बाबा रामदेव: (जमीन से आसमान की ऊंचाईयों तक)
बाबा रामदेव: (जमीन से आसमान की ऊंचाईयों तक)

बाबा रामदेव: (जमीन से आसमान की ऊंचाईयों तक)  

उमाधर बहुगुणा
व्यूस : 13013 | आगस्त 2011

बाबा राम देव ने योग की शिक्षा देने के साथ-साथ, विदेशों में जमा काले धन को वापस भारत में लाने तथा उस धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के लिए जो सत्याग्रह पूरे देश में छेड़ा है, वह मुद्दा आने वाले समय में कब तक फलीभूत हो पाएगा, यह जानने से पहले हम एक नजर डालते हैं बाबा रामदेव की जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर, ग्रहों के आइने में एक नजर... 14 जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में लगे पंडाल में बाबा रामदेव के सामने विशाल संख्या में उपस्थित योगाभ्यासियों के साथ जो भी हुआ, उससे केंद्रीय सरकार की नियत व जबावदेही पर प्रश्न चिह्न लग गये। अब भ्रष्टाचार को लेकर शुरु हुआ आंदोलन राजनीतिक लड़ाई में तब्दील हो चुका है। इससे विपक्ष को जहां मिल गया है एक मौका, वहीं कांग्रेस और सरकार पड़ गयी है एक पशोपेश में। इस कार्यवाही ने बाबा रामदेव और अन्ना हजारे को एक साथ लाने के साथ-साथ भाजपा की उम्मीदों को भी जगा दिया है।

यह स्थिति किस ग्रह-स्थिति व ग्रह योगों के कारण बनी, देखते हैं बाबा की कुंडली से। स्वामी रामदेव का जन्म 25 दिसंबर 1965 को तद्नुसार विक्रम सम्वंत् 2022 शक सम्वंत् 1887 पौष 10 गते शनिवार (समय 20 बजकर 24 मिनट) श्रवण नक्षत्र में धनु नवमांश, कर्क लग्न, मकर राशि में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गांव में मध्यम वर्गीय परिवार में किसान पिता श्रीरामनिवास यादव तथा माता गुलाब कौर के यहां हुआ। घर में बड़े भाई देवदŸा यादव तथा राम भरत यादव के अलावा एक बहिन थी ऋतंभरा। स्वामी रामदेव का बचपन का नाम था रामकिशन यादव। उनके जन्मांग में लग्नेश चंद्रमा सप्तम में, दशमेश व पंचमेश मंगल तथा चतुर्थेश व लाभेश शुक्र के साथ मकर राशि में स्थित है इस प्रकार सप्तम में शुक्र-चंद्रमा-मंगल की युति के कारण रुचक नामक पंच महापुरुष योग व महालक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इन्होंने अलीपुर (हरियाणा) से चलकर गंगोत्री उŸाराखंड में योग व आयुर्वेद की शिक्षा ली, फिर बने विश्व प्रसिद्ध योग गुरु एवं कई आयुर्वेदिक दवा कंपनियों के मालिक।

1115 करोड़ रुपये के योग बाजार के साथ 1000 एकड़ में फैला है बाबा रामदेव का पंतजलि योग पीठ ट्रस्ट एवं दिव्य योग मंदिर। सŸाा के गलियारों में पहुंच के साथ उनमें सŸाा-सुख की चाहत व हठधर्मिता के साथ उनके पास करोडों़ की संपŸिा और जमीन की मिाल्कियत है। लग्न पर मंगल, केतु की दृष्टि एवं चतुर्थेश व लाभेश शुक्र और उस पर भाग्येश, बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि के कारण इन्हें बचपन में पोलियो (लकवा) हो गया था। घर वालों की उपेक्षा के कारण इन्होंने मात्र 12 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया था और गंगोत्री में सन्यास ले लिया था। धनेश एवं कुटुंबेश सूर्य छठे घर में अच्छा नहीं है। यही कारण है उन्होंने घर छोड़ा और सन्यास लिया। पराक्रमेश व व्ययेश बुध, पंचम में केतु के साथ स्थित होने से वे एक कुशल प्रबंधक, प्रबल इच्छा शक्ति के मालिक होने के साथ-साथ सभी प्रकार की कूटनीति से परिपूर्ण हैं, वे वाक्पटु व कुशाग्र बुद्धि भी हैं, बचपन में उन्होंने आर्थिक तंगी देखी, गंगोत्री में स्वास्थ्य लाभ किया तथा योग और आयुर्वेद का अध्ययन किया। आज उनके पास सभी भौतिक सुख-सुविधाएं हैं। उनका विवादों से लंबा संबंध है।

