भारत देश के लोग आध्यात्म, दर्शन, योग व उसकी शक्तियों से जुडे रहें हैं। सम्मोहन भी योग व ध्यान का ही एक प्रतिरुप है। मन की बिखरी हुई शक्तियों को एकत्रित कर उस बढी हुई शक्ति से किसी व्यक्ति को प्रभावित करने की विद्या को सम्मोहन कहा जाता है। सम्मोहन जिसे प्राण विद्या या त्रिकाल विद्या भी कहते हैं भारत की प्राचीन विद्या है। रूद्रयामल व तंत्र चूडामणी में सम्मोहन व वशीकरण का विवरण मिल जाता है। आमतौर पर सम्मोहन का अर्थ वशीकरण से लगाया जाता है। परंतु यह सम्मोहन से बहुत नीचे की बात है। इसी कारण सम्मोहन कला का सम्मान जितना विदेशों में होता है, उतना ही हमारे देश में इसे वशीकरण मानने से अंधविश्वास से जोड कर देखा जाता है। सच भी है क्योंकि कुछ तांत्रिक वशीकरण विद्या का दुरुपयोग करने से नहीं हिचकते।
वशीकरण बनाम सम्मोहन –
वशीकरण का अर्थ है किसी को वश में करना। इसके लिये सबसे जरूरी चीज है - ध्यान। जिस विषय वस्तु को अपने वश में करने की इच्छा हो तो उसके लिये अपना मन केंद्रित करना ही ध्यान है। ध्यान से हमारे शरीर में अदभुत ऊर्जा का संचार होता है। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनि ध्यान लगा कर तेजस्वी हो गये, उनके चेहरे पर एक अलग ही तेज व मुस्कान रहती थी। इसी प्रकार हम जितना अधिक ध्यान या मेडिटेशन करेंगें उतना ही अधिक हमारा व्यक्तित्व निखर कर आयेगा। हम आत्मविश्वास से लबरेज हो जायेंगें और इस प्रकार सामने वाले व्यक्ति को अपने वश में करना आसान हो जायेगा। यह है वशीकरण।
सम्मोहन में मन का अहम कार्य होता है। मन के कई स्तर होते हैं। इनमें से एक है - आत्म चेतन मन। यह मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है बल्कि हकीकत से अवगत कराता है। इस मन की साधना ही सम्मोहन है। यह मन किसी भी अतीत या भविष्य को जानने की क्षमता रखता है। सम्मोहन से विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना आदि किया जा सकता है।
सम्मोहन एक विज्ञान –
सम्मोहन सदैव से ही जिज्ञासा व आश्चर्य का विषय रहा है। इसे विज्ञान व किंवदन्तियों के बीच की सीमा रेखा भी कह सकते हैं। पश्चिम देशों में इसे विज्ञान के रूप में विकसित किया गया है, परंतु हमारे देश में इसे योग साधना व त्राटक का अंग माना गया है। इसे विज्ञान के रूप में लाने का श्रेय जाता है डा. मेस्मर को। वे सम्मोहन से रोगी का उपचार किया करते थे। हिप्नोटिज्म यानि सम्मोहन शब्द का आविष्कार डा0 जेम्स ब्रेड ने किया था। सम्मोहन व्यक्ति के मन की वह अवस्था है जिसमें उसका चेतन मन धीरे धीरे तंद्रा की अवस्था में चला जाता है और अर्ध चेतन मन सम्मोहन की प्रक्रिया द्वारा नियंत्रित कर लिया जाता है।
सम्मोहन के बहुत से उदाहरणों में यह स्पष्ट रुप से देखा गया है कि सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति को उसके बचपन की किसी भी अवस्था तक ले जाया जा सकता है। कुछ सम्मोहन शास्त्री तो सम्मोहित होने वाले व्यक्ति के पिछले जन्म तक के विषय मालूम कर लेते हैं। क्योंकि सम्मोहन में सम्मोहन करने वाले व सम्मोहित होने वाले के बीच एक तरह का संबंध जुड़ जाता है जो उन दोनों के बीच के सारे पर्दे गिरा कर सच्चाई को सामने लाता है। सम्मोहन एक ऐसी कला है जिसमें सम्मोहित व्यक्ति को केवल सम्मोहन करने वाले की ही आवाज सुनाई देती है और वह उस आवाज के निर्देशों का पालन करता है।
सम्मोहन के विभिन्न तरीके –
सम्मोहन विद्या में किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिये अपनाये गये विभिन्न तरीके इस प्रकार से हैं –
* ध्यान * प्राणायाम * नेत्र त्राटक
