कौन बनेगा प्रधानमंत्री?
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कौन बनेगा प्रधानमंत्री?  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 7382 | अप्रैल 2014

देष षाष्वत है परन्तु षासक आते जाते रहते हैं। यदि हम पिछले 5000 वर्ष पहले के इतिहास को देखें तो जानेंगे कि विषाल आर्यावर्त अर्थात विषाल भारतवर्ष, जिसके अंग कई आधुनिक देष हुआ करते थे अब सिमट कर आधुनिक भारत के नाम से जाना जाता है। इन वर्षों के दौरान यदि हम उन षासकों को याद करने की कोषिष करें जिन्होंनेे अपनी पूरी क्षमता के साथ षासन किया था तो हमें कुछ गिनती के नाम ही याद आएंगे। पिछले 2500 वर्षों में अगर हम षासकांे को याद करने की कोषिष करंे तो दो ही षासक हमारे मस्तिष्क में उभर कर आते हंै एक सम्राट अषोक और दूसरा मुगल सम्राट अकबर। महान षासक बनाए नहीं जाते बल्कि वे अवतार की भांति अवतरित होते हैं और उसके बाद समस्त जनमानस की सोच बदल जाती है। आधुनिक भारत को भी इसी प्रकार के नेता की खोज है जो विचारों, युक्ति आदि का ऐसा नमूना दे जो देष की सोच में बदलाव ला सकेे। भारत के 70 प्रतिशत युवाओं (जिनकी आयु 40 वर्ष से कम है) की सामूहिक षक्ति बड़ी आतुरता से एक ऐसे प्रेरक नेता को खोज रही है जो उनकी षक्ति को इकट्ठा कर देष को बदलने में लगा सके। सोचने योग्य बात यह है कि क्या वास्तव में हमारे पास कोई ऐसा योग्य नेता है जो सब पार्टियांे की सोच को मिला कर चल सके।

अधिकतर नेता अपनी ही पार्टी की लड़ाइयों में व्यस्त हैं और कुछ को क्षेत्रीय दलों से समस्याएं हैं। प्रत्येक नेता दूसरे नेताओं से घृणा करता है, उनका अपमान व विरोध करता है और बदले में वही पाता है। क्षेत्रीय दल के नेता छोटे स्तर के क्षेत्रीयता तक ही संबध रखते हैं, वे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं सोच पाते कि देष की 70 प्रतिशत ताकत को कैसे बांधा जाए और उनका इस्तेमाल किया जाए। भारत भारत की कुन्डली वृष लग्न की है, जिसमें राहु लग्न में, केतु सप्तम भाव में, द्वितीय भाव में मंगल, तृतीय भाव में सूर्य, षनि, षुक्र, चन्द्रमा, और छठे भाव में बृहस्पति बैठे हैं। सूर्य की महादषा 6 वर्ष, 9 सितम्बर 2009 से 9 सितम्बर 2015श्तक रहेगी। देष की कुन्डली में तृतीय भाव में 5 ग्रह एक साथ बैठ कर प्रवज्र राज योग बना रहे हैं। यह राज योग अपने आप में एक बहुत षक्तिषाली राज योग है और पूर्ण क्षमतावान है देष में बदलाव लाने में खासकरके जब सूर्य की महादषा अपनी गति पर हो। सूर्य तृतीय भाव में बैठ कर अन्य ग्रहों के साथ जिसमें षनि भी सम्मिलित है एक विरोधी स्थिति उत्पन्न कर रहा है।

