गुरु अष्टकवर्ग से सटीक फलकथन
गुरु अष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

गुरु अष्टकवर्ग से सटीक फलकथन  

संजय बुद्धिराजा
व्यूस : 5765 | जनवरी 2010

पिछले अंक में बुधाष्टकवर्ग पर किए गए शोध की चर्चा की गई थी। इस अंक में प्रस्तुत है - गुरुअष्टकवर्ग पर किए गए शोध का विश्लेषण। भारतीय ज्योतिष में फलकथन हेतु अष्टकवर्ग विद्या की अचूकता व सटीकता का प्रतिशत सबसे अधिक है। अष्टकवर्ग विद्या में लग्न और सात ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) को गणना में सम्मिलित किया जाता है। गुरु ग्रह द्वारा विभिन्न भावों व राशियों को दिए गए शुभ बिंदु तथा गुरु का ‘शोध्यपिंड’ - ये ‘गुरुअष्टकवर्ग’ से किए गए फलकथन का आधार होते हैं।

अष्टकवर्ग विद्या में नियम है कि कोई भी ग्रह चाहे वह स्वराषि या उच्च का ही क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि गुरु ग्रह गुरुअष्टकवर्ग में 5 या इससे अधिक बिंदुओं के साथ है तथा सर्वाष्टक वर्ग में भी 28 या अधिक बिंदुओं के साथ है तो गुरु से संबंधित भावों के शुभ फल प्राप्त होते हैं। यदि सर्वाष्टकवर्ग में 28 से अधिक बिंदु व गुरू अष्टकवर्ग में 4 से भी कम बिंदु हैं तो फल सम आता है। यदि दोनों ही वर्गों में कम बिंदु हैं तो ग्रह के अषुभ फल प्राप्त होते हैं.

कारकत्व के अनुसार गुरु से विद्या, धन, संतान, पति, विवाह, धर्म आदि का विचार किया जाता है। गुरुअष्टकवर्ग: यदि जन्म कुंडलियों में गुरुअष्टकवर्ग का उपयोग कर फलकथन हेतु निम्न सिद्धांतों या नियमों को अपनाया जाए तो अधिक सटीक परिणाम सामने आते हैं - 1 गुरु के पंचम स्थान से बुद्धि, ज्ञान, पुत्र, धर्मादि का विचार किया जाता है। अतः गुरु के अष्टकवर्ग में गुरु से पंचम राषि में बिंदुओं की संख्या अधिक होगी तो विद्या, पुत्र, धर्म आदि का सुख मिलता है।

उदाहरण: इंदिरा गांधी (19.11.1917, 23ः11, ईलाहाबाद) जन्मकुंडली के अनुसार गुरु के अष्टकवर्ग में एकादस्थ गुरु से पांचवें भाव में 6 शुभ बिंदु है जो कि सामान्य से ज्यादा हैं। अतः जातिका एक बुद्धिमान, ज्ञानवान व धार्मिक महिला रही है और उनके दो पुत्र भी हुए। 2 गुरु के अष्टकवर्ग में गुरु जिस राषि में है, उससे पंचम राषि में शोधन से पहले जितने बिंदु होंगे, उतने ही पुत्र जातक के होंगे। किंतु यदि किसी अस्त, शत्रु या नीच ग्रह ने बिंदु प्रदान किया है तो ऐसे बिंदु कम करने होंगे। उच्च, वक्री व स्वराषि ग्रह के बिंदु जोड़ने होंगे। लड़कों की संख्या पुरुष ग्रहों द्वारा दी गई संख्या पर निर्भर करती है। उदाहरण: इंदिरा गांधी (19.11.1917, 23ः11, इलाहाबाद) जातिका की जन्म कुंडली के अनुसार गुरु के अष्टकवर्ग में एकादस्थ गुरु से पांचवें भाव में 6 शुभ बिंदु हैं जो कि 6 ग्रहों सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र व शनि के द्वारा दिए गए हैं परंतु अगर कुंडली को देखें तो हम पाते हैं

कि चंद्र, बुध, शुक्र व शनि ग्रह शत्रु राषि में बैठे हैं जिस कारण इनके द्वारा दिए गए बिंदुओं को 6 में से घटाया जायेगा। शेष रह गए 2 बिंदु। जातिका के भी दो ही पुत्र थे। 3. गुरु के अष्टकवर्ग में शोधन से पूर्व गुरु की राषि से पंचम स्थान के बिंदुओं को गुरु के शोध्य पिंड से गुणाकर 27 से भाग देने पर जो शेष आये, उस तुल्य नक्षत्र या उससे त्रिकोण नक्षत्र में शनि के आने पर पुत्र, विद्या तथा धर्म की हानि होती है।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


