यदि किसी जातक की कुंडली में इंजीनियर बनने के दो या दो से अधिक अच्छे योग हों तो जातक इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर प्राप्त करता है।
ज्योतिष में इंजीनियर बनने के निम्नलिखित योग पाए जाते हैं। दशम भाव या दशमेश पर मंगल या शनि का प्रभाव हो। चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पर मंगल या शनि का प्रभाव हो। दशम भाव या दशमेश अथवा चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पर राहु का प्रभाव हो।
केंद्र या त्रिकोण में मंगल-शनि की युति या सप्तम दृष्टि संबंध हो तथा नवमेश-दशमेश की युति या दृष्टि संबंध से धर्मकर्माधिपति योग बन रहा हो। मंगल कर्मेश होकर लाभ भाव में बुध से युति कर रहा हो। मंगल और पराक्रमेश की युति हो तथा मंगल-शनि का दृष्टि संबंध हो। दशमेश पर मंगल-शनि एवं लाभेश का शुभ प्रभाव हो।
उपर्युक्त योगों में से कोई दो या दो से अधिक योग चंद्र या नवांश कुंडली में भी हों। इन ग्रह योगों को निम्नलिखित उदाहरणों में देखना समीचीन होगा। प्रस्तुत कुंडली भारत-रत्न महान इंजीनियर डॉ. एम. विश्वेशरैया की है।
इनकी कुंडली में इंजीनियर बनने के निम्नलिखित योग है- नवम भाव में मंगल-शनि (पराक्रमेश) की युति लग्नेश व चतुर्थेश गुरु से है तथा दशम भाव में दशमेश बुध और नवमेश सूर्य की युति से शुभ धर्म कर्माधिपति योग निर्मित है। नवम भाव स्थित मंगल व शनि और चतुर्थेश गुरु पर राहु की नवम दृष्टि है।
चंद्र कुंडली के चतुर्थेश मंगल की पराक्रमेश गुरु तथा लग्नेश शनि के साथ युति है। चंद्र कुंडली के दशमेश शुक्र पर शनि की दृष्टि है। प्रस्तुत जन्मकुंडली एक सेवानिवृत्त सिविल इंजीनियर की है जो वर्तमान में एक बड़ी निर्माण कंपनी में 1 लाख प्रतिमाह वेतन पर कार्यरत हैं। इनकी कुंडली में इंजीनियर बनने के निम्न योग है- पराक्रमेश शनि की मंगल एवं राहु से सप्तम भाव में युति है।
मंगल की दशम भाव पर तथा शनि की चतुर्थ भाव पर तथा राहु की चतुर्थेश गुरु पर दृष्टि है। पराक्रम भाव में नवमेश सूर्य तथा दशमेश बुध की युति से धर्म कर्माधिपति योग निर्मित है जिस पर राहु की नवम दृष्टि है। चंद्र कुंडली का दशमेश शुक्र, पराक्रमेश भी है तथा राहु से दृष्ट है। चंद्र कुंडली का चतुर्थेश मंगल, शनि-राहु से युति कर रहा है।
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