छोटे भाई बहनों के जन्म की संभावना के लिये सबसे पहले जातक की जन्म कुंडली में इसी बात अर्थात छोटे भाई या बहन के जन्म का योग होना चाहिये। उसके बाद उपयुक्त दशा का आना आवश्यक होता है। अंत में गोचर के ग्रहों जैसे कि शनि, गुरु, मंगल व चंद्र का गोचर शुभ होना चाहिये। समीकरण - छोटे भाई बहनों के जन्म के बारे में लग्न कुंडली में निम्न समीकरणों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है
- 1 लग्न व लग्नेश 2 तृतीय भाव व तृतीयेश 3 पंचम भाव (तृतीय से तृतीय) व पंचमेश 4 कारक मंगल 5 गोचर के ग्रह शनि, गुरु, मंगल व चंद्र आईए अब कुछ उदाहरणों के द्वारा उपरोक्त बातों को समझने का प्रयास करते हैं -
उदाहरण 1 - कनिका: 27 अक्तूबर 1967, 14ः40, फरीदाबाद कुंभ लग्न पर गुरु व राजयोग कारक शुक्र की दृष्टि है। तृतीय भाव व तृतीयेश पर भी गुरु की दृष्टि है और तृतीयेश मंगल वृद्धि भाव एकादश भाव में स्थित है। पंचम भाव पर भी तृतीयेश मंगल की दृष्टि है। पंचमेश बुध भाग्य स्थान में है। ये सभी योग छोटे भाई बहन के जन्म के शुभ योग बना रहे हंै।
कनिका की छोटी बहन करिश्मा का जन्म 31 अक्तूबर 1969 को हुआ जब कनिका की बुध/सूर्य की दशा चल रही थी। यहां कनिका की कंुडली में महादशा नाथ बुध पंचमेश होकर भाग्य स्थान में स्थित होकर तृतीय भाव को दृष्टि दे रहा है। अंतर्दशा नाथ सूर्य भी भाग्य स्थान में पंचमेश बुध के साथ स्थित होकर तृतीय भाव को देख रहा है। छोटी बहन करिश्मा के जन्म समय 31. 10.1969 के गोचर में शनि तृतीय भाव में मेष राशि से गोचर कर रहा था। गुरु का गोचर कन्या राशि से था जहां से वह लग्नेश शनि को देख रहा है।
मंगल मकर राशि से गेाचर कर तृतीय भाव को दृष्ट कर रहा था। चंद्रमा का गोचर मिथुन राशि से था जो तृतीयेश मंगल को देख रहा था। इस प्रकार कनिका की छोटी बहन करिश्मा के जन्म के सभी समीकरण पूरे हो रहे थे।
उदाहरण 2: करिश्मा 31 अक्तूबर 1969, 22ः40, फरीदाबाद कर्क लग्न की इस कुंडली में छोटे भाई बहन का कारक मंगल उच्च का है। तृतीय भाव में वर्गोतम गुरु है। पंचमेश मंगल उच्च का होकर लग्न को दृष्टि दे रहा है। छोटे भाई करण के जन्म 17.04. 1972 के समय करिश्मा की गुरु/चंद्र की दशा चल रही थी। गुरु तृतीय भाव में ही विद्यमान है और चंद्र लग्नेश है। छोटे भाई करण के जन्म के समय 17.04.1972 को शनि, मंगल व चंद्रमा का गोचर वृष राशि से था जहां से वे पंचम भाव को देख रहे थे। गुरु धनु राशि से गोचर कर लग्नेश चंद्रमा को देख रहा था। इस प्रकार करिश्मा के छोटे भाई करण के जन्म के सभी समीकरण पूर्ण हो रहे थे।
उदाहरण 3: करण 17 अप्रैल 1972, 00ः20, फरीदाबाद धनु लग्न की इस कुंडली में लग्नेश लग्न में ही स्थित होकर पंचम भाव को देख रहा है। तृतीयेश शनि छठे भाव में स्थित होकर तृतीय भाव को ही देख रहा है। कारक मंगल तृतीयेश के ही साथ है। पंचम भाव में स्थित सूर्य उच्च का है। अर्थात छोटे भाई बहन के जन्म के शुभ योग बन रहे हैं। छोटे भाई कार्तिक के जन्म समय 01.09.1974 को करण की चंद्रमा/बुध की दशा चल रही थी। यहां महादशा नाथ चंद्रमा षष्ठ भाव में तृतीयेश शनि के साथ स्थित है। 01.09. 1974 के गोचर में गुरु व चंद्रमा कुंभ राशि से अर्थात तृतीय भाव से व शनि मिथुन राशि अर्थात सप्तम भाव से गोचर कर लग्न को देख रहे थे। मंगल सिंह राशि से तृतीय भाव को देख रहा था। इस प्रकार करण के छोटे भाई कार्तिक के जन्म के सभी समीकरण पूर्ण हो रहे थे।
उदाहरण 4: कार्तिक 01 सितंबर 1974, 10ः15, फरीदाबाद तुला लग्न की इस कुंडली में लग्नेश दशम में दिशा बलहीन होकर बैठा है। यद्यपि तृतीयेश गुरु पंचम भाव में स्थित है, लेकिन द्वादश्ेाश बुध व मारकेश मंगल से दृष्ट भी है। तृतीय भाव व कारक मंगल पर शनि की दृष्टि भी शुभ नहीं कही जा सकती। इस प्रकार छोटे भाई बहन के योग नहीं बन रहे हैं। इसलिये इस जातक के कोई छोटे भाई बहन नहीं हैं।
निष्कर्ष - उपरोक्त कुंडलियों के विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि प्रस्तुत शोध में छोटे भाई बहन के जन्म से संबंधित जिन योगों को परखा गया है, उनमें से अधिकतर योग इन कुंडलियों (अंतिम कुंडली छोड़ कर) में विद्यमान हैं जो स्पष्ट संकेत देते हैं कि छोटे भाई बहन के जन्म के लिये ये योग उल्लेखनीय भूमिका अदा करते हैं। इन योगों में से दो या अधिक कारणों से जातक छोटे भाई बहन का सुख पाता है। अतः किसी जातक की जन्म कुंडली में यदि उपरोक्त योग दिखाई देते हैं तो निःसंकोच जातक को छोटे भाई बहन का सुख प्राप्त हो जाना चाहिये।