कैसा रहेगा नवसंवत २०६४ (२००७-२००८) देश एवं दुनिया के लिए
कैसा रहेगा नवसंवत २०६४ (२००७-२००८) देश एवं दुनिया के लिए

कैसा रहेगा नवसंवत २०६४ (२००७-२००८) देश एवं दुनिया के लिए  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6586 | मार्च 2007

कैसा रहेगा नवसंवत 2064 (2007-08) देश एवं दुनिया के लिए नए वर्ष का प्रारंभ ग्रहण से ही होगा तथा इसी वर्ष दो ज्येष्ठ मासों (पुरुषोŸाम मास) तथा 5 वारों के एक साथ पड़ने (5 मंगलवार तथा 5 शनिवार) और 13 दिन का पक्ष (30 जुलाई से 12 अगस्त तक) होने और दो तिथियों के क्षय होने से महाभारत जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इसके अतिरिक्त खप्पर योग भी पड़ रहा है जिसके फलस्वरूप जम्म-ू कश्मीर, आसाम, बिहार तथा पश्चिमाŸे ार पद्र श्े ाां े में हिंसक वारदातें, उपद्रव, अग्निकांड आदि हो सकते हैं। मूल्य आसमान को छूएंगे, जनता महंगाई के कारण त्राहि-त्राहि करेगी। विशेष रूप से लोहे के मूल्य में भारी वृद्धि के योग हैं, इन सबके बावजूद भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी छवि बनाएगा।

बार्हस्पत्यमान से विष्णुविंशति का 34वां नया शर्वरी संवत 2064, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 19 मार्च सन् 2007 ईस्वी, सोमवार से प्रारंभ होगा। धार्मिक अनुष्ठानों में संकल्प आदि शुभ कार्यों में शर्वरी नामक संवत्सर का प्रयोग किया जाएगा। यहां प्रस्तुत है इस संवत्सर के फलों का विस्तृत विवरण विक्रम संवत 2064 में नव संवत प्रवेश 19 मार्च 2007 ई., सोमवार, चैत्र अमा की समाप्ति पर प्रातः 8 बजकर 13 मिनट से मेष लग्न में प्रारंभ होगा।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा एवं नवरात्रारंभ भी इसी दिन होगा। वर्ष प्रवेश कुंडली में मेष लग्न उदित हुआ है। लग्न का स्वामी युद्धप्रिय ग्रह मंगल दशम भाव (विदेशी व्यापार) से उच्च राशिस्थ होकर लग्न भाव को स्वगृही दृष्टि से तथा चतुर्थ भावस्थ शनि को शत्रु दृष्टि से देख रहा है।

पंचम भाव (नेतृत्व, प्रशासन, बुद्धि) का स्वामी सूर्य द्वादश भाव में चंद्र के साथ योगकारक है और उस पर गुरु की शुभ दृष्टि पड़ रही है। ग्रहस्थिति के अनुसार विश्व के अधिकांश देश अत्यधिक संहारक हथियारों की दौड़ में अपना प्रभुत्व बनाने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। प्रतिद्वंद्विता और होड़ की प्रवृŸिायां बढ़ेंगी। ईराक, लेबनान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल एवं भारत सहित कुछ देशों में आतंकवादी विस्फोटक एवं हिंसक वारदातें करने के प्रति सक्रिय रहेंगे।

इस दिन धर्म परायण लोगों को श्री गणेश जी के मंगल चित्र से अंकित ध्वज को अपने-अपने घरों पर लगाना चाहिए तोरण आदि से अपने इष्ट देवताओं, ब्राह्मणों, गुरुओं का पूजन करना चाहिए, पुरुषों एवं स्त्रियों को नवीन वस्त्र धारण करके घर में उत्सव मनाना चाहिए।

इससे नया वर्ष शुभ रहेगा। ‘‘चैत्र शुक्ल जगत ब्रह्मा संघर्ष प्रथमे अह्नि’’ यह दिन इसलिए भी शुभ माना जाता है कि जगत उत्पŸिाकर्ता ब्रह्मा ने इस दिन चराचर ब्रह्मांड की उत्पŸिा की थी इसलिए यह दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में आता है।

इस दिन मां दुर्गा का आवाहन, घट स्थापना, ज्योति प्रज्वलन, व्रत व श्री दुर्गा के पाठ आदि का प्रारंभ होता है। भारतीय पर्व त्योहारों की परंपरा में संवत्सर को विशेष स्थान दिया गया है, हिंदुओं के किसी भी पर्व, अनुष्ठान आदि देव पितृ कार्य में (जैसे यज्ञोपवीत संस्कार, जन्म दिन, विवाह, यज्ञ व अनुष्ठानों के संकल्प में) संवत्सर का साक्ष्य रूप में उच्चारण होता है।ब्रह्म पुराण के आधार पर ब्रह्मा जी ने जिस दिन सृष्टि का आरंभ किया था वह तिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा थी।

वर्ष के राजा चंद्र का फल:

