‘‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।’’ अर्थात जन्म जन्मांतर में किए हुए कर्मों का विनाश नहीं होता, वे अविनाशी हैं। साथ ही कहा गया है कि ‘‘नाभुक्तं क्षीयते कर्म’’ अर्थात भोग के बिना कर्म का विनाश नहीं हो सकता।
अनुमान के आधार पर पुनर्जन्म को साबित करने हेतु हम एक प्रमाण लेते हैं कि फल को देखकर अतीत बीज का अनुमान कर लिया जाता है। तदनुसार उत्तम कुल और अधम कुल में जन्म देखकर पूर्वजन्म का अनुमान हो जाता है। बालकों के स्व. भाव भी उनके पूर्वजन्म को दर्शाते हैं।
उदाहरणार्थ कृष्णलीला में एक प्रसंग आता है कि जब श्रीकृष्ण मिट्टी उठाकर खा रहे थे तो यशोदा मैया ने उनसे कहा कि क्या तू पूर्वजन्म में शूकर था जो इस तरह मिट्टी को खा रहा है? वास्तव में श्रीकृष्ण पूर्व के अवतार में शूकर ही थे। हमारे यहां की नित्य नूतन चिरपुरातन की अवधारणा भी तो इसी पर आधृत है। ये तथ्य पुनर्जन्म सिद्धांत की पुष्टि करने हेतु पर्याप्त हैं।
बाइबिल में भी पर्व 2 आयत 8-15 में वर्णित है कि एलियाह नबी की आत्मा मृत्यु के पश्चात एलोशा में आ गई। मती पर्व 11, आयत 10-13 में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला ही पूर्व जन्म में एलियाह था ऐसा कहा गया है।
खुद ईस के कई ऐसे मोअजे प्रसिद्ध हैं जिनमें उन्होंने किसी के भीतर प्रविष्ट शैतान की आत्मा को बाहर निकाला था। बेसीलियन, वैलेंटीयन, माशीनिस्ट, साइमेनिस्ट, मैनीचियन आदि ईसाई धर्म की ऐसी शाखाएं हैं जो आज भी पुनरागन को मानती हैं। गौतम बुद्ध के बारे में कहा गया है कि उन्हें अपने पूर्व के 5000 जन्मों की स्मृति थी।
शास्त्रों में कहा गया है कि जब मस्तिष्क में रमी हुई प्राण् ावायु नेत्रमार्ग से बाहर निकलती है तब उसका पूर्णजन्म मानवयोनि में होता है व उसे पूर्वजन्म की स्मृति बनी रहती है। आज भी आए दिन अखबारों, पत्रिकाओं आदि में बच्चों की पूर्वजन्म की स्मृति की खबरें आती रहती हैं। ऐसी खबरें केवल हिंदुओं में अथवा भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व व प्रायः हर मजहब में सुनने को मिलती हैं।
उदाहरण् ाार्थ नेकाती उनलकास्किरोन नामक बालक कहता था कि पूर्व जन्म में उसकी हत्या कर दी गई थी। उसने अपने कातिल का नाम भी बताया था। दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र में 20/12/57 को छपे एक समाचार के अनुसार 75 वर्षीय व्यवसायी विश्वंभरनाथ बजाज की 16 तारीख को मृत्यु हो गई परंतु फिर वह जी उठे व उसी समय एक अन्य व्यक्ति का प्राणांत हो गया।
दक्षिण अफ्रिका के प्रिटोरिया शहर में जन्मी जोय नामक बच्ची को अपने 9 पूर्व जन्मों की स्मृति थी। जोय के कथनों की पुष्टि वैज्ञानिकों ने भी की। पुनर्जन्म के साथ-साथ योनिपरिवर्तन, मसलन स्त्री से पुरुष, लड़के से गौ, गौ से पुनः लड़का आदि की खबरें भी यदाकदा सुनने को मिलती रहती हैं।
समाचार पत्र ‘आज’ में तो एक बार गुल मोहम्मद नामक पूर्व जन्म के पक्के नमाजी के एक हिंदू बालक के रूप में जन्म की खबर भी आई थी। फ्रांस, इटली, जापान, अमेरिका आदि अनेक देशों में पुनर्जन्म की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वैज्ञानिकों ने जब इन घटनाओं पर शोध किया तो इन्हें सत्य पाया।
इस प्रकार पुनर्जन्म का होना सिद्ध हुआ। कौन किस योनि को प्राप्त होता है? हत्या, चोरी, व्यभिचार आदि दोषों के कारण मनुष्य वृक्षादि स्थावर योनि को प्राप्त होता है। वाणी से किए गए पाप के कारण लोग पक्षी, मृगादि योनियों में जन्म लेते हैं।
मन से किए गए पापों के कारण चंडाल योनि की प्राप्ति होती है। सात्विक गुण संपन्न लोग देवयोनि में जन्म लेते हैं। रजोगुणी मानव योनि में तथा तमोगुणी तिर्यक योनि में जन्म लेते हैं।
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