वक्री ग्रहों का खेल, संजय दत्त को जेल
वक्री ग्रहों का खेल, संजय दत्त को जेल

वक्री ग्रहों का खेल, संजय दत्त को जेल  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 10467 | सितम्बर 2007

संजय दत्त हमेशा विवादों में घिरे रहे। लेकिन अपने अभिनय के बूते उन्होंने लोकप्रियता भी खूब बटोरी। अब उन्हें न्यायपालिका ने मुंबई दंगों के अभियुक्त के रूप में छह साल सश्रम कारावास की सजा काटने यरवदा जेल भेजा है।

रील लाइफ के ‘मुन्ना भाई’ का किरदार आज रीयल लाइफ में उनके सामने हकीकत बन कर उभरा है। संजय दत्त के जीवन में इस उतार-चढ़ाव में ग्रहों बहस्पति संहिता में वर्णित है कि मनुष्य को राज्य और कष्ट दोनों ग्रह ही प्रदान करते हैं।

जब ये अपनी चलन गति में वक्री हो जाते हैं तब अच्छे-अच्छे राजाओं, महाबलियों को भी अपने चंगुल में फंास लेते हैं। राम, रावण, हरिश्चंद्र, कंस आदि के उदाहरण हमारे सामने हैं। अभी ढाई वर्ष पूर्व शनि के कर्क राशि में वक्री होने के साथ-साथ शनि ने महायोगी महातपस्वी संत जगद्गुरु शंकराचार्य (जयनेंद्र सरस्वती) को भी अपनी वक्र चाल में फांसकर बंधन योग प्रदान किया था।

संजय दत्त भी इन ग्रहों की वक्र चाल से बच नहीं पाए। कदाचित उन पर चल रहे ग्रहों के कुप्रभावों के फलस्वरूप ही उन्हें दंड मिला। संजय दत्त का जन्म 29 जुलाई 1959 को दोपहर 2.45 बजे मुंबई में हुआ था।

उनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ जिसमें चंद्र के उच्च के होने के कारण उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की। यदि संजयदत्त की कुंडली पर दृष्टि डाली जाये तो लग्न (शरीर) का स्वामी मंगल 9 अंश का मजबूत होकर दशम भाव में बैठा है।

इस कारण उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट रहेगा। पर सप्तम भाव में चंद्र उच्च का होकर मात्र 1 अंश का और कमजोर होने के कारण वे भावुक हृदय के रहेंगे। संजय दत्त का जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ है। उनका लग्न उन्हें अदम्य साहस प्रदान कर रहा है।

जन्म के ग्रहों में चंद्र मात्र 1 अंश और बुध तथा महादंडनायक शनि वक्री हैं। जन्म के वक्री ग्रह या गोचर के वक्री ग्रह या उनकी दशा, अंतर्दशा अथवा प्रत्यंतर्दशा आ जाए तो भी जातक को महाकष्ट एवं बंधन योग प्राप्त होता है। यह सूत्र पराशर होरा शास्त्र में वर्णित है और अनुभूत है।

सजं य दत्त के महाकष्टो ं का प्रारंभ 93 के दंगों के बाद राहु की महादशा के कारण हुआ। कई बार राहु विभिन्न प्रकार के बंधनों में भी डाल देता है। लेकिन वर्तमान में गुरु की महादशा 24-4-1998 से प्रारंभ हुई। गुरु भी संजय की कुंडली में विपरीत ग्रह शुक्र के घर, 12वें भाव में बैठा है जो बंधन योग का मुख्य कारक होता है।

उस समय इस भाव में बैठे बृहस्पति ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया था। उन्हें 1993 के दंगों के बाद 16 माह का कारावास भी भोगना पड़ा। वर्तमान में गुरु वक्री है जो 7 अप्रैल 2007 से अपना प्रभाव दिखा रहा है। 8-8-2007 को यह मार्गी होगा वहीं आकाश में शुक्र भी, जो संजय दत्त की कुंडली में अंतर्दशानाथ है, 27-7-2007 से वक्री है। पर शुक्र वक्री दशा में पश्चिम में 10 अगस्त को अस्त हो जाएगा।

उन पर वक्री गुरु की प्रत्यंतर दशा भी चल रही है। इस कारण 22-11-2007 तक उन्हें विभिन्न कष्टों का सामना करना पड़ेगा। कई बार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। पर गुरु के मार्गी तथा शुक्र के अस्त होने पर उन्हें आने वाले दिनों में कुछ राहत मिलने के आसार हैं। संजय दत्त को वक्री ग्रहों ने व्यूह में फंास रखा है उस व्यूह से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा अनुष्ठान की आवश्यकता है, तभी लाभ हो सकता है।

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