शुक्रअष्टकवर्ग से सटीक फलकथन
शुक्रअष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

शुक्रअष्टकवर्ग से सटीक फलकथन  

संजय बुद्धिराजा
व्यूस : 13439 | जुलाई 2010

अष्टकवर्ग विद्या में नियम है कि कोई भी ग्रह चाहे वह स्वराद्गिा या उच्च का ही क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि शुक्र ग्रह शुक्र अष्टकवर्ग में 5 या इससे अधिक बिंदुओं के साथ है तथा सर्वाष्टक वर्ग में भी 28 या अधिक बिंदुओं के साथ है तो शुक्र से संबंधित भावों के शुभ फल प्राप्त होते हैं। यदि सर्वाष्टकवर्ग में 28 से अधिक बिंदु व शुक्र अष्टकवर्ग में 4 से भी कम बिंदु हैं तो फल सम आता है। यदि दोनों ही वर्गों में कम बिंदु हैं तो ग्रह के अद्गाभ फल प्राप्त होते हैं। कारकत्व के अनुसार शुक्र से विवाह, पत्नी, वस्त्र, वाहन, लक्ष्मी आदि का विचार किया जाता है। भारतीय ज्योतिष में फलकथन हेतु अष्टकवर्ग विद्या की अचूकता व सटीकता का प्रतिशत सबसे अधिक है। अष्टकवर्ग विद्या में लग्न और सात ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) को गणना में सम्मिलित किया जाता है। शुक्र ग्रह द्वारा विभिन्न भावों व राशियों को दिये गये शुभ बिंदु तथा शुक्र का ‘शोध्यपिंड’ - ये ‘शुक्र अष्टकवर्ग’ से किये गये फलकथन का आधार होते हैं।

1. शुक्र के अष्टकवर्ग में जिस जिस राषि में अधिक बिंदु हों, उस उस राषि में शुक्र के आने पर भूमि, धन तथा कलत्र का लाभ उसी राषि की दिषा में मिलता है। उदाहरण: आरती (25.03.1969, 11ः34, दिल्ली) मिथुन लग्न की जातिका के शुक्र के अष्टकवर्ग में सबसे अधिक शुभ बिंदु कर्क व मकर राषि में 7-7 हैं। जुलाई 2005 में जातिका ने शनि में शनि की दषा में उत्तर दिषा में एक आवासीय प्लाट खरीदा। उस समय शुक्र का गोचर भी कर्क राषि पर से था और कर्क राषि उत्तर दिषा का ही प्रतिनिधित्व करती है।

2. शुक्र के सप्तम से स्त्री का विचार किया जाता है। अतः शुक्र से सप्तम भाव या सप्तम से त्रिकोण भाव, जिसमें भी अधिक बिंदु हों, में गोचर के शुक्र के आने से उसी राषि की दिषा में स्त्री प्राप्ति को कहना चाहिए। उदाहरण: राकेष (04.07.1968, गुड़गांव), तुला लग्न के जातक के शुक्र के अष्टकवर्ग में नवमस्थ शुक्र से सप्तम भाव में धनु राषि है और उसकी त्रिकोण राषियां मेष व सिंह हैं। सबसे अधिक 6 बिंदु सिंह राषि में हैं। सितंबर 1998 में जब जातक का विवाह पूर्व दिषा में हुआ तो उस समय शुक्र का गोचर सिंह राषि पर से ही था और सिंह राषि पूर्व दिषा को ही दर्षाती है।

3. शुक्र के अष्टकवर्ग में शुक्र से सप्तम के बिंदुओं को शुक्र के शोध्यपिंड से गुणाकर 27 का भाग देने पर जो शेष आये, उस तुल्य नक्षत्र या उससे त्रिकोण नक्षत्र में जब शनि आये तो स्त्री को कष्ट समझना चाहिये। उदाहरण: जवाहर लाल नेहरु (14.11.1889, 23.06, ईलाहाबाद) राशि पिंड ग्रह पिंड शोध्य पिंड सूर्य 134 71 205 चंद्र 91 67 158 मंगल 101 40 141 बुध 97 70 167 गुरु 95 67 162 शुक्र 88 68 156 शनि 82 76 158

1. शुक्र का शोध्यपिंड त्र 156 चर्तुथस्थ शुक्र से सातवें में बिंदु त्र 2 इसलिये 156 ग 2 त्र 312 झ् 27 क्षेत्रफल त्र 15 15वां नक्षत्र है स्वाति। इसके त्रिकोण नक्षत्र हैं शतभिषा व आद्र्रा। 28 फरवरी 1936 को नेहरु की पत्नी कमला नेहरु की मृत्यु के समय शनि का गोचर भी शतभिषा नक्षत्र से था।

