हैं। - हथेली में अंगूठे के मूल क्षेत्र, यानि शुक्र पर्वत पर स्थित छोटी, बड़ी तथा स्पष्ट दिखती हुई निर्दोष खड़ी रेखाएं ‘विदेश यात्रा रेखाएं’ ही मानी जाती हैं। चंद्र पर्वत से निकलने वाली यात्रा रेखाओं के साथ-साथ ही शुक्र पर्वत पर स्थित इन रेखाओं के सम्मिलित अध्ययन से ही ‘विदेश यात्रा’ का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। - कनिष्ठिका (सबसे छोटी) उंगली के मूल क्षेत्र से उत्पन्न होकर जीवन रेखा तक पहुंचने वाली प्रभाव रेखाएं भी जातक के जीवन में यथोचित समय आने पर विदेश जाने का अवसर प्रदान करती हैं। - चंद्र क्षेत्र अथवा चंद्र पर्वत से निकलकर कोई निर्दोष तथा स्पष्ट रेखा यदि बुध क्षेत्र अथवा पर्वत की ओर पहुंचती हो तो जातक निश्चयपूर्वक अपने जीवन काल में विदेश यात्रा अथवा यात्राएं करता है। - यदि शुक्र पर्वत के मूल में कोई रेखा जीवन रेखा की ओर से आकर मिलती हो और दूसरी शाखा रेखा चंद्र पर्वत की ओर जाती हो तो जातक अनेक वर्षों तक दूरस्थ देशों (विदेश) में प्रवासी जीवन व्यतीत करता है। - यदि चंद्र पर्वत से ऊपर उठकर कोई रेखा सूर्य पर्वत तक पहुंच जाए तो जातक को विदेश यात्रा के दौरान धन संपत्ति और मान-सम्मान की प्राप्ति भी होती है। - चंद्र पर्वत से निकलकर जब कोई रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई जीवन रेखा में जाकर मिल जाए तो वह व्यक्ति को दुनिया भर के देशों की यात्रा करवाता है। - यदि आयु रेखा (जीवन रेखा) स्वतः ही घूम कर चंद्र पर्वत पर पहुंच जाए तो वह जातक अनेकानेक दूरस्थ देशों की यात्राएं करता है और उसकी मृत्यु भी जन्मस्थान से कहीं बहुत दूर किसी अन्य देश में ही होती है। - मणिबंध से निकलकर कोई रेखा यदि मंगल पर्वत की ओर जाती हो तो वह व्यक्ति जीवन में समुद्री विदेश यात्राएं करता है। - प्रथम मणिबंध से ऊपर उठकर चंद्र पर्वत पर पहुंचने वाली रेखाएं सर्वाधिक शुभ मानी जाती हैं। परिणामतः यात्रा सफल और लाभदायक होती है। - यदि चंद्र पर्वत से उठने वाली आड़ी (लेटी हुई) रेखाएं चंद्र पर्वत को ही पार करती हुई भाग्य रेखा में मिल जाए तो दूरस्थ देशों की महत्वपूर्ण व फलदायी यात्राएं होती हैं। - यदि किसी जातक के दाहिने हाथ में तो विदेश यात्रा रेखाएं हों और बायें हाथ में रेखाएं न हों अथवा रेखा के प्रारंभ में कोई क्राॅस या द्वीप हो तो विदेश यात्रा में कोई न कोई बाधा उत्पन्न हो जायेगी अथवा जातक स्वयं ही उत्साहहीन होकर विदेश यात्रा को रद्द कर देगा। - यदि यात्रा रेखाएं टूटी-फूटी अथवा अस्पष्ट हो तो यात्रा का सिर्फ योग ही घटित होकर रह जाता है। प्रत्यक्ष में कोई यात्रा नहीं होगी। - यात्रा रेखा पर यदि कोई क्राॅस हो तो यात्रा के दौरान एक्सीडेंट अथवा अन्य किसी दुखद घटना के होने की पूर्ण आशंका रहती है। - यदि चंद्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा बुध क्षेत्र तक अथवा बुध पर्वत पर पहुंचती हो तो जातक को यात्रा के दौरान आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है। - यदि चंद्र पर्वत से यात्रा रेखा हथेली के मध्य में से ही अथवा मुड़कर वापस चंद्र पर्वत पर आये तो जातक को विदेश में व्यापार अथवा नौकरी की खातिर कई वर्ष व्यतीत करने के बाद मजबूरन स्वदेश वापस लौटना ही पड़ता है। - यदि यात्रा रेखा चंद्र क्षेत्र से निकलकर तथा पूरी हथेली को पार करते हुए गुरु पर्वत तक पहुंचती हो तो जातक को दूरस्थ स्थान अथवा विदेश की अत्यधिक लंबी यात्राएं करनी पड़ती है। - यदि किसी स्त्री या पुरुष जातक की हथेली में चंद्र