उक्त तरीकों द्वारा सम्मोहन की शक्ति को जगाया जा सकता है। परन्तु ये कार्य किसी योग्य गुरू के सानिध्य में ही करने चाहिये।
कुछ अन्य तरीके भी आजमाये जाते हैं जो इस प्रकार से हैं –
* कुछ लोग अंगूठे को आंखों की सीध में रखकर सम्मोहन क्रिया करते हैं।
*कुछ लोग सम्मोहन चक्र व घड़ी के पेंडुलम की मदद से भी सम्मोहन क्रिया करते हैं।
*कुछ लोग लाल बल्ब व कुछ लोग मोमबती को एकटक देखते हुये भी सम्मोहन कर सकते हैं।
सम्मोहन से प्रभावित होने वाले लोग –
आम तौर पर लोगों का विचार होता है कि कमजोर इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति को ही सम्मोहित किया जा सकता है। जबकि दृढ इच्छाशक्ति वाले को भी सम्मोहित करना मुश्किल नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को सम्मोहित करने का तरीका समान नहीं होता। यह व्यक्ति के स्वभाव पर भी निर्भर करता है कि उसे सम्मोहित किया जा सकता है या नहीं। सम्मोहन से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों को निम्न वर्गांे में बांटा जा सकता है –
1- 15 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन पर सम्मोहन का असर नहीं होता।
2- 40 प्रतिशत लोगों का सम्मोहन के समय मासपेशियों का तनाव कम हो जाता है और पलके झपकने लगती हैं।
3- 15 प्रतिशत लोग सम्मोहन के समय तंद्रा की अवस्था में चले जाते हैं और छूने पर कुछ भी अनुभव नहीं करते।
4- 20 प्रतिशत लोग सम्मोहित करते समय समाधिस्त हो जाते हैं और कहे गये सुझावों का पालन करते हैं।
सम्मोहन में नींद –
सम्मोहन प्रक्रिया के दौरान सम्मोहित होने वाले व्यक्ति को नींद आ जाती है परन्तु ये नींद साधारण नींद नहीं होती। साधारण नींद व सम्मोहन की नींद में अंतर है। साधारण नींद में हमारा चेतन मन अपने आप सो जाता है व अर्ध चेतन मन अपने आप जाग्रत हो जाता है तथा किसी बाहरी शक्ति का उपयोग नहीं होता है। जबकि सम्मोहन में सम्मोहन कर्ता दूसरे व्यक्ति के चेतन मन को सुला कर उसके अचेतन मन को आगे लाता है और अपने सुझावों के अनुसार उसे कार्य करने के लिये तैयार करता है।
सम्मोहन द्वारा रोग उपचार –
मानव को होने वाले रोग दो प्रकार के होते हैं –
1- जिनके कारण और कार्यक्षेत्र पूर्णतः शारीरिक होते हैं इन्हें शारीरिक रोग कहा जाता है।
2- जिनके कारण मानसिक होते हैं और लक्षण शारीरिक होते हैं। इन्हें क्रियागत रोग कहते हैं। प्रायः सभी क्रियागत रोगों में सम्मोहन लाभदायक है।
सम्मोहन की तंद्रावस्था में दिये गये सुझाव इतने प्रभावकारी होते हैं कि इनसे रोगी के बहुत से मानसिक रोग दूर किये जा सकते हैं। जैसे कि किसी को तंद्रावस्था में यदि ये सुझाव दिया जाये कि शराब बुरी लत है और ये उसके सिरदर्द का मुख्य कारण है तो जागने पर जब वो शराब पीयेगा तो उसे लगेगा कि उसका सिर दर्द कर रहा है। इस तरह से उसे शराब से अरूचि पैदा हो जायेगी और वह शराब आदि बुरी लतों से छुटकारा पा लेगा।
हमारे मन व मस्तिष्क में बहुत सी ग्रंथियां पैदा हो जाती हैं जो बाद में किसी रोग में तब्दील हो कर व्यक्ति को परेशान कर देती हैं। सम्मोहन से उनका कारण ढूंढ कर उनका निवारण किया जा सकता है।
अनेक ऐसे रोग हैं जिनमें सम्मोहन चिकित्सा द्वारा उपचार किया गया है और रोगी को लाभ मिला है –
- सिरदर्द, कमर दर्द, पांव या हाथ दर्द
- डर, अनिंद्रा, मानसिक तनाव, विषाद
- लकवा, मिग्री
- कमजोर याददाश्त
- हकलाना, तुतलाना
- हृदय रोग
- नंपुसकता
- कब्ज
- मोटापा
- कमजोर आंखें
- बुरी आदतें जैसे शराब, सिगरेट
निम्न कार्यांे में भी सम्मोहन विद्या द्वारा कार्य को पीडा रहित कर लाभ लिया गया है –
- विभिन्न तरह के आपरेशन
- दंत चिकित्सा
- प्रसूति
यदि रोगी धनात्मक विचारों के साथ अपने रोग का निदान ढूंढे तो शीध्रता से रोग से छुटकारा पा सकता है। सम्मोहन चिकित्सा इस विषय में कारगार सिद्ध होती है। सम्मोहन द्वारा रोगी के रोग के अतिरिक्त उसके स्वभाव का भी इलाज किया जाता है। अनेक विद्यार्थियों की स्मरण शक्तियों में सुधार सम्मोहन चिकित्सा द्वारा संभव हुआ है। लोगों की कार्य क्षमता में वृद्वि भी सम्मोहन द्वारा की जा सकती है।
भारत देश में तो कई शारीरिक रोगों का कारण मन ही होता है जिनसे बेहाशी, पागलपन, माइग्रेन के अल्सर, डायरिया का रोग लग जाता है। माइग्रेन का इलाज के लिये सम्मोहन की अवस्था में रोगी की जब अचेतन मन की परतें खुलती हैं तो रोग का उपचार मिल जाता है।
हृदय रोग के कारण भी मन में भय, श्ंाका, निराशा, ईष्र्या, क्रोध, आवेश आदि विषैले विचार हैं। किसी रोग का भय भी शारीरिक व मानसिक रोग दे सकता है। सम्मोहन इस दशा में अति उपयोगी सिद्ध हुआ है। मनोरोग विशेषज्ञ डा0 चारकाट के अनुसार तो ऐसा कोई भी मानसिक रोग नहीं है जो सम्मोहन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता। इसका कारण है कि सम्मोहन शक्ति रोगी के मन-मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है जिसके कारण रोग का निवारण जड से होता है।
सम्मोहन द्वारा स्वयं के रोगों का भी उपचार किया जा सकता है। शरीर के किसी भी अंग में रोग या दर्द हो तो योग के माध्यम से वहां अपना पूर्ण ध्यान लगा कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करके स्वयं की चिकित्सा की जा सकती है। लगातार उस अंग के स्वस्थ होने की कल्पना से उस रोग के उपचार में सफलता मिल जाती है।
सम्मोहन के अन्य लाभ –
-अपराधियों को सम्मोहित अवस्था में लाकर उनसे अपराध के कारणों का पता लगाने में भी सम्मोहन बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
-टेलिफोन द्वारा भी सम्मोहन विद्या का उपयोग कर कार्य सिद्ध किया जा सकता है।
वशीकरण के कुछ उपयोगी मंत्र –
1. कामदेव मंत्र
‘‘ऊॅं नमः काम देवाय सहकल सहद्रश सहमसह लिये वन्हे धुनन जनममदर्शन उत्कण्ठित कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा’’
उक्त मंत्र का तीनों काल एक एक माला एक मास तक जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग करते समय जिसे देखकर जप करेंगें वहीं वश में होगा।
2. बजरंग मंत्र
ऊॅं पीर बजरंगी राम लक्ष्मण के संगी।
जहां जहां जाये फतह के डंके बजाये।।
‘अमुक’ को मोह के मेरे पास न लाये ।
तो अंजनी का पूत न कहाय।।
दुहाई राम जानकी की।।
इस मंत्र को 11 दिन तक 11 माला जाप कर सिद्ध कर लें। रामनवमी या हनुमान जयंती का दिन इस कार्य के लिये अति शुभ है। प्रयोग के समय दूध या दूध से बने पदार्थ पर 11 बार मंत्र पढकर खिला या पिला देने वशीकरण होगा।
3. सिंदूर मोहन मंत्र
हथेली में हनुमंत बसे, भेरू बसे कमार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर। सबकी नज़र बांध दे, तेल सिंदूर चढ़ाऊ तुझे। तेल सिंदूर कहां से आया, कैलास पर्वत से आया। कौन लाया, अंजनी का हनुमंत, गौरी का गणेश लाया। काला गोरा तोतला तीनो बसे कपार।
बिन्दा तेल सिंदूर का, दुश्मन गया पाताल। दुहाई कामिया सिंदूर की, हमे देख शीतल हो जाये। सत्य नाम, आदेश गुरु की, संत गुरु संत कबीर।
आसाम के कामरूप-कामाख्या क्षेत्र में ‘कामीया सिंदूर’ पाया जाता है। इसे लगातार सात रविवार तक उक्त मंत्र का 108 बार जाप कर मंत्र को सिद्व कर लें। प्रयोग के समय कामीया सिंदूर पर 7 बार उक्त मंत्र पढकर अपने माथे पर टीका लगायें। टीका लगाकर जहां जायेंगें, सभी वशीभूत होते जायेंगें।