2. यदि गुणनफल 312 को 12 से भाग करें तो शेषफल तुल्य राशि या त्रिकोण राशि में जब गुरु गोचर करता है तो वह विवाह का समय होता है, यहां 312 को 12 का भाग देने पर शेषफल 0 या 12 प्राप्त होता है। इसकी तुल्य राशि बनी मीन और उसके त्रिकोण राशि होगी कर्क व वृश्चिक। जवाहर लाल के विवाह के समय भी गुरु का गोचर मीन राशि पर से था।

4. शुक्र के अष्टकवर्ग में शुक्र से सप्तम के बिंदुओं को शुक्र के शोध्यपिंड से गुणाकर 12 का भाग देने पर जो शेष आये, उस तुल्य राषि या उससे त्रिकोण राषि में जब शनि आये तो स्त्री को कष्ट समझना चाहिये। उदाहरण: संजीव मदान (14.12.1946, 12.16, पटना) राशि पिंड ग्रह पिंड शोध्य पिंड सूर्य 103 30 133 चंद्र 96 35 131 मंगल 165 59 224 बुध 140 88 228 गुरु 61 59 120 शुक्र 53 59 112 शनि 100 43 143 मीन लग्न के जातक के शुक्र के अष्टकवर्ग में अष्टमस्थ शुक्र से सप्तम भाव में 5 बिंदु हैं और शुक्र का शोध्य पिंड 112 है। अतः 5 को 112 से गुणा कर गुणनफल 560 आता है जिसे 12 का भाग देने पर शेषफल 8 आता है। इसलिये वृष्चिक राषि या इससे त्रिकोण राषि मीन और कर्क में शनि का गोचर जातक की पत्नी के लिये अषुभ हो सकता है। सितंबर 2004 में जब शनि का गोचर कर्क राषि पर से था तो जातक को पत्नी की मौत का गम उठाना पड़ा।

5. षुक्र के अष्टकवर्ग में जिन राषियों में अधिक बिंदु हैं उस राषि की कन्या से विवाह करने से वंष वृद्धि होगी या उस राषि की दषा में जन्मी कन्या से विवाह करना संतानप्रद होता है।’’ उदाहरण: राजू आहूजा (20.09.1969, 03ः07, पिहोवा) कर्क लग्न के जातक के द्वितीयस्थ शुक्र के अष्टकवर्ग में सबसे अधिक शुभ बिंदु 6 हैं जो कि कर्क, सिंह व वृष्चिक राषियों में हैं। जातक की पत्नी नीलम की वृष्चिक राषि ही है और उन दोनों की एक प्यारी सी संतान भी है।

6. जन्म कुंडली में शुक्र जिस राषि में बैठा है, उस राषि का स्वामी यदि 5 या अधिक बिंदुओं के साथ हो तो जातक को सभी प्रकार से संपन्नता, सुविधा और सुख मिलता है। उदाहरण के लिये कर्क लग्न के जवाहर लाल नेहरु (14.11.1889, 23ः06, इलाहाबाद) की कुंडली में शुक्र स्वराषि का है तथा अपने अष्टकवर्ग में 6 बिंदुओं के साथ है। अतः उन्हें जीवन में सभी सुख सुविधाएं व संपन्नता मिली।

7. यदि कुंडली में सप्तमेष नीच का हो तथा शुक्र 2 या 3 बिंदुओं के साथ 6, 8, 12 भाव में हो तो जातक चरित्रहीन होता है। उदाहरण के लिये कर्क लग्न के श्याम नारायण, एक अपराधी (26.05.1940, 11ः00, दिल्ली) की कुंडली में सप्तमेष शनि नीच का है तथा शुक्र अपने अष्टकवर्ग में केवल 2 बिंदुओं के साथ द्वादष भाव में बैठा है। जिस कारण जातक एक अपराधी किस्म का व कई स्त्रियों के साथ संबंध रखने वाले चरित्र का व्यक्ति है।

8. जन्म कुंडली के जिस भाव में सबसे ज्यादा शुभ बिंदु हों, उस भाव पर शुक्र का जब गोचर हो तो वह समय संगीत सीखने, यौन सुख, गहने खरीदने या शादी करने के लिये शुभ होता है। उदाहरण के लिए सिंह लग्न के सतीष भटनागर, एक इंजीनियर (07.08.1966, 08ः40, पलवल) की कुंडली में शुक्र के अष्टकवर्ग में सबसे अधिक 6 बिंदु तुला राषि में हैं और जातक का जब विवाह 01.12.1988 में हुआ तो शुक्र का गोचर भी तुला राषि पर से था।

9. शुक्र के शोध्य पिंड को सूर्य के सातवें घर के बिंदुओं की संख्या से गुणा कर 12 का भाग देने पर जो शेष आये, उस तुल्य राषि में सूर्य का गोचर विवाह का माह बताता है। राशि पिंड ग्रह पिंड शोध्य पिंड सूर्य 121 55 176 चंद्र 67 20 87 मंगल 127 105 232 बुध 105 110 215 गुरु 78 50 128 शुक्र 81 20 101 शनि 126 10 136



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.