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है और अगर हम भारत की कुन्डली को ध्यान से देखें तो महसूस करेंगे कि यहाँ सूर्य प्रतिनिधित्व कर रहा है हमारे देष के हर नागरिक की आत्मा का। लेखक के द्वारा पूर्व में भविष्यवाणी की गई थी कि भविष्य में आम आदमी भ्रष्टाचार,अविकसित प्रणाली और नेताओं के स्वार्थ को सहन नहीं करेगा। उस समय श्री अन्ना हजारे जी का नाम सामने नहींे आया था। हमारे देष का युवा वर्ग जो पूरी तरह से तैयार बैठा था देष को भ्रष्टाचार और स्वार्थी नेताओें से बचाने के लिए इसलिए जैसे ही उन्होंने श्री अन्ना जी के अन्दर भ्रष्टाचार से लड़ने की एक चिंगारी देखी उन्होंने उनका समर्थन किया और उस चिंगारी को एक दावानल में बदल दिया जिससे पूरा देष प्रभावित हुए बिना न रह सका। इस आन्दोलन का हिस्सा अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी, एक्स. जनरल वी. के. सिंह और भी अनगिनत लोग बने। यह बात ध्यान देने योग्य है कि सूर्य की बची हुई महादषा में जो कि सितम्बर 2015 तक है, हमारे देष के हर क्षेत्र में एक क्वांटम जम्प आने को तैयार है परन्तु दूसरी तरफ जब हम अपने क्षेत्रीय दलों को देखंे तो एक अजीब सी असमानता दिखती है, क्षेत्रीय दल ग्लोबल तो क्या नेषनल विजन भी ठीक से नहीं रखते।

इसलिए 2014 के लोकसभा चुनावों में हमें वही स्थिति दिखने वाली है जो समुद्र मंथन के समय पर थी। दो तरह के रिष्ते होते हैं देष और देषवासियों में। कभी कभी कुछ महान लोग जैसे महात्मा गांधी, लेनिन, जाॅर्ज वांषिगटन ऐसे और भी कई नेता जिन्होंने अपनी सकरात्मक सोच से न सिर्फ देष में बल्कि विष्व में भी एक बदलाव उत्पन्न किया है। दूसरी तरफ आने वाले समय में हमारे देषवासियों की एकत्रित षक्ति और उनका एक स्वर होना हमारे देष के नेताओं को बदलने के लिए इतना विवष कर देगा कि उनके पास दूसरा कोई और चारा नहीं रहेगा। ममता बनर्जी ममता बनर्जी पिछले एसेम्बली चुनाव में साम्यवादी षक्तियों को पराजित करके यह पहले ही साबित कर चुकी है कि वह अपने आप में एक बहुत बड़ी षक्ति है। ममता अपनी नीतियों के कारण अकेली ही समर्थ है देष को झंझोड़ने में। और यही कारण है कि अन्ना हजारे उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री मान चुके हैं। ममता बनर्जी कीे जन्म कुन्डली मकर लग्न की है, द्वितीय भाव मेें मंगल, चन्द्रमा पंचम भाव में, केतु छठे भाव में, बृहस्पति सप्तम भाव में, षनि दषम भाव में, षुक्र एकादष भाव में और सूर्य, बुध और राहु द्वादष भाव में स्थित हंै। ग्रहों का यह संयोजन बहुत अच्छा है और आने वाले चुनावों में ममता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी परन्तु फिर भी उनका देष का प्रधानमंत्री बनना कठिन है।


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मायावती मायावती एक नीतिकुषल राजनेता हंै विषेषकर यदि हम यू. पी. की राजनीति की बात करें तो। यू. पी. में लोकसभा की 80 सीटें हैं जिनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है देष का प्रधानमंत्री चुनने में। हालांकि आजकल यू. पी. में मायावती जी का प्रभाव थोड़ा कम है परन्तु फिर भी यू. पी. में उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। मायावती की जन्मकुन्डली वृष लग्न की है, लग्न में ही केतु, चतुर्थ भाव में बृहस्पति, षनि, मंगल, राहु सप्तम भाव में, चन्द्र, बुध, सूर्य नवम भाव में और षुक्र दषम भाव में स्थित हैं। मायावती की इस समय षनि की महादषा चल रही है जो अगस्त 2014 के आखिर तक रहेगी और इसके बाद इनकी बुध की 17 वर्ष की महादषा षुरू होगी। लोकसभा चुनाव के बाद बुध की महादषा में एक बार फिर से मायावती अपना प्रभाव स्थापित कर लेंगी। जयललिता दक्षिण भारतीय राजनीति में राज करने वाली जयललिता ने हमेषा से ही तमिलनाडु की जनता के दिलांे पर राज किया है चाहे वह मुख्यमंत्री के पद पर हों या न हों और यही कारण है कि उन्हें अपना राष्ट्रीय प्रभुत्व स्थापित करने के लिए सिवाय तमिलनाडु की जनता के और किसी के सहयोग की आवष्यकता नहीें है।

