महान भविष्यवक्ता कीरो
महान भविष्यवक्ता कीरो

महान भविष्यवक्ता कीरो  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 21098 | अकतूबर 2010

महान भविष्यवक्ता कीरो सितारों की कहानी सितारों की जुबानी स्तंभ में हम जन्मपत्रियों के विश्लेषण के आधार पर यह बताने का प्रयास करते हैं कि कौन से ग्रह योग किसी व्यक्ति को सफलता के शिखर तक ले जाने में सहायक होते हैं। यह स्तंभ जहां एक ओर ज्योतिर्विदों को ग्रह योगों का व्यावहारिक अनुभव कराएगा, वहीं दूसरी ओर अध्येताओं को श्रेष्ठ पाठ प्रदान करेगा तथा पाठकों को ज्योतिष की प्रासंगिकता, उसकी अर्थवत्ता तथा सत्यता का बोध कराने में मील का पत्थर साबित होगा। कीरो की कुंडली में ऐसा क्या योग था जिस कारण वह महान भविष्यवक्ता हुए। भविष्य कथन कहने की पद्धतियों में इन्होंने हस्तरेखा ज्ञान में विशेष महारथ प्राप्त की थी लेकिन आधुनिक दैवज्ञ समाज में कीरो की अक विद्या व ज्योतिष के क्षेत्र में देन को भी विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त है। इस आलेख में प्रस्तुत है कीरो की कुंडली का संक्षिप्त विश्लेषण् विलियम जॉन वार्नर उर्फ कीरो का जन्म 01 नवंबर 1866 में आयरलैंड में हुआ था।


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यह आयरलैंड के महान ज्योतिषी, लेखक, हस्तरेखा व अंक विशेषज्ञ थे। कीरो 20वीं सदी में गुप्त व रहस्यमी विद्याओं का ज्ञान रखने वाले सुप्रसिद्ध विद्वान थे। कीरो शब्द की उत्पत्ति कीरोमैंन्सी (अर्थात् पाल्मिस्ट्री) से हुई है। कीरो को अपने सितारों की कहानी सितारों की जुबानी कीरो की कुंडली में ऐसा क्या योग था जिस कारण वह महान भविष्यवक्ता हुए। भविष्य कथन कहने की पद्धतियों में इन्होंने हस्तरेखा ज्ञान में विशेष महारथ प्राप्त की थी लेकिन आधुनिक दैवज्ञ समाज में कीरो की अक विद्या व ज्योतिष के क्षेत्र में देन को भी विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त है। इस आलेख में प्रस्तुत है कीरो की कुंडली का संक्षिप्त विश्लेषण क्षेत्र में विशेषज्ञता भारत में प्राप्त हुई। यह बहुत छोटी अवस्था में भारत आ गए थे। भारत में इनकी मुलाकात इनके गुरु से हुई जो एक ब्राह्मण थे और उनके पास उन्होंने दो वर्ष तक अध्ययन किया और फिर लंदन वापस जाकर वहां पर हस्तरेखा का अभ्यास किया।

उन्होंने बहुत से विखयात लोगों की हस्तरेखाओं का विश्लेषण किया। कीरो से मिलने वाले लोग उनके ज्ञान और स्तब्ध कर देने वाली भविष्य वाणियों पर अपनी प्रतिक्रियाएं कीरो के पास रखी डायरी में दर्ज कर देते थे। कीरो ने मात्र 13 वर्ष की अवस्था में ही हस्तरेखा विज्ञान पर एक पुस्तक लिख डाली थी। इन्होंने बहुत धन व नाम कमाया। इनका पैरिस में एक अंग्रेजी अखवार भी था। कीरों द्वारा लिखित पुस्तकों का विवरण इस प्रकार है- अंक विद्या : कीरोज बुक ऑफ नंबर्ज़ हस्तरेखा : कीरोज लैंग्वेज ऑफ द हैंड यू एण्ड यॉर हैंड कीरोज पामिस्ट्री फॉर आल द कीरो बुक ऑफ फेट एण्ड फॉर्चून ज्योतिष : वेयर वर यू बॉर्न कीरोज यू एंड यॉर स्टार। द बुक ऑ द जोडियाक अन्य : कीरोज बुक ऑफ वर्ल्ड प्रेडिक्शन कीरोज मेमॉयर्सः द रैमिनिसैंसिज ऑफ ए सोसाइटी पामिस्ट राइटैनिक्स लास्ट सिक्रेटज ट्रू घोस्ट स्टोरीज़ ए स्टडी ऑफ डैस्टिनी एक कुशल हस्तरेखा विशेषज्ञ व लेखक होने के अतिरिक्त यह एक व्यापारी व पत्रकार भी थे। कीरो ने दो फ्रैंच न्यूज़यर्स भी चलाए। यह एक कैमिकल फैक्ट्री भी चलाते थे तथा हालीवुड फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट भी लिखते थे। प्रस्तुत है कीरो की जन्मपत्री का ज्योतिषीय विश्लेषण- एक सफल भविष्यवक्ता बनने के लिए कुंडली में शुभ ग्रहों का बली होना विशेष आवश्यक है। कीरो की कुंडली में गुरु पूर्ण नीच भंग राजयोग बना रहा है तथा बुध, शुक्र, चंद्रमा, की स्थिति श्रेष्ठ है।


