उपाय विचार आभा बंसल, फ्यूचर पॉइंट समस्याग्रस्त जीवन में व्यक्ति सदा-सर्वदा कठिनाइयों से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढता रहता है। समस्याएं व्यक्ति की नियति हैं जिसे बदलना कठिन तो जरूर है, पर असंभव नहीं। मंत्र, जप, ध्यान, धारणा तथा ज्योतिषीय सामग्री आदि उपायों से व्यक्ति काफी राहत पा सकता है। यह बात अक्सर पूछी जाती है कि क्या उपाय वास्तव में कारगर सिद्ध होते हैं या इन उपायों को करने से हमें निश्चित रूप से लाभ होगा, तो मैं यही कहती हूं कि उपाय करते समय धार्मिक आस्था का होना आवश्यक है। यदि आपका ईश्वर में या धर्म के प्रति विश्वास है तो निश्चित रूप से आपके मन को शांति मिलेगी और उपाय का असर आपको महसूस होगा। यह आस्था आधारित निदान है और उसका स्थान हर धर्म में है। अगला प्रश्न होता है कि क्या उपाय भाग्य बदल सकते हैं हर व्यक्ति का भाग्य बहुत बलशाली होता है लेकिन भाग्य का बदल पाना कठिन तो जरूर है पर असंभव नहीं। भाग्य के रचयिता भगवान या फिर भगवान के अवतार या भगवान जैसा सक्षम कोई सिद्ध पुरुष जिस पर ईश्वर की विशेष कृपा हुई हो जैसे कि शिरडी के साई बाबा निश्चित रूप से हमारा भाग्य बदल सकते हैं। इसके साथ ही जातक भी अपने गुरु से आशीर्वाद प्राप्त कर भक्ति-योग, हठ-योग, मंत्र-योग, कुंडलिनी योग व श्री विद्याउपासना से अपने भाग्य को बदल सकता है। इसके बाद प्रश्न उठता है कि उपाय किस प्रकार से हमारे जीवन में प्रभाव डालते हैं। देखिये, जिस तरह से एक मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिये जाता है तो चिकित्सक समस्या की जड़ तक पहुंच कर बीमारी का इलाज करने हेतु दवाई बताता है लेकिन यदि बीमारी लाइलाज है तो उसे भगवान के सहारे छोड़ देते हैं। इसी तरह व्यक्ति को मृत्यु का भय हो, कुंडली के अनुसार एक्सीडेंट की आशंका हो तो महामृत्युंजय जप यज्ञ द्वारा आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना को रोका जा सकता है। या फिर कोर्ट का मुकदमा चल रहा हो तो बगलामुखी यज्ञ से शत्रु द्वारा होने वाली हानि को कम किया जा सकता है। परंतु यदि उस व्यक्ति के भाग्य में कम जीना लिखा है या फिर शत्रु से हारना ही लिखा है तो उपाय व उपचार भी उसे नहीं बचा सकते। ऐसे में केवल ईश्वर ही उसकी मदद कर सकते हैं। जैसे सावित्री अपने पति सत्यवान को मौत के मुंह से निकाल कर ले आई थी। शास्त्रों में सही कहा गया है- औषधि, मणि मंत्राणां, ग्रह नक्षत्र तारिका, भाग्य काले भवेत्सिद्धि, अभाग्यम् निष्फलम् भवेत्। अर्थात् औषधि, मंत्र और रत्न उन समस्याओं या बीमारियों को कम करते हैं जो अशुभ ग्रह व नक्षत्रों के कारण होती है। लेकिन समय अनुकूल होने पर ही ये उपाय सहायक सिद्ध होते हैं। अन्यथा प्रतिकूल समय में ये उपाय काम नहीं करते। अब जरूरत है उपाय के चुनाव की। शास्त्रों में उपायों के रूप में रत्न, रुद्राक्ष, यंत्र, मंत्र, स्तोत्र, यज्ञ, माला आदि की व्याखया की गई है लेकिन यदि एक भी उपाय पूरे विश्वास व आस्था से किया जाए तो निश्चित रूप से लाभ मिलता है। औषधि, मंत्र और रत्न उन समस्याओं या बीमारियों को कम करते हैं जो अशुभ ग्रह व नक्षत्रों के कारण होती है पर यदि समय अनुकूल है। तभी ये उपाय सहायक सिद्ध होते हैं। एक बहुत ही सरल उपाय अपने इष्ट देवता या देवी का पूजन करना है या फिर उस देवता या देवी का पूजन करना जो कुंडली के विशेष ग्रह के दुष्प्रभाव को कम कर सके। जैसे सूर्य के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए मातंगी देवी या सूर्य देवता की आराधना करें। चंद्र के लिए