कब और कैसे मनाएं जन्माष्टमी
कब और कैसे मनाएं जन्माष्टमी

कब और कैसे मनाएं जन्माष्टमी  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 8960 | सितम्बर 2007

जन्माष्टमी पर्व कब मनाएं? कुछ प ं च ा ं ग ा े ं क े अ न ु स ा र जन्माष्टमी 3 सितंबर को और कुछ के अनुसार 4 सितंबर को होगी। वहीं कुछ ऐसे भी पंचांग हैं जिनके अनुसार स्मार्त एवं वैष्णव भेद से अलग-अलग (अर्थात् दोनों दिन) मनाई जानी चाहिए। दोहरी जन्माष्टमी के विवाद के कारण सनातन धर्मावलंबी हमेशा संशय एवं असमंजस की स्थिति में रहते हैं।

जिस दिन सरकार ‘शासकीय अवकाश’ घोषित कर देती है, सरकारी कर्मचारी उसी दिन जन्माष्टमी मना लेते हैं। कुछ लोग तो पड़ोसी को देखकर या मंदिरों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। फिर चाहे उसमें शास्त्र की सहमति हो अथवा नहीं। समूचे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी यदि एक ही दिन, एक साथ मनाई जाए तो परस्पर सौहार्द एवं धार्मिक एकता के दृष्टिकोण से अच्छा रहेगा।

किंतु कोई भी पंचांगकर्ता ‘जन्माष्टमी सर्वेषां’ लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं श्री कृष्ण जयंती पर्व भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, मंगलवार तदनुसार दिनांक 4 सितंबर 2007 को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी समुदायों को बिना किसी भेदभाव के इसी दिन व्रत रखकर जन्माष्टमी मनानी चाहिए क्योंकि- 

4 सितंबर को अष्टमी सूर्योदय कालीन भी है और चंद्रोदय कालीन भी है। (ग्वालियर पंचांग के अनुसार इस दिन अष्टमी 41 घटी, 07 पल की है अर्थात रात्रि 10ः30 बजे तक अष्टमी रहेगी।) दिनांक 4 सितंबर को अष्टमी सप्तमी से संयुक्त (विद्ध) नहीं है, बल्कि नवमी से संयुक्त है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी है।

( ग्वालियर पंचांग के अनुसार दिनांक 4 सितंबर को रोहिणी नक्षत्र 40/21 घटी का अर्थात रात्रि 5233 वीं श्रीकृष्ण जयंती शास्त्रों में वर्णित पौराणिक इतिहास के अनुसार ज्योतिषीय गणना करने पर पता चलता है कि श्री कृष्णावतार आज से 5233 वर्ष पूर्व हुआ था। अट्ठाइसवें महायुग में द्वापर युग के समाप्त होने में जब 125 वर्ष 7 माह और 6 दिन शेष थे तब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। अर्थात द्वापर युग के 8,63,874 वर्ष, 4 माह और 22 दिन व्यतीत हो जाने पर उनका जन्म हुआ था। वे 125 वर्ष, 7 माह व 6 10ः10 तक रहेगा।)

दिनांक 3 सितंबर को सप्तमी सूर्योदय कालीन है। सिद्धांतानुसार उदयकालीन सप्तमी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करना वैष्णवों तथा गृहस्थों के लिए प्रशस्त नहीं है। शास्त्रानुसार यदि प्रथम दिन सूर्योदयकालीन सप्तमी हो तथा अद्धर् रात्रि में अष्टमी हो तो दूसरे दिन व्रत करना चाहिए। गृहस्थों के लिए तिथि का विशेष महत्व है। यदि अष्टमी तिथि को अर्द्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र का योग बन जाए तो अच्छी बात है। किंतु निशीथ काल में अष्टमी तिथि से रोहिणी नक्षत्र का योग होना अनिवार्य नहीं है।

दिनांक 4 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले उदय कालीन अष्टमी में ही व्रत का संकल्प लेंगे। यह भी एक सकारात्मक पक्ष है तथा 4 सितंबर को रात्रि में ही बाल गोपाल को झूला झुलाकर तथा उनकी विशेष पूजा अर्चना कर, व्रत खोलना उचित है। व्यावहारिक तौर पर भी यह देखा गया है कि अधिकांश घरों में रात्रि 8 से 10 बजे तक पूजा हो जाती है।

पूजा एवं व्रत पारण के लिए बहुत कम लोग रुक पाते हैं। इस तरह समस्त गृहस्थों और वैष्णवों, निम्बार्क मतावलंबियों तथा विधवा स्त्रियों के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं श्रीकृष्ण जयंती उत्सव दिनांक 4 सितंबर 2007, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, विक्रम संवत् 2064 को मनाना ही शास्त्रसम्मत है।

स्मार्तों की जन्माष्टमी (3 सितंबर) निर्णय सागर पंचांग के अनुसार दिनांक 3 सितंबर 2007 को भाद्रपद कृष्ण सप्तमी 36 घटी 42 पल को है। तत्पश्चात अष्टमी लागू होगी और रात्रि 9ः03 से जन्माष्टमी प्रारंभ होगी।

इसी प्रकार दिनांक 3 सितंबर को कृत्तिका नक्षत्र 33 घटी, 20 पल का है। इसके बाद चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर जाएगा अर्थात रात्रि 7ः45 से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा।

इसलिए स्मार्त, शैव और संन्यासियों को प्रथम दिन (3 सितंबर) की रोहिणी युक्त अष्टमी में (जो कि अर्द्धरात्रि व्यापिनी है) रात्रि 12ः12 बजे श्री कृष्णजन्माष्टमी व श्री कृष्ण जयंती मनानी चाहिए। इसके लिए उन्हें भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण तथा व्रत का पारण दूसरे दिन (4 सितंबर) को करना चाहिए। तभी उन्हें जन्माष्टमी के व्रत का फल मिलेगा।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.