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इसके अतिरिक्त अष्टम भाव से भी गुप्त ज्ञान व गुप्त विद्याओं का विचार किया जाता है। कीरो की जन्मकुंडली में अष्टमेश बुध लग्न में स्थित होकर इन्हें गुप्त ज्ञान की गुप्त शक्तियों से युक्त कर रहा है। इनका अष्टमेश बुध पुत्र कारक होकर आत्माकारक शुक्र से संयुक्त है और जैमिनी राजयोग का निर्माण कर रहा है। लग्न में बैठा बुध दिग्बली हो जाता है तथा शुभ ग्रह शुक्र से संयुक्त होने से और अधिक बली हो गया है। जैमिनी ज्योतिष के अनुसार पंचम भाव में स्थित केतु श्रेष्ठ भविष्यवक्ता बनने में सहायक होता है। लग्न में शुक्र बुध की स्थिति व पंचम भाव में केतु की स्थिति इन्हें ज्ञान संपन्न करवाने में सहायक हुई। राहु की श्रेष्ठ स्थिति, शनि का उच्चरास्थि होना तथा भाग्येश के दशमस्थ होने से इन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खयाति प्राप्त हुई। बुध को लेखन कला का कारक तथा तृतीय भाव को लेखन का कारक भाव माना गया है।

इनकी कुंडली में तृतीयस्थ गुरु का नीचभंग हो रहा है क्योंकि तृतीयेश उच्चराशिस्थ है। गुरु की उच्चराशि का स्वामी चंद्र भाग्येश होकर दशमस्थ है तथा कारक बुध की स्थिति भी अत्यंत उत्तम है। इन श्रेष्ठ योगों के होने से इन्हें लेखन के क्षेत्र में इनके द्वारा लिखित पुस्तकों से विश्वव्यापी कीर्ति प्राप्त हुई। सन् 1868 से 1888 तक शुक्र की महादशा रही। इनका शुक्र लग्न में स्थित होकर उच्च नवांश में है जिसके परिणाम स्वरूप शुक्र की दशा अत्यंत शुभ रही। इन्हें बहुत छोटी अवस्था में अत्यधिक मान सम्मान की प्राप्ति हुई। मात्र 13 वर्ष में ही इन्होंने हस्तरेखा की विश्वविखयात पुस्तक लिख दी। शनि के उच्चराशिस्थ होने, राहु के एकादशस्थ होने तथा लग्न में शुक्र बुध के स्थित होने के कारण इन्हें व्यापार के क्षेत्र में सफलता मिली। लग्न में शुक्र व दशम भाव में चंद्रमा के होने से महिलाओं से विशेष लाभ हुआ और इन्होंने रईस महिलाओं से +250,000 कमाए। शुक्र, बुध तृतीयेश व चंद्रमा की श्रेष्ठ स्थिति ने इन्हें हॉलीवुड फिल्मों का सफल स्क्रिप्टराइटर बनाया। बुध व तृतीयेश की श्रेष्ठ स्थिति तथा गुरु मंगल के तृतीय भाव में संबंध के फलस्वरूप इन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी यश अर्जित किया।


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