शासकों के शासक कौन? ...
शासकों के शासक कौन? ...

शासकों के शासक कौन? ...  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 7177 | अप्रैल 2014

प्राचीन काल से ही आम जनता का ज्योतिष में अगाध विश्वास रहा है और राजनीतिज्ञ भी इसका अपवाद नहीं हैं। नई चुनी हुई सरकारें ज्योतिषी की सलाह पर एक शुभ घड़ी अर्थात् शुभ मुहूर्त का चयन करके शपथ ग्रहण करने में विश्वास करती हैं।

यदि ज्योतिष के इतिहास का अध्ययन करें तो हम पाएंगे कि अनेकानेक राजाओं ने ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों व ज्योतिषीय पुस्तकों के लेखकों को न केवल संरक्षण प्रदान किया अपितु उनके ज्ञान का सम्यक लाभ भी उठाया। सिकंदर महान ने अपने लिए एक भविष्यवक्ता नियुक्त किया हुआ था जिससे वह युद्ध में जाने से पहले सलाह ले लिया करता था।

इसी प्रकार सम्राट अकबर के दरबार में भी ज्योतिक राय नामक विख्यात ज्योतिर्विद थे जो राजा को निरंतर परामर्श देते रहते थे और बाद में ये सम्राट जहांगीर के दरबार में ज्योतिषी थे।

ऐसा माना जाता है कि नेपोलियन के पास लीवर्स डी प्रोफैटिक्स नामक एक पुस्तक थी जो नेपोलियन के सत्ता प्राप्ति से 262 वर्ष पूर्व फिलिप डयू डन नोल ओलिवेरियस नामक एक महान डाॅक्टर, सर्जन व ज्योतिषी द्वारा लिखी गई थी। कहते हैं कि इस पुस्तक के चमत्कारी ज्ञान के कारण नेपोलियन को ज्योतिष पर अगाध विश्वास था। कार्ल इनर्सट क्राफ्ट नामक स्विस एस्ट्रोलाॅजर को हिटलर का विशेष संरक्षण प्राप्त था। एक अन्य ज्योतिषी एैरिक जन हनुसन भी हिटलर को सलाह दिया करते थे। सन् 1980 में एक मुख्यमंत्री ने एक ज्योतिषी के कहने पर अपने शपथ ग्रहण करने के समय को घोषित करने के बाद 10ः00 बजे की बजाए 10ः02 कर दिया।

इसी प्रकार मंत्रियों के लिए शुभ और खुले कार्यालय का चयन करना भी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। कुछ कार्यालय इसलिए अशुभ माने जाते हैं क्योंकि यहां पर जिन भी मंत्रियों ने कार्यभार संभाला वे कोई महत्वपूर्ण कार्य न कर सके। दिल्ली के उद्योग भवन के दो कमरे इसी प्रकार से अशुभ माने जाते रहे हैं। एक इस्पात मंत्री ने भी लंबे समय के बाद सत्ता में लौटने पर ऐसे ही एक कमरे में जाने से मना कर दिया था।

कार्यभार संभालने के बाद मंत्री लोग कई विवादास्पद फाइलों पर कार्य करने से घबराते हैं। कार्यालय के अधिकारियों की राय जब इनके लिए नाकाफी हो जाती है तो यदि मामला अधिक संवेदनशील और रिस्क वाला हो तो ज्योतिषी की राय को अंतिम राय मानकर अंतिम फैसला लेते हैं।

इंदिरा जी और नरसिम्हा राव भी अहम फैसले लेते समय ज्योतिषी की राय अवश्य लेते थे। विदेशों में भी ज्योतिषियों के मशवरे को खूब महत्व दिया जाता है। नटवर सिंह ने स्व. माग्र्रेट थैचर के ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने से पहले प्रख्यात ज्योतिषी चंद्रास्वामी के साथ मीटिंग के बारे में लिखा है जिसमें चंद्रास्वामी ने माग्र्रेट थैचर को मंगलवार के दिन लाल साड़ी पहनने की सलाह दी थी। शेष इतिहास साक्षी है।

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