कुर्सी कहीं तीसरे के हाथ न चली जाय...
कुर्सी कहीं तीसरे के हाथ न चली जाय...

कुर्सी कहीं तीसरे के हाथ न चली जाय...  

रवि जैन
व्यूस : 12002 | अप्रैल 2014

नरेन्द्र मोदी की कुंडली में लग्न में स्वगृही मंगल से रूचक योग, चंद्र-मंगल से लक्ष्मी योग एवं सूर्य-बुध से बुधादित्य योग बना है। इसके अतिरिक्त प्रजा सुख का कारक ग्रह शनि अपने परम मित्र शुक्र के साथ दशम भाव में स्थित है जो जातक को पराक्रमी, साहसी, तर्क-वितर्क में माहिर होने के साथ ही शीघ्र निर्णय लेने वाला और कुशल प्रशासकीय क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। वक्री उच्च बुध के साथ सूर्य की एकादश भाव में युति है जिसकी मतदाताओं के पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि है जिसके कारण श्री मोदी जनता के मध्य बड़ी ही बुद्धिमानी से अपनी बात को रखने में कामयाब होते हैं। वहीं राहु-केतु की नैसर्गिक प्रवृत्ति से अपने विरोधियों और अपनी पार्टी में अपना वजूद कायम करने में सफल होकर अंत में अपने पक्ष में माहौल बना लेते हैं।

श्री मोदी की जन्म पत्रिका में सूर्य 00ः38 अंश का और शनि 29ः40 अंश पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में है जिसका स्वामी सूर्य है। दोनों ग्रहों के अंशों के मान से बाल एवं मृत अवस्था में होने से ग्रहों का अपना-अपना क्रूर प्रभाव निर्बल हो जाने से दोनों के मध्य शत्रुता का भाव कम हो गया है। वहीं सूर्य की राशि में ही शनि दशम भाव में शुक्र के साथ है। शनि के स्वभाव के मान से दशम भाव जो प्रजा का भाव है उसमें सफलता दिलाता है और उस पर गुरू की पूर्ण दृष्टि प्रजासुख में बढ़ोत्तरी में सहायक बनी है। श्री मोदी को वर्तमान में चंद्र में गुरु की अन्तरदशा 09 अक्तूबर 2013 से 09 फरवरी 2015 तक है। चंद्र में गुरु में ही भाजपा की ओर से भावी प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा की गई। 13 दिसंबर 2013 से चंद्र में गुरु में शनि की दशा है जिसमें श्री मोदी को लाने के लिए भाजपा की ओर से विशेष अभियान की शुरूआत की गई है।

01 मार्च 2014 से चंद्र में गुरु में बुध और उसके बाद 07 मई 14 से 05 जून के मध्य केतु की दशा रहेगी। अप्रैल-मई 2014 मंे होने वाले गोचर ग्रहों के मान से श्री मोदी की पत्रिका में सूर्य षष्ठम एवं सप्तम भाव में गोचर करेगा तथा शनि राहु द्वादश भाव में हांेगे, गुरु अष्टम भाव में ,और लग्न का स्वामी मंगल एकादश भाव में तथा शुक्र ग्रह चतुर्थ एवं पंचम भाव में गोचर करेंगे। इसी अवधि के दौरान लोकसभा निर्वाचन होना और इसके परिणाम आना संभावित हैं। स्वतंत्र भारत की कंुडली देखें तो भारत की कुंडली में पंचग्रही योग है। कुंडली के सप्तम भाव से किसी भी व्यवसाय अथवा संस्था को चलाने वाले मुखिया अथवा संचालनकत्र्ता के बारे में ज्ञात किया जा सकता है। ऐसे में भारत की कुंडली के सप्तम भाव की राशि वृश्चिक का स्वामी मंगल है।

अभी तक भारत में 14 प्रधानमंत्री बने हंै इनमें से 4 मंगल और 4 शुक्र ग्रह से प्रभावित हैं। ऐसे में भावी प्रधानमंत्री के मंगल अथवा शुक्र ग्रह से प्रभावित नेता होने की प्रबल संभावना बनती है। प्रचलित नाम राशि के मान से नरेन्द्र मोदी की वृश्चिक राशि है। जिसका स्वामी मंगल ग्रह एवं राहुल गांधी की तुला राशि बनती है जिसका स्वामी शुक्र ग्रह होता है। इन दिनों दोनों के ही नाम पर चर्चा हो रही है। लोकसभा निर्वाचन के समय स्वतंत्र भारत की कुंडली में सूर्य-बुध-शनि की दशांतर 17 मार्च 2014 से 5 मई 2014 तक और उसके बाद सूर्य-केतु-केतु या शुक्र की दशांतर 4 जून 2014 तक रहेगी। इसी दौरान लोकसभा के निर्वाचन हांेगे और परिणाम भी आ जाएंगे। अब जानते हैं कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कुंडली में ग्रह नक्षत्र क्या संकेत दे रहे हैं।

राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को प्रातः 5.50 को दिल्ली में 09 अंश पर मिथुन लग्न में ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ। लग्न में क्रूर व पापी ग्रह मंगल एवं सूर्य की युति है, लग्न का स्वामी बुध अपनी राशि से द्वादश में, द्वितीय भाव में कर्क राशि में शुक्र और कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा षष्ठम भाव में नीच राशि वृश्चिक का है, सप्तम भाव एवं दशम भाव का स्वामी गुरु वक्री होकर पंचम भाव में है, अष्टम और नवम भाव का स्वामी शनि ग्रह नीच राशि मेष में है। राहुल गांधी की वर्तमान में चंद्र में बुध की दशा 1 फरवरी 2013 से 1 जुलाई 2014 तक रहेगी। चुनाव के वक्त राहुल गांधी को चंद्र में बुध में शनि की दशांतर 10 अप्रैल 2014 से 1 जुलाई 2014 तक रहेगी। गोचर ग्रहों के मान से चुनाव के वक्त राहुल गांधी की कुंडली के मान से सूर्य एकादश एवं द्वादश भाव में, शनि तुला राशि में उच्च का होकर पंचम भाव में राहु के साथ होगा, लग्न में गुरु गोचर करेगा, मंगल की चतुर्थ भाव से सप्तम एवं दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि होगी एवं सूर्य की भी पंचम भाव पर दृष्टि होगी।

मंगल एवं शनि तथा सूर्य के कारण व चंद्र में बुध जो आपसी शत्रु ग्रह हंै उसके साथ शनि की प्रत्यन्तर दशा गोचर में होने पर राहुल का जादू जनता पर चल पाएगा?, उनकी मेहनत पार्टी के लिए लाभकारी सिद्ध हो पाएगी ? क्या इसमें ग्रहों की अनुकूलता रहेगी इसमें भी संदेह है। उक्त ग्रह गोचर एवं दशांतर के मान से दोनों नेताओं में से श्री राहुल की तुलना में श्री मोदी के ग्रह योग अधिक बलवान हैं। भारत और मोदी की कुंडलियों के ग्रह-नक्षत्र में श्री मोदी की कुंडली के ग्रहों एवं गोचर से भारत की कुंडली में सूर्य में केतु अथवा शुक्र की दशांतर रहेगी, वहीं मोदी को भी चंद्र में गुरु में केतु अथवा शुक्र ग्रह की दशांतर होगी।

शुक्र ग्रह श्री मोदी की कुंडली में दशम भाव में शनि के साथ है और उस पर गुरु की पूर्ण दृष्टि भी है। ऐसे में नरेन्द्र्र मोदी लोकसभा में अपनी पार्टी के लिए अधिक सीटें प्राप्त कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थान दिलाने में कामयाब हो सकते हैं। नरेन्द्र मोदी को आगामी प्रधानमंत्री बनने के प्रबल योग के संकेत हैं लेकिन मोदी के लिए बाधक ग्रह भाग्य भाव की राशि कर्क का स्वामी चंद्रमा होता है जो नीच का होकर लग्न में अग्नि तत्व ग्रह मंगल के साथ है। मंगल और चंद्रमा की सप्तम भाव पर पूर्ण दृष्टि होने से श्री मोदी को संगठन के साथ-साथ अपने अन्य सहयोगी दलों को मनाना होगा अन्यथा कुर्सी किसी तीसरे के हाथ न चली जाए।

श्री राहुल गांधी की चंद्रमा की महादशा 2017 तक रहेगी, चंद्रमा द्वितीय भाव का स्वामी होकर लग्न कुंडली में षष्ठम भाव में नीच का है, चंद्रमा की महादशा के दौरान राहुल गांधी को परोक्ष रूप से अपने ही लोगों से सतर्क होकर कार्य करना होगा। इसी दशा में उतार चढ़ाव भी देखने होंगे। श्री राहुल गांधी के ग्रह गोचर और दशांतर संकेत दे रहे हैं कि राहुल लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सीटें दिला पाएंगे इसमें संदेह है। प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गांधी के ग्रह योग भी सकारात्मक भूमिका अदा करने में असमर्थ ही होंगे।

राहुल गांधी को मंगल की महादशा 2017 के बाद प्रांरभ होगी। मंगल-सूर्य की युति लग्न में है, उस पर गुरू और शनि की पूर्ण दृष्टि है। इस कारण वे एक ईमानदार एवं सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं। इस कारण 2017 के बाद आगामी निर्वाचन के समय जनता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रसंद कर सकती है।



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