चंद्रे नृपे मंगल शोभनानिप्रभूतवृष्टिः प्रचुरं च धान्यम्।

सौख्यं जनानामुदयो नृपाणां प्रशाम्यति व्याधि जरा नराणाम्।।

वर्ष का राजा चंद्रमा होने से समाज में उत्सव अधिक होंगे। वर्षा बहुत हागे ी आरै धान्य, चावल, मासै मी, फल, वृक्ष, तृण, घास, गन्ने व अन्य रसदार वनस्पतियों की फसल अच्छी होगी। लोगों में सुख-ऐश्वर्य के साधनों में वृद्धि अधिक होगी। राजनेताओं का प्रभुत्व बढ़ेगा, परंतु प्रजा और नेताओं के मध्य सौहार्द भी बढ़ेगा। समुद्र एवं नदियों में जल का बहाव अधिक रहेगा। धर्म एवं धार्मिक विषयों पर चर्चा अधिक होगी। कुछ विशेष रोगों पर अनुसंधानात्मक प्रयोग होंगे। लोगों में श्वास, बलगम, कफ, प्रमेह, उन्माद, स्त्रीजन्य एवं मानसिक रोगों का अधिक्य होगा। स्त्रियों का प्रभाव-क्षेत्र बढ़ेगा।

मंत्री शनि का फल:

रविसुते यदि मंत्रिणि पार्थिवाविनयसंर- हिता बहुदुः खदाः।

न जलदाः जलदा जनता पदा जनपदेषु सुखं न धनं क्वचित्।।

अर्थात वर्ष का मंत्री शनि होने से प्रशासक वर्ग एवं राजनेताओं का व्यवहार साधारण प्रजा के प्रति अत्यंत कठोर, निर्दयतापूर्ण एवं दुखदायक रहेगा। कहीं-कहीं वर्षा की कमी रहने से खाद्यान्नों में कमी एवं प्राकृतिक प्रकोपों का भय रहेगा। साधारण मनुष्यों के पास समुचित धन-संपदा एवं सुख साधनों की कमी होगी तथा दिलों में गहन असंतोष व्याप्त होगा। लोहा, जस्ता, स्टील, सिक्के, चांदी तथा दालें, गेहूं, चावल आदि खाद्यान्न वस्तुओं में तेजी आएगी।

सस्येश चंद्र का फल: सस्येश का अर्थ ग्रीष्मकालीन फसलों के स्वामी से है जिसका दायित्व चंद्रमा को दिया गया है। इससे लोगों की सुख सुविधाओं का विस्तार होगा। अच्छी वर्षा के योग हैं, देवताओं की पूजा अर्चना अधिक होगी तथा ब्राह्मणों का सम्मान होगा और पृथ्वी धन-धान्य से पूर्ण रहेगी।

धान्येश: सूर्य धान्येश का संबंध शीतकालीन फसलों से है जिनमें मोठ, बाजरा, चना, मक्की आदि की उपज है धान्येश सूर्य है, अतः पैदावार में कमी आ सकती है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को हानि पहुंच सकती है तथा अनाजों के मूल्य में वृद्धि हो सकती है। राजनेताओं में परस्पर विरोध बना रहेगा तथा देश पर युद्ध के बादल भी मंडरा सकते हैं। ज्वर आदि होने के भी योग हैं।

मेघेश शुक्र का फल: वर्षा का स्वामी शुक्र है, अतः वर्षा अच्छी होगी। विद्वानों का सम्मान होगा तथा शासक सुख-सुविधाओं का उपभोग करेंगे। जन मानस भी खाओ-पीयो मौज उड़ाओ के सिद्वांत पर चलने की कोशिश करेगा।

रसेश बुध का फल: रसदार वस्तुओं, फल आदि का दायित्व बुध को दिया गया है जो अधिक वर्षा कराता है। धान, मक्की, चावल, ईख, सरसों आदि की पैदावार अधिक होगी। देश की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

नीरसेस चंद्र का फल: नीरसेस का अर्थ धातुओं के स्वामी से है। इस वर्ष नीरसेस चंद्र है। सोना, चांदी, स्टील, प्लेटिनम, लोहा आदि के मूल्य आसमान को छूएंगे। साथ ही दूध, पनीर, घी भी महंगे होंगे। फलेश शुक्र का फल: शुक्र के फलों का स्वामी होने के कारण फलों के भाव में तेजी आएगी, पर वर्षा अधिक होने से धन-धान्य की पैदावार अच्छी होगी। लोग ऐश्वर्ययुक्त जीवन व्यतीत करेंगे।

धनेश चंद्र का फल: जिस वर्ष धनपति चंद्र हो उस वर्ष क्रय विक्रय अधिक होता है तथा किराने की वस्तुओं के व्यवसाय में अच्छा लाभ होता है। वस्त्र, घी, तेल, चावल, सुगंधित तेल, रस आदि वस्तुओं का व्यापार लाभदायक रहेगा। राजनेताओं को भी हर प्रकार के सुख प्राप्त होंगे।