उनकी मकर लग्न की पत्री है, द्वितीय भाव मेें षनि, मंगल, चन्द्र तृतीय भाव में, केतु पंचम में, बृहस्पति सप्तम भाव में, बुध, सूर्य नवम भाव में, षुक्र दषम भाव में और राहु एकादष भाव में स्थित है। इनकी बृहस्पति म बृहस्पति की दषा अक्तूबर 2014 तक है, हालांकि बृहस्पति इनकी कुन्डली के लिए बाधक ग्रह है परन्तु दूसरी तरफ वह पंचमहापुरूष योग भी बना रहा है। ग्रह स्थिति यह बता रही है कि आने वाले लोकसभा चुनावांे में जयललिता प्रधानमंत्री चुनने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी परन्तु वह खुद प्रधानमंत्री बन पाएंगी ग्रहों की स्थिति यह नहीं दिखा रही है। मुलायम सिंह यादव पिछले विधानसभा चुनावों में मुलायम सिंह यादव ने अपनी राजनैतिक बागडोर अपने योग्य बेटे अखिलेष यादव के हाथों में थमा दी थी और उसकी जीत का असर पूरे यू. पी. राज्य में देखा जा सकता है। वास्तव में यह एक पिता का अपने पुत्र के लिए स्वाभाविक त्याग है परन्तु मुलायम सिंह यादव के मन में देष का नेतृत्व करने की तीव्र इच्छा आज भी है इसलिए वे यह चाहते हंै कि यू. पी. की बागडोर उनके ही हाथों में हार का सामना करना पड़ सकता है जिससे उनकी राजनैतिक छवि को एक धक्का लग सकता है।

नवीन पटनायक नवीन पटनायक उड़ीसा में अपनी लगातार तीसरी जीत का आनंद ले रहे हैं। उनके राज्य में कोई भी ऐसा नहीं है जो उनका विरोधी हो या उनके सामने सिर उठाने की हिम्मत कर सके। इनकी जन्म कुन्डली धनु लग्न की है जिसमें राहु छठे भाव में, चन्द्रमा सप्तम भाव में, षनि अष्टम भाव में, सूर्य दषम भाव में, मंगल, बृहस्पति, बुध एकादष भाव में और केतु स्थित है और ग्रहों का यह संयोजन बहुत अच्छा नहीं है। आने वाले लोकसभा चुनावांे में मुलायम सिंह एक कठिन दौर से गुजरेंगे और षायद वे आने वाले लोकसभा चुनावों में उतनी सीटें न ले पाएं जितनी उन्हें पिछले लोकसभा चुनावांे में मिली थी। आने वाले समय में मुलायम सिंह की राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका काफी कम हो जाएगी। चंद्राबाबू नायडू ऐसा माना जाता है कि जो जैसा बोता है वैसा ही काटता है। यह कहावत चन्द्राबाबू नायडू के लिए एकदम ठीक बैठती है। इन्होंने अपने स्वर्गीय ससुर एन. टी. आर के राजनैतिक अस्तित्व को पूरी तरह समाप्त कर दिया था। आज ब्रह्मांड उन्हें वही वापिस लौटा रहा है इसलिए अपने पूर्ण प्रयत्नों के बावजूद भी चन्द्राबाबू नायडू अपने राजनैतिक अस्तित्व को पुनः प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।