छठे घर में एवं भाग्येश मित्र बृहस्पति की राशि धनु में स्थित सूर्य के कारण उन्हें राजनीति से लगाव है, सूर्य की तेजस्विता से उनके शत्रु स्वयं अपने ही जाल में फंस जाते हैं। शनि, मंगल की स्थिति के कारण वे योग-गुरु, आयुर्वेदिक दवाओं के जानकार एवं निर्माता बने। अष्टम में अपनी मूल त्रिकोण राशि में स्थित शनि के कारण योग जैसी प्राच्य विद्या में विश्वस्तरीय ऊंचाई और ख्याति प्राप्त करने के बाद भी वे हमेशा विवादित रहते हैं। साधु-समाज, डाॅक्टर, पत्रकार, बुद्धिजीवी उनसे प्रायः असहमत रहते हुये भी उनके आसपास जुटते हैं। उन पर समय-समय पर विवाद हुए, आगे भी होंगे। उनके खिलाफ विदेशों में भी विवाद होंगे। उनके शत्रु आक्रमण भी कर सकते हैं। सावधान रहें! भाग्येश बृहस्पति व्यय भाव में स्थित होने से विदेश गमन, भाग्यवृद्धि विदेशों में संपŸिा, साथ ही न्यायालयों में वाद-स्थापना योग भी बन रहा है। विदेशों में उनके खिलाफ कोई साजिश भी हो सकती है। उच्च राशि का मंगल उन्हें सŸाा, प्रदेश-सरकारों के सहयोग सहित अभिजात्य वर्ग से जोड़ेगा। उन्हें राजनीतिक व्यक्तियों से लाभ-हानि दोनांे होंगी।

सन् 2016 तक उनका राजयोग प्रभाव दिखता रहेगा। विशोŸारी दशा क्रम में 19 जून 1982 से 19 जून 2002 तक का समय बहुत अच्छा था। उस समय दिन-दुगनी, रात चैगुनी तरक्की की। जब 19 जून 2000 से 2002 तक बृहस्पति की दशा अर्थात भाग्येश बृहस्पति का अंतर चला उस समय बृहस्पति की महादशा में शनि-अंतर के कारण रामदेव जी ने पहली बार संस्कार टी.वी. चैनल पर और फिर प्रातः आस्था टी.वी. पर हलचल मचा दी तथा वे अंतराष्ट्रीय योग गुरु बन गये। इस बीच कई विवाद भी हुए परंतु वे उन सबसे बचकर निकलते गये। 01 जनवरी 2011 से 19 अक्तूबर 2011 तक समय अच्छा नहीं है। अस्तु, कई विवाद जन्म लेंगे, आक्रमण भी हो सकता है। 19 अक्तूबर 2011 से 19 फरवरी 2013 तक की अवधि में वे फिर से बहुत शक्तिशाली हो जायेंगे। वे कई प्रांतीय सरकारों एवं केंद्रीय सरकार की दशा-दिशा बदलने की सामथ्र्य रखते हैं। उक्त अवधि में उनकी लोकप्रियता फिर से बढ़ेगी। वे विवादों में तो रहेंगे ही लेकिन अभी 2016 तक राजयोग की स्थिति के कारण वे शक्तिशाली बने रहेंगे। तथापि ग्रह स्थिति की मंदता होने से देश-विदेश में उनके शत्रु उन्हें परेशान करेंगे। 2016 के बाद समय अच्छा नहीं है। बहुत सावधानी एवं सतर्कता की आवश्यकता है



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.