पर्वत से यात्रा रेखा निकलकर स्पष्ट रूप से हृदय रेखा में जाकर मिल जाए तो उस जातक को यात्रा के दौरान ही प्रेम संबंध अथवा प्रेम विवाह होने की पूर्ण संभावना होती है। - यात्रा रेखा पर यदि कोई क्राॅस हो तथा उसके समीप चतुष्कोण भी हो तो अक्सर यात्रा का तयशुदा कार्यक्रम अकस्मात् स्थगित करना पड़ता है। - चंद्र पर्वत से निकलकर कोई यात्रा रेखा मस्तिष्क रेखा से मिल जाती हो तो जातक को यात्रा में कोई व्यावसायिक समझौता अथवा बौद्धिक कार्यों का अनुबंध करना पड़ता है। - यदि हथेली में चंद्र और शुक्र पर्वत उन्न्त हो तथा जीवन रेखा पूरे शुक्र क्षेत्र को घेरती हुई शुक्र पर्वत के मूल तक जाती हो तथा चंद्र पर्वत पर स्पष्ट यात्रा रेखा हो तो जातक को अपने जीवनकाल में देश-विदेश की अनेकानेक यात्राएं करनी पड़ती हैं। - चंद्र पर्वत से कोई स्पष्ट रेखा निकलकर जीवन रेखा को मध्य में से काटती हुई उसके समानांतर मंगल क्षेत्र पर पहुंचती हो तो लंबी यात्राओं के अवसर मिलते हैं। ऐसा जातक विदेश में कई वर्षों तक रहता है। - यदि किसी जातक की हथेली में जीवन रेखा से कोई निर्दोष प्रभाव रेखा निकलकर नीचे मणिबंध क्षेत्र से मिलती हो तथा त्रिभुज बनाती हो और भाग्य रेखा से भी कोई स्पष्ट शाखा रेखा नीचे जाकर इस प्रभाव रेखा के साथ त्रिभुज का निर्माण करती हो तो ऐसा जातक सदैव यात्रा करने का इच्छुक रहता है तथा व्यापारिक कार्यों से वह देश-विदेश की अनेक लाभकारी यात्राएं भी करता है। - यदि किसी की हथेली में चंद्र पर्वत से कोई निर्दोष रेखा निकलकर जीवन रेखा तक आती हो और वहां से भाग्य रेखा निकलकर शनि पर्वत तक पहुंचती हो तो वह जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश यात्रा करता है। s सब्सक्राइब हस्तरेखा शास्रग्रह पर्वत व रेखाएंभविष्यवाणी तकनीक Previousमाता-पिता और संतान की शिक्षा का आपसी संबंधNextचिक्कारंगप्पा [+] और पढ़ें s सब्सक्राइब
अप्रैल 2008व्यूस : 7964गृह सुख व ज्योतिषराधा अग्रवालज्योतिष के नियम गणित के सूत्रों की तरह हैं। गणित में हर सवाल को हल करने के लिए एक सूत्र होता है, ज्य...और पढ़ें
मई 2011व्यूस : 7434संपूर्ण काल सर्प यंत्र से अनुकूलता की प्राप्तिरमेश शास्त्रीसंपूर्ण काल सर्प यंत्र में अन्य कई यंत्रों को समाहित किया गया है जो राहु केतु की समस्त नकारात्मक स्थ...और पढ़ें
जून 2010व्यूस : 141172स्वप्न व शकुन से भविष्य में होने वाली घटनाओं का ज्ञानफ्यूचर पाॅइन्टकार्य सिद्धि, धन लाभ, स्वास्थ्य लाभ, भाग्योदय के शुभ शकुन कौन से है? और अशुभ शकुनें जो कार्य में विन...और पढ़ें
सितम्बर 2010व्यूस : 17748ग्रह दोष निवारण तंत्र साधना नवीन राहुजासर्व ग्रहों की शांति हेतु सर्वग्रह निवारण तंत्र की स्थापना यदि घर या कार्यस्थल में कर ली जाए तो व्यक...और पढ़ें
अप्रैल 2011व्यूस : 69626शारीरिक लक्षणों व राजचिन्हों से जाने राजयोगसुनील जोशी जुन्नकरसामुद्रिक शास्त्र से हाथ पैर व मस्तिष्क की रेखाओं, विषेष चिन्हों तथा शारीरिक अंगों की वनावट और चेष्ट...और पढ़ें
फ़रवरी 2014व्यूस : 14768धन, समृद्धिसंगीता गुप्ताक्या आप सोचने मात्र से धनवान बन सकते हैं या पैसा आकर्षित कर सकते हैं। ज्यादातर लोग कहेंगे नहीं। पर प...और पढ़ें
मार्च 2011व्यूस : 15095लाल किताब और वैवाहिक जीवनके. के. निगमज्योतिष में सातवां भाव वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी देता है। इस लेख द्वारा जानिए कि विभिन्न राशि...और पढ़ें