इनकी जन्म कुन्डली वृष लग्न की है और चतुर्थ भाव में केतु, पंचम भाव में षनि, छठे भाव में मंगल, नवम भाव में षुक्र, दषम भाव में सूर्य, बुध, राहु और एकादष भाव में चन्द्र और बृहस्पति स्थित हैं। कुन्डली के अनुसार लोकसभा चुनावांे तक चन्द्राबाबू नायडू की राहु में बृहस्पति की दषा रहेगी। यह समय षायद उनके लिए अच्छे फल न दे। आने वाले लोकसभा चुनावों में उन्हें षुक्र, केतु द्वादष भाव में स्थित है। नवीन पटनायक जी की अक्तूबर तक केतु में बृहस्पति की दषा चल रही है। केतु और बृहस्पति की स्थिति एक दूसरे से षुभ नहीं है। ग्रहांे का यह संयोजन नवीन पटनायक को लोकसभा चुनावों के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से रोकेगा। लालू प्रसाद यादव 1990 में लालू प्रसाद यादव का नाम चारा घोटाले में आया था जिससे वे घबराये नहीं थे परन्तु चारा घोटाले ने उनका पीछा तब तक नहीं छोड़ा जब तक वे जेल नहीं पहंुच गए। लालू प्रसाद यादव अपने आप में किसी जादूगर से कम नहीं हैं। किसी को नहीं पता था कि चारा घोटाले में क्या हुआ था परन्तु इस वजह से उन्हें अपने विरोधियांे का राजनैतिक क्षेत्र में जम कर सामना करना पड़ा। उनकी मेष लग्न की कुन्डली है तथा लग्न में ही राहु स्थित है, द्वितीय भाव मेें सूर्य, तृतीय भाव मेें बुध व षुक्र, चन्द्र व षनि चतुर्थ भाव मेें, मंगल पंचम भाव मेें,केतु सप्तम भाव मेें और बृहस्पति नवम भाव मेें स्थित है।

चुनाव के दौरान चन्द्रमा में षुक्र की दषा चल रही होगी। कुन्डली के अनुसार चन्द्रमा और षुक्र की स्थिति एक दूसरे से ठीक नहीं है। यह दषा बहुत अच्छी नहीं है। राजनीति में घिरे हुए लालू प्रसाद यादव लोकसभा चुनाव के बाद ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। अरविंद केजरीवाल अरविन्द केजरीवाल के लिए एक सरकारी नौकर से एक राजनेता बनने तक की यात्रा अपने आप में ही एक अद्भुत यात्रा है। अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और उसके कुछ समय पष्चात ही बड़े ही हास्यापद तर्कों को देते हुए उन्होंने खुद को षहीद बताते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। देष की जनता आज के समय में अरविन्द केजरीवाल को एक गम्भीर नेता के रूप में नही लेती है परन्तु अरविन्द केजरीवाल को इस सोच ने बिलकुल भी प्रभावित नहीं किया है, और अन्ना हजारे को छोड़ने के बाद भी ये एक असंभव उद्देष्य को ले कर चल रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल की जन्म कुन्डली वृष लग्न की है जिसमें लग्न में ही चन्द्रमा, तृतीय भाव मेें मंगल, चतुर्थ भाव में सूर्य, षुक्र, बृहस्पति व बुध, एकादष भाव में राहु और द्वादष भाव में षनि स्थित है। चन्द्रमा उच्च का होेकर लग्न में स्थित है और चतुर्थ भाव में 4 ग्रह एक साथ बैठ कर एक षक्तिषाली राजयोग ‘प्रवज्र राजयोग’ बना रहा है।