उदाहरण: शेफाली(17.05.1990, 14ः15, दिल्ली), एक छात्रा जातिका का गुरु मिथुन राषि में स्थित है। मिथुन राषि से पंचम राषि तुला में गुरु के अष्टकवर्ग में केवल 1 ही शुभ बिंदु है। गुरु का शोघ्य पिंड 201 है अतः 201 को 1 से गुणा कर 27 का भाग देने पर शेष 12 आता है। 12 नंबर नक्षत्र उ.फा. है व इसके त्रिकोण नक्षत्र कृत्तिका और उ. श. हैं। मई 2000 में जब गोचर का शनि कृत्तिका नक्षत्र में था तो जातिका का पांचवीं कक्षा का परिणाम आया तो जातिका उत्तीर्ण नहीं हो पाई, उसे विद्या की हानि हुई। 4. गुरु के अष्टकवर्ग में शोधन से पूर्व गुरु की राषि से पंचम स्थान के बिंदुओं को गुरु के शोध्य पिंड से गुणाकर 12 से भाग देने पर जो शेष आये, उस तुल्य राषि या उससे त्रिकोण राषि में शनि के आने पर पुत्र, विद्या व धर्म की हानि होती है। उदाहरण:शेफाली (17.05.1990, 14ः15, दिल्ली), एक छात्रा पिछले उदाहरण के ही अनुसार, जातिका का गुरु मिथुन राषि में स्थित है। मिथुन राषि से पंचम राषि तुला में गुरु के अष्टकवर्ग में केवल 1 ही शुभ बिंदु है। गुरु का शोघ्य पिंड 201 है अतः 201 को 1 से गुणा कर 12 का भाग देने पर शेष 9 आता है। 9 नंबर राषि धनु है व इसकी त्रिकोण राषियां मेष और सिंह हैं। मई 2000 में जब गोचर का शनि मेष राषि में था तो जातिका पांचवीं कक्षा में उतीर्ण नहीं हो पाई थी, उसे विद्या की हानि हुई। 5. यदि गुरु स्वराषि का या उच्च राषि का 6 से 8 बिंदु का 6, 8, 12 भाव का भी हो तो भी शुभ फल देता है। उदाहरण: अमिताभ बच्चन (11.10.1942, 16ः00, इलाहाबाद) जातक का गुरु उच्च का होकर छठे भाव में 7 शुभ बिंदुओं के साथ है। अतः इस गुरु ने जातक को शुभ फल दिये। जातक को एकादष भाव का स्वामी होकर बेषुमार आय दी। द्वितीयेष होकर अतुल धन-संपत्ति का मालिक बनाया और प्रभावषाली आवाज भी दी। छठे भाव के प्रभाव के कारण जातक को बीमारियां भी दी परंतु साथ ही उनसे लड़़़ने की शक्ति भी दी, कर्जदार तो बनाया परंतु कर्ज उतार कर भी दिखाया। 6. जन्म कुंडली में यदि सूर्य ऐसे भाव में हो जिसमें गुरु के अष्टकवर्ग में सबसे कम बिंदु हों तो यह एक दरिद्र योग बनता है। उदाहरण: अंतरा. पालकी, एक कन्या (16 दिसंबर 1995, 01ः03 बजे, अलीगढ़़) जातिका की कुंडली के अनुसार, गुरु के अष्टकवर्ग में सबसे कम बिंदु वृष्चिक राषि में केवल 1 है और सूर्य भी वृष्चिक राषि में ही है। अतः यह एक दरिद्र योग बनाता है जिस कारण जातिका भी एक गरीब घर की कन्या है जहां दो जून की रोटी बनानी भी मुष्किल होती है। 7. यदि लग्नेष दूसरे या नवें घर में हो और गुरु 5 या अधिक ंिबंदु के साथ हो तो पिता अपने पुत्र के माध्यम से सम्मानजनक स्थिति प्राप्त करता है। उदाहरण: विषंभर जैन, समाजसेवी (24 फरवरी 1971, 14.00 बजे, मेरठ) जातक का लग्नेष बुध नवें भाव में है और गुरु छठे भाव में 6 शुभ बिंदुओं के साथ है। जातक एक कालेज में प्रोफेसर है और साथ ही एक कुषल समाजसेवक भी। जातक के पिता ने अपनी जिंदगी में इतना नाम नहीं कमाया था जितना जातक ने समाज सेवी बनकर और अपने पिता को लोकल इलैक्षन में जिता कर नाम कमा कर दिया। आज समाज, पिता को जातक के पिता के रुप में ज्यादा जानता है। 8. गुरु के अष्टकवर्ग में जो राषियां सर्वाधिक शुभ बिंदुओं के साथ होती है उन पर से यदि गुरु/सूर्य का गोचर हो तो जातक की पत्नि गर्भवती होती है। उदाहरण: राजीव गांधी (20.08.1944, 07ः11, मुंबई) जातक के गुरु के अष्टकवर्ग में सबसे अधिक शुभ बिंदु 6 और 7 मेष, वृष, मिथुन और कन्या राषियों में हैं। अपै्रल 1971 में जब सूर्य का गोचर मेष राषि पर से था तो जातक की पत्नि श्रीमती सोनिया गांधी गर्भवती हुई और जनवरी 1972 में उनकी बेटी प्रियंका गांधी का जन्म हुआ। 9. केंद्र या त्रिकोण का गुरु यदि 6 से 8 बिंदु के साथ हो तो जातक उच्च पद, प्रतिष्ठा व संपन्नता पाता है। उदाहरण के लिए रवींद्रनाथ टैगोर की कुंडली में उच्च का गुरु 6 बिंदुओं के साथ पांचवें धर में है तो उन्हें जीवन में सम्मान, संपन्नता, प्रतिष्ठा आदि की कमी नहीं रही। 10. गुरु से पंचमेष जिस राषि में बैठा हो उसमें बिंदुओं की संख्या (षोधन के बाद) जितनी होगी उतनी ही संतान होती है। संतान का व्यवहार व चरित्र इस बात पर निर्भर करता है कि किस ग्रह ने बिंदु दिया है। उदाहरण 1: सचिन तंेदुलकर (21.04.1973, 18ः00, मुबई) जातक के गुरु के अष्टकवर्ग में दोनों शोधन के बाद मकर के गुरु से पंचमेष शुक्र मेष राषि में केवल 2 बिंदुओं के साथ है और जातक की भी केवल 2 ही संतान भी हैं। उदाहरण 2: रेखा सूरी (01.11.1973, 12ः00, दिल्ली) जातिका का गुरु मकर राषि में है। अतः गुरु से पंचमेष शुक्र हुआ और शुक्र, गुरु के अष्टकवर्ग में शोधन के पष्चात धनु राषि में 4 बिंदु लेकर बैठा है। जातिका के भी 4 ही संतान हैं। 11. संतान के जन्म समय को जानने के लिये गुरु के शोध्यपिंड को गुरु से पांचवें घर में शोधन से पहले के बिंदुओं की संख्या से गुणा करें और प्राप्त संख्या को 27 से विभाजित करें तो शेषफल के तुल्य नक्षत्र पर से जब गुरु का गोचर होगा तो संतान प्राप्ति की संभावना रहती है।

