पाकिस्तान में वहां केे राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने 3 नवंबर 2007 को आपातकालीन स्थिति घोषित कर पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। 12 अक्तूबर 1999 को परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बंदी बनाकर पाकिस्तान के संविधान को निरस्त कर अपने आप को वहां का मुख्य पदाधिकारी घोषित कर दिया। 7 माह पश्चात 12 मई 2000 को सुप्रीम कोर्ट ने उनके प्रभाव में तख्ता पलट को वैध करार दिया। 20 जून 2001 को मुशर्रफ ने स्वयं को वहां का राष्ट्रपति घोषित कर दिया और 30 अप्रैल 2002 को एक जनमत के आधार पर अपने शासन काल की अवधि अगले पांच साल तक के लिए बढ़ा ली।
इस पूरी अवधि तक वह सेना प्रमुख के रूप में बने रहे। वे सेना प्रमुख का पद इसलिए नहीं छोड़ना चाहते क्योंकि वे पूर्व में की गई अपनी ही करनी से डरते हैं। उन्हें डर है कि जैसे उन्होंने सेना प्रमुख होते हुए नवाज शरीफ को बंदी बनाकर तख्ता पलट दिया वैसे ही उनका बनाया गया सेना प्रमुख कहीं उन्हें राष्ट्रपति के पद से अपदस्थ न कर दे। उनकी इसी दोहरी भूमिका के कारण पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के साथ उनका विवाद हुआ। मार्च 2007 में राष्ट्रपति मुशर्रफ ने मुख्य न्यायाधीश इफ्तखार मुहम्मद चैधरी को बरखास्त कर दिया। जुलाई 2007 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस चैधरी की बरखास्तगी को अवैध करार दिया और उन्हें पुनः मुख्य न्यायाधीश बहाल कर लिया गया।
तत्पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा कर दी कि पूर्व प्रधानमंत्री निर्वासित नवाज शरीफ पाकिस्तान वापस आ सकते हैं। लेकिन नवाज शरीफ को आने से पहले ही पुनः निर्वासित कर दिया गया। पाकिस्तान की जनता का दिल जीतने के लिए पिछले दिनों पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के साथ मुशर्रफ ने सत्ता में भागीदारी का करार किया जिसके अनुसार तय किया गया कि वह स्वयं राष्ट्रपति बने रहेंगे और बेनजीर को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। किंतु इस करार को बाद में नकार दिया गया। गत 6 अक्तूबर को चुनाव कराए गए जिनके अनुसार मुशर्रफ को पुनः देश की सत्ता सौंपी जानी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परिणाम को लागू करने पर रोक लगा दी और कहा कि पहले यह तय हो जाए कि मुशर्रफ दोनों पदों पर बने रह सकते हैं या नहीं।
इससे पूर्व कि सुप्रीम कोर्ट अपने इस कथन पर फैसला देता, 3 नवंबर 2007 को मुशर्रफ ने आपातकाल घोषित कर दिया और साथ ही पाकिस्तान के संविधान सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी अधिकार छीन लिए। अमेरिकी दबाव के तहत अब मुशर्रफ ने घोषणा की है कि पाकिस्तान में 15 फरवरी 2008 से पहले आम चुनाव कराए जाएंगे और वह 30 नवंबर 2007 तक सेना प्रमुख का पद त्याग देंगे। आगे क्या होने वाला है?क्या मुशर्रफ पाकिस्तान के प्रमुख बने रहेंगे या उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ेगी?पाकिस्तान का क्या भविष्य है?कहीं गृह युद्ध तो नहीं होने वाला है?इन्हीं प्रश्नों को लेकर देखते हैं पाकिस्तान की कुंडली। अभी पाकिस्तान की कुंडली में शनि व केतु पंचम में, गुरु अष्टम में व राहु एकादश भाव में गोचर कर रहे हैं।
गुरु का अष्टम भाव से गोचर प्रजा में अशांति और देश में तोड़फोड़ और आगजनी का माहौल पैदा करता है। लेकिन 21 नवंबर को गुरु स्वगृही होकर नवम भाव में प्रवेश कर जाएगा। इस गोचर के कारण पाकिस्तान में काफी शांति व वहां की जनता में सद्बुद्धि आने की संभावना है। पाकिस्तान पर प्रभावी साढ़ेसाती समाप्त हो चुकी है और अब जो नया शासक चुना जाएगा वह देश में पर्याप्त स्थिरता लाकर उसे प्रगति के मार्ग पर ले जाएगा। अगले सात वर्ष पाकिस्तान के लिए स्वर्णिम सिद्ध हो सकते हैं। इस दौरान उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी और जनता में भी संतोष बढ़ेगा। शनि के तुला के अंतिम चरण में आने के पश्चात ही वहां उपद्रवकारी स्थितियां पैदा होने की संभावना है।
यदि परवेज मुशर्रफ की पत्री देखी जाए तो उसमें भी गोचर की स्थिति अच्छी ही है। शनि चंद्र से दशम व लग्न से द्वितीय भाव में गोचर कर रहा है। गुरु नवमेश होकर चंद्र से द्वितीय भाव में आ जाएगा। आगे भी अन्य ग्रहों की गोचर स्थिति परवेज मुशर्रफ के काफी अनुकूल है। उन पर मंगल की दशा प्रभावी है जो 12 जनवरी 2009 तक रहेगी। अतः मंगल की दशा में परवेज मुशर्रफ के हाथ से सत्ता का निकलना नामुमकिन ही लगता है। केवल राहु की दशा में जब केतु लग्न में स्थित राहु, सूर्य व गुरु के ऊपर गोचर करेगा, तब पुनः गंभीर स्थितियां पैदा होंगी, किंतु अभी उन्हें किसी तरह की हानि होने की संभावना नहीं है और इस आपात स्थिति से उनके और अधिक निर्भीकतापूर्वक और पहले से अधिक शक्तिशाली होकर सत्ता में वापस आने की संभावना है।
परवेज मुशर्रफ की जनवरी 2009 से राहु की दशा प्रारंभ होगी। राहु में राहु की दशा दिसंबर 2011 तक तथा राहु में गुरु की दशा 18 फरवरी 2014 तक चलेगी। तत्पश्चात राहु में शनि की दशा प्रारंभ होगी। राहु व गुरु दोनों ही लग्न में स्थित हैं। इस स्थिति के कारण कुंडली बहुत प्रबल है। शनि अष्टमेश होकर द्वादश में स्थित है और राहु से भी उसकी द्वादश स्थिति बनती है। 2014 में राहु, शनि व मंगल, तुला अर्थात चंद्र से द्वादश भाव में स्थित होंगे और गुरु मिथुन में अर्थात लग्न से द्वादश में स्थित होगा। यह ग्रह स्थिति उनके लिए काफी घातक हो सकती है।
संक्षेप में परवेज मुशर्रफ का समय अच्छा है। अभी उन पर कोई विशेष संकट आता प्रतीत नहीं हो रहा है। सत्ता उन्हीं के हाथ आती हुई दिखाई दे रही है। बेनजीर का आने वाला समय शुभ प्रतीत नहीं हो रहा। स्थितियां उनके प्रतिकूल हैं और उनके सत्ता में आने की संभावना नहीं है। पाकिस्तान के लिए भी समय अनुकूल है। परवेज मुशर्रफ के हाथों में पाकिस्तान भविष्य में तरक्की करेगा ऐसा ज्योतिषानुसार प्रतीत होता है।