कालरात्रि, महानिशा, महा कृष्णा,दिव्यरजनी, ये सब दीवाली की रात के नाम हैं। जिनका उल्लेख पुराणों में मिलता है। तंत्र-मंत्र साधना के लिए यह रात अति उत्तम रात है। शास्त्रों में तो दीवाली का संपूर्ण दिन ही विभिन्न साधनाओं व उपासनाओं के लिए उपयुक्त माना गया है।
इस दिन की जाने वाली पूजा से सुख, धन, सौभाग्य, सिद्धि व आरोग्य की प्राप्ति होती है। शुक्र धन, सुख व समृद्धि का दाता है। दीवाली के दिन शुक्र अपनी मूलत्रिकोण राशि तुला में होता है जिस कारण वह अति शुभ फलदायक होता है।
उसकीे अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की पूजा, साधना आदि कर जातक अपने लक्ष्य व मनोरथ की पूर्ति कर सकता है। जीवन को सुखमय बनाने के लिए निम्नलिखित 21 उपाय किये जा सकते हैं।
1. दीवाली के दिन श्वेतार्क की जड़, जो श्री गणेश का प्रतिरूप समझी जाती है, को पूजा स्थल पर सम्मान सहित प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करें और रोजाना महालक्ष्मी जी के निम्न मंत्रों के साथ उनकी व महालक्ष्मी जी की पूजा करें, माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। ”ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै दारिद्र्य विनाशिनी सर्व सुख समृद्धिं देहि देहि ह्रीं नमः”
2. दीवाली की रात से पहले आने वाले शनिवार से घर की पूरी साफ सफाई शुरू कर दें। रद्दी, टूटी चीजें आदि निकाल कर बाकी चीजें करीने से रख दें। शाम के समय घर के सभी बल्ब कम से कम 20 मिनट के लिए रोजाना रोशन करें। लक्ष्मी जी की निम्न मंत्र से रोजाना उपासना करने से सुख व समृद्धि मिलती है। ¬ ऐं ह्रीं श्रीं सं सिद्धिदां साधय साधय स्वाहा।
3. दीवाली के दिन श्रीयंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करें और प्रतिदिन उसकी पूजा करें। इससे सभी प्रकार के दुख, रोग व दरिद्रता का नाश होता है और सभी तरह के भौतिक सुख, शांति व आनंद की प्राप्ति होती है। इस यंत्र की पूजा का मंत्र इस प्रकार है। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। दीवाली के दिन तुलसी की पूजा करें व रात्रि में निम्नलिखित मंत्र का 5 माला जप करें। कच्चे सूत को शुद्ध केसर से रंग कर कार्य स्थल में रख दें और रोज उसके दर्शन व पूजा करें, लाभ होगा। ¬ श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ऐश्वर्य महालक्ष्म्यै पूर्ण सिद्धिं देहि देहि नमः।
4. दीवाली के दिन हल्दी की 11 गांठों को पीले कपड़े में रख कर निम्न मंत्र का 11 माला जप कर तिजोरी में रख दें और रोजाना वहां दीप जलाएं व्यापार में उन्नति होगी। ॐ वक्रतुण्डाय हुं।
5. दीवाली से आरंभ कर निम्न मंत्र का रोजाना 5 माला जप कर अपने व्यवसाय स्थल पर जाएं, व्यापार में अधिक लाभ होगा। ¬ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा।
6. दीवाली के दिन अपने गल्ले के नीचे काली गुंजा के दाने डाल कर निम्न मंत्र का 5 माला जप करें और रोज महालक्ष्मी जी के सामने दीप जलाएं, व्यवसाय में होने वाली हानि रुक जाएगी। ¬ ऐं ह्रीं विजय वरदाय देवी मम।
7. दीवाली के दिन से शुरू कर 72 दिनों तक निम्न मंत्र का धूप दीपादि से सवा लाख बार जप करें, प्रचुर धन की प्राप्ति होगी। ¬ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन पालिन्य महालक्ष्म्यै अस्माकं दारिद्रय नाशय नाशय प्रचुरं धनं देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ
8. दीवाली की रात एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, उस पर गेहंू से स्वास्तिक बनाएं और उस पर एक थाली रखें। फिर थाली में कुमकुम से ‘गं’ लिखें और उस पर श्वेतार्क गणपति, श्रीफल व 7 कौडियां रखें। इसके बाद चंदन की माला से 5 बार निम्न मंत्र का जप करें। ॐ सर्व सिद्धि प्रदोयसि त्वं सिद्धि बुद्धिप्रदो भवः श्रीं। अगले दिन 5 कन्याओं को पीला भोजन कराएं, श्वेतार्क को पूजा घर में रख दें और बाकी सामग्री जल में प्रवाहित कर दें।
9. दीवाली के बाद पहली बार जब चंद्रमा दिखे तो उस दिन से अगली पूर्णिमा तक हर रोज रात को केले के पत्ते पर दही-भात रख कर चंद्रमा को दिखाएं और मंदिर में पुज पुजारी को दान दे दें। चंद्रमा प्रारब्ध का देवता है जो प्रसन्न होकर अचानक धन प्राप्ति करा देता है।
10. दीवाली की रात चांदी की ढक्कन वाली डिबिया में नाग केसर व शहद भर कर अपनी तिजोरी या गल्ले में रख दें और अगली दीवाली तक ऐसे ही रहने दें। फिर दीपक जलाकर रोज श्री सूक्त का पाठ या विष्णु सहस्र नाम का जप करें, तिजोरी पूर साल धन से भरी रहेगी।
11. दीवाली के दिन महालक्ष्मी जी की पूजा के समय मां को एक इत्र की शीशी चढाएं। उसमें से एक फुलेल लेकर मां को अर्पित करें। पूजा के पश्चात उसी शीशी में से थोड़ा इत्र लगा लें। इसके बाद रोज इसी इत्र में से थोड़ा सा लगा कर कार्य स्थल पर जाएं, रोजगार में वृद्धि होने लगेगी।
12. दीवाली की रात्रि से आरंभ कर लगातार 7 दिन महालक्ष्मी यंत्र के सम्मुख कमलगट्टे की माला से ¬ महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का विधिवत 11 माला जप करें और अंतिम दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं, आर्थिक उन्नति होगी।
13. दीवाली के दिन श्री महालक्ष्मी यंत्र की पूजा अर्चना करें, घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होगा। इस यंत्र का पूजन करते समय सफेद हाथियों द्वारा उठाए गए सोने के कलश से स्नान करती हुई कमलासन पर बैठी लक्ष्मी का ध्यान करें। इससे दुख दरिद्रता का नाश होता है तथा यश व समृद्धि मिलती है।
14. व्यापारियों को व्यापार में वृद्धि के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग करना चाहिए। दीवाली के दिन केसर की स्याही व अनार की कलम से भोज पत्र पर इस यंत्र की रचना करनी चाहिए। इसमें एक वर्ग बनाकर उसके 9 उपवर्ग बनाए जाते हैं और उसमें पहली पंक्ति में 8, 1, 6 दूसरी पंक्ति में 3, 5, 7 व तीसरी पंक्ति में 4, 9, 2 लिखा जाता है। इस यंत्र की प्रतिदिन पूजादि से व्यापार उन्नति उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।
15. गणेश जी ऋद्धि सिद्धि के दाता हैं और लक्ष्मी जी धन की देवी हैं। दोनों का संयुक्त यंत्र महायंत्र कहलाता है। दीवाली के दिन इस यंत्र की पूजादि करने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में रखने से धन का भंडार भरा रहता है तथा परिवार के सदस्य प्रसन्न और सुखी रहते हैं। दीवाली की शाम एक सुपारी व तांबें का एक सिक्का लेकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार को उसी पीपल के पेड़ का पत्ता लाकर कार्य स्थल पर गद्दी के नीचे रख दें।
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