मार्च 2011व्यूस : 15856लाल किताब के अनुसार क्या दान करें, क्या ना करेंअंकुर नागौरीकोई भी वस्तु दान करते समय व्यक्ति यही सोचता है कि दान का कार्य अच्छा है लेकिन लाल किताब के अनुसार कु...और पढ़ें
अप्रैल 2011व्यूस : 8842लाल किताब पाठ-4उमेश शर्मालाल किताब पर प्रस्तुत पाठ श्रृंखला के चौथे पाठ में नाबालिग ग्रहों वाली कुंडली के बारे में उदाहरण कुं...और पढ़ें
जुलाई 2011व्यूस : 40580सोया भाव और सोया ग्रहउमेश शर्मासोया भाव और सोया ग्रह लाल-किताब के फलादेश का अन्य एक महत्वपूर्ण नियम है। किस ग्रह या भाव का उपाय करन...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 14738जिंदगी में रुकावटों और क्लेश के लिए कोई जगह नहींजी.डी. वशिष्ठआप भी जानते हैं, कि संसार का हर एक जीव अपने परिवार तथा आस पास के लोगों से बहुत प्यार करता है और ह...और पढ़ें
अप्रैल 2014व्यूस : 96988टोने-टोटकेफ्यूचर पाॅइन्टप्रश्न: किसी व्यक्ति के जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए घरेलू उपचार व टोना टोटका किस हद तक कारग...और पढ़ें
मार्च 2011व्यूस : 12247लाल किताब के सिद्धांत एवं उपायउमेश शर्मापराषरी ज्योतिष की विधियों और लाल किताब के मूलभूत सिद्धांतों में क्या विषिष्ट अंतर है इसकी स्पष्ट और ...और पढ़ें
फ़रवरी 2015व्यूस : 138786टोटकों का अद्भुत संसारसंजय बुद्धिराजाआज का युग कलयुग है। कलयुग में ‘नानक दुखिया सब संसार’। यानि आज लगभग हर इंसान किसी न किसी कारण से दुख...और पढ़ें
फ़रवरी 2015व्यूस : 14805टोटका विज्ञान अंधविश्वास नहीं हैगोपाल राजूटोटका वह विज्ञान है जिसके संतुलित, समयबद्ध और निरन्तर प्रयोग करते रहने से समस्याओं का निराकरण संभव ...और पढ़ें
फ़रवरी 2015व्यूस : 10840जन्मपत्रिका के अनिष्टकारी योग एवं अनिष्ट निवारक टोटकेराजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’मंदिर में भोग, अस्पताल में रोग और ज्योतिष में योग का बड़ा महत्व है। योग शब्द की विस्तृत व्याख्य...और पढ़ें
फ़रवरी 2015व्यूस : 14067टोटके तंत्र की विशिष्टता व सूत्रसुल्तान फैज ‘टिपू’मनुष्य की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान व भविष्य तक ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान व आविष्कार ...और पढ़ें
मार्च 2006व्यूस : 10424वक्री ग्रहों प्रभावफ्यूचर पाॅइन्टप्रश्न: वक्री ग्रहों का क्या प्रभाव होता है? ग्रहों के उच्च, नीच, शुभ, अशुभ, स्तंभित या अस्त होने क...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 7005होलीफ्यूचर पाॅइन्टहोली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दो भागों में विभक्त है। पू...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 6957होलीआर. डी. सिंहहोली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दो भागों में विभक्त है। पू...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 5726क्योंयशकरन शर्माअनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं वि...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 9106क्योंराजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं वि...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 7496हस्तरेखा शास्त्र के सिद्धान्तआर. के. शर्माप्राथमिक तौर पर हम ‘हस्तरेखा विज्ञान’ अर्थात् पामिस्ट्री को दो भागों में बांट सकते हैं- प्रथम, हाथ...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 6094हस्तरेखा शास्त्र के सिद्धान्तहरिश्चंद्र प्रसाद आर्यप्राथमिक तौर पर हम ‘हस्तरेखा विज्ञान’ अर्थात् पामिस्ट्री को दो भागों में बांट सकते हैं- प्रथम, हाथ...