उदाहरण: जवाहर लाल नेहरु (14.11.1889, 23ः06, ईलाहाबाद) गुरु का शोध्यपिंड त्र 162 गुरु से पांचवें में बिंदु त्र 2 इसलिये 162 ग 2 त्र 324 27 का भाग देने पर शेषफल त्र 0 या 27 27वां नक्षत्र है रेवती और जवाहर लाल नेहरु की बेटी इंदिरा के अपनी मां के गर्भ में आने के समय गुरु का गोचर अष्विनी नक्षत्र पर था यानि कि उसने अभी अभी रेवती नक्षत्र को पार ही किया था। 12. संतान के जन्म का माह जानने के लिये गुरु के शोध्य पिंड को 4 से गुणा कर 12 का भाग देने पर जो शेष आये उस तुल्य राषि या उससे त्रिकोण राषि में सूर्य का गोचर संतान के जन्म का मास बतायेगा। उदाहरण: जवाहर लाल नेहरु (14.11.1889, 23ः06, ईलाहाबाद) गुरु के अष्टकवर्ग में गुरु का शोध्य पिंड 162 है। इसको 4 से गुणा कर 648 आता है और यदि इसको 12 का भाग दें तो शेषफल भी 12 आता है अर्थात मीन राषि। मीन राषि की त्रिकोण राषियां कर्क और वृष्चिक हैं। जब सूर्य का गोचर वृष्चिक राषि पर से था तो जातक के घर उनकी संतान इंदिरा ने 19 नवंबर 1917 को जन्म लिया था।


Consult our astrologers for more details on compatibility marriage astrology




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.