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इस राजयोग की वजह से ही देष ने अरविन्द केजरीवाल का एक महान उत्थान देखा। अरविन्द केजरीवाल की जन्म कुन्डली में दो तरह की समस्याएं हंै, पहली समस्या यह है कि लग्न कुन्डली में तृतीय भाव का मंगल कमजोर है मगर नवांष कुन्डली में अपनी ही राषि में बैठ कर प्रबल हो रहा है। जन्मकुन्डली का तृतीय भाव दर्षाता है पराक्रम को, मंगल कमजोर होने के कारण ऐसा व्यक्ति बिना सोचे-समझे और दूसरों के पराक्रम का आकलन किए बिना प्रतिस्पर्धा में उतर जाता है और बाद में मुँहकी खाता है। इस बात का गवाह पूरा राष्ट्र है। इस लग्न के लिए षनि एक महत्वपूर्ण ग्रह होकर द्वादष भाव में स्थित है और नीच का भी है परन्तु नवांष कुन्डली में वर्गोत्तम भी हो गया है। षनि जनता का प्रतिनिधित्व करता है और पूर राष्ट्र ने यह देखा है कि जब जनता ने अरविन्द केजरीवाल से प्यार किया तो दिल से किया और दूसरी तरफ उसकी भत्र्सना भी जी भर के की। जब तक अरविन्द केजरीवाल राजनीति में रहेंगे इस प्रेम और घृणा का संबंध उनके साथ चलता रहेगा। अरविन्द केजरीवाल ने वो मुद्दे उठाये हैं जिनसे देष के विकास को ग्रहण लगा हुआ था और हर आम आदमी चिन्तित है देष का वो विकास नहीं हो रहा है जो होना चाहिए और ऊपर से भ्रष्टाचार ने देष की कमर ही तोड़ दी है।

अरविन्द केजरीवाल ने 70 प्रतिशत युवा जनता का प्रतिनिधितत्व करते हुए यह दिखाया कि आने वाले समय में देष का भाग्य किस ओर जाएगा। अरविन्द केजरीवाल की ईमानदार सोच ही उनकी सफलता का कारण थी हालांकि काफी समय से ये एक विवादित नेता के रूप में जाने जा रहे हैं जिसकी वजह से न केवल दूसरे राजनैतिक दल बल्कि मीडिया भी उनकी भत्र्सना कर रही है। जो मुद्दे अरविन्द केजरीवाल ने उठाये हैं वे देष के विकास के लिए अति आवष्यक हैं और उनमें से कुछ मुद्दे दूसरे क्षेत्रीय दलांे द्वारा आज तक अनछुए हंै हालांकि सब क्षेत्रीय दल यही दिखाते हैं कि वे सब भ्रष्टाचार के खिलाफ और विकास के लिए प्रयत्नषील हैं परन्तु जब भी वे सत्ता में होते हैं तो असली मुद्दों को भूलकर अपनी स्वार्थपूर्ति में लग जाते हैं। अरविन्द केजरीवाल ने यह दिखा दिया है कि हमारी 70 प्रतिशत युवा जनता एकजुट होकर कभी भी कुछ भी कर सकती है हमारे देष को एक महान राष्ट्र बनाने के लिए। यदि आने वाले 10 वर्षों में भारत को महान षक्ति बनाना है तो अरविन्द केजरीवाल की ईमानदारी वाली सोच अवष्य ही सफल होगी। राहुल गांधी पिछले एक दषक में यदि हम राजनैतिक इतिहास में जाके देखें तो पाएंगे की राहुल गांधी ही अकेले ऐसे राजनेता हैं जिन्हें पार्टी, सरकार व देष की जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त था परन्तु फिर भी ये अपना कोई प्रभाव नहीं दिखा पाए।