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 5972हस्तरेखाओं से स्वास्थ्य जानेंके. के. निगमहस्तरेखाओं के अध्ययन करने पर निम्नलिखित स्थिति हो तो स्वास्थ्य कैसा होगा, कौन सा रोग होगा ज्ञात क...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 7540हस्तरेखाओं से स्वास्थ्य जानेंजय इंदर मलिकहस्तरेखाओं के अध्ययन करने पर निम्नलिखित स्थिति हो तो स्वास्थ्य कैसा होगा, कौन सा रोग होगा ज्ञात क...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 6908हस्त रेखाएं व बोलने की कलाभारती आनंदजिस प्रकार उठना बैठना, चलना फिरना प्रत्येक इंसान जानता है अगर हम इन क्रियाओं में शिष्टाचार का उपयोग...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 13246हस्त रेखाएं व बोलने की कलानिर्मल कोठारीजिस प्रकार उठना बैठना, चलना फिरना प्रत्येक इंसान जानता है अगर हम इन क्रियाओं में शिष्टाचार का उपयोग...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 7467हस्तरेखा द्वारा विवाह मिलापरीमा अरोड़ाविवाह एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक संयोग है जिसमें दो लोग मिलकर नई कल्पनायें और आषाओं के साथ एक नये ज...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 14552हस्तरेखा द्वारा विवाह मिलापमिथिलेश गुप्ताविवाह एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक संयोग है जिसमें दो लोग मिलकर नई कल्पनायें और आषाओं के साथ एक नये ज...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 5902चिक्कारंगप्पाआभा बंसलबाॅलीवुड की पटकथा की तरह लगने वाली यह स्टोरी चिक्का के जीवन की सच्ची कहानी है। गुदड़ी के लाल कहावत...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 6436चिक्कारंगप्पामनोज कुमारबाॅलीवुड की पटकथा की तरह लगने वाली यह स्टोरी चिक्का के जीवन की सच्ची कहानी है। गुदड़ी के लाल कहावत...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 14738जिंदगी में रुकावटों और क्लेश के लिए कोई जगह नहींजी.डी. वशिष्ठआप भी जानते हैं, कि संसार का हर एक जीव अपने परिवार तथा आस पास के लोगों से बहुत प्यार करता है और ह...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 20406जिंदगी में रुकावटों और क्लेश के लिए कोई जगह नहींसीताराम सिंहआप भी जानते हैं, कि संसार का हर एक जीव अपने परिवार तथा आस पास के लोगों से बहुत प्यार करता है और ह...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 7746टैरो कार्ड एवं उनके फलप्रेम प्रार्थनाजैसा कि आप जानते हैं, टैरो में कुल 78 कार्ड होते हैं। ये मुख्यतः दो भागों में बंटे होते हैं- मेजर आर...और पढ़ें
मार्च 2015व्यूस : 5809टैरो कार्ड एवं उनके फल प्रमोद कुमार सिन्हाजैसा कि आप जानते हैं, टैरो में कुल 78 कार्ड होते हैं। ये मुख्यतः दो भागों में बंटे होते हैं- मेजर आर...और पढ़ें
फ़रवरी 2013व्यूस : 13599गंडमूल संज्ञक नक्षत्रअमित कुमार रामसंधिकाल या संक्रमण काल सदैव से ही अशुभ हानिकारक, कष्टदायक एवं असमंजसपूर्ण माना जाता रहा हैं। संधि से...और पढ़ें
अप्रैल 2013व्यूस : 24092लग्नानुसार विदेश यात्रा के प्रमुख योगअमित कुमार रामजन्मकुंडली के द्वादश भावों में से प्रमुखता, अष्टम भाव, नवम, सप्तम, बारहवां भाव विदेश यात्रा से सम्बं...और पढ़ें
मई 2013व्यूस : 16450भोग कारक शुक्र और बारहवां भावअमित कुमार रामद्वादश भाव को प्रान्त्य, अन्त्य और निपु ये तीन संज्ञायें दी जाती हैं और द्वादश स्थान (बारहवां) को त्...और पढ़ें
