इलायची एक ऐसा शब्द-नाम जिसके सुनते ही मन सुगंधित हो उठता है, एक महत्वपूर्ण औषधि भी है। आयुर्वेद की कई औषधियों में इसका उपयोग होता है। इलाचयी दो प्रकार की होती है- बड़ी तथा छोटी इलायची। बड़ी इलायची मसालों में अधिक प्रयुक्त होती है। छोटी इलायची औषधियों में अधिक उपयोग होती है। दोनों ही हर घर में प्रयोग की जाती है। इलायची की जानकारी आज से तीन चार हजार वर्ष पूर्व मिस्र में मिली थी। यूनान के प्राचीन गं्रथों में भी इसका जिक्र मिलता है।
आयुर्वेद में इलायची को बहुत गुणकारी कहा गया है। भारतवर्ष में यह मैसूर, केरल, मालाबार आदि में पैदा की जाती हैे। बर्मा व श्रीलंका में भी इसकी खेती होती है। औषधीय गुण इलायची के औषधीय गुणों का हमारे महर्षियों ने भली-भांति ज्ञान और आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया। इसलिए विभिन्न औषधियों में गुणों के अनुसार इसका उपयोग किया जाता है जो कई रोगों में लाभकारी होता है। जैसे -
-खाने के बाद इलायची को मुंह में रखकर चूसने से खाना जल्दी पच जाता है। -इलायची हमारे शरीर की गर्मी को संतुलित रखने में सहायक है।
- मुंह में छाले होने पर इलायची को पीसकर शहद के साथ छालों पर लगाने से लाभ होता है। ऐसे कई प्रकार के प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि इलायची कई प्रकार के रोगों में लाभकारी है। विभिन्न रोगों में इलायची पाचन तंत्र संबंधी अपच की शिकायत, पेट का अफारा होने पर अजवायन के साथ इलायची के काढ़े का सेवन करने से लाभ होता है।
खाने के बाद इलायची को चूसने से अपच की शिकायत दूर होती है, खाना जल्दी पच जाता है। पीलिया पीलिया रोग में इलाचयी और मिश्री का चूर्ण बनाकर सेवन से पीलिया में लाभ होता है। गुर्दे में पथरी इलायची, शिलाजीत, पीपर, मिश्री को समभाग लेकर चूर्ण कर एक चम्मच की मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ सेवन से लाभ होता है। लीवर की सूजन 10 ग्राम आंवला, 25 ग्राम जीरा, चार इलायची, 10 ग्राम मिश्री का चूर्णकर एक-एक चम्मच की मात्रा गाय के दूध के साथ सेवन से लाभ होता है। लीवर संबंधी सभी रोगों में लाभ होता है।
कफ-खांसी खांसी में इलायची, दालचीनी, पुष्कर मूल के समभाग चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में शहद से दो बार चाटें। इलायची का चूर्ण दिन में तीन बार शहद में मिलाकर चाटने से कफ-खांसी में लाभ होता है। इलायची व सौंठ का समभाग चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से भी लाभ होता है। इलायची, काली मिर्च, बबूल गोंद और मिश्री को समभाग चूर्ण कर आधा चम्मच की मात्रा गरम पानी के साथ दिन में दो बार लेने से खांसी में लाभ होता है। उल्टी/वमन उल्टी हो रही हो तो पुदीना, इलायची, पीपर सब समभाग चूर्ण कर लंे।
आधा चम्मच की मात्रा जल से सेवन करने से लाभ होता है। इलाचयी को पानी में उबालें और ठंडा होने पर मिश्री मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन करने से उल्टी नहीं होती। हैजा 10 ग्राम इलायची को एक किलो पानी में तब तक पकायें जब एक चैथाई पानी रह जाए तब उसे ठंडा कर घूंट-घूंट कर पीने से हैजे के प्रकोप, प्यास, पेशाब रूकना आदि में अत्यंत लाभदायक है। जुकाम इलायची, काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ, धनिया सब समभाग लेकर चूर्ण कर लें। इस चूर्ण की दो चम्मच की मात्रा को 250 ग्राम पानी में पकाएं। जब पानी आधा रह जाए तो गुन-गुना छान कर पिला दें। जुकाम में शीघ्र लाभ होता है।
अजीर्ण/गैस/पेट दर्द इलाचयी, अजमोद, चित्रक आंवला, सोंठ, सेंधा नमक बराबर लेकर चूर्ण बना लें। गरम पानी के साथ एक चम्मच लें, अजीर्ण, गैस, पेट दर्द में आराम होता है। मुंह की बदबू और दांतों में कीड़ा इलायची को मुंह में रखकर चबाने से मुंह की बदबू और दांतों में कीड़ा नहीं लगता। इलायची को खस के चूर्ण के साथ पानी में रखकर चबाने से मुंह की बदबू दूर होती है। मंुह के छाले इलायची, कबाबचीनी, कत्था तथा संगराहत बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करें।
इस चूर्ण को दिन में कई बार मुंह में मलकर जल से कुल्ला करने से मुंह के छाले से राहत मिलती है। महिलाओं को श्वेत प्रदर इलायची, नाग केसर प्रत्येक 100-100 ग्राम लें। इसको चूर्ण कर लें, इस में 250 ग्राम मिश्री या चीनी मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में दो बार मलाई युक्त दूध के साथ लें। लगातार दो महीने लेने से पुराने से पुराने रोग में लाभ होता है।
हकलाहट व तुतलाहट इलायची, कुलंजन, अकरकरा, बच तथा लौंग सभी 50-50 ग्राम लेकर पीस लें। इस पीसे चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम ब्राह्मी अर्क के साथ तीन चार माह तक लें, लाभ होगा। रतौंधी/आंखों संबंधी रोग इलायची का तेल रतौंधी के लिए सर्वोत्तम है। इसके तेल को लगाने से जीर्ण रतौंधी भी ठीक हो जाती है। पेशाब की जलन इलायची के चूर्ण को दूध में मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में लाभ होता है। पेशाब की गड़बड़ी में आंवले के रस में इलायची का चूर्ण डालकर उपयोग करें।
नकसीर इलायची के अर्क को तीन-तीन घंटे पर उपयोग करने से नकसीर ठीक हो जाती है। हृदय रोग इलायची को मोटा कूट कर एक लीटर पानी में इतना उबालें कि एक चैथाई रह जाए। इस पानी को छान कर उपयोग करने से हृदय रोग में लाभ होता है। बिट्टू के काटने पर इलायची का तेल दंश स्थान पर लगाने से दर्द व जलन शांत हो जाता है।