गणेश जी की आराधना के बिना वास्तु देवता की संतुष्टि संभव नहीं है। गणेश जी का वंदन करने से वास्तु दोषों का शमन हो जाता है। गणेश जी की नित्य आराधना से वास्तु दोष उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम रहती है।
यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाकर उसके ठीक पीछे गणेश जी की दूसरी प्रतिमा या चित्र इस प्रकर लगाया जाए कि दोनों की पीठ एक दूसरी से मिली रहें, तो वास्तुदोषों का शमन होगा। वास्तु दोष से प्रभावित भवन के किसी भाग में घी मिश्रित सिंदूर से दीवार पर स्वस्तिक बनाने से वहां के वास्तुदोष का प्रभाव कम हो जाता है।
आॅफिस, दुकान व भवन के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा या चित्र लगाया जा सकता है। चित्र लगाते समय यह ध्यान रहे की भगवान का मुंह दक्षिण दिशा या र्नैत्य दिशा में नहीं हो। विनायक के सफेद रंग के चित्र या मूर्ति की आराधना से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना से सर्वमंगल होता है। ध्यान रहे कि गणेश जी की मूर्ति या चित्र में उनकी सूंड उनके बाएं हाथ की तरफ घूमी हुई हो। सूंड में मोदक (लड्डू) होना चाहिए।
भगवान गणेश को मोदक तथा वाहन मूषक अतिप्रिय हैं, अतः ध्यान रहे कि चित्र या प्रतिमा में चूहा और लड्डू अवश्य हों। दाएं हाथ की ओर घूमी हुई सूंड वाले गजानन जी हठी होते हैं और उनकी भक्ति, आराधना, साध् ाना कठिन होती है।
ध्यान रहे कि घर में बैठे तथा कार्यालय या दुकान (कार्यस्थल) में खड़े गणेश जी का चित्र लगाना चाहिए। ध्यान रहे कि चित्र/ प्रतिमा में खड़े गणेश जी के दोनों पैर जमीन पर हों - इससे सभी कार्यों में स्थिरता आती है।
घर में, घर के ब्रह्म स्थान (केंद्र) में, पूर्व दिशा में एवं ईशान में विघ्नहर्ता गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगाना लाभकारी, एवं शुभ मंगलदायक होता है। गणेश जी को दूर्वा अतिप्रिय है। दूर्वा चढ़ाने से पूजा का फल शीघ्र मिलता है।
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