भुवनेश्वरी देवी या शिव जी का पूजन करें। मंगल के लिए बगलामुखी देवी या हनुमान जी या कार्तिकेय की पूजा करें। राहु के लिए छिन्न मस्ता, दुर्गा या सरस्वती की पूजा या जप। गुरु के लिए तारा देवी शनि के लिए काली देवी, या शिव जी की, बुध के लिए, त्रिपुर भैरवी या विष्णु की, केतु के लिए धूमावती देवी की, तथा शुक्र के लिए कमला देवी अर्थात महा लक्ष्मी की अर्थात् इन देवी-देवताओं की पूजा, मंत्रोच्चारण, यज्ञ, स्तोत्र व जप से की जाती है। महर्षि पराशर ने भी विभिन्न ग्रहों को देवताओं से जोडा है और हर प्रकार की समस्या के समाधान के लिए विभिन्न स्तोत्रों द्वारा उपाय बताए गये हैं। ग्रहों की राशि से भी उपाय का निर्धारण किया जाता है जैसे अग्नि तत्व राशि के ग्रह के लिए हवन, यज्ञ व व्रत से लाभ होता है। पृथ्वी तत्व राशि के ग्रह के लिए रत्न, यंत्र या धातु धारण करें । वायु तत्व की राशि के लिए मंत्र, जप, कथा, पूजा से लाभ। जल तत्व की राशि के लिए दान-दक्षिणा, जल-विसर्जन व औषधि स्नान। यदि कुंडली में योग कारक ग्रह बलवान है तो रत्न व यंत्र को धारण करने व पूजा करने से लाभ होगा। यदि मारक ग्रह बलवान है तो वस्तुओं का दान व जल विसर्जन करना चाहिए या फिर मंत्रोच्चारण व देव दर्शन से लाभ होता है। अब हम विभिन्न उपायों के बारे में संक्षेप में जानेंगे। रत्न : रत्नों से गुप्त शक्ति, किरणपात व ऊर्जा प्राप्त होती है विभिन्न प्रकार के रत्नों में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा होती है जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जीवन में बदलाव करने में सक्षम होती है या फिर व्यक्ति यदि योगकारक ग्रह का रत्न धारण करे तो वह ग्रह और अधिक बली हो कर श्ुाभ फल देने में सक्षम हो जाता है। रुद्राक्ष : रुद्राक्ष में विद्युत-चुंबकीय गुण होते हैं जो व्यक्ति के सकारात्मक गुणों में वृद्धि करते हैं और नकारात्मक पक्ष को मिटाते हैं। प्रत्येक ग्रह के लिये अलग रुद्राक्ष धारण का विधान है। सूर्य के लिए एकमुखी रुद्राक्ष, चंद्र के लिए दोमुखी रुद्राक्ष, मंगल के लिए तीनमुखी रुद्राक्ष, बुध के लिए चारमुखी रुद्राक्ष, गुरु के लिए पांचमुखी रुद्राक्ष, शुक्र के लिए छहमुखी रुद्राक्ष, शनि के लिए सातमुखी व चौदह मुखी रुद्राक्ष, राहु के लिए आठमुखी रुद्राक्ष, केतु के लिए नौमुखी रुद्राक्ष। यंत्र : यंत्रों में मूल शक्तियां होती हैं और वे एक कवच की भांति हमारी रक्षा करते हैं। मंत्र : मंत्रोच्चारण भी हमारे अंदर स्पंदन पैदा करता है और हमारे व्यक्तित्व व बुद्धि का विकास करता है। पारद : पारद शिवलिंग की पूजा से शिव जी का आशीर्वाद तुरंत प्राप्त होता है। स्फटिक : प्रकाश व ऊर्जा का एक शक्तिशाली माध्यम है। रंग : रंग-चिकित्सा, हमारे शरीर के ऊर्जा चक्रो को संतुलित करती है और इनमें वृद्धि करती है। यज्ञ : अथर्ववेद में यज्ञ को इस सृष्टि का आधार बिंदु माना है और कहा है अयं यज्ञो विश्वस्य नाभिः । यज्ञ सर्वाधिक फलदायी होते हैं। हमारी पारिस्थितिकी को भी ठीक रखते हैं। उपाय करते समय धार्मिक आस्था का होना आवश्यक है। यदि आपका ईश्वर में या धर्म के प्रति विश्वास है तो निश्चित रूप से आपके मन को शांति मिलेगी और उपाय का असर आपको महसूस होगा। भाग्य के रचयिता भगवान निश्चित रूप से हमारा भाग्य बदल सकते हैं या फिर भगवान के अवतार या भगवान जैसा सक्षम कोई सिद्ध पुरुष जिस पर ईश्वर की विशेष कृपा हुई हो इसी तरह प्राणायाम, दान, अर्घ्य, व्रत, देव दर्शन, औषधि स्नान, जल विसर्जन आदि अन्य उपाय भी कुंडली के विश्लेषण के अनुसार बताये जाते हैं।