सफलता का एक श्रेष्ठ उपाय ग्रह यंत्रों की साधना नीरज शर्मा शास्त्र में बताये गये उपायों में साधना शुक्र यंत्र साधना : एक श्रेष्ठ व सटीक उपाय है। किसी भी ग्रह की साधना यदि केवल मंत्र से न करके उसके यंत्र को स्थापित करके की जाये तो इससे कई गुना अधिक फल मिलता है तथा विभिन्न ग्रहों के यंत्रों की साधना से भिन्न-भिन्न कार्यों में सफलता मिलती है। मंत्र - ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः यदि सूर्य यंत्र की साधना इस मंत्र से की जाये तो प्रतिष्ठा, यश, सम्मान, नेत्र ज्योति में वृद्धि, रोग प्रतिरोधक क्षमता, सरकारी कार्य में सफलता, हृदय रोग से मुक्ति, हड्डी के रोगों से मुक्ति, पिता व पुत्र सुख आदि की प्राप्ति होती है। मंत्र - ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः चंद्र यंत्र की साधना से मानसिक शक्ति, शांति, एकाग्रता में वृद्धि, अवसाद से मुक्ति, सिरदर्द की समस्या से मुक्ति, अस्थमा से मुक्ति, मातृ-सुख आदि की प्राप्ति होती है। मंगल यंत्र साधना : मंत्र - ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंगल यंत्र की साधना से पराक्रम में वृद्धि, निडरता, प्रतिस्पर्धा में विजय, शत्रुओं पर विजय, भूमि संबंधी विवादों में विजय, कर्ज से मुक्ति, रक्त संबंधी विकारों से मुक्ति आदि की प्राप्ति होती है। बुध यंत्र साधना : मंत्र - ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः बुध यंत्र की साधना से तीव्र बुद्धि, अच्छी वाक्शक्ति, बुद्धिपरक कार्यों में सफलता, कम्प्यूटर के क्षेत्र में सफलता, त्वचा संबंधी रोगों की निवृत्ति, वाणी संबंधी विकारों व बौद्धिक दुर्बलता में शुभत्व की प्राप्ति होती है। बृहस्पति यंत्र साधना : मंत्र - ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः गुरु यंत्र की साधना से विवेक में वृद्धि, विद्या की प्राप्ति, प्रतिष्ठा प्राप्ति, ज्ञान वृद्धि, धर्म में रुचि, लीवर संबंधी रोगों में लाभ आदि की प्राप्ति होती है। शुक्र यंत्र साधना : मंत्र - ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः शुक्र यंत्र की साधना से धन वृद्धि, ऐश्वर्य वैभव की प्राप्ति, संपत्ति प्राप्ति, पुरुषों को वैवाहिक जीवन की प्राप्ति, मधुमेह में लाभ व किडनी संबंधी समस्याओं में भी लाभ की प्राप्ति होती है। शनि यंत्र साधना : मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः शनि यंत्र की साधना से आजीविका में वृद्धि, नौकरी प्राप्ति व उन्नति, जनता का समर्थन, पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं में लाभ व जोड़ों के दर्द में भी लाभ होता है। इस प्रकार किसी विशेष वस्तु की प्राप्ति के लिए उसके कारक ग्रह के यंत्र की साधना से चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम से केसर या रोली से बनाएं या ताम्रपत्र पर बना हुआ यंत्र भी स्थापित कर सकते हैं तथा ग्रह के मंत्र की कम से कम दो (प्रातः व संध्या में) तथा अधिकतम ग्यारह माला कर सकते हैं।