भारतवर्ष कि वर्तमान स्थिति : एक विश्लेषण
भारतवर्ष कि वर्तमान स्थिति : एक विश्लेषण

भारतवर्ष कि वर्तमान स्थिति : एक विश्लेषण  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 9435 | दिसम्बर 2007

भारतवर्ष की वर्तमान स्थिति: एक विश्लेषण पं. शरद त्रिपाठी इन दिनों हमारा देश कामयाबी की नई-नई ऊंचाईयों को छू रहा है। वल्र्ड कप 20-20 जीतकर हमने अपना परचम फहराया, वहीं विदश्े ाी सहयागे की जोरदार सक्रियता तथा मुद्रास्फीति की दर लगातार गिरने से शेयर मार्केट में सूचकांक 18500 के पार बढ़ रहा है।

भारतीय हाकी टीम ने भी एशिया कप जीतकर अपनी पहचान बनाई। गायन के क्षेत्र में देश के कई प्रतिभावाना ंे ने अपने-अपने शहर का नाम रोशन किया। इस समय भारत को खेल जगत में नाम और अर्थ जगत में मजबूती मिल रही है।

प्रमुख घटनाएं :

1. शेयर बाजार में अत्यंत तेजी 

2. खेलों में आशातीत सफलता 

3. आर्थिक स्थिति में मजबूती 

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति शेयरों में तेजी: हम प्रथम, द्वितीय, पंचम एवं एकादश भावों से शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का आकलन करते हैं। लग्नेश शुक्र पराक्रम भाव से लग्न को शक्ति प्रदान कर रहा है। षडबल में भी लग्न की स्थिति अच्छी है और अष्टकवर्ग में सर्वाध् िाक 44 अंक प्राप्त हैं।

अतः लग्न (देश/व्यक्ति) की स्थिति बेहद अच्छी है। लग्नेश बुध क े न क्ष् ा त्र में है जो धनेश और पचं मश्े ा का फल दे रहा है। गोचर में बुध एवं सूर्य कन्या राशि में हैं। वहां से सप्तम दृष्टि लाभ भाव पर पड़ रहा ळें बुध शनि के नक्षत्र में है। अतः धर्म एवं कर्म क्षेत्र प्रभावशाली दिख रहा है।

भारत पर 15.9.1989 से चल रही शुक्र की दशा 15.9.2009 तक रहेगी। बुध की अंतरदशा जो 15.9.2005 से 15.7.2008 तक चलने वाली बुध की अंतर्दशा में गुरु की प्रत्यंतर्दशा तथा सितंबर तक बुध व केतु का सूक्ष्मांतर रहेगा।

सितंबर माह में ग्रहों का राशि भ्रमण तारीख 1 से बुध कन्या में, मंगल तारीख 16 से मिथुन में, सूर्य तारीख 17 से कन्या में, बुध 22 से तुला, शुक्र 29 से सिंह में, गुरु वृश्चिक में, शनि सिंह में, राहु कुंभ में तथा केतु सिंह में रहेंगे।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि देश की मजबूत आर्थिक स्थिति एवं उच्च शिक्षा (आबादी) (पंचम भाव) की प्रगति के कारण सरकारी संस्था एवं सरकार पर विश्वास बढ़ा क्योंकि सरकारी कोष एक अच्छी स्थिति में है। जिस कारण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति हुई और शेयर मार्केट इस उच्च स्थिति तक पहुंच सका।

खेलों में सफलता: खेलों के लिए मुख्यतः प्रथम, तृतीय, पंचम, एकादश एवं मंगल ग्रह पर ध्यान दें। सूक्ष्मांतर 4‑9‑2007 से 24‑9‑2007 तक था। इस प्रकार शु./बु./गु./ बु. दशाओं में देश ने वल्र्ड कप 20-20 जीता। प्रथम एवं छठे भावों (प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वंद्वी) के स्वामी की महादशा में गोचर के गुरु लाभेश की पूर्ण दृष्टि है और बुध व गुरु तीसरे भाव में स्थित हैं। मंगल द्वितीय में स्थित है।

गोचर मंगल सप्तम एवं 12वां भाव (जो विदेश का स्थान भी है) इन ग्रह स्थितियों के कारण टीम ने विदेश में विजय पाई। प्रत्यंतर्दशानाथ गुरु अपने ही नक्षत्र में है जो कि अष्टमेश एवं लाभेश है। इस समय गुरु वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा है अर्थात शत्रु की पराजय निश्चित है। चंूकि सप्तमेश मंगल अपने से अष्टम अर्थात धन भाव में गया है इसलिए शत्रुओं से धन का लाभ होगा।

मंगल के राहु के नक्षत्र में होने के कारण शत्रुओं के धन से देश को लाभ प्राप्त होगा। दशम भाव पर गुरु की पंचम दृष्टि कर्म भाव पर व नवम दृष्टि धन भाव पर पड़ रही है। गोचर में दशम भाव में गोचरीय भ्रमण व्यक्ति/देश को कर्म क्षेत्र में अप्रत्याशित सफलता दे रहा है।

इस प्रकार मजबूत गोचरीय स्थिति के कारण युवराज का 6 छक्के लगाना इग्लैंड, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पाकिस्तान को हराना आदि प्रमुख उपलब्धियां रहीं। आर्थिक मजबूती: इसके विश्लेषण के लिए द्वितीय, चतुर्थ, पंचम एवं एकादश भावों की ज्योतिषीय गणना करते हैं। द्वितीय भाव का स्वामी बुध (द्वितीय से द्वितीय) धन भाव में स्थित होकर धन की वृद्धि कर रहा है।

धनेश एवं पंचमेश बुध अपने मित्र लग्नेश शुक्र व भाग्येश एवं कर्मेश शनि के साथ युति कर रहा है। यह योग देश की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए धन की स्थिति, उच्च शिक्षा एवं क्षेत्र को सुदृढ़ करता है। चतुर्थेश द्वादश स्थिति के कारण जनता एवं विपक्ष की स्थिति कमजोर प्रतीत हो रही है। गुरु की कर्म एवं धन भावों पर दृष्टि के कारण स्थिति काफी अनुकूल हुई है।

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति: इसके लिए प्रथम एवं दशम भाव की विवेचना करें। जैसा कि पहले स्पष्ट किया जा चुका है कि देश का प्रथम भाव बहुत ही मजबूत है। दशम का स्वामी शनि अपने से षष्ठ होकर बैठा है और शनि बुध के नक्षत्र में है। अतः सरकार जन सहयोग से चलेगी।

शनि अस्त है अतः विपक्ष एवं जनता में सीधा टकराव नहीं होगा जैसा कि अभी राम सेतु मामले में हुआ है। वैसे भी शनि न्यायाधीश होने के कारण कोई गलत कार्य नहीं कर पाएगा और उसके शनि बुध के नक्षत्र में होने के कारण विपक्ष का डर भी बना रहेगा। 

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