जून 2013व्यूस : 34865मेष लग्न: विभिन्न भावों में शुक्र की दशा का फलअमित कुमार रामशुक्र की महादशा मेष लग्न में शुक्र धन भाव का स्वामी होता है और जन्म कुंडली में किस भाव में स्थित है ...और पढ़ें
जुलाई 2013व्यूस : 9639शिक्षा के क्षेत्र में सफलता व असफलता के योगअमित कुमार रामप्रत्येक व्यक्ति का भावी जीवन स्तर उसके द्वारा अध्ययनकाल में किया गया परिश्रम ही तय करता है। अध्ययनक...और पढ़ें
मार्च 2014व्यूस : 8000शनि व मंगल की वैवाहिक सुख में भूमिकाअमित कुमार रामजातक या जातिका की जन्मकुंडली से विवाह संबंधी सूचना कुंडली के द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भावों क...और पढ़ें
मई 2014व्यूस : 9154ज्योतिष में रत्नों का महत्वअमित कुमार रामनवरत्नों का ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। सभी रत्नों में अपूर्व दैवी शक्ति निहित है। ...और पढ़ें
अप्रैल 2014व्यूस : 12989चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा आजीविका निर्वाह के योगअमित कुमार रामभारतीय ज्योतिष के अंतर्गत होराशास्त्रों में जातक की आजीविका संबंधी कार्यक्षेत्रों और व्यवसायों क...और पढ़ें
जून 2014व्यूस : 17443धन-संपत्ति प्राप्त करने के स्वप्नअमित कुमार रामप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रायड का कहना है कि बहुत से स्वप्न केवल मनुष्य की इच्छापूर्ति की ओर संक...और पढ़ें
जुलाई 2014व्यूस : 13513द्वादश भावों में राहु का फलअमित कुमार रामराहु आलस्य, अस्थिरता, स्थावर संपत्ति, योगाभ्यास, उदर रोग, वाहन, जन नेता, विधान/लोक सभा पद, कूटनीति...और पढ़ें
आगस्त 2014व्यूस : 15452शारीरिक हाव-भाव द्वारा पुरूष व्यक्तित्व की पहचानअमित कुमार रामउदर (पेट) जिस व्यक्ति का पेट आगे को निकला हुआ हो, यह शुभ लक्षण नहीं है। जबकि ऐसा व्यक्ति जिसका ...और पढ़ें
सितम्बर 2014व्यूस : 8235पितृदोष संबंधी अशुभ योग एवं उनके निवारण के उपायअमित कुमार रामपितृदोष से तात्पर्य पितरों की असंतुष्टि से है। जब किसी परिजन के द्वारा अपने पितरों के निमित्त श्रा...और पढ़ें
नवेम्बर 2014व्यूस : 5678शनि का गोचरफलअमित कुमार रामकुंडली में यदि शनि ग्रह बलशाली हो तो जातक को आवासीय सुख प्रदान करता है। निम्न वर्ग का नेतृत्व प्र...और पढ़ें
अकतूबर 2014व्यूस : 6799कैसे कोई ग्रह परिस्थितियों को प्रभावित करता हैअमित कुमार रामसमस्त संसार परमेष्वर द्वारा सृजित एक कौतुकमयी नाट्यषाला है, जहां पग-पग पर प्रकृति की विविधता एवं वि...और पढ़ें
दिसम्बर 2014व्यूस : 6949वास्तु सम्मत सीढ़ियां भी देती हैं सफलताअमित कुमार रामवास्तु शास्त्र में गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि घर की सीढ़ियां हमारी सफलता या असफलता को प्र...और पढ़ें
जनवरी 2015व्यूस : 6948आजीवन साथ रहने के वायदे करने के बाद भी क्यों होता है तलाक?अमित कुमार रामवैवाहिक जीवन पति-पत्नी का धर्म सम्मत समवेत संचरण है। इसी मन्तव्य से विवाह संस्कार में वर-वधू आजीव...और पढ़ें
फ़रवरी 2015व्यूस : 7130महाशिवरात्रि की महिमाअमित कुमार रामभारत में प्रचलित त्यौहारों, अनुष्ठानों व धार्मिक क्रियाकलापों का विवेचन करें तो यह स्पष्ट हो जाता...और पढ़ें
अप्रैल 2015व्यूस : 42365अस्त ग्रहों का प्रभाव एवं उनका फलअमित कुमार रामअस्तग्रहों के बारे में कहा गया है -‘त्रीणि अस्ते भवे जड़वत’ अर्थात किसी जन्म चक्र में तीन ग्रहों के ...और पढ़ें