दुर्गेश का फल: दुर्गेश का अर्थ सेनापति, सेना और देश के रक्षक से है। देश की रक्षा करने के लिए रक्षा सामग्रियों पर व्यय होगा, अनेक सुख सुविधाओं के साधन भी बढ़ेंगे, देश-विदेश से आयात-निर्यात में लाभ होगा।

रोहिणी का वास: संवत् 2064 में रोहिणी का वास समुद्र के ऊपर होने से अत्यधिक वर्षा होगी, कुछ स्थानों पर बाढ़ आदि के प्रकोप के कारण जन, धन व कृषि की हानि हो सकती है, किंतु धान, चावल एवं फलों की पैदावार अच्छी होगी। राजस्थान जैसे इलाकों में भी अच्छी बारिश के योग हैं।

संवत का निवास माली के घर पर: इस वर्ष संवत का निवास माली के घर होगा। माली वर्षा अधिक चाहता है ताकि फल, फूल, सब्जियां आदि अधिक मात्रा में उत्पन्न हों। अतः इनकी पैदावार अत्यधिक मात्रा में होगी। लेकिन गेहूं, उड़द, चना, चावल, स्वर्ण, ताम्र, लोहा आदि के मूल्य भी अत्यधिक बढ़ेंगे।

शनि की दृष्टि: संवत के प्रारंभ में शनि कर्क राशि में भ्रमण करेगा। किंतु 16 जुलाई को सिंह राशि में आ जाएगा तथा वहां से वृष, तुला और कुंभ राशियों को विशेष दृष्टि से दख्े ागे ा। ककर्, सिहं , कन्या राशि वालांे पर शनि की साढ़ेसाती का योग प्रारंभ हो जाएगा। भारत के दक्षिण, पश्चिम क्षेत्रों में शनि की दृष्टि से हानि के योग हैं।

मेष, वृष, कन्या आदि राशियों वाले देशों व प्रांतों में राजनीतिक उथल-पुथल और आतंकवादी व हिंसक घटनाएं होने के योग हैं। दक्षिण पूर्वी प्रदेशों में बाढ़, तूफान, भू-स्खलन, महामारी, भूकंप, यान दुर्घटना, अग्निकांड, सड़क दुर्घटना और प्राकृतिक प्रकोप होने की पूर्ण संभावनाएं हैं।

मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, मकर, कुंभ आदि राशियों वाले जातकों व राष्ट्रों शनि अच्छा फल नहीं देगा। मुस्लिम राष्ट्रों में अप्रत्याशित घटनाएं घट सकती हैं। विशेष वर्ष प्रवेश कुंडली मेष लग्न में उदित हो रही है।

लग्न का स्वामी युद्धप्रिय मंगल दशम भाव में उच्चस्थ होकर स्वगृही दृष्टि से चतुर्थ भाव में शनि को देख रहा है जबकि शनि इस वर्ष महामंत्री का दायित्व निभा रहा है। मंगल व शनि की आमने-सामने की दृष्टि क्या रंग लाती है यह सब ज्योतिर्विद जानते हैं।

दुर्घटनाएं होंगी, राजनीति में उठा-पटक का माहौल बना रहेगा, लोग मान सम्मान को त्याग कर स्वार्थ सिद्धि में लिप्त रहेंगे। हथियारों की होड़ जारी रहेगी। ईरान, लेबनान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल आदि देशों में आतंकवादी घटनाओं, हिंसक वारदातें, आदि के योग बन रहे हैं।

शर्वरी नामक संवत होने के कारण इस वर्ष पृथ्वी पर वर्षा के योग अधिक हैं, अनाज आदि का लाभ रहेगा, भूमि, भवन, वाहन का सुख विशिष्ट लोग भोगेंगे, चंद्र (राजा) की शनि (मंत्री) के सामने कुछ भी नहीं चल पाएगी। इस कारण राष्ट्र के नेता परस्पर लड़ते झगड़ते दिखाई देंगे।

इनके अतिरिक्त निम्न घटनाएं घटित हो सकती हैं: अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की आर्थिक छवि निखरेगी, विश्व के लोग भारत के महत्व को समझेंगे। जन उपयोगी दैनिक वस्तुओं, पेट्रोल, डीजल के भाव मुस्लिम राष्ट्रों की कूटनीति के कारण आसमान को छूएंगे।

इसी समय महाराष्ट्र, गुजरात, उŸार प्रदेश, हिमाचल तथा दक्षिण् ाी पश्चिमी राज्यों में बाढ़ के कारण स्थिति भयावह हो सकती है। इस वर्ष प्राकृतिक आपदा, भूकंप, पर्वतों के सरकने तथा विषम वर्षा के भी योग हैं, जो जन मानस को क्षति पहुंचाएंगे।

चुनाव में मुख्यतः भाजपा व कांग्रेस के बीच टक्कर रहेगी। शनि व केतु का योग सूर्य के भाव में होने के कारण देश के नेता विभिन्न घोटालों में फंसते दिखाई देंगे। कश्मीर, असम, बिहार आदि में आतंकवादी हिंसा की घटनाएं भी घटेंगी।

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