नववर्ष मंगलकारी कैसे हो ? डॉ संजय बुद्धिराजा नववर्ष हमारे लिये मंगलकारी हो। नये साल में हमें विपदाओं व अशुभता का सामना न करना पड़े। आइए जानें कि नववर्ष में अशुभता का नाश किस प्रकार से किया जा सकता है। अंकविद्यानुसार वर्ष '2011' में अंकों का कुल योग 2+0+1+1 = 4 आता है.
शास्त्रों में कहा गया है कि अंक 4 का प्रतिनिधित्व राहु करता है इसलिए वर्ष 2011 में राहु का प्रभाव अधिक रहेगा। राहु पृथ्वी तत्व की राशि वृष का स्वामी है और कहीं कहीं पर तो वृष राद्गिा को राहु की उच्च राद्गिा भी कहा गया है. वृष राद्गिा की त्रिकोण राशियां कन्या व मकर हैं।
इसके अतिरिक्त राहु की उच्च राद्गिा मिथुन भी कही जाती है जिसकी त्रिकोण राद्गिायां तुला व कुंभ हैं. अतः वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिये यह वर्ष कुछ विशेष ही रहेगाअर्थात यह भी कह सकते हैं कि बुध, शुक्र व शनि की राद्गिायों के लिये राहु विद्गोष प्रभावद्गााली रह सकता है यानि कि शुभ राहु जातक के जीवन को उत्थान व अद्गाुभ राहु जातक के जीवन को पतन भी दे सकता है।
लाल किताब में कहा गया है कि राहु के देवता/देवी हैं - देवी सरस्वती अर्थात नववर्ष 2011 में देवी सरस्वती व राहु की पूजा व आर्शीवाद से शुभत्व में वृद्धि और अशुभता का नाश किया जा सकता है। वर्ष 2011 में विभिन्न जातक अपनी चंद्र राशि या नाम राशि अनुसार देवी सरस्वती व राहू के विभिन्न मंत्रों का जाप कर देवी के साथ साथ राहु का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं।
उन्हें चाहिये कि निम्न मंत्रों में से अपनी राशि अनुसार देवी सरस्वती का व राहु का मंत्र चुनें। फिर श्रद्धा भक्ति से नववर्ष में पहले शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू कर रोजाना सुबह स्नानादि से निवृत होकर, स्फटिक की माला लेकर, देवी सरस्वती की तस्वीर या यंत्र के सम्मुख उचित आसन पर बैठकर, घूप दीपादि जलाकर, श्वेत पुष्प, अक्षत अर्पण कर, देवी के मंत्रों का एक माला जाप करें। इसके अतिरिक्त रोजाना सुबह शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरु कर देवी के मंत्र जाप के पश्चात, रुद्राक्ष की माला लेकर, राहु की तस्वीर या यंत्र के सम्मुख नीले पुष्प, तिल अर्पण कर, राहु के मंत्र का एक माला जाप करें। यदि किसी जातक की जन्म चंद्र राशि व नाम राशि में अंतर हो तो जातक को दोनो राशियों के मंत्रों का जाप करना चाहियेजैसे कि यदि जन्म पत्रिकानुसार नाम तो 'सन्नी' निकलता है और रखा है
'राजन' तो जन्म चंद्र राशि हुई कुंभ व नाम राशि हुई तुला। ऐसे में जातक को कुंभ व तुला दोनों राशियों के मंत्रों का जाप करना चाहिये। यदि जन्म चंद्र राशि न मालूम हो तो केवल नाम राशि के मंत्रों का जाप करना चाहिये। यदि वर्ष 2011 में किसी विशेष काम की इच्छापूर्ति की अभिलाषा हो जैसे कि काफी प्रयास करने से भी पिछले वर्ष विवाह नहीं हो पा रहा हो या पिछले वर्ष कारोबार में असफलता हाथ लग रही हो या स्वास्थ्य की परेशानी चल रही हो या विद्याध् ययन में बाधा आ रही हो या संतान होने में रूकावट आ रही हो तो निम्न मंत्रों में से किसी मंत्र का रोजाना 2 माला जाप करना चाहिये :-
1 राहु गायत्री मंत्र -ऊं सूकदन्ताय विद्महे, उग्ररुपाय धीमहि, तन्नो राहु प्रचोदयात।
2 राहु शांति मंत्र -ऊँ राहवे देवाय शांति, राहवे कृपायै करोति, राहवाये चामाये अभिलाषत, ऊँ राहवे नमो नमः।
3 सरस्वती देवी के मंत्र - ऊॅं ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः ऊॅं ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः ऊॅं सरस्वत्यै विद्यमहे, ब्रह्मपुत्रयै धीमहि । विद्महे तन्नो देवी प्रचोदयात ॥ ऊॅं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि । तन्नो सरस्वतीः प्रचोदयात् ॥ या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरुपेणसंस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
4 उड़द दाल या नारियल का दान प्रत्येक शनिवार को करना चाहिये।
5 शनिवार के व्रत रखने चाहियें।
6 8 मुखी रुद्राक्ष डालना चाहिये।
7 लंबी बीमारी से राहत हेतु वजन बराबर ज्वार या गेहूं बहते पानी में बहाना चाहिये। देवी सरस्वती व राहु के आर्शीवाद से सभी जातकों को नववर्ष में शुभत्व की प्राप्ति होगी व जीवन सुख, समृद्धि व शांति से भरपूर रहेगा