इस दुनिया में ऐसे भी सिकन्दर हुए हैं जिन्होंने अपने गुरू की राय मानकर विष्व जीत लिया। परन्तु यदि राहुल गांधी की बात करें तो ऐसा लगता है कि राहुल अपने 10 साल के प्रभाव को बिना प्रधानमंत्री बने ही खो देंगे। उनकी कुन्डली में कुछ ऐेसे योग हंै जिनके कारण उन्हें इस तरह की विरोधी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। राहुल गांधी की जन्म कुन्डली वृष लग्न की है जिसमें लग्न में ही बुध, द्वितीय भाव मेें सूर्य और मंगल, तृतीय भाव मेें षुक्र, चतुर्थ भाव मेें केतु, छठे भाव में बृहस्पति, सप्तम भाव में चन्द्र, दषम भाव में राहु और द्वादष भाव में षनि स्थित है। लग्न स्वामी षुक्र का तृतीय भाव मेें जाना षुभ नहीं है क्योंकि तृतीय भाव मेें जाकर षुभ ग्रह अपनी षुभत्व करने की ताकत को खो देता है। तृतीय भाव से कौषल व कम्यूनीकेषन को देखा जाता है और इन दोनांे ही जगह राहुल गांधी मात खाते हैं। यदि कोई नेता अपनी बात जनता तक सही ढंग से नहीं पहंुचा सकता तो ऐसा नेता जनता का प्यार और विष्वास कभी नहीं जीत सकता है। राहुल को अपनी इस कमी का खामियाजा आगामी लोकसभा चुनावांे में चुकाना पड़ेगा। राहुल की इस समय चन्द्र में बुध की दषा चल रही है। राहुल की जन्म कुन्डली में चन्द्र और बुध का कोम्बीनेषन बहुत अच्छा नहीं है इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी व उनकी पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ेगा।

नरेंद्र मोदी गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नरेन्द्र मोदी अकेले ऐसे राजनेता हंै जिन्हें किसी पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत किया है और वे आहिस्ता-आहिस्ता उस पद की तरफ बढ़ भी रहे हैं। नरेन्द्र मोदी देष के सभी हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं, पिछले एक वर्ष में किसी दूसरे नेता ने अभी तक इतनी रैलियां नहीं की हैंै। नरेन्द्र मोदी जी अकेले ऐसे राजनेता हंै जिन्हें जनमानस प्रत्यक्ष रूप में देख पाता है, बाकी नेताओं को देष की जनता ज्यादातर टी. वी. पर ही देख पाती है, अगर सोचा जाए तो आज के युग में यह बहुत बड़ी बात है। नरेन्द्र मोदी की जन्म कुन्डली वृष्चिक लग्न की है जिसमें लग्न में ही मंगल और चन्द्र, चतुर्थ भाव मेें बृहस्पति, पंचम भाव में राहु, दषम भाव में षनि और षुक्र, एकादष भाव में सूर्य, बुध औेर केतु स्थित हंै। नरेन्द्र मोदी की जन्म कुन्डली अपने आप में एक बहुत षक्तिषाली जन्म कुन्डली है। इसी वजह से नरेन्द्र मोदी अकेले ऐसे राजनेता हैं जो कि अपने दृढ़ विष्वास के जरिए अपने वरिष्ठ नेताओं को भी पीछे छोड़ कर प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए आगे बढ़ चुके हैं। यह किसी भी मनुष्य के लिए अपने आप में एक महान सफलता है।

मोदी जी की जन्मपत्री के अनुसार इस वर्ष उनकी चन्द्रमा में राहु की दषा रहेगी। चन्द्रमा लग्न में और राहु पंचम में स्थित है। दोनों ही ग्रहों की स्थिति एक दूसरे से अच्छी है परन्तु पूरी तरह से त्रुटि मुक्त नहीं है। चन्द्रमा और राहु दोनों ही अपनी नीच राषि में स्थित हैं हालांकि चन्द्रमा का नीच राजभंग हो रहा है। आने वाले लोकसभा चुनावों के बाद नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी को सरकार बनाने के बहुत नजदीक ले जाएंगे। अब सवाल यह उठता है कि मोदी की जन्म कुन्डली में चन्द्रमा कमजोर है और राहु भी साथ नहीं दे पा रहा है इसलिए आने वाले समय में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए दूसरे क्षेत्रीय दलों के समर्थन की आवष्यकता पड़ेगी। अब देखने योग्य बात यह है कि वे अपनी समझ का प्रयोग कर दूसरे क्षेत्रीय दलों से समर्थन कैसे प्राप्त करते हैं, अगर वे सफल हो गए तो प्रधानमंत्री बन जाएंगे अन्यथा ब्रह्मांड ही बेहतर जानता है।


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