वर्तमान समय प्रतियोगिता व स्पर्धा का समय है। इस समय में संतान को व्यवसाय के किस क्षेत्र में भेजा जाये - यह प्रश्न माता पिता के लिये बड़ा जटिल प्रश्न बनता जा रहा है। बच्चे को मेडिकल, इंजीनियरिंग, कला, कानून आदि किस विषय में पढ़ाया जाये कि वह अपने आने वाले समय में अपने व्यवसाय में मान सम्मान, धन दौलत व प्रसिद्धि पा सके। ऐसे अनेक प्रश्न माता पिता के सामने दुविधा पैदा कर देते हैं कि आखिर इन प्रश्नों का उचित व सटीक हल कैसे प्राप्त किया जाये। वर्तमान काल में व्यवसाय के क्षेत्र में परिवर्तन व क्रांति को देखकर कहा जा सकता है कि व्यवसाय चयन से संबंधित जानकारी ज्योतिष शास्त्रों में पर्याप्त नहीं है।
इसलिये इस क्षेत्र में निरन्तर शोध की आवश्यकता बनी रहती है। व्यवसाय में क्षेत्रों के इतने आयाम हैं कि प्रस्तुत लेख में इन सभी की चर्चा कर पाना संभव नहीं होगा। अतः केवल कम्प्युटर क्षेत्र के व्यवसाय को ही प्रस्तुत लेख में शोध के माध्यम से पेश किया जा रहा है। किसी भी जन्म कुंडली में दशम भाव ही कर्म का भाव कहलाता है। नवम भाव भाग्य भाव है। अतः व्यवसाय चयन हेतु निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला जा रहा है -
1. भाव Û दशम भाव (कर्म का भाव) Û सप्तम भाव (दशम से दशम) Û षष्ठ भाव (दशम से नवम यानि कर्म का भाग्य भाव)
2. ग्रह ंÛ दशमेश ग्रह Û दशम भाव पर प्रभाव डालने वाले ग्रह Û सबसे बलवान ग्रह (षड्बली)
3. कारक Û कम्पयुटर के कारक ग्रह - शुक्र, मंगल, राहू, शनि Û बुद्धि व गणना का कारक ग्रह - बुध Û ज्ञानकारक ग्रह - गुरु
4. नवमांश व दशमांश कुंडली नियम - यदि किसी जातक की जन्मकुंडली, नवमांश व दशमांश कुंडली के ऊपर वर्णित भावों में वर्णित ग्रह व कारक ग्रह बली होकर दृष्टि या युति संबंध बनाते हैं तो जातक कम्पयुटर व्यवसाय में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करता है।
संयोग इस प्रकार से हैं -
1. जन्मकुंडली में मंगल, बुध, शुक्र या शनि, दशमेश ग्रह होने चाहियें क्योंकि मंगल कम्पयुटर प्रोग्रामिंग के बारे में बताता है। बुध बु़िद्ध व गणना का कारक है। शुक्र कूटभाषा व यंत्र का कलात्मक उपयोग सिखाता है। शनि भी यंत्र की उचित उपयोगिता दर्शाता है।
2. जन्मकुंडली का दशमेश ग्रह मंगल, बुध, शुक्र या शनि के नवांश में होना चाहिये।
3. मंगल, बुध, शुक्र, शनि व राहू (तकनीक का ग्रह) का नवांश व दशमांश कुंडली में आपस में कोई संबंध होना चाहिये।
4. मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू ग्रह नवांश व दशमांश कुंडली के षष्ठ, नवम या दशम भावों से संबंधित होने चाहियें।
5. सबसे बलवान ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू होने चाहियें।
6. आत्मकारक ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू में से ही होना चाहिये। उदाहरण कुंडलियां - प्रस्तुत शोध में कुछ कम्पयुटर विशेषज्ञों की निम्न कुंडलियों में ऊपर वर्णित 6 योगों को परखा जायेगा जो ये बतायेंगें कि जातकों को कम्पयुटर व्यवसाय में उल्लेखनीय सफलता क्यों मिली।
1. राकेश बी. आर., 13 दिसंबर 1956, 23ः10 बजे, दिल्ली विश्लेषण -
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि दशमेश ग्रह होने चाहियें। - शुक्र दशमेश है।
Û जन्मकुंडली का दशमेश ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि के नवांश में होना चाहिये। - शुक्र दशमेश होकर मंगल के नवांश में है।
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि व राहू (तकनीक का ग्रह) का नवांश व दशमांश कुंडली में आपस में कोई संबंध होना चाहिये। - नवांश कुंडली में बुध-राहू की युति, शनि-राहू-बुध का दृष्टि संबंध है। दशमांश कुंडली में राहू-मंगल-शनि का दृष्टि संबंध है।
