कैसा रहेगा नरेन्द्र मोदी सरकार का कार्यकाल?
कैसा रहेगा नरेन्द्र मोदी सरकार का कार्यकाल?

कैसा रहेगा नरेन्द्र मोदी सरकार का कार्यकाल?  

रमेश शास्त्री
व्यूस : 9078 | जुलाई 2014

भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब गैर कांगे्रस पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी हो। तीस वर्षों के बाद देश में पहली बार पूर्ण बहुमत वाली एक पार्टी की सरकार बनी है यह भारत वर्ष के आगामी भाविष्य के लिए शुभ संकेत हो सकता है। इस लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ही एक मात्र ऐसे राजनेता थे, जिन्हें संपूर्ण देश भर में लोकप्रियता प्राप्त हुई तथा उसके सकारात्मक परिण् ााम भी चुनाव के नतीजों में उनके पक्ष में दिखे। नई सरकार के लिए अब देश की अनेक समस्याओं से निबटने की बड़ी चुनौतियां हैं। इस परिपे्रक्ष्य में ज्योतिषीय विश्लेषण से श्री नरेंद्र मोदी सरकार के भविष्य के बारे में उनके शपथ ग्रहण समय की कुंडली के माध्यम से निम्न आलेख प्रस्तुत है।

भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रपति भवन में जब श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली उस समय पर तुला लग्न विद्यमान था। लग्न में उच्च के शनि तथा राहु स्थित होने से वे अपने मजबूत इरादों को लेकर सरकार चलाना चाहते हैं इस बात का स्पष्ट संकेत है। लग्नेश शुक्र सप्तम भाव (साझेदारी स्थान) में स्थित होने से तथा लग्न पर पूर्ण दृष्टि होने से इस बात का संकेत है कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे तथा सरकार की स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से पूर्ण प्रयासरत रहेंगे एवं इसमें सफल भी हो जायेंगे। तुला लग्न चर लग्न है तथा लग्नेश और कर्मेश भी चर राशि में ही स्थित है जिसके फलस्वरूप वे अपनी योजनाओं को तीव्रगति से लागू करने का भरपूर प्रयास करेंगे।

लग्नेश और कर्मेश का सप्तम भाव में एक साथ स्थित होना इस बात का भी संकेत है कि वे अपने मंत्रीमंडलीय सहयोगियों से भी अपनी कार्य प्रणाली से कार्य करने का सुझाव देते रहेंगे तथा उसका सरकार के कामकाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चतुर्थेश शनि जो कि जनता का प्रतिनिधि होकर लग्न में उच्चस्थ होकर मित्र राहु के साथ स्थित है, इसके प्रभाव से यह सरकार आम लोगों की समस्याओं जैसे महंगाई, रोजगार, कृषि, व्यापार के क्षेत्र में कड़े कदम उठाने में पीछे नहीं हटेगी, हालांकि इसे लागू करने में प्रारंभ में कुछ दिक्कतें आयेंगी लेकिन भविष्य में उसके सकारात्मक परिणाम की संभावना भी अधिक रहेगी। लाभ स्थान का स्वामी सूर्य ग्रह अष्टम भाव में स्थित है जिससे आर्थिक क्षेत्र में आर्थिक लाभ के लिए सरकार को अधिक परिश्रम करना पड़ेगा, परंतु तुला लग्न के लिए एकादशेश सूर्य बाधक ग्रह भी है।

उसी दृष्टि से बाधकेश सूर्य का अष्टम स्थान में स्थित होना शुभ है जिससे सरकार की बाधाएं शीघ्र नष्ट होती रहेंगी तथा आर्थिक लाभ के क्षेत्र में सरकार को सफलताएं प्राप्त होंगी। धनेश के बारहवें भाव में जाने से सरकार को अपने आर्थिक बजट के हिसाब से ही खर्च करना चाहिए, जिससे भविष्य में आर्थिक स्थिति पर नियंत्रण बना रहे। इस ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता भी रहेगी। हालांकि धनकारक गुरु की भाग्येश के साथ भाग्य स्थान में ही युति होने से सरकार को अधिक आर्थिक संकट से नहीं गुजरना पड़ेगा। शीघ्र ही उसका समाधान होने की संभावना भी रहेगी।

नवमेश नवम स्थान में ही होने से तथा आध्यात्मिक ग्रह गुरु की युति होने से इस बात का भी स्पष्ट संकेत है कि यह सरकार आध्यात्मिक क्षेत्रों के रखरखाव, गंगा आदि पवित्र नदियों की सफाई तथा तीर्थ स्थलों के पर्यटकों के लिए विशेष सकारात्मक कदम उठायेगी साथ ही देश में पर्यटन के विकास के लिए भी कई अच्छी योजनाएं बनायेगी। साम्प्रदायिक सुख-सौहार्द के लिए भी गंभीरता से कार्य करेगी।

द्वादशेश बुध की त्रिकोण में स्वगृही स्थिति होने से यह सरकार अपनी विदेश नीति को लेकर सभी देशों के साथ अपने अच्छे संबंध स्थापित करने की कोशिश करेगी। प्रारंभ में इनकी विदेश नीति का विरोधी दल काफी विरोध भी करेंगे, परंतु भविष्य में उसके सकारात्मक प्रभाव को देखकर वे भी प्रभावित होंगे। लग्नेश की लग्न पर दृष्टि तथा लग्न में उच्चस्थ मित्रग्रह होने से एवं बृहस्पति की लग्न पर दृष्टि होने से तथा शुभ ग्रह शुक्र की होरा होने से यह सरकार अपना कार्यकाल पूर्ण करने में सफल होगी।



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