कुछ उपयोगी टोटके ब्रजवासी संत बाबा फतह सिंह छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है। कामना सिद्धि के लिए गायत्री के विविध प्रयोग श्रीमद्देवी भागवत पुराण से दूध वाली समिधाओं से एक हजार गायत्री का जप करके हवन करें। वे समिधाएं शमी की हों, इससे भौतिक रोग और ग्रह शांत हो जाते हैं अथवा सम्पूर्ण भौतिक रोगों की शांति के लिए द्विज क्षीर वाले वृक्ष अर्थात पीपल-गूलर-पाकड़ एवं वट की समिधाओं से हवन करें। जप और होम के पश्चात् हाथ में जल लेकर उससे सूर्य का तर्पण करें। इससे शांति प्राप्त होती है। जांघ पर्यंत जल में रहकर गायत्री मंत्र का जप करके पुरुष सम्पण्ू ा र् दोषों को शांत कर सकता है। कण्ठ पर्यंत जल में जप करने से प्राणान्तकारी भय दूर हो जाता है। सभी प्रकार की शांति के जल में डूबकर गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। सुवर्ण-चांदी-तांबा-मिट्टी अथवा किसी दूध वाले काष्ठ के पात्र में रखे हुए पंचगव्य द्वारा प्रज्वलित अग्नि में क्षीर वाले वृक्ष की (पीपल) समिधाओं से एक हजार गायत्री मंत्र का उच्चारण करके हवन करें, प्रत्येक आहुति के समय मंत्र का पाठ करके पात्र में रखे हुए पंचगव्य से समिधाओं को स्पर्श कराकर हवन करें। हवन के पश्चात एक हजार गायत्री मंत्र पढ़कर पात्र में अवशिष्ट पंचगव्य का अभिमंत्रण करें और फिर मंत्र का स्मरण करते हुए कुशों द्वारा उस पंचगव्य से वहां के स्थान का प्रोक्षण करें। इसके बाद वहीं बलि देते हुए इष्ट देवता का ध्यान करें। ऐसा करने से अभिचार से उत्पन्न हुई कृत्या भूमि पर चतुष्कोण मण्डल लिखकर उसके मध्य भाग में गायत्री मंत्र पढ़कर त्रिशूल धंसा दें। इससे पिशाचों के आक्रमण से पुरुष बच सकता है अथवा सब प्रकार की शांति के लिए पूर्वोक्त कर्म में ही गायत्री के एक हजार मंत्र से अभिमंत्रित करके त्रिशूल गाड़े। वहीं सुवर्ण-तांबा-चांदी अथवा मिट्टी का नवीन द्रव्य कलश स्थापित करें। उस कलश में छिद्र नहीं होना चाहिए। उसे वस्त्र से वेष्टित कर दो। बालू से बनी हुई वेदी पर उसे स्थापित करें। मंत्रज्ञ पुरुष जल से उस कलश को भर दें। फिर श्रेष्ठ द्विज चारों दिशाओं के तीर्थों का उसमें आवाहन करें। इलायची-चंदन-कपूर जायफल-गुलाव-मालती-बिल्वपत्र- विष्णुकांता, सहदेवी, धान-यव-तिल सरसों तथा दूध वाले वृक्ष अर्थात पीपल-गूलर-पाकड़ और वट के कोमल पल्लव उस कलश में छोड़ दें। उसमें सत्ताईस कुशों से निर्मित एक कूंची रख दें। यों सभी विधि सम्पन्न हो जाने पर स्नान आदि से पवित्र हुआ जितेंद्र बुद्धिमान ब्राह्मण एक हजार गायत्री के मंत्र से उस कलश को अभिमंत्रित करे। वेदज्ञ ब्राह्मण चारों दिशाओं में बैठकर सूर्य आदि देवताओं के मंत्रों का पाठ करें। साथ ही अभिमंत्रित जल से प्रोक्षण-पान और अभिषेक करें। इस प्रकार की विधि सम्पन्न करने वाला पुरुष भौतिक रोगों और उपचारों से मुक्त होकर परम सुखी हो सकता है॥