पुनर्जन्म की पहली घटना सबसे पहले मैने अपने ही गांव महरहा, तहसील- बिन्दकी, जिला-फतेहपुर (उ. प्र.) में सुनी थी। यद्यपि इस घटना का तथ्यपरक वैज्ञानिक अध्ययन अभी तक किसी परामनोविज्ञानी द्वारा नहीं हो सका है क्योंकि इस घटना की जानकारी उस समय किसी समाचार पत्र में भी नहीं दी गयी थी।
मैने इस घटना के बारे में जैसा सुना है उसका विवरण इस प्रकार है। करीब 1990 के आस-पास की बात है। मैं कक्षा सात में पढ़ता था। मेरे गांव महरहा में डॉ. राकेश शुक्ला के चार वर्षीय बेटे भीम ने अपने माता-पिता से यह कहना शुरू कर दिया कि उसका नाम भीम नहीं है और न ही यह उसका घर है।
उसके द्वारा रोज-रोज ऐसा कहने पर एक दिन उन्होंने पूछा कि, बेटा, तुम्हारा नाम भीम नहीं है तो क्या है और तुम्हारा घर यहां नहीं है तो कहां है? इस पर भीम ने जो उत्तर दिया उससे डॉ. शुक्ला आश्चर्य चकित रह गए। उसने जबाब दिया कि उसका असली नाम- 'सुक्खू' है। वह जाति का चमार है एवं उसका घर बिन्दकी के पास मुरादपुर गांव में है। उसके परिवार में पत्नी एवं दो बच्चे हैं।
बड़े बेटे का नाम उसने मानचंद भी बताया। आगे उसने यह भी बताया कि वह खेती-किसानी करता था। एक बार खेतों पर सिंचाई करते समय उसके चचेरे भाइयों से विवाद हो गया, जिस पर उसके चचेरे भाइयों ने उसे फावड़े से काटकर मार डाला था।
भीम ने अपने पिता डॉ. राकेश शुक्ला से अपनी पूर्वजन्म की पत्नी और बच्चों से मिलने की इच्छा भी जतायी। मुरादपुर, महरहा से तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर ही है। इसलिए डॉ. शुक्ला ने एक दिन उस गांव में जाकर लोगों से सुक्खू चमार और उसके परिजनों के बारे में पूछ-ताछ की तो उन्हें भीम द्वारा बतायी गयी सारी जानकारी सही मिली।
डॉ. शुक्ला के मुरादपुर से लौटने के बाद एक दिन सुक्खू चमार की पत्नी अपने दोनों बच्चों तथा कुछ अन्य परिजनों के साथ डॉ. शुक्ला के घर भीम को देखने आयी। यहां पर भीम ने अपने पूर्व जन्म के सभी परिजनों को पहचाना एवं उन्हें उनके नाम से संबोधित भी किया।
पत्नी के द्वारा पैर छूने एवं रोने पर उसने उसे ढाढस भी बंधाया और उसके सिर पर हाथ फेरा। जब वे लोग भीम से घर चलने के लिए बोले तो वह सहर्ष तैयार हो गया लेकिन डॉ. शुक्ला एवं उनकी पत्नी ने उसे नहीं जाने दिया। इस घटना के बाद भीम अक्सर अपनी पूर्व पत्नी एवं बच्चों से मिलने की बात करता रहता था।
इससे डॉ. शुक्ला काफी परेशान भी हुए। बाद में उन्होंने भीम की पूर्वजन्म की स्मृति को समाप्त करने के लिए किसी तांत्रिक की सहायता ली। जिससे बाद में भीम की पूर्वजन्म की स्मृति समाप्त हो गयी। वर्तमान में भीम शुक्ला बी. टेक कर रहा है।
नोट : इस घटना के सभी व्यक्ति एवं स्थान वास्तविक हैं। उ. प्र. के फतेहपुर जिले में बिंदकी तहसील मुखयालय से 4 किमी. दूर भीम शुक्ला पुत्र राकेश शुक्ला का गांव महरहा है। एवं बिंदकी तहसील मुखयालय से 1 किमी दूर मुरादपुर में स्व. सुक्खू हरिजन का घर एवं परिजन हैं। डॉराकेश शुक्ला का क्लीनिक एवं सीमेंट की दुकान बिन्दकी में महरहा रोड पर स्थित है।
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