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू ग्रह नवांश व दशमांश कुंडली के षष्ठ, नवम या दशम भावों से संबंधित होने चाहियें। - नवांश में षष्ठ व दशम भाव को शनि, नवम को मंगल दृष्टि दे रहा है। दशमांश कुंडली में नवम में राहू स्थित है।
Û सबसे बलवान ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू होने चाहियें। - सबसे बलवान ग्रह मंगल है।
Û आत्मकारक ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू में से ही होना चाहिये। - आत्मकारक ग्रह शुक्र है।
2. प्रणव भटेजा, 13 सितंबर 1978, 04ः00 बजे, गंगानगर विश्लेषण -
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू दशमेश ग्रह होने चाहियें। - मंगल दशमेश ग्रह है।
Û जन्मकुंडली का दशमेश ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि के नवांश में होना चाहिये।
- मंगल दशमेश होकर शुक्र के नवांश में है।
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि व राहू (तकनीक का ग्रह) का नवांश व दशमांश कुंडली में आपस में कोई संबंध होना चाहिये।
- नवांश कुंडली में शुक्र-राहू व बुध-शनि की युति है। दशमांश कुंडली में मंगल-शुक्र व राहू-शनि का दृष्टि संबंध है।
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू ग्रह नवांश व दशमांश कुंडली के षष्ठ, नवम या दशम भावों से संबंधित होने चाहियें।
- नवांश कुंडली में बुध-शनि षष्टस्थ, मंगल नवमस्थ हैं। दशमांश कुंडली में मंगल का षष्ठ भाव से, शुक्र का नवम भाव से दृष्टि संबंध है।
Û सबसे बलवान ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू होने चाहियें।
- मंगल सबसे बलवान ग्रह है।
Û आत्मकारक ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि या राहू में से ही होना चाहिये। - हालांकि आत्मकारक ग्रह सूर्य है। 3 बिल गेटस 28 अक्तुबर 1955, 20ः58 बजे, अमेरिका विश्लेषण -
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि दशमेश ग्रह होने चाहियें। - शनि दशमेश है।
Û जन्मकुंडली का दशमेश ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, शनि के नवांश में होना चाहिये। - शनि दशमेश होकर बुध के नवमांश में है।
Û मंगल, बुध, शुक्र, शनि व राहू (तकनीक का ग्रह) का नवांश व दशमांश कुंडली में आपस में कोई संबंध होना चाहिये।
- नवांश कुंडली में मंगल, शुक्र व शनि की युति है। दशमांश कुंडली में भी शुक्र व बुध का तथा राहू व शनि का दुष्टि संबंध है
Û शुक्र, मंगल, शनि, राहू या बुध ग्रह नवांश व दशमांश कुंडली के षष्ठ, नवम या दशम भावों से संबंधित होने चाहियें।
- नवांश कुंडली में केवल बुध ही षष्ठ भाव में है। दशमांश कुंडली में बुध ग्रह दशम भाव में है।
Û सबसे बलवान ग्रह शुक्र, मंगल, शनि, राहू या बुध होने चाहियें।
- षडबल अनुसार गुरु सबसे बलवान है व शुक्र का चैथा नंबर है।
Û आत्मकारक ग्रह शुक्र, मंगल, शनि या बुध में से ही होना चाहिये।
- आत्मकारक ग्रह शनि है। निष्कर्ष -उपरोक्त कुंडलियों के विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि प्रस्तुत शोध में जिन 6 योगों को परखा गया है, वे सभी योग (90 प्रतिशत) इन कुंडलियों में विद्यमान हैं जो स्पष्ट संकेत देेते हैं कि कम्पयुटर व्यवसाय के लिये ये 6 योग अनिवार्य हैं।
अतः किसी जातक की जन्म कुंडली में यदि उपरोक्त योग दिखाई देते हैं तो निसंकोच जातक को कम्युटर क्षेत्र में विद्याय्यन करके कम्पयुटर के व्यवसाय से जुड जाना चाहिये ताकि र्निविरोध जीवन मे ंसफलता, प्रसिद्धि